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4 जून को मुक्तिबोधः स्वदेश की खोज का लोकार्पण

4 जून को मुक्तिबोधः स्वदेश की खोज का लोकार्पण

रायपुर. देश के नामचीन लेखक और संस्कृतिकर्मी 4 जून को छत्तीसगढ़ की राजधानी में मौजूद रहेंगे. इस दिन शाम पांच बजे रायपुर के वृंदावन हॉल में जन संस्कृति मंच की रायपुर ईकाई द्वारा प्रसिद्ध विचारक रामजी राय की पुस्तक-मुक्तिबोध:स्वदेश की खोज़ का लोकार्पण एवं समीक्षा का कार्यक्रम रखा गया है.

इस कार्यक्रम में लेखक रामजी राय के अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष और आलोचक प्रणय कृष्ण, प्रोफेसर सियाराम शर्मा भिलाई, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह गोरखपुर, नई दिल्ली से आलोचना के संपादक आशुतोष कुमार, छत्तीसगढ़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त रायपुर, युवा कवि-आलोचक बसंत त्रिपाठी इलाहाबाद, प्रेमशंकर सिंह आगरा मौजूद रहेंगे. कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य जसम रायपुर ईकाई के अध्यक्ष आनंद बहादुर देंगे. वहीं अजुल्का सक्सेना और वसु गंधर्व द्वारा मुक्तिबोध की कविता का सस्वर पाठ होगा. कार्यक्रम का संचालन युवा लेखक भुवाल सिंह करेंगे जबकि आभार प्रदर्शन जसम के सचिव मोहित जायसवाल करेंगे. कार्यक्रम में विशेष तौर पर समकालीन जनमत की प्रबंध संपादक मीना राय,संस्कृतिकर्मी अनीता त्रिपाठी इलाहाबाद, रुचि बाजपेयी लखनऊ, डीपी सोनी बलिया उत्तर प्रदेश, केके पांडे संपादक जनमत, दीपक सिंह, डॉ.कामिनी अंबिकापुर , संजय जोशी नवारुण प्रकाशन दिल्ली, कैलाश बनवासी दुर्ग, कल्पना मिश्रा, नरोत्तम शर्मा, इंद्र कुमार राठौर, दीक्षित भीमगड़े, मीता दास भिलाई, अंजनकुमार, अभिषेक पटेल, अंबरीश त्रिपाठी, अमित चौहान, आलोक कुमार, अखिलेश एडगर, वंदना शर्मा, विनीता, तत्पुरूष सोनी के अलावा अंचल के अनेक लेखक और संस्कतिकर्मी उपस्थित रहेंगे. कार्यक्रम में नवारुण प्रकाशन और समकालीन जनमत की तरफ से पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी.इस महत्वपूर्ण आयोजन में हिस्सेदारी दर्ज करने के बाद लेखक और संस्कृतिकर्मी 5 से 7 जून तक बस्तर भ्रमण पर जाएंगे.

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अमन चोपड़ा खुद को समझ रहा था प्रेम चोपड़ा...देशद्रोह का मामला दर्ज

जयपुर. न्यूज 18 इंडिया के नफरती एंकर अमन चोपड़ा के खिलाफ राजस्थान के बूंदी और डूंगरपुर जिले में देशद्रोह सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.अब कुछ दिनों तक टीवी पर चोपड़ा का थोबड़ा आपको नज़र नहीं आएगा.चोपड़ा अंडरग्राउंड हो गया है. राजस्थान की पुलिस डंडे को तेल पिलाकर चोपड़ा को खोजने के लिए निकल गई हैं. ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले दिल्ली के जहांगीरपुरी में एक मस्जिद के दरवाजे पर बुलडोजर चलाया गया था. इस घटना के कुछ दिनों बाद ही अलवर में दो-तीन मंदिरों को तोड़ देने की घटना हुई. यहां जो मंदिर तोड़े गए उसके लिए अलवर के निगम प्रशासन ने अनुमति दी थीं.अलवर निगम में भाजपा का कब्जा है. यह सब जानने के बाद भी चोपड़ा ने अपने आकाओं को खुश करने के लिए चैनल में झूठी खबर चलाई और बार-बार यह दोहराया कि जहांगीरपुरी में जो मस्जिद टूटी हैं...राजस्थान सरकार ने उसका बदला ले लिया है. इस खबर से दो समुदाय के बीच उन्माद भड़का तो देश के लेखक, बुद्धिजीवियों और अच्छे पत्रकारों ने चोपड़ा की गिरफ्तारी को लेकर सोशल मीडिया में अभियान चलाया. आखिरकार देर रात चोपड़ा पर अमन-चैन में खलल डालने और विद्वेष फैलाने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया. अमन चोपड़ा खुद को प्रेम चोपड़ा समझ बैठा था. कुछ समय पहले मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी की हेकड़ी निकाली थीं. माना जा रहा है कि अमन चोपड़ा की हेकड़ी भी निकल जाएगी.
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पुलिस की होशियारी...पड़ गई भारी...रंगकर्मियों और पत्रकारों को थाने में नंगा खड़ा करने पर मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी और आईजी से मांगा जवाब

भोपाल. मध्यप्रदेश के सीधी जिले की कोतवाली थाने में स्थानीय रंगकर्मियों और पत्रकारों को नंगा खड़ा करके उनकी तस्वीरों को वायरल करने का मामला पुलिस को भारी पड़ गया है. मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने पुलिस महानिदेशक और रीवा के पुलिस महानिरीक्षक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. घटना के बाद एडिटर्स आफ गिल्ड ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को कड़ा पत्र लिखा है. खबर है कि इस मामले में देशभर के पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से पीड़ित पक्ष से जुड़े लोग सीधी के पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार, थाना प्रभारी मनोज सोनी और एसआई अभिषेक परिहार के खिलाफ न्यायालय में परिवाद दायर करने पर भी विचार कर रहे हैं.

 गौरतलब है कि सीधी में कुछ दिन पहले रंगकर्मी नीरज कुंदेर को पुलिस ने एक मामले में गिरफ्तार किया था. इस गिरफ्तारी के विरोध में इलाके के पत्रकार कनिष्क तिवारी ने खबर चलाई थी और स्थानीय रंगकर्मियों ने विरोध जताया था. इस विरोध के बाद कोतवाली थाने के प्रभारी मनोज सोनी ने रंगकर्मियों और पत्रकारों को गिरफ्तार कर बुरी तरह से पीटा और फिर उन्हें अंडरवियर में खड़ा कर उनकी तस्वीरों को सोशल मीडिया में वायरल किया. इस घटना के बाद शिवराज सरकार और पुलिस के खिलाफ देशव्यापी गुस्सा फूट पड़ा. देश के ज्यादातर लोग वायरल हुई इन तस्वीरों को मानवीय गरिमा के खिलाफ बताकर थू-थू करते रहे. सोशल मीडिया में सरकार की फजीहत को देखने के बाद कल थाना प्रभारी मनोज सोनी और एसआई अभिषेक परिहार को लाइन हाजिर कर दिया गया था. हालांकि इस कार्यवाही को लोग अब भी नाकाफी ही बता रहे हैं.

बताते हैं कि सीधी से भाजपा के स्थानीय विधायक केदारनाथ शुक्ला की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एक यू ट्यूब चैनल को संचालित करने वाले कनिष्क तिवारी और उनके कैमरामैन ने खबर चलाई थीं. बताया जाता है कि रंगकर्मी नीरज कुंदेर को भी विधायक और उसके पुत्र के इशारे पर ही गिरफ्तार किया गया था. कुंदेर अभी भी जेल में हैं. जब सीधी में कुंदेर की गिरफ्तारी पर विरोध प्रदर्शन हुआ तो कनिष्क तिवारी ने एक पत्रकार की हैसियत से समाचार को कव्हरेज किया, लेकिन उन्हें और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर थाने में नंगा बिठा दिया गया. खबर हैं थाने में सभी पत्रकारों और रंगकर्मियों को विधायक के पालित गुंडों और एक शराब कारोबारी के सामने ही बुरी तरह से मारा-पीटा गया. थाने में मौजूद थाना प्रभारी ने वहां मौजूद पुलिस कर्मी अभिषेक सिंह परिहार और अन्य लोगों को तस्वीरें खींचने के लिए कहा और फिर तस्वीर वायरल कर दी गई.

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रंगकर्मियों और पत्रकारों को थाने में खड़ा किया नंगा... देशभर में मचा बवाल

भोपाल. मध्यप्रदेश के सीधी जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई हैं. इस जिले में कुछ दिन पहले रंगकर्मी नीरज कुंदेर को गिरफ्तार किया गया था. जब नीरज की गिरफ्तारी के विरोध में इलाके के पत्रकारों ने खबर चलाई और स्थानीय रंगकर्मियों ने विरोध जताया तो ना केवल उन्हें गिरफ्तार किया गया ब्लकि उनका जुलूस निकालकर उन्हें थाने में लगभग नग्न अवस्था में खड़ा कर उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल कर दी गई.तस्वीरों के वायरल होने के बाद प्रदेश की शिवराज सरकार और पुलिस के खिलाफ देशव्यापी गुस्सा फूट पड़ा है. लोग-बाग वायरल हुई इन तस्वीरों को मानवीय गरिमा के खिलाफ बताकर थू-थू कर रहे हैं. खबर हैं कि देश के कई हिस्सों के रंगकर्मी और पत्रकार सीधी जाकर विरोध प्रकट करने की तैयारी में जुट गए हैं.

अभी बलिया के पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन शांत भी नहीं हुआ है कि भाजपा शासित मध्यप्रदेश से रंगकर्मियों और पत्रकारों की गिरफ्तारी की बड़ी खबर सामने आ गई हैं. बताते हैं कि सीधी से भाजपा के स्थानीय विधायक केदारनाथ शुक्ला की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एक यू ट्यूब चैनल को संचालित करने वाले कनिष्क तिवारी और उनके कैमरामैन ने खबर चलाई थीं. जब रंगकर्मी नीरज कुंदेर को गिरफ्तार किया गया तब पूरे सीधी में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था. कनिष्क तिवारी रंगकर्मियों के विरोध-प्रदर्शन को कव्हरेज करने पहुंचे तो पुलिस ने उनके साथ-साथ रंगकर्मियों को भी गिरफ्तार कर लिया.खबर हैं थाने में सभी पत्रकारों और रंगकर्मियों को विधायक के पालित गुंडों और एक शराब कारोबारी के सामने बुरी तरह से पीटा गया. थाने में मौजूद थाना प्रभारी ने वहां मौजूद पुलिस कर्मी अभिषेक सिंह परिहार और अन्य लोगों को फोटो खींचने के लिए कहा और फिर तस्वीर वायरल कर दी गई.

कनिष्क तिवारी का कहना है कि रंगकर्मी नीरज कुंदेर कला आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ हैं. स्थानीय पुलिस ने विधायक केदारनाथ शुक्ला के इशारों पर नीरज कुंदेर की फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाई और फिर उन्हें विधायक के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.जब उनकी गिरफ्तारी को लेकर विरोध प्रारंभ हुआ तो कव्हरेज करने गए पत्रकारों को भी लपेट दिया गया. कनिष्क ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी कर पुलिस पर झूठे मुकदमे दर्ज करने का आरोप भी लगाया है. कनिष्क का कहना है कि उसे और उसके परिवार को लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही हैं. वैसे इस घटना के बाद भाजपा और उसकी सरकार की रक्षा में लगे हुए गोदी मीडिया के पत्रकार भी सक्रिय हो गए हैं. गोदी मीडिया की खबरों में यह कहा जा रहा है कि कनिष्क तिवारी यू ट्यूब चैनल को चलाता है. वह शुद्ध पत्रकार नहीं है. कभी किसी बड़े बैनर में नहीं रहा. वह पहले भी इधर-उधर प्रवेश करता रहा है तो उसके खिलाफ मुकदमा चल रहा हैं...आदि-आदि.

सीधी में हुई इस घटना के बाद देश के प्रसिद्ध पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक वॉल पर फिल्म आरआरआर के एक पोस्टर को शेयर करते हुए अपने अंदाज में कुछ यूं लिखा है-चलिए नाचो नाचो पर नाचिए. डांस आना चाहिए. क्या शानदार तालमेल है दोनों का. गति बिजली के जैसी और उल्लास बारिश के जैसा. ज़्यादा तनाव न लें. डांस करें. पत्रकारों को नंगा किया जा रहा है. एक दिन पाठकों दर्शकों को भी ये नंगा कर दिया जाएगा... इसलिए नाचिए. सीधी जिले के एसएसपी मुकेश कुमार का कहना है कि जो तस्वींरें वायरल हुई है वह उनके संज्ञान में हैं. यह तस्वीरें किस हालात में खींची गई हैं इसकी जांच की जा रही हैं. यदि कुछ भी नियम विरुद्ध निकला तो थाना प्रभारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा. इधर खबर है कि मामले में तूल पकड़ने के बाद एसएसपी ने थाने के प्रभारी मनोज सोनी और एसआई अभिषेक परिहार को लाइन हाजिर कर दिया है.

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पत्रकारों के मुख्यमंत्री दोस्त ने रखा पत्रकारों का ख्याल...अधिमान्यता नवीनीकरण की अवधि अब दो साल.

रायपुर. पत्रकारों के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व्यवहार बेहद दोस्ताना है. बघेल के पहले जो मुख्यमंत्री थे उन्हें केवल चंद मालिकों और संपादकों का मुख्यमंत्री ही माना जाता था, लेकिन छतीसगढ़ियां भूपेश बघेल को प्रतिबद्ध ढंग से पत्रकारिता करने वाले जमीनीं पत्रकारों का मुख्यमंत्री समझा जाता है. यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि भाजपा के शासनकाल में प्रदेश के सर्वाधिक पत्रकार पीड़ित और प्रताड़ित हुए थे. भूपेश बघेल ने सरकार बनने के साथ ही पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की घोषणा की थीं जिस पर संभवतः जल्द ही अमल होने वाला है. इधर एक सच्चाई यह भी हैं भाजपा की सरकार में ऊंचे ओहदे पर बैठे कतिपय बड़े अखबारों और मीडिया जगत के चंद पत्रकार ही अधिमान्यता हासिल कर पाते थे, लेकिन अब ग्रामीण व संभागीय क्षेत्र में कार्यरत बहुत से पत्रकार अधिमान्यता प्राप्त कर रहे हैं. इधर मंगलवार को मुख्यमंत्री ने बजट सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में पत्रकार अधिमान्यता नवीनीकरण की अवधि को एक वर्ष से बढ़ाकर 2 वर्ष करने की घोषणा की है. अब प्रदेश के वे तमाम पत्रकार जो एक वर्ष के लिए अधिमान्य माने जाते थे वे अब दो वर्ष के बाद ही नवीनीकरण के लिए आवेदन कर पाएंगे. मुख्यमंत्री की इस घोषणा को पत्रकारों ने स्वागतयोग्य कदम बताते हुए विधानसभा परिसर में पुष्प गुच्छ देकर मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि छतीसगढ़ की सरकार पत्रकारों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहेगी और उनके सुख-दुख में हमेशा साथ रहेगी.
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कवर्धा के पुलिस कप्तान उमेद सिंह ने सुनी जनता की समस्या...मौके पर ही कई मामलों का निराकरण

कवर्धा. पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा के निर्देशन तथा पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज दुर्ग ओपी पाल के मार्गदर्शन में रेंज के समस्त जिलों में आमजनता से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुनने एवं उसका उचित निराकरण करने के लिए पुलिस जनदर्शन कार्यक्रम का आयोजन करने निर्देशित किया गया है. इसके तहत 18 फरवरी शुक्रवार को कबीरधाम जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ लाल उमेद सिंह के कुशल नेतृत्व में जिले के चारों अनुविभाग, कवर्धा, लोहारा, पंडरिया, बोड़ला, में जनदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इस कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह ने स्वयं पंडरिया अनुविभाग के जनदर्शन पंडरिया थाने पहुंचकर आम जनता की समस्याओं का निराकरण किया गया.इसके साथ ही कुछ प्रकरण अन्य विभागों से संबंधित होने से उक्त शिकायत पत्रों को संबंधित विभाग तक तत्काल निराकरण हेतु भेजने के लिए आश्वासन दिया गया.

थाना परिसर में ही कोटवार सम्मान समारोह एवं बचपन बचाओ बच्चे पढ़ाओ अभियान का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. इसमें पंडरिया क्षेत्र के ग्राम कोटवारों को नेम प्लेट, डायरी पेन तथा सफेद गमछा व श्रीफल प्रदान कर सम्मानित कर ग्राम कोटवारों को क्षेत्र को पूर्णता अपराध मुक्त बनाने पुलिस का हरसंभव मदद करने तथा समय-समय पर थाना आकर उपस्थिति देने निर्देशित किया गया. क्षेत्र के घुमंतू बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से कॉपी, किताब, स्कूल बैग, पेन एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं का वितरण कर मन लगाकर पढ़ाई करने तथा अपना एवं परिवार जनों का नाम रोशन करने कहा गया. इस कार्यक्रम में पंडरिया अनुविभागीय अधिकारी नरेंद्र कुमार बेंताल, निरीक्षक मुकेश यादव, थाना पांडातराई निरीक्षक सुशील मलिक, थाना प्रभारी कुकदुर निरीक्षक मुकेश सोम, थाना प्रभारी कुंण्डा निरीक्षक श्री बीपी तिवारी, स्टेनो युवराजा असटकर, पुलिस चौकी दमापुर प्रभारी सहायक उपनिरीक्षक रघुवंश पाटिल, महिला सेल तथा चाइल्डलाइन टीम एवं क्षेत्र के सम्माननीय नागरिक, एवं क्षेत्रवासी तथा ग्राम कोटवार एवं छोटे बच्चे उपस्थित थे.

 

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अमित शाह ने योगी को निपटा दिया अब मोदी निपटाएंगे...मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टिप्पणी चर्चा में

रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अभी थोड़ी देर पहले फेसबुक पेज पर एक जोरदार टिप्पणी लिखी है. बघेल ने लिखा है- अमित शाह ने यूपी चुनाव के पहले और दूसरे चरण में योगी को निपटा दिया है. छठें और सातवें चरण में नरेंद्र मोदी निपटाएंगे. देखना यह है कि दोनों को योगी निपटाते हैं या दोनों मिलकर योगी को.

बघेल की इस टिप्पणी की सार्वजनिक होते ही फेसबुक पर कमेंट करने वालों की बाढ़ आ गई है. हालांकि मुख्यमंत्री ने जो टिप्पणी की है वह यथार्थ के करीब है. पिछले कुछ समय राजनीतिक धुंरधर यह बात कहते आए हैं कि इस बार योगी की नैय्या पार लगना कठिन है. एक वजह तो सरकार की जनविरोधी नीतियां है तो दूसरी वजह योगी का प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का ख्वाब भी है. सब जानते हैं कि योगी हिन्दुत्व का कट्टर चेहरा बनकर संघ के एकदम करीब जा पहुंचे हैं. कहा जाता है कि संघ भी योगी को पीएम के रुप में देखना चाहता है. जब योगी पीएम पद की दौड़ में शामिल हो जाएंगे तो फिर मोदी और शाह को कुछ तो करना ही होगा. गोदी मीडिया को छोड़कर यूपी की खाक छानने वाले वैकल्पिक मीडिया और विश्लेषकों का भी दावा है है कि इस बार यूपी में भाजपा बुरी तरह से परास्त होने वाली है. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इस बार चुनाव में भाजपा सौ का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी.पहले और दूसरे चरण के चुनाव में भाजपा बुरी तरह से पिछड़ गई है.

 

यूपी के पहले चरण में जिन 58 सीटों पर चुनाव हुआ वहां 2017 में भाजपा की लहर थीं. भाजपा ने यहां 53 सीटें जीतकर सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल को मुकाबले से बाहर कर दिया था, लेकिन इस बार भाजपा ने हार के डर से अपने कई लोगों की टिकट काट दी थीं. पहले चरण के चुनाव में नौ मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हैं. जो रिपोर्ट आ रही है उसमें कहा जा रहा है कि जनता ने मंत्रियों को भी सबक सीखा दिया है. किसान आंदोलन के बाद भाजपा के खिलाफ बगावती सुर और सपा-रालोद का गठबंधन मंत्रियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. कांग्रेस की दस्तक भी जबरदस्त है. जातीय समीकरणों से लेकर क्षेत्र में जनता के साथ व्यवहार दोनों ही मुद्दों पर योगी के खिलाफ नाराजगी देखने को मिली है.

इधर 14 फरवरी को नौ जिलों की जिन 55 सीटों पर चुनाव हुआ है उनमें से अधिकांश जिले मुस्लिम बाहुल्य है. पिछली बार भाजपा को 55 में से 38 सीटें मिली थीं, लेकिन विश्लेषक कहते हैं कि इस बार दूसरे चरम में चार-पांच सीटें मिल जाय तो बहुत ज्यादा है.

 

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जोन क्रमांक छह के अधिकारियों के संरक्षण में फल-फूल रहा है अवैध कब्जे का कारोबार

जोन क्रमांक छह के अधिकारियों के संरक्षण में फल-फूल रहा है अवैध कब्जे का कारोबार

खाली जमीन पर वृक्षारोपण नहीं कर सकते... लेकिन जितना चाहे अवैध कब्जा कर लीजिए

लोकप्रिय महापौर की इमेज को बट्टा लगाने पर तुले हुए अधिकारी

रायपुर. कुछ अधिकारी तो अपनी कर्तव्यनिष्ठा के चलते रायपुर नगर निगम को ऊंचाईयों पर ले जाने का काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जो प्रदेश के सबसे लोकप्रिय महापौर एजाज ढेबर के नाम को बट्टा लगाने पर तुले हुए हैं. बट्टा लगाने वाले अधिकारियों में जोन क्रमांक छह के कई अधिकारियों का नाम शामिल है. वैसे तो यहां जितने भी अधिकारी पदस्थ है वे सब ऐन-केन-प्रकारेण अपनी अवैधानिक गतिविधियों के चलते सुर्खियों में रहे हैं, लेकिन हाल-फिलहाल यहां पदस्थ अधिकारियों की वजह से अवैध कब्जे का कारोबार जमकर फल-फूल रहा है.

वार्ड क्रमांक 61 जो जोन क्रमांक छह के अंतर्गत आता है वहां के भाठागांव इलाके में शीतला मंदिर चौक से महादेव घाट जाने वाली सड़क के किनारे भू-माफियाओं द्वारा धड़ल्ले से बेजा कब्जा किया जा रहा है. कोई होटल बना रहा है तो कोई चाय-नाश्ते की पक्की गुमटी खोलकर अवैध कब्जा कर रहा है. इसी इलाके में एक अखबार समाचार लोक का प्रकाशन दफ्तर भी है. इस अखबार के संचालक ने बेजा अवैध कब्जे को लेकर कई मर्तबा नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों के पास शिकायत भी की है. उनकी शिकायत का मजमून यहीं था कि खाली जमीन पर धड़ल्ले से कब्जा हो रहा है. निगम को इसे रोकना चाहिए. जब निगम ने उनकी इस मांग पर ध्यान नहीं दिया तो संचालक ने बीते शनिवार यह तय किया कि कब्जे से बचने के लिए खाली जमीन पर वृक्षारोपण ही कर दिया जाय. लेकिन उनके द्वारा वृक्षारोपण की कार्रवाई प्रारंभ करते ही जोन क्रमांक छह के अधिकारी दलबल के साथ पहुंच गए और उन्होंने बांस-बल्ली, कुदाल-गैती-रापा सबको जप्त कर लिया. अमले ने वहां मौजूद सीमेंट के खंबों को भी गिरा दिया. जब इसका कारण पूछा गया तो एक अधिकारी ने बड़ी बे-अदबी से कहा- यहां सब कुछ हो सकता है... बस वृक्षारोपण नहीं कर सकते. जब वहां मौजूद अधिकारियों को अवैध कब्जों के बारे में जानकारी दी गई तो उन्होंने कहा कि जिनको आप अवैध कब्जा बता रहे हैं वे सब लोग समय-समय पर हमारी सेवा करते हैं. अगर वृक्षारोपण करना है तो महापौर से अनुमति लीजिए. बाकी किसी बात के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है... हम लोग बैठे हैं.

यहां बताना जरूरी है कि इस इलाके में जितनी भी जगह खाली पड़ी है वहां धडल्ले से कब्जे का खेल चल रहा है. पूरे इलाके में अवैध कब्जाधारियों की बाढ़ आई हुई है. बेजा कब्जे की वजह से आवागमन में काफी बाधा उत्पन्न हो रही है. यहां कई बड़ी दुर्घटना भी हो चुकी है. आए दिन एक्सीडेंट देखने को मिलता है. अवैध कब्जे की वजह से यह इलाका असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बन गया है. यह इलाका गांजा-शराब पीकर लड़ने-झगड़ने वालों के एक प्रमुख  केंद्र के रुप में तब्दील हो गया है.

स्थानीय लोगों में है भारी नाराजगी 

बेजा कब्जे के चलते स्थानीय नागरिकों में बेहद नाराजगी भी देखी जा रही है. लोग अपनी पीड़ा से अधिकारियों को अवगत कराते रहे  हैं, लेकिन अधिकारियों के कान में जूं नहीं रेंगती है. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अवैध निर्माण की नींव डाले जाने के साथ ही निगम का अमला किसी खोल में घुस जाता है.

महापौर से अनुमति ले लीजिए

जिस जगह से खंबा हटाया गया है वहां कोई दूसरा काम होना है. अगर वृक्षारोपण करना है तो महापौर से अनुमति ले लीजिए.

नेतराम चंद्राकर / जोन कमिश्नर जोन छह-भाठागांव


अभी उत्तर प्रदेश में हूं

मुझे अभी कुछ भी पता नहीं है. अभी यूपी में हूं. जोन कमिश्नर से जानकारी लेकर ही आपको बता पाऊंगा. एजाज ढेबर महापौर / रायपुर नगर निगम

वृक्षारोपण का पक्षधर हूं

मैं वृक्षारोपण का पक्षधर हूं. वृक्षारोपण तो होना ही चाहिए. वृक्षारोपण की वजह से शहर हरा-भरा रहता है. जो लोग अवैध कब्जे को अंजाम दे रहे हैं वह गलत है. मैं जल्द ही जोन कमिश्नर से बात करूंगा. प्रमोद दुबे, सभापति नगर पालिका निगम

 

 

 

 

 

 

 

 

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थप्पड़ की कपोल घटना के जरिए मंत्री शिव डहरिया और सरकार को बदनाम करने की साजिश

रायपुर. पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कुछ तथाकथित मुख्यधारा के समाचार पत्रों में यह खबर प्रचारित और प्रसारित हो रही थीं कि छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री शिव कुमार डहरिया ने पानी की मांग करने वाले एक युवक को थप्पड़ जड़ दिया है. इस बारे में मंत्री डहरिया का कहना है कि एक पुराने वीडियो को वायरल कर जन सामान्य के बीच झूठी खबर प्रचारित करने की साजिश रची गई है. मंत्री ने एक पत्रकारवार्ता में साफ किया कि दिनांक 9 जनवरी 2022 को ग्राम रीवां में आयोजित भूमिपूजन कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में साहू समाज के प्रमुखजनों के अलावा कई महत्वपूर्ण जनप्रतिनिधि उपस्थित थे. इस दौरान मंच पर ही स्थानीय ग्रामीण महिलाओं से गांव में पानी पहुंचाने को लेकर सौहाद्रपूर्ण चर्चा हो रही थीं कि तभी अचानक असामाजिक तत्वों द्वारा व्यवधान उत्पन्न किया गया. वीडियो में यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि मंच से उतरने के बाद मंत्री जी पर अपशब्द कहे जाने पर उन्हीं असामाजिक तत्वों को सुरक्षाकर्मी द्वारा हटाया जा रहा है. इसी वीडियो में संलिप्त असामाजिक तत्वों पर स्थानीय पुलिस द्वारा उसी रात तत्काल कार्रवाही की गई थी.

सरकार की छवि धूमिल करने की साजिश

इस वीडियो का उपयोग सामाजिक सौहाद्र को बिगाड़ने के लिए भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा व्हाट्सअप ग्रुप के माध्यम से आरंग विधानसभा क्षेत्र में “जिला साहू समाज के अध्यक्ष देवनाथ साहू का अपमान“ करके प्रसारित किया गया. इस घटना की जानकारी होने पर तुरंत ही स्वयं जिला साहू समाज के अध्यक्ष देवनाथ साहू द्वारा इस समाचार का खंडन भी कर दिया गया. सरकार की छवि को धूमिल करने में एक दैनिक समाचार पत्र की भी अहम भूमिका रही है. इस समाचार पत्र ने बगैर किसी आधार के “मांगा पानी, डहरिया ने मारा झापड़“ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर दी. जबकि वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि सुरक्षा कर्मियों द्वारा असामाजिक तत्वों को पीछे हटाया जा रहा है. इस आधारहीन समाचार को ही आधार मानकर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री एवं कार्यकर्ताओं द्वारा षड़यंत्र रचकर सरकार की छवि को धूमिल करने का घिनौना प्रयास किया जा रहा है. ये निंदनीय है. इस घटना को भारतीय जनता पार्टी के नेता विशेषकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, अजय चंद्राकर सहित अन्य नेताओं ने जिस प्रकार से टिव्टर पर प्रचारित किया  उससे स्पष्ट हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने इसे जानबूझकर कारित करवाया है ताकि मंत्री की छवि को खराब किया जा सके. जो लोग समस्या लेकर आये थे वे चले गये तथा जो लोग हल्ला मचा रहे थे वे दूसरे थे. पुलिस जांच कर रही है वस्तुस्थिति सामने आयेगी.

प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा कि भाजपा राज्य सरकार की छवि धूमिल करने मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के ऊपर मनगढ़त झूठे आरोप लगा रही है. भाजपा का चरित्र अफवाह फैलाकर राजनीति करना है. इसके पहले भी इस प्रकार षड़यंत्र कूटरचना भाजपा के द्वारा की गयी थीं.

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह एक वीडियो के तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत कर मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. रमन सिंह को याद रखना चाहिए कि प्रशासनिक आतंक का दौर उनकी सरकार के साथ ही चला गया है. आज आम आदमी बिना खौफ के अपनी बात मुख्यमंत्री, मंत्रियों के सामने कर सकता है. जब रमन सिंह मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के किसान सम्मेलन में अपनी बात रखने वाले युवा को बुरी तरह पिटवाकर जेल भिजवाया था. विकास यात्रा के दौरान स्कूल के लिए शिक्षक और सुविधायें मांगने वाले बच्चियों के ऊपर लाठीचार्ज करवाया था. जब धमतरी के किसान पानी मांग रहे थे तब रमन सिंह ने उन पर लाठियां चलवाई थी. इस घटना में एक किसान की मौत भी हो गयी थीं. बिलासपुर के कांग्रेस भवन में रमन सरकार की गुण्डागर्दी को पूरे प्रदेश ने देखा था. शिक्षाकर्मियों, नर्सों एवं छात्रों के ऊपर चलवाई गई लाठी को कोई भूला नहीं है. हाल ही में उनके पूर्वमंत्री भैयालाल रजवाड़े ने एक गरीब ठेले वाले को इसलिये धमकाया कि उसने उसके समर्थकों से उधार का पैसा मांग लिया था. भैय्यालाल ने सीधे-सीधे धमकाते हुए कहा-यहां कैसे धंधा करोगे देखता हूं. गुंडागिरी राजनैतिक, आतंकवाद भाजपा का चरित्र है, कांग्रेस का नही. पत्रकारवार्ता में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेन्द्र छाबड़ा, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, घनश्याम राजू तिवारी, सुरेन्द्र वर्मा, नितिन भंसाली, अजय गंगवानी, विकास विजय बजाज उपस्थित थे.

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उसका नाम है खरगोश... चुराता था बकरियां और पकड़ाया अंडा थाने में

रायपुर. दुर्ग जिले के अंडा थाने की पुलिस ने खरगोश नाम के एक नामी बकरी चोर को पकड़ा है.भगवान दास जोशी उर्फ खरगोश वैसे तो भिलाई का रहने वाला है,लेकिन वह पाटन, कवर्धा, राजनांदगांव सहित कई इलाकों में घूम-घूमकर बकरियां चोरी करता था. अंडा थाने के आसपास के इलाके में पिछले कुछ दिनों कई बकरियां गायब हुई थीं.एक शिकायत के बाद पुलिस जब सक्रिय हुई तो कुछ बकरियों के साथ खरगोश हत्थे चढ़ गया.पुलिस के मुताबिक खरगोश आदतन अपराधी है. उसके ऊपर मारपीट-झगड़ा-लड़ाई के केस भी दर्ज हैं. पुलिस ने बताया कि आरोपी को जेल भेज दिया गया है.एक अनुमान है कि खरगोश ने अब दो हजार से ज्यादा बकरियां चुराई होगी.
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एक पत्रकार को फंसाने के लिए फर्जी डायरी में 60-60 लाख दो इंट्री दर्ज की थीं चंद्राकर ने

रायपुर. स्कूल शिक्षा विभाग की कथित डायरी का सच सामने आने के बाद कुछ नए तथ्य भी सामने आ रहे हैं. बताया जाता है कि पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर ने अपने दो गुर्गों के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ के एक पत्रकार संदीप तिवारी को फंसाने का उपक्रम भी रचा था. संदीप एक अखबार में कार्यरत है और पिछले कई सालों से शिक्षा विभाग से जुड़ी खबरों को ही देखते हैं. उन्होंने कुछ समय पहले अपनी एक खबर में इस बात का भंडाफोड़ किया था कि कैसे जीआर चंद्राकर ने अपनी सेवानिवृत्ति के आखिरी दिन राइट टू एजुकेशन का पैसा कुछ ऐसे स्कूलों को ट्रांसफर कर दिया था जो अस्तित्व में ही नहीं थे.

उनकी इस खबर पर जब बवाल कटा तब चंद्राकर ने फर्जी डायरी में 60-60 लाख की दो इंट्री पत्रकार के नाम के साथ जोड़ दी थीं. जो लोग भी संदीप तिवारी के आचार-व्यवहार और कामकाज से वाकिफ है वे जानते थे कि हकीकत क्या है ? संदीप तिवारी के नाम पर इतनी भारी रकम की इंट्री देखकर सबने इसे पहली नज़र में ही फेंक मान लिया था.संदीप पिछले कुछ समय से अपनी मां की बीमारी को लेकर परेशान चल रहे थे. कथित डायरी के सामने आने के कुछ दिन पहले ही उन्होंने जैसे-तैसे ( उधार लेकर ) मां की दवाईयों के 10 हजार रुपए का इंतज़ाम किया था. ऐसे में यह खबर उन्हें परेशान करने वाली तो थीं ही.अगर पुलिस इस मामले को जल्द ही उजागर नहीं करती तो बहुत संभव था पत्रकार को नौकरी से हाथ धोना पड़ता.

इधर कथित डायरी का सच सामने आने के बाद जीआर चंद्राकर की कारगुजारियों को लेकर कई और बातें भी सामने आ रही हैं. सूत्रों का कहना है कि चंद्राकर जब बलौदाबाजार में पदस्थ थे तब उन्होंने प्रधान पाठकों को प्रमोशन देने के नाम पर अच्छी-खासी धनराशि बटोर ली थीं. वे ही प्रधान पाठक प्रमोशन हासिल कर पाए जिन्होंने चढ़ावा दिया था. फिलहाल जीआर चंद्राकर जेल में हैं. उनके साथ-साथ होम्योपैथी कॉलेज के सचिव संजय सिंह ठाकुर और एक टाइपिस्ट कपिल कुमार देवदास को भी जेल भेज दिया गया है.सूत्रों का कहना है कि इस मामले एक शहरी स्त्रोत समन्वयक, एक प्रधान पाठक और लोक शिक्षण संचालानालय के दो तीन लिपिकों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है. फिलहाल पुलिस पुख्ता सबूत जुटाने में लगी है. यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो कुछ और लोग भी हिरासत में लिए जा सकते हैं. वैसे इस घटनाक्रम का दीएंड करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी बधाई देनी होगी. शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह ने जैसे ही उन्हें अवगत कराया कि एक कथित डायरी के कुछ पन्नों को सर्कुलेट कर यह बताया जा रहा है कि पदस्थापना और तबादले के नाम पर छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग में करोड़ों रुपए की उगाही हुई है... वैसे ही मुख्यमंत्री ने मामले में तेजी से जांच के आदेश दे दिए. मुख्यमंत्री बार-बार यहीं कहते हैं कि कानून से बड़ा कोई नहीं है. यह बात वे सच कहते हैं....क्योंकि कथित डायरी कांड में गिरफ्तार एक आरोपी संजय सिंह ठाकुर कांग्रेस से जुड़े हुए हैं.

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सरकार को बदनाम करने वाली कथित डायरी का मास्टर माइंड चढ़ा पुलिस के हत्थे... अभी कुछ और लोग संदेह के घेरे में.

रायपुर.स्कूल शिक्षा विभाग की 366 करोड़ की कथित डायरी के मामले में पुलिस ने सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर, होम्योपैथी कॉलेज के सचिव संजय कुमार ठाकुर और एक टाइपिस्ट कपिल कुमार देवदास को गिरफ्तार कर लिया है. सूत्रों का कहना है कि इस मामले एक शहरी स्त्रोत समन्वयक, एक प्रधान पाठक और लोक शिक्षण संचालानालय के दो तीन लिपिकों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है. फिलहाल पुलिस पुख्ता सबूत जुटाने में लगी है. यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो कुछ और लोग भी हिरासत में लिए जा सकते हैं.

बताते चलें कि जीआर चंद्राकर वहीं हैं जिनकी कभी शिक्षा विभाग में तूती बोला करती थीं. वे लंबे समय तक रायपुर में जिला शिक्षा अधिकारी के तौर पर तैनात थे. जनवरी 2021 में सेवानिवृत्त हो जाने के पश्चात वे उसी पद पर संविदा नियुक्ति चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. उनकी जगह एएन बंजारा को जिला शिक्षाधिकारी बना दिया. उन्हें यह लगने लगा था कि वर्तमान शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा, आर एन सिंह, संयुक्त संचालक केसी काबरा, एबीईओ प्रदीप शर्मा और मंत्री के निज सचिव अजय सोनी उसकी नियुक्ति के मार्ग में रोड़ा अटका रहे हैं. उक्त लोगों से बदला लेने और सरकार को बदनाम करने के लिए उसने एक कथित डायरी तैयार की और उसके पन्नों को सकुर्लेट किया.

इन पन्नों के जरिए यह बताने की कवायद चल रही थीं कि सरकार के शिक्षा विभाग में तबादले के नाम पर करोड़ों का लेन-देन चल रहा है. जिस आशुतोष चावरे के नाम से इधर-उधर शिकायत भेजी गई थी जब पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उन्होंने किसी भी तरह की शिकायत से इंकार किया. लोक शिक्षण संचालानालय में उपसंचालक की हैसियत से कार्यरत चावरे ने इस झूठी शिकायत पर नवा रायपुर के राखी थाने में भादवि के धारा 419 तथा 469 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध भी करवाया. आरोपितों ने पुलिस की पूछताछ में कबूल कर लिया है कि डायरी पूरी तरह फर्जी है और यह सब कुछ अफसरों और सरकार को बदनाम करने के लिए किया गया था. उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर मामले की जांच करने की मांग की थी.मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस ने जांच तेज की और देर शाम तक तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया.

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अंतरराज्यीय बस टर्मिनल में गुंडे-मवाली-शराबी, जुआरी और सटोरियों का जमावड़ा

रायपुर. छत्तीसगढ़ में रायपुर के भाठागांव क्षेत्र में अंतरराज्यीय बस टर्मिनल खुल तो गया है, लेकिन इस टर्मिनल और उसके आसपास गुंडे-मवाली-शराबी, सटोरियों और जुआरियों का जमावड़ा देखा जा सकता हैं. भाठागांव से पहले बस स्टैंड पंडरी में स्थित था तब वहां असमाजिक तत्वों की तूती बोलती थीं. यात्रियों के साथ हर दिन मारपीट व हील-हुज्जत की घटनाएं आम बात थीं. इलाके में डेरा जमाकर बैठे गंजेड़ी और नशेड़ी परेशान अलग करते थे. उम्मीद की जा रही थीं कि अंतरराज्यीय बस टर्मिनल खुलने से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन यहां से भी अपना सफ़र शुरू और खत्म करने वाले यात्रियों को खराब अनुभव से गुजरना पड़ रहा है. यहां मौजूद एक पार्किंग स्थल के आसपास गुंडे और मवालियों का जमघट कायम रहता है. बताते हैं कि जबसे पार्किंग स्थल खुला है तब से यहां सटोरियों और जुआरियों की मौज हो गई हैं. पार्किंग के नाम पर यात्रियों से बदसलूकी भी आम हो गई हैं. वैसे तो यह इलाका टिकरापारा थाना क्षेत्र के अधीन है. इस थाने के अधीन श्रमिकों की बस्तियां भी आती है. खबर है कि संजय नगर और उसके आसपास के इलाकों में रहने वाले कम उम्र के बच्चे नशे के आदी हो रहे हैं और नशे की लत को पूरा करने के लिए बस टर्मिनल की तरफ ही दौड़ लगाते हैं. जानकारों का कहना है कि अगर समय रहते पुलिस प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती तो यह टर्मिनल अपराध के एक बड़े अड्डे में तब्दील हो जाएगा.
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आरटीआई अध्यक्ष के खिलाफ एनजीओ संचालिका ने की मुख्यमंत्री से शिकायत

रायपुर. एक राजनीतिक दल के आरटीआई अध्यक्ष पर एक महिला ने गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी है. जगदलपुर से अर्शिल शिक्षण व प्रशिक्षण वेलफेयर सोसायटी संचालित करने वाली शमीम सिद्धकी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजी गई शिकायत में आरटीआई अध्यक्ष को आड़े हाथों लिया है. महिला ने आरटीआई अध्यक्ष के एक निज सहायक के फोन को रिकार्ड करने का दावा भी किया है. महिला का कहना है कि निज सहायक उससे सीधे-सीधे पचास फीसदी हिस्सेदारी की बात करते हुए कह रहे हैं कि अगर पैसा नहीं दिया गया तो जैव विविधता बोर्ड की तरफ से सौंपा गया काम निरस्त करवा दिया जाएगा. शमीम का कहना है कि पूर्व में भी आरटीआई अध्यक्ष और उनसे जुड़े लोगों ने चार से पांच लाख रुपए उनसे वसूल लिए हैं.

शमीम ने पत्र में लिखा है कि उनकी संस्था वर्ष 2005 से ही छत्तीसगढ़ की सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रही है. संस्था मुख्य रुप से घरेलू हिंसा में महिलाओं के संरक्षण, एचआईवी की रोकथाम, महिला उत्थान, बंधवा मजदूर, कौशल उन्नयन, विधिक सेवा, मानव तस्करी की रोकथाम और लोक जैव विविधता पंजी निर्माण का काम करती है.

महिला ने बताया कि आरटीआई अध्यक्ष और उनके साथ जुड़े हुए दो अन्य लोग आए दिन उनकी छवि खराब करने का काम कर रहे हैं. बड़े राजनेताओं के साथ निजी संबंधों का हवाला देते हुए गत एक साल से उनके ऊपर मानसिक दबाव डाला जा रहा है. आरटीआई अध्यक्ष कहते हैं कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे छत्तीसगढ़ में काम नहीं करने देंगे. आरटीआई अध्यक्ष का कहना है कि छत्तीसगढ़ के हर शासकीय काम में उनकी भूमिका रहती है. वे जो बोलेंगे वहीं होगा क्योंकि कई मंत्री और अधिकारी उनके आफीस में बैठकर चाय पीते हैं.

एनजीओ संचालिका ने पत्र में जानकारी दी है कि वह फिलहाल जैव विविधता बोर्ड की ओर से सौंपे गए काम को बेहतर ढंग से कर रही है, लेकिन आरटीआई अध्यक्ष इस बात की धौंस दे रहे हैं कि अगर परियोजना राशि का 50 फीसदी उन्हें नहीं दिया गया तो वे जैव  विविधता कार्यादेश निरस्त करवा कर उनकी संस्था को काली सूची में डलवा देंगे.

 

शमीम सिद्धकी ने आगे लिखा है- मैंने आरटीआई अध्यक्ष की अनुचित मांगों के संबंध में संगठन के प्रभारी महामंत्री को भी मौखिक तौर पर जानकारी दी है. आरटीआई अध्यक्ष ने एक शख्स को निज सहायक बना रखा है. यह शख्स आए दिन कहता है कि अभी भी वक्त है पचास प्रतिशत दे दो नहीं दो कार्यादेश निरस्त करवा दिया जाएगा. शमीम का कहना है कि हर एनजीओ शासन से अच्छा और बेहतर काम हासिल हो जाए इसकी उम्मीद करता है. आरटीआई अध्यक्ष, उसके सहायक और उनके साथ जुड़े एक शख्स ने उन्हें कभी यह बताया था कि वन-धन योजना के अंर्तगत बड़ा काम दिया जाएगा. इस बाबत उन्होंने एक हजार रुपए के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट भी करवाया था. शमीम ने अपने पत्र के साथ एग्रीमेंट की प्रति भी मुख्यमंत्री के पास भेजी है. महिला ने आरटीआई अध्यक्ष पर कार्रवाई की मांग की है. महिला का कहना है कि आरटीआई अध्यक्ष और उनके साथ जुड़े हुए लोग धमकी-चमकी और दबाव बनाने के खेल में संलिप्त रहकर लोकप्रिय और जनप्रिय सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं. महिला ने आरटीआई अध्यक्ष और उनके साथ जुड़े हुए लोगों की शिकायत कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, प्रभारी महामंत्री रवि घोष और पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी को भी भेजी है.

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गांधी को अपशब्द कहने वाला कथित संत चढ़ा पुलिस के हत्थे... मध्यप्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार

रायपुर. महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले कथित संत कालीचरण को छत्तीसगढ़ पुलिस ने अल-सुबह चार बजे मध्यप्रदेश के खजुराहो से 25 किलोमीटर दूर बागेश्वर धाम में एक किराए के मकान से गिरफ्तार कर लिया है. खबर हैं कि पुलिस उन्हें अपने साथ लेकर गुरुवार की शाम तक रायपुर पहुंच जाएगी. जो सूचनाएं मिल रही हैं उसके मुताबिक कालीचरण ने पुलिस को चकमा देने के लिए एक घटिया किस्म के लॉज को किराए पर ले रखा था. इसके अलावा उसके समर्थकों ने एक कॉटेज में भी उसके ठहरने का इंतज़ाम कर रखा था. कथित संत को भरोसा था कि पुलिस उसे ज्यादा से ज्यादा लक्जरी होटल में तलाश करेगी. पुलिस से बचने के लिए वह बार-बार लोकेशन भी बदल रहा था. उसके पीए का मोबाइल कभी बंद कभी चालू बता रहा था. छत्तीसगढ़ पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया तो उसने कहा- तुमको सबको श्राप लगेगा. सब भस्म हो जाओगे...तुम जानते नहीं किस पर हाथ डाल रहे हो.एक पुलिसकर्मी ने बेहद विनम्रतापूर्वक कहा- चलिए...महाराज जी...आपके चलने का टाइम आ गया है.

कालीचरण की गिरफ्तारी के साथ ही उनके समर्थक जमानत आदि के लिए सक्रिय हो गए हैं. समर्थक उनकी गिरफ्तारी को साधु-संत और हिन्दुत्व का अपमान बताने के खेल में भी जुट गए हैं. समर्थकों में कुछ कथित किस्म के राष्ट्रवादी पत्रकार भी शामिल हैं. इन पत्रकारों ने कुछेक साइट पर खबर चलाई हैं कि महाराज ने बेहद बहादुरी के साथ पुलिस का सामना किया और स्वयं थाने जाकर सरेंडर कर दिया. जबकि हकीकत यह है कि कथित संत पुलिस को लगातार चकमा देकर बचने के फिराक में था. मूलतः महाराष्ट्र के रहने वाले कालीचरण ने अपने छिपने के लिए मध्यप्रदेश के खजुराहो का चुनाव भी इसलिए किया था क्योंकि उसे यकीन था कि वहां भाजपा की सरकार से जुड़े नामचीन राजनेता उसकी मदद करेंगे और उसे बचा लेंगे.

वैसे छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार को मानना पड़ेगा कि उसने वैमनस्यता और सांप्रदायिकता फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार कर रखा है. जब कथित संत ने यहां की धर्म संसद में गांधी को लेकर जहर उगला था तभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साफ कर दिया था कि ऐसे विषाक्त लोगों को समाज स्वीकृति नहीं देगा और कानून अपना काम करेगा. गांधी पर अमर्यादित टिप्पणी सामने आने के बाद नफरती चिंटूओं ने यह अफवाह भी फैलाई थीं कि कोई भी महाराज का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा...लेकिन महाराज की चालबाजी उलटी पड़ गई. कालीचरण की गिरफ्तारी के बाद देश की एक बड़ी आबादी सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों में खुशी जाहिर कर रही हैं.नफरत से दूर रहकर अमन-चैन पर यकीन करने वाले लोग लिख रहे हैं कि किसी भी सूरत में महाराज पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो क्या गाड़ी वैसे ही पलट सकती हैं जैसे यूपी में विकास दुबे को लेकर पलटी थीं ? खबर है कि इस कथित संत को पुलिस छत्तीसगढ़ लेकर आ रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कथित संत के लिए पैरवी कौन करेगा ? समरसता पर यकीन रखने वाले लोगों का मानना है कि कालीचरण की हिमायत वहीं लोग करने वाले हैं जो देश को गृहयुद्ध की तरफ धकेलना चाहते हैं.

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गांधी को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले बाबा पर एफआईआर दर्ज

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धर्म संसद का आयोजन किया गया था. इस आयोजन के अंतिम दिन 26 दिसम्बर को महात्मा गांधी पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के बाद एक बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं. जिस बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं वे महाराष्ट्र के हैं और उनका नाम कालीचरण बताया गया है. हालांकि बाबा का सोशल एकाउंट खंगालने पर पता चलता है कि उन्हें सनातन धर्म की खूब चिंता हैं, लेकिन देश के एक समुदाय विशेष से खासी नफरत भी हैं. उनकी अधिकांश पोस्ट वैमनस्यता और नफरत को बढ़ावा देने वाली बातों से अटी पड़ी हैं. वैसे सांप्रदायिकता के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का एकाउंट बंद करने वाले टिव्हटर और फेसबुक की नज़र अब तक बाबा पर क्यों नहीं पड़ी...यह भी आश्चर्य और शोध का विषय है ? बाबा ने धर्म संसद में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए देश के विभाजन के लिए गांधी जी को जिम्मेदार बताते हुए नाथूराम गोडसे के कृत्य को जायज ठहराया था.उनकी इस टिप्पणी के बाद देर रात बवाल मचा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सिविल लाइन थाने पहुंचकर बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने भी बाबा के वकतव्य को घोर अपमानजनक बताते हुए शिकायत दर्ज करवाई है. फिलहाल बाबा काली चरण के खिलाफ धारा 502 ( 2 ) और 294 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है. गौरतलब है कि धर्म संसद का आयोजन नीलकंठ सेवा संस्थान की तरफ से किया गया था.इस आयोजन में भाजपा से जुड़े राजनेता तो आमंत्रित थे ही...कांग्रेस से जुड़े लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद थे. आयोजन के मुख्य संरक्षक राज्य गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास भी विशेष रुप से उपस्थित थे. उन्होंने कालीचरण के बयान पर अपनी गंभीर असहमति जताई और खुद को धर्म संसद से अलग कर मंच छोड़ दिया. महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी के बाद बाबा को गिरफ्तार करने की मांग भी उठने लगी हैं.

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