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वन बल प्रमुख श्री निवास राव के निर्देशन में दीपक तिवारी और उनकी टीम ने पकड़ा बोरे में हिरण का सिंग
रायपुर. वनमंडल रायपुर के उड़नादस्ता प्रभारी और रायपुर के रेंजर दीपक तिवारी और उनकी टीम में शामिल अमृत पाल सिंग, भूपेंद्र खैरवार, दीपक वर्मा, गोस्वामी और यशपाल ने वन बल प्रमुख श्री निवास राव के मार्ग निर्देशन में मंगलवार को मोवा के पास एक बोरे में हिरन के सिंग सहित दो आरोपियों को दबोचने में सफलता हासिल की है. मिली जानकारी के अनुसार यासिर खान और फराज खान ने एक बोरे में हिरण के सिंग को छिपाकर रखा था. शायद वे सिंग को बेचने के फिराक में थे. ज्ञात हो कि अंर्तराष्ट्रीय बाजार में हिरण के सिंग की काफी डिमांड रहती है. यदि हिरण का सिंग का वजन एक से डेढ़ किलो के आसपास होता है तो उसकी कीमत 40 लाख रुपए से अधिक होती है. अभी यह तो ज्ञात नहीं हो पाया है कि आरोपियों के पास से कितना वजनी सिंग जप्त किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि आरोपी जानवरों के अंगों को बेचने वाले कारोबारी है. वन विभाग ने दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.
वन माफियाओं की धरपकड़ में माहिर दीपक तिवारी को मिली बड़ी जिम्मेदारी
रायपुर. यह सही कि छत्तीसगढ़ के वन महकमे के कुछ हिस्सों में अवैध शिकार और जंगल कटाई को बढ़ावा देने वाले अफसर तैनात हैं, लेकिन कुछ इलाकों में जल-जंगल और जमीन को बचाने वाले प्रतिबद्ध कर्मचारी और अधिकारियों की मौजूदगी भी देखने को मिलती है. नया रायपुर में पदस्थ रहे सहायक परिक्षेत्र अधिकारी और रायपुर वनमंडल के उड़नदस्ता प्रभारी दीपक तिवारी एक ऐसे डिप्टी रेंजर हैं जिनसे लकड़ियों का अवैध परिवहन करने वाले माफिया और गलत ढंग से आरा मिल संचालित करने वाले खौफ खाते हैं. कई आरा मिलों को सील करने वाले दीपक तिवारी को वन माफिया अपना काल मानते हैं. तिल्दा नेवरा हो, रायपुर या फिर जंगल सफारी... अपनी पदस्थापना के दौरान दीपक तिवारी ने अनेक ऐसे कामों को अंजाम दिया है जिससे प्रशासनिक गलियारों में उनकी सराहना ही हुई है. बहरहाल हाल के दिनों में रायपुर के वनमंडलाधिकारी ने दीपक तिवारी को उड़नदस्ता के प्रभार के साथ-साथ रायपुर वन परिक्षेत्र का प्रभारी अधिकारी तैनात कर दिया है.
दीपक तिवारी को नई जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद बाद यह भ्रम फैलाने की कवायद भी हुई कि तबादले में रोक के बावजूद उनका तबादला किया गया है जबकि हकीकत यह है कि उन्हें उड़नदस्ता के प्रभार के साथ-साथ रायपुर के प्रभारी रेंजर का अस्थायी प्रभार सौंपा गया है.
वनमंडलाधिकारी एलएन पटेल कहते हैं- किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का तबादला नहीं किया गया है बल्कि वनमंडल की व्यवस्था के तहत कार्य का आवंटन करते हुए अस्थायी प्रभार सौंपा गया है. पटेल ने बताया कि रायपुर परिक्षेत्र के पूर्व रेंजर सतीश मिश्रा थे कुछ समय पहले हटा दिए गए थे. जब जगह खाली थीं तब धमतरी में पदस्थ चंद्रप्रकाश महोबिया को प्रभार दिया गया. अब चंद्रप्रकाश महोबिया को नया रायपुर के वन परिक्षेत्र में जवाबदारी दी गई तो दीपक तिवारी को रायपुर वन परिक्षेत्र का प्रभारी अधिकारी बनाया गया है. इसके अलावा राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के वनक्षेत्रपाल तीर्थराज साहू को नया रायपुर के अतिरिक्त प्रभार से भारमुक्त किया गया है. अब वे पूरी तरह से राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान का ही कार्य देखेंगे. पटेल आगे कहते हैं- वन विभाग अपनी प्रभावशीलता और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए योग्य और क्षमतावान कर्मचारियों और अधिकारियों को नई जिम्मेदारी सौंपते रहता है. यह कहना ठीक नहीं है कि शासन की नीति का उल्लंघन हो गया है.
रेंजर संघ के प्रांतीय अध्यक्ष मिर्जा फिरोज बेग ने बताया कि दीपक तिवारी वरिष्ठ डिप्टी रेंजर हैं. उनकी सर्विस को लगभग 30 साल हो गया है. बेग ने कहा कि दीपक तिवारी कभी उनके अधीन भी कार्यरत थे. वे जब तक उनके अधीन थे तब तक उन्होंने वन विभाग के लिए पूरी मुस्तैदी और प्रतिबद्धता के साथ ही अपने काम को अंजाम देते रहे हैं. वन क्षेत्र में अवैध काम करने वालों की धरपकड़ करने में उनका कोई मुकाबला नहीं है. वे जिन अफसरों के मातहत काम करते रहे हैं सबने उन पर भरोसा ही जताया है. रायपुर के एसडीओ विश्वनाथ मुखर्जी का भी मानना है कि दीपक तिवारी अनुभवी है तो उनकी तैनाती से रायपुर वन परिक्षेत्र को निश्चित रुप से फायदा मिलेगा. वे अपने काम का संपादन भली-भांति जानते हैं. रायपुर वन परिक्षेत्र के प्रोटोकाल इंचार्ज सक्षम गोस्वामी का मानना है कि वर्तमान में रायपुर वन परिक्षेत्र को जिस अधिकारी की आवश्यकता थीं वह उसे मिल गया है. सभी लोगों को की यह अपेक्षा थीं कि एक ऐसा अधिकारी मिले तो दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों सहित अन्य सभी कर्मचारियों को साथ लेकर चलें और उनकी सुनें. दीपक तिवारी पूरी क्षमता से सबको जोड़कर चलते हैं इसलिए उनकी तैनाती से छोटा-बड़ा हर कर्मचारी खुश है. वन कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष अजीत दुबे का कहना है कि दीपक तिवारी को उनकी बेहतर कार्यशैली की वजह से जिम्मेदारी मिली है. हम सबको उम्मीद है कि वे आगे भी बेहतर ढंग से अपने काम को अंजाम देते रहेंगे.
विधानसभा इलाके में फिर बढ़ गया चोरों का आंतकः दहशत में जीने को मजबूर है स्पर्श लाइफ सिटी के नागरिक
रायपुर.छत्तीसगढ़ की विधानसभा से थोड़ा आगे जहां प्रचार-प्रसार की दौड़ में आगे रहने वाले ज्ञान गंगा और ब्राइटन स्कूल की मौजूदगी दिखाई देती हैं...उसी से सटे हुए एक इलाके सकरी में स्पर्श लाइफ सिटी नाम की एक कॉलोनी है. इस कॉलोनी की आधारशिला मां बम्लेश्वरी रियलिटिज प्राइवेट लिमिटेड ने रखी है. लोक-लुभावन ढंग से तैयार किए गए आकर्षक ब्रोशर और जमीन की खरीद-फरोख्त में लगे हुए ब्रोकरों की वजह से लगभग 70-80 परिवारों ने भले ही यहां जमीन खरीदकर अपना आवास बना लिया है, लेकिन अब यहां के रहवासी बुरी तरह से पछता रहे हैं. यह कॉलोनी कई तरह की समस्याओं से घिरी हुई है. बिजली, पानी, सड़क, साफ-सफाई, आवारा कुत्तों, जहरीले सांपों के अलावा यहां के बाशिंदों को चोरों से भी जूझना पड़ रहा है. जब लोगों ने यहां मकान बनाया था तब उन्हें लगा था कि विधानसभा में होने वाले व्हीआईपी मूव्हमेंट के चलते उन्हें भी सही ढंग से सुरक्षा मिलती रहेगी, लेकिन इलाके में चोरों का आंतक इतना बढ़ गया है कि नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं.
अब तक दस घरों का ताला तोड़ चुके हैं चोर
स्पर्श लाइफ सिटी में पहली चोरी मकान नंबर 164 के रहवासी अनुराग द्विवेदी के घर हुई थीं. द्विवेदी अपने परिवार के साथ रीवा गए हुए थे. जब लौटे तो पता चला कि चोरों ने लगभग 70 हजार रुपए नगद और ढाई लाख रुपए के गहनों पर से हाथ साफ कर दिया है. पिछले साल नौ जून की दरम्यानी रात चोरों ने मकान नंबर 81 के रहवासी मनीष पांडे एवं मकान क्रमांक 134 के रहवासी प्रदीप श्रीवास्तव के घर पर धावा बोला था. मनीष पांडे के निवास से चोर सोने-चांदी के गहनों सहित लगभग 80 हजार रुपए ले उड़े थे जबकि प्रदीप श्रीवास्तव के आवास से नगदी और गहनों सहित 30 लाख की चोरी हुई थीं. पिछले साल जुलाई महीने में चोरों ने कॉलोनी के रहवासी हुक्मचंद यादव, सतनारायण नेताम और बृजेंद्र राजपूत के घर को भी निशाना बनाया था. इन घरों से भी चोरों ने लाखों रुपए के गहनों और नगद से हाथ साफ कर दिया था. इसी कॉलोनी के संतोष कुमार गबेल के घर पर चोरों ने दो मर्तबा ताला तोड़ा.
पुलिस वाले को भी नहीं बख्शा चोरों ने
सामान्य तौर पर पुलिस की गाड़ी या वर्दी देखकर चोर भाग खड़े होते हैं, लेकिन इस कॉलोनी में चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले चोरों के हौसले इतने अधिक बुलंद है कि वे पुलिस की सेवा में जुटे लोगों को भी नहीं छोड़ रहे हैं. कॉलोनी के मकान नंबर 380 में छत्तीसगढ़ सशस्र बल तीसरी वाहिनी के प्रधान आरक्षक पुरुषोत्तम साहू निवास करते हैं. इसी महीने के 30 मार्च को जब वे अपने परिवार को लेने के लिए जांजगीर-चांपा के पास स्थित ग्राम खरौद गए थे तब चोरों ने उनके सूने मकान को निशाना बनाया और डेढ़ लाख के गहनों सहित अच्छी-खासी नगदी पर से हाथ साफ कर दिया. चोरी की यह घटना दो से तीन बजे की दरम्यानी रात घटित हुई है. हैरत की बात यह है कि जब चोर सूने मकान में चोरी कर रहे थे तब घर के ठीक सामने पुरुषोत्तम साहू की वह कार भी खड़ी थीं जिसमें पोलिस लिखा हुआ है. घर में मौजूद हैंगर पर प्रेस की हुई पुलिस की दो वर्दी भी टंगी हुई थीं, बावजूद इसके चोरी करते हुए चोरों के हाथ-पांव नहीं कांपे. जिस रात पुलिसकर्मी के घर चोरी हुई उसी रात चोरों ने कॉलोनी के रहवासी श्याम चंद्रा के घर को भी अपना निशाना बनाया,लेकिन इस घर में उन्हें कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई. बीते कुछ समय पहले चोरों ने इस सोसायटी के आसपास रहने वाले मजदूरों के घरों से उनके बर्तन और मोबाइल को भी चुराया है.
रहवासी दहशत में जीने को मजबूर
चोरी की बढ़ती हुई वारदात के चलते यहां के रहवासी दहशत में जीने को मजबूर हैं. रहवासियों का कहना है कि कॉलोनी में मां बम्लेश्वरी रियलिटिज प्राइवेट लिमिटेड का कामकाज देख रहे जिम्मेदार कर्मचारियों को कई मर्तबा लिखित और मौखित तौर पर समस्याओं से अवगत कराया गया है, लेकिन समस्याओं का कोई समाधान निकल ही नहीं पाया है. रहवासियों का कहना है कि सुरक्षा के लिहाज से बाउंड्री वॉल की दीवाल को ऊंची कर उसे कंटीले बारबेड़ वायर से घेरने के लिए कहा गया है, लेकिन यह काम अब तक प्रारंभ नहीं हुआ. बाउंड्री वॉल की दीवार जगह-जगह से टूट चुकी है जिसके चलते जानवरों और चोरों का प्रवेश आसान हो गया है. चूंकि कॉलोनी में अभी तक विधिवत चुनाव नहीं हुआ है इसलिए कॉलोनी की देखरेख का जिम्मा मां बम्लेश्वरी रियलिटिज प्राइवेट लिमिटेड के जिम्मेदार कर्ताधर्ताओं के पास ही है. कॉलोनी के रहवासियों का कहना है कि कॉलोनी के दोनों गेटों पर जो गार्ड मुहैय्या करवाए गए हैं वे इतने कमजोर और अशक्त है कि किसी चोर को दौड़ाकर पकड़ भी नहीं सकते. यहां तैनात गार्ड सिर्फ गेट को खोलने और बंद करने का काम करते हैं. कई मर्तबा यहां के रहवासियों ने गार्डों को गहरी निद्रा में विश्राम करते हुए भी देखा है.
कैमरा तो लगा...लेकिन किसी काम नहीं
सोसायटी में नागरिकों की तरफ से लगातार की गई गुजारिश के चलते कुछ स्थानों पर कैमरा तो लगाया है, लेकिन सारे के सारे कैमरे बेकार साबित हो रहे हैं. चंद रोज पहले लगाए गए कैमरों में से अधिकांश बंद हो गए हैं. जिस पुलिसकर्मी के घर हाल के दिनों में चोरी हुई है उसने कॉलोनी के कैमरों को खंगालकर देखने की कवायद की...लेकिन कोई ऐसा रिकार्ड नहीं मिला जिससे चोरों का पुख्ता सुराग मिल सकें. अलबत्ता एक रहवासी के कैमरे में चोर खुद को छिपाते हुए अवश्य दिखे हैं.
पीने का पानी खराब
रहवासियों का कहना है कि भविष्य में जो लोग भी इस कॉलोनी में जमीन खरीदकर अपना आशियाना बनाना चाहते हैं उन्हें पूरे कॉलोनी का कई मर्तबा मुआयना करना चाहिए. इसके अलावा यहां निवास करने वाले लोगों से यह पूछताछ भी करनी चाहिए कि कॉलोनी रहने लायक है अथवा नहीं ? इस कॉलोनी में पानी की भंयकर समस्या विद्यमान है. रहवासियों को कई मर्तबा अपनी उपयोगिता के लिए टैंकर मंगवाना पड़ता है. कॉलोनी की टंकी से भी जो पानी सप्लाई किया जा रहा है वह पीने और नहाने योग्य नहीं है. पिछले दिनों कॉलोनी के कतिपय जागरूक नागरिकों ने लैब में परीक्षण करवाया तो पाया कि पानी में अत्यधिक चिकनाई है और वह पीने योग्य नहीं है.सोसायटी में जगह-जगह फेवर टूट चुका है. सफाई कर्मी यदा-कदा दिखाई भी देते हैं तो सूखे बगीचे में रील देखते हुए. गीला और सूखा कचरा फेंकने की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए गंदगी का साम्राज्य कायम है. कॉलोनी में कई जगहों पर जमीन बिक तो गई है,लेकिन वहां पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन ही नहीं बिछाई गई है. जहां यह कॉलोनी विद्यमान है उससे थोड़ी दूरी पर कचरे का एक बड़ा डंप है. शहरभर का कचरा इसी डंप में जमा होता है. जब उस कचरे को जलाया जाता है तो उससे जानलेवा जहरीली गैस निकलती है. यह गैस हवा में घुलकर स्पर्श लाइफ सिटी में भी पहुंचती है जिसके चलते बच्चे सर्वाधिक बीमार हो रहे हैं. कॉलोनी में शाम होते ही रामसे बद्रर्स की फिल्म जैसा डरावना माहौल कायम हो जाता है. पर्याप्त स्ट्रीट लाइट नहीं होने की वजह से कॉलोनी अंधेरे में डूबी रहती है.इधर मां बम्बलेश्वरी रियलिटिज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से कॉलोनी के अस्थायी किंतु प्रमुख पदों से इस्तीफा दे चुके पदाधिकारियों को एक पत्र भेजा गया है. पत्र में कहा गया है कि बिल्डर 31 मार्च से कॉलोनी की जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेंगे. रहवासियों का कहना है कि कॉलोनी में बहुत से काम अधूरे हैं. कोई भी काम ढंग से पूरा नहीं हुआ है. इधर मां बम्लेश्वरी रियलिटिज प्राइवेट लिमिटेड ने एक और नए प्रोजेक्ट की तैयारियां प्रारंभ कर दी है. दूसरी तरफ रहवासी भी आंदोलन की रुपरेखा तैयार करने में जुट गए हैं.
पूरे मामले में मां बम्लेश्वरी रियलिटिज प्राइवेट लिमिटेड के जिम्मेदार लोगों से उनका पक्ष जानने के लिए दूरभाष के जरिए संपर्क किया गया, लेकिन किसी ने कोई पक्ष रखना आवश्यक नहीं समझा. यदि मां बम्लेश्वरी रियलिटिज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से जिम्मेदार संचालक अथवा पदाधिकारी का अधिकृत बयान आता है तो उसे भी प्रकाशित किया जाएगा.
क्या मुकेश चंद्रकार के हत्यारे ने किसी नेता या अफसर को देने के लिए निकाली थीं बैंक से बड़ी रकम ?
-पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बार-बार क्यों कहना पड़ रहा है कि ठेकेदार सुरेश चंद्रकार मुख्यमंत्री निवास गया था ?
-भूपेश बघेल किस भुगतान की कर रहे हैं बात ?
-हत्यारा ठेकेदार किस पुलिस अधिकारी के घर बावर्ची बनकर करता था काम ?
-सुरेश का सबसे बड़ा राजदार रामशंकर शर्मा कौन है ?
रायपुर.बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या में शामिल सभी आरोपी भले ही गिरफ्तार कर लिए गए हैं, लेकिन कई सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब अब भी नहीं मिल पा रहा है. हत्या की जांच में जुटी एसआईटी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में यह माना है कि हत्या से पहले यानि 27 दिसम्बर 2024 को ठेकेदार सुरेश चंद्रकार ने अपने बैंक खाते से बड़ी रकम निकाली है. एसआईटी की ओर से दी गई इस जानकारी के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या ठेकेदार ने किसी नेता या अफसर को भुगतान करने के लिए रकम निकाली है ? या फिर उसे मालूम था कि हत्या के बाद बैंक खाते सीज हो जाएंगे तब आगे कानूनी शिकंजे से बचने के लिए अकूत धनराशि की आवश्यकता होगी. इधर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए गए बयान में साफ तौर पर कहा है कि पत्रकार का हत्यारा सुरेश चंद्रकार दस दिन पहले मुख्यमंत्री निवास गया था. उनका कहना है कि जब सरकार ने एसआईटी का गठन कर ही दिया है तो फिर जांच में यह बिन्दु भी शामिल होना चाहिए कि ठेकेदार भाजपा का नेता है या नहीं ? भुगतान हो गया है या नहीं ?
छत्तीसगढ़ की खबरों पर पैनी नजर रखने वाले कन्हैया शुक्ला ने अपने एक्स हैंडल लिखा है-आरोपी ने हत्या के चार दिन पहले बैंक से बड़ी रकम निकाली है. कितना निकाला है एसआईटी ने यह नहीं बताया है... जबकि यह बताना तो बहुत आसान है. ये तो बैंक स्टेटमेंट से ही पता चल जाता है.
रकम के कनेक्शन का सच कहीं ये तो नहीं है..
ये बड़ी रकम क्या किसी बड़े अधिकारी या सत्ताधारी नेता तो देने के लिए निकाली गई है... ?
क्योंकि कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री @bhupeshbaghel पिछले 15 दिन के सीएम हाउस में इंट्री का फुटेज निकालने और सार्वजनिक करने की बात कह रहे हैं. आरोप है कि ये आरोपी सीएम हाउस गया था... तो क्या एसआईटी जांच में आए इस बड़ी रकम से सीएम हाउस का कोई अधिकारी या नेता जुड़ा है ?
पुलिस ने आरोपी के घर या हत्या वाली जगह पर कोई रकम नहीं बरामद की है तो आखिरकार ये बड़ी रकम हैं किसके पास ? क्या एसआईटी कभी सच्चाई बता पाएगा ?
छत्तीसगढ़ के आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने भी अपने एक्स हैंडल में लिखा है-मुकेश चंद्रकार का हत्यारा सुरेश चंद्रकार पुरस्कार प्रिय एसपी के आवास में कुक हुआ करता था. वह एसपी कौन है इसकी जांच होनी चाहिए.
इधर जगदलपुर प्रेस क्लब के सदस्यों ने गुरुवार को बीजापुर में कलेक्टर, एसआईटी प्रभारी और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर कई अन्य बिन्दुओं को भी जांच में शामिल करने की मांग की है. प्रेस कल्ब के सदस्यों का कहना है कि जगदलपुर के हाटकचौरा में रहने वाले रामशंकर शर्मा को भी जांच के दायरे में लेना उचित होगा क्योंकि रामशंकर शर्मा ठेकेदार सुरेश चंद्रकार का सबसे बड़ा राजदार है.
इसके अलावा प्रेस कल्ब के सदस्यों का कहना है कि ठेकेदार सुरेश चंद्रकार किन-किन वीआईपी लोगों और अधिकारियों से बात करता था उसका विवरण भी सामने आने चाहिए. सदस्यों ने लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों से बातचीत की रिकार्डिंग और काल डिटेल को सार्वजनिक करने की मांग की है. सदस्यों का कहना है कि आरोपी और लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता की जांच होनी ही चाहिए.
बलात्कार का आरोपी कार्यपाल अभियंता पदस्थ है बीजापुर में
इधर खबर है कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और एक युवती दैहिक शोषण का आरोपी कार्यपालन अभियंता मधेश्वर प्रसाद बीजापुर के लोक निर्माण विभाग में ही पदस्थ है. बताते हैं कि इस अभियंता के आरोपी सुरेश चंद्रकार से बड़े मधुर संबंध थे. जब पत्रकार मुकेश चंद्रकार ने सड़क के मामले में भ्रष्टाचार का खुलासा किया तब अभियंता ने ठेकेदार का लायसेंस निरस्त करने में किसी भी तरह की कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. यहां तक मंत्रालय में चिट्ठी-पत्री भी नहीं लिखी. मुकेश की हत्या के बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तब ठेकेदार का ए केटेगिरी का लायसेंस निलंबित और 207 करोड़ का टेंडर निरस्त कर दिया गया. जगदलपुर प्रेस क्लब के सदस्यों ने यह माना है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की मौत प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों और राजनीति के गठजोड़ का नतीजा है इसलिए घटना में परोक्ष अथवा अपरोक्ष ढंग से लिप्त रहने वाले सभी अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
इन सवालों का जवाब आना भी बाकी
1-बीजापुर के अलावा घटनास्थल का मुआयना करके लौटने वाले देश-प्रदेश के तमाम पत्रकार मानते हैं कि मुकेश की हत्या के पीछे परोक्ष या अपरोक्ष ढंग से बीजापुर के पुलिस कप्तान जितेंद्र यादव और वहां के थाना प्रभारी दुर्गेश शर्मा का अहम रोल रहा है...लेकिन सरकार ने अब तक दोनों पुलिस अफसरों को जिले से नहीं हटाया है. अफसरों पर सरकार की मेहरबानी समझ से परे हैं
2-जब सलवा जुडूम अभियान प्रारंभ हुआ था तब प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थीं और सुरेश चंद्राकर स्पेशल पुलिस आफीसर यानि एसपीओ बनाया गया था. उसे किस अफसर ने एसपीओ बनाया था ?
3-एसपीओ बनने के बाद जब सुरेश ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों से नजदीकियां बढ़ाई तब माओवादी उन्मूलन के नाम पर उसे थाने में कटीली तार यानी बारबेड़ वायर लगाने का ठेका दिया जाता रहा. इन ठेकों के पीछे कौन सा पुलिस अफसर शामिल था ?
4-एसपीओ की नौकरी छोड़ने के बाद जब सुरेश चंद्राकर सड़कों का निर्माण करने वाला ठेकेदार बना तब उसे किस अफसर की मेहरबानी से ए केटेगरी का लायसेंस मिला... जबकि उसने कभी भी सड़क बनाने का काम नहीं किया था. यह भी जांच का विषय है.
5-वर्ष 2015 में जब सुरेश को सड़क निर्माण का पहला ठेका मिला तब भी प्रदेश में भाजपा की सरकार थीं और लोकनिर्माण विभाग के अफसर उस पर विशेष रुप से मेहरबान थे. सुरेश को 54 करोड़ का एकमुश्त ठेका देने के पीछे मंत्रालय और बीजापुर के किन अफसरों ने अहम भूमिका निभाई थीं ?
6- यह देखें बगैर कि वर्ष 2015 में सौंपा गया काम गुणवत्ता के साथ संपन्न हुआ है या नहीं... सुरेश चंद्राकर की फर्म को मार्च 2024 में फिर से 195 करोड़ के सड़क निर्माण का नया काम ( कुटरू-फरसगढ़ ) सौंप दिया गया. इस मेहरबानी के पीछे लोक निर्माण विभाग के पीछे कौन से अफसर शामिल थे ?
7- बीजापुर में यह चर्चा आम है कि हत्या से पहले पत्रकार मुकेश चंद्राकर को ग्रिप में लेने के लिए सुरेश चंद्राकर ने लोक निर्माण विभाग के एक ओएसडी को तीन लाख रुपए देकर मामले को सुलटाने के लिए कहा था. सवाल यह है कि सरकार के बजाय हत्यारे ठेकेदार के लिए काम करने वाला वह अफसर कौन है और उस पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?
8- बीजापुर के एक इलाके की लगभग पांच एकड़ जमीन पर जहां सुरेश चंद्राकर ने अवैध ढंग से कब्जा कर रखा था उसे प्रशासन ने अब जाकर ध्वस्त कर दिया है. सवाल यह उठता है कि छह साल से कब्जे वाली इस जगह पर वन विभाग के अफसरों की नजर क्यों नहीं पड़ी ?
9-सरकार के जीएसटी विभाग ने घटना के बाद अब जाकर सुरेश चंद्राकर के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई कर लगभग दो करोड़ की कर चोरी पकड़ी है. विभाग के अफसर अब तक सो क्यों रहे थे ?
10- बीजापुर के पत्रकार बताते हैं कि जिस जगह पर मुकेश चंद्राकर की हत्या हुई है वह थाने से महज कुछ कदम की दूरी पर स्थित है. लगभग 12 हजार स्केवेयर फीट जमीन पर ठेकेदार ने अपने निजी कर्मचारियों के रहने के लिए आवास बनाया था. यह जमीन भी किस अफसर की मेहरबानी से मिली यह भी जांच का विषय है.
11-खबर है कि ठेकेदार को अफसरों ने भैरमगढ़ में क्रेशर प्लांट संचालित करने के लिए लीज पर जमीन दी है. इस जमीन को भी सुरेश चंद्रकार ने अय्याशी का अड्डा बना दिया है. जमीन की लीज को अब तक निरस्त क्यों नही किया गया है.
राजकुमार सोनी / 98268 95207
छत्तीसगढ़ के कुम्हारी टोल प्लाजा में जनता से वसूले गए 86 करोड़...लेकिन सड़क की हालत बदहाल
रायपुर.छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने आरटीआई से हासिल की गई जानकारी के बाद यह खुलासा किया है रायपुर के कुम्हारी टोल प्लाजा से गत चार सालों में ट्रक, कार और बसों से 86 करोड़ से अधिक की वसूली की गई लेकिन सड़कों की स्थिति बेहद दयनीय है. शुक्ला ने टोल वसूली के फंड के उपयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि "सड़कों के रखरखाव पर कितना खर्च किया गया है, यह उनकी खराब स्थिति से साफ पता चलता है.करोड़ों की वसूली के बावजूद, नागरिकों को घटिया सड़कें और धूलभरी यात्रा का सामना करना पड़ता है।"
पारदर्शिता की मांग
गौरतलब है कि कुम्हारी टोल प्लाजा में आए दिन नागरिकों और वहां वसूली में तैनात कर्मचारियों के बीच विवाद की स्थिति पैदा होती रहती है. बीच में ऐसी खबरें भी उड़ी थीं कि टोल प्लाजा का एग्रीमेंट समाप्त हो गया है. सामाजिक कार्यकर्ता शुक्ला ने भी सरकार से कुम्हारी टोल प्लाजा के एग्रीमेंट की प्रमाणित छाया प्रति मांगी है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. शुक्ला का कहना है कि एग्रीमेंट को हर हाल में सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके.
नागरिकों ने उठाए सवाल
इस खुलासे के बाद आमजन के बीच सवाल उठने लगा है. लोग यह कहने को मजबूर हुए हैं कि भारी भरकम टोल वसूली और बुनियादी सड़क सुविधाओं की कमी के बीच यह बड़ा अंतर क्यों है. नागरिक बेहतर जवाबदेही और सड़क रखरखाव में सुधार की मांग कर रहे हैं. सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में प्रसिद्ध कुणाल शुक्ला ने यह संकल्प लिया है कि वह तब तक इस मुद्दे को उठाते रहेंगे, जब तक सरकार टोल प्लाजा एग्रीमेंट पर स्पष्टता नहीं देती और वसूले गए फंड का उचित उपयोग सुनिश्चित नहीं करती.
कुम्हारी टोल प्लाजा का मामला सार्वजनिक अवसंरचना परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर करता है. यह सवाल उठाता है कि टोल राजस्व का उपयोग कैसे और कहां किया जा रहा है.
रिटायरमेंट के बाद होनी तो नहीं चाहिए थीं ताजपोशी...लेकिन संजीव कटियार बन गए राजा बाबू
रायपुर. छत्तीसगढ़ की सरकार ने इसी साल जुलाई महीने में एक आदेश जारी कर यह साफ कर दिया था कि रिटायरमेंट के बाद किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को किसी भी विभाग या आयोग में संविदा नियुक्ति नहीं दी जाएगी, लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी में प्रबंध संचालक की हैसियत से कार्यरत संजीव कटियार की सेवाओं में चार महीने की बढ़ोतरी कर दी गई है. अब कटियार 31 मार्च 2025 तक प्रबंध संचालक की हैसियत से काम करते रहेंगे.
संजीव कटियार 30 सितम्बर 2024 को सेवानिवृत हो गए थे लेकिन सेवानिवृति से पहले सरकार ने जब उन्हें बिजली उत्पादन कंपनी में बतौर प्रबंध संचालक नियुक्त किया था तब आदेश में यह साफ लिखा था कि वे 30 नवम्बर 2024 तक बने रहेंगे.
इधर प्रबंध संचालक का कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले राज्य शासन ने 29 नवम्बर 2024 को छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड के मेमोरेण्डम आफ एसोसियशन एण्ड आर्टिकल आफ एसोसियशन के अंर्तनियम की कंडिका-77 सहपठित कंडिका-78 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए उन्हें फिर से संचालक और प्रबंध संचालक के पद पर पदस्थ कर दिया है.
सवालों का पहाड़
संजीव कटियार की नियुक्ति के साथ ही सवालों का पहाड़ भी खड़ा हो गया है. पहला सवाल तो यही है कि जब सरकार ने तय ही कर लिया था कि रिटायरमेंट के बाद किसी भी अधिकारी और कर्मचारी की सेवाओं में बढ़ोतरी कर संविदा नियुक्ति नहीं दी जाएगी तो फिर संजीव कटियार पर विशेष मेहरबानी क्यों की गई ? प्रशासनिक गलियारों में यह चर्चा कायम है कि अडानी की कंपनी का कोयला जनरेशन कंपनी के जरिए ही खपाया जाता है इसलिए उनकी ताजपोशी संभव हो पाई है.
वैसे अब से कुछ अरसा पहले तक बिजली उत्पादन कंपनी में प्रबंध संचालक बनने के लिए बकायदा विज्ञापन निकाला जाता था. योग्यता और क्षमता का निरीक्षण करने के उपरांत सलेक्शन होता था, लेकिन इधर कुछ सालों से यह लगने लगा कि इस पद को भरने में राजनीतिक और गुणवत्ता विहीन बिजली सामानों की सप्लाई करने रसूखदार सप्लायरों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है. बताते हैं कि विवादों और फर्जीवाड़े में घिरी टेक्नीकल टूल्स, हेम्स कार्पोरेशन, सुमित ट्रेडिंग, यूनिक सप्लाई, अमार इंटरप्राइजेस, राहुल इंटरप्राइजेस, एसडी इंस्ट्रडी, तनु ट्रेडिंग और कलकता की मां संतोषी इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन सहित कई कंपनियों के कर्ताधर्ता सप्लायर कटियार की दोबारा ताजपोशी के लिए जबरदस्त ढंग से सक्रिय थे. फिलहाल कटियार चार महीने के लिए प्रबंध संचालक बन गए हैं. कहा जा रहा है कि सरकार उन्हें मार्च के बाद फिर से मौका नहीं देनी वाली है. अगर मौका देना होता तो पूरे एक साल तक के लिए उनकी सेवाओं में बढ़ोतरी की जाती.
कई योग्य लोग रह गए पीछे
बताया जाता है कि प्रबंध संचालक बनने की दौड़ में सबसे प्रमुख नाम एसके बंजारा का था, लेकिन उन्हें बड़ी चालाकी से पीछे धकेल दिया गया. बंजारा अटल बिहारी ताप बिजली संयंत्र में बतौर कार्यपालक निदेशक की हैसियत से पदस्थ थे और सीनियर भी थे...लेकिन उनके कार्य करने की शैली को आधार बनाकर उन्हें ट्रेनिंग सेल कोरबा में पदस्थ कर दिया गया. प्रबंध संचालक के लिए एनटीपीसी में पदस्थ रहे प्रकाश तिवारी का नाम भी चल रहा था. सेवानिवृत हो चुके आरके श्रीवास, राजेश वर्मा और श्रीधर के अलावा कोरबा वेस्ट के हसदेव थर्मल पावर में पदस्थ रहे संजय शर्मा भी दौड़ में शामिल थे, लेकिन सब पीछे रह गए.
स्मिता चोपड़ा के फरमान से मूल्यांकनकर्ता पशोपेश में
अभी सरकार ने आदेश जारी नहीं किया और प्राचार्य मूल्यांकनकर्ताओं की वेतन वृद्धि रोकने के फिराक में
बिलासपुर.प्रदेश के शिक्षा विभाग में जो ना हो जाय वह कम है. हाल-फिलहाल बिलासपुर जिले के स्कूलों के प्राचार्यों ने जो कारनामा किया है उसकी चर्चा मंत्रालय और संचालनालय तक में बनी हुई है.
पूरा मामला यह है कि वर्ष 2023 में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10 वीं और 12 वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य में लापरवाही बरतने पर परीक्षकों को तीन से पांच साल तक डीबार करने और एक साल की वेतन वृध्दि रोकने की सिफारिश शासन से की थी. प्रदेश स्तर पर इस मामले में वस्तुत: चूक कहां से हुई इसका निरीक्षण करने के बाद ही शासन को इस पर कोई निर्णय लेना था. इससे पहले कि शासन स्तर पर कोई निर्णय हो पाता बिलासपुर जिले के एक स्कूल की प्राचार्य स्मिता चोपड़ा ने व्याख्याताओं पर एक वर्ष की वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई करते हुए इसकी प्रतिलिपि डीईओ को भेज दी है. खबर है कि ऐसा आदेश बहुत से स्कूलों के प्राचार्यों ने जारी कर दिया है.
बताना आवश्यक है कि वर्ष 2023 में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10 वीं और 12 वीं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्याकंन बहुत से स्कूलों के शिक्षकों को आमंत्रित करके करवाया था. इसके बाद जिन विद्यार्थियों के पुनर्मूल्यांकन में नंबर बढ़ना पाया गया, मंडल ने इसे परीक्षकों की लापरवाही माना और ऐसे सभी लापरवाह शिक्षकों को तीन से पांच साल तक मूल्यांकन कार्य से पृथक रखने और एक वर्ष की वार्षिक वेतन वृद्धि को रोकने की सिफारिश शासन से की थी.
जबकि होना यह चाहिए था...
माध्यमिक शिक्षा मंडल की सिफारिश पर शासन यह परीक्षण कराता कि गड़बड़ी वास्तव में परीक्षकों की ओर से की गई है अथवा मंडल के द्वारा अंकों के टेबुलेशन हुई है या फिर पुर्नमूल्यांकन कर्ताओं द्वारा की गई है. इसके बाद संचालक लोक शिक्षण की ओर से यह आदेश जारी होता कि जिन शिक्षकों ने भी लापरवाही की है उन्हें मूल्याकंन से पृथक रखा जाय और उनकी वेतन वृद्धि रोकी जाय. संचालक लोक शिक्षण की तरफ से आदेश जारी होने के बाद जिले के शिक्षा अधिकारी सभी प्राचार्यों को वेतन वृद्धि रोकने के लिए निर्देशित करते. इसके बाद लापरवाही बरतने वाले मूल्याकंनकर्ताओं को पत्र थमाना उचित होता लेकिन यहां तो प्राचार्य ने अपनी मनमानी चला दी है.
डीईओ ने कहा-शासन से नहीं मिला निर्देश
बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी टीआर साहू ने इस मामले में कहा कि राज्य शासन से अब तक इसके लिए किसी भी तरह के दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं, ना ही किसी भी प्राचार्य से मूल्याकंन करने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर अनुशंसा मांगी गई है. शासन से दिशा निर्देश आने पर निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी.
फोरम आफ रिटायर्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स छत्तीसगढ़ के प्रातांध्यक्ष बने प्रदीप वर्मा
रायपुर. इंजीनियर्स की समस्याओं के लिए सजग रहने वाले सेवानिवृत इंजीनियर प्रदीप वर्मा फोरम ऑफ रिटायर्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स छत्तीसगढ़ के प्रातांध्यक्ष चुन लिए गए हैं. विगत दिनों सपन्न हुए एक अधिवेशन में पीकेएस चंदेल को महासचिव और किशोर पिल्ले को अतिरिक्त सचिव घोषित किया गया. शिशिर वर्मा वरिष्ठ उप प्रातांध्यक्ष, आरके गुप्ता उपाध्यक्ष, एमके वाही कोषाध्यक्ष, संगठन सचिव वायआर पदमवार को बनाया गया है जबकि संगठन से जुड़े एके सोनी और आरके सक्सेना को कार्यकारिणी सदस्य निर्वाचित हुए.
ज्ञात हो कि फोरम ऑफ रिटायर्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स राष्ट्रीय स्तर का एक एसोसियेशन है. इस एसोसियेशन से जुड़े सभी सदस्य इंजीनियरों की समस्याओं के समाधान के लिए संघर्षरत रहते हैं. विगत दिनों छत्तीसगढ़ में संपन्न हुए एक अधिवेशन में यह संकल्प पारित किया गया कि अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ के पेंशनधारियों को भी केंद्र द्वारा घोषित तिथि से मंहगाई भत्ता और चिकित्सा भत्ता दिया जाय. इसके लिए जल्द ही शासन को अवगत कराया जाएगा. डिप्लोमा इंजीनियर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवशंकर दुबे, महासचिव आरसी श्रीवास्तव ने अधिवेशन में कहा कि फोरम आफ रिटायर्ड डिप्लोमा इंजीनियर्स पेंशनधारियों एवं पारिवारिक पेंशन के निराकरण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा. अधिवेशन में प्रदेश और प्रदेश के बाहर के मान्यता प्राप्त अस्पतालों से केश लेश चिकित्सा मुहैय्या कराने और पेंशन की राशि को आयकर से मुक्त घोषित करने जैसे बिन्दुओं पर भी चर्चा की गई. डिप्लोमा इंजीनियर्स ने पेंशन की पात्रता को 65 करने पर भी जोर दिया.
अधिवेशन में निर्वाचन पर्यवेक्षक के तौर पर एचसी राठौर, आलोक नागपुरे और प्रकाश सिंह ठाकुर मौजूद थे.
नक्सलियों के आगे नतमस्तक छत्तीसगढ़ की साय सरकार
सरकार को बने दो महीने नहीं हुए और अपराध के गढ़ में बदल गया छत्तीसगढ़
लौट आया फिर से आतंक का दौर
रायपुर. 20 फरवरी. छत्तीसगढ़ में भाजपा की साय सरकार को बने हुए दो महीने भी नहीं हुए हैं लेकिन कलई खुलती जा रही है. सूबे की साय सरकार नक्सलियों के आगे नतमस्तक दिखाई देती है. आए दिन नक्सली वारदातों में इजाफा देखने को मिल रहा है.यह आरोप है प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का.
एक बयान में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ अपराध गढ़ बन गया है.अपराधी बेलगाम हो गए हैं. यहां आम आदमी का जीवन सुरक्षित नहीं रह गया है. अभी चंद रोज पहले दुर्ग में एक 16 वर्षीय मासूम बच्ची के गले में ब्लेड मार कर हत्या करने की कोशिश की गई. दो महीने के भीतर राजधानी में गोलीबारी की दो बड़ी घटनाएं हो गई. गृहमंत्री के गृह क्षेत्र कवर्धा में सरेआम हत्या हो गई. ऐसी ही घटना पर सांप्रदायिकता का जहर घोलने वाले भाजपाई इस घटना पर मौन साध गए.
राजधानी रायपुर से लेकर प्रदेश के सभी शहरों में लगातार हत्या, लूट, चाकूबाजी की घटनाएं बढ़ गयी है. राजधानी में सरेआम चाकू मारकर युवक की हत्या कर दी गई. एक अन्य घटना में राजधानी में ही अपराधियों ने एक युवक को दौड़ा-दौड़ा कर मौत के घाट उतार डाला. जोरा में एक व्यक्ति को गोली मार दी गई. जबकि कांकेर के पखांजूर में भाजपा नेता असीम राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई. प्रदेश के हर शहर में चाकूबाजी, लूट की वारदातें आम हो गई. सरकार बदलते ही ऐसा लगने लगा है जैसे कानून का राज समाप्त हो गया है. शुक्ला ने कहा कि सरकार बदलते ही अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं. बेलगाम अपराधी आम लोगों की हत्या कर रहे हैं. गोलियां चल रही है. प्रदेश में एक बार फिर वहीं आतंक का दौर वापस आ गया है जो 2018 के पहले था. तब गोलियां मारकर आमजन को लूटा जाता था और अपराधी पकड़े नहीं जाते थे. भारतीय जनता पार्टी का जंगलराज फिर से कायम हो रहा है.संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा की साय सरकार नागरिकों को जीवन जीने का सुरक्षित वातावरण देने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है. साय सरकार अपराधियों के आगे लाचार और बेबस दिखाई दी रही है.
डिप्टी सीएम विजय शर्मा के इलाके में कांग्रेस का जोरदार प्रदर्शन
कवर्धा. कवर्धा नगरपालिका क्षेत्र में अधिकांश मकान,दुकान तथा अन्य संस्थान बगैर नक्शा स्वीकृति के बने हैं या स्वीकृत नक्शे के विपरीत बने हैं. प्रदेश में कांग्रेस शासन काल में इन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, लेकिन भाजपा का शासन आते ही नगरपालिका के तरफ से ऐसे मामलों में कार्यवाही की नोटिस जारी की जाने लगी है और कार्यवाही भी इस तरीके से हो रही है कि हाईकोर्ट के आदेश तक की परवाह नही की जा रही है. नगरपालिका के इसी रवैए के विरोध में कांग्रेसजनों ने बड़ी रैली निकालकर विरोध जताया. साथ ही चेतावनी भी दी कि जगदंबा पैलेस मामले में हाई कोर्ट से यथास्थिति का आदेश मिलने के बावजूद दी गई नोटिस को वापस नही लेने पर हाईकोर्ट की अवमानना का प्रकरण प्रस्तुत कर दिया जाएगा. प्रदर्शन में कांग्रेस पार्टी के सभी सत्रह पार्षद शामिल हुए.
इन दिनों कवर्धा नगरपालिका बिलकुल अलग रोल में हैं. छिटपुट निर्माण पर नोटिस जारी की जाने लगी है. पहले ऐसा कभी नहीं हुआ.इसे लेकर जन सामान्य में भारी गुस्सा है. गुस्से को प्रदर्शित करने आज कांग्रेसजन सड़क पर उतर आए. इस दौरान कांग्रेसजन तानाशाही नहीं चलेगी...नारा भी लगाते रहे.
जगदंबा पैलेस मामले में हाई कोर्ट के यथा स्थिति के आदेश के बावजूद पुनः नोटिस जारी करने को लेकर मुख्य नगरपालिका अधिकारी प्रमोद कुमार वर्मा को आड़े हाथों लिया गया. उनसे तत्काल नोटिस को वापस लेने की मांग की गई. ऐसा न करने पर उन्हें हाई कोर्ट की कार्यवाही के लिए तैयार रहने आगाह किया गया.इस पर सीएमओ ने हाई कोर्ट का सम्मान विधि सम्मत कार्यवाही करने की बात कही.
कौन डाल रहा है दबाव ?
सीएमओ से यह भी कहा गया कि कवर्धा में लोगों के मकान,दुकान और अन्य संस्थान पर नोटिस जारी करने की कार्यवाही तुरंत रोकी जाए क्योंकि अधिकांश मकान बगैर नक्शा स्वीकृति के बने हुए हैं या स्वीकृत नक्शे के अनुरूप नहीं बने हुए हैं. क्या नगरपालिका पूरे कवर्धा को तोड़ फोड़ कर बर्बाद करना चाहती है ?और नगरपालिका किसके दबाव पर ऐसा करना चाहता है ? सीएमओ ने दबाव की बात कही है इसलिए उन्हें उस आदमी का नाम भी बताना चाहिए.
कांग्रेसजनों ने रहवासियों,दुकानदारों को नोटिस जारी करना नहीं रोकने पर नगर में उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है. प्रदर्शन में प्रमुख रूप से नीलकंठ चंद्रवंशी,ममता चंद्राकर,महेश चंद्रवंशी ,ईश्वर शरण वैष्णव ,पीतांबर वर्मा ,नवीन जायसवाल ,मोहित महेश्वरी, रामचरण पटेल, मणिकांत त्रिपाठी, महेंद्र कुंभकार, अजय यादव, भीषण तिवारी ,अगम दास अनंत, गंगोत्री योगी ,रानू दुबे ,सीमा गम अनंत, कीर्ति केशरवानी,जोहन खानडे ,नीलकंठ साहू, चोवाराम साहू ,अशोक सिंह , दूलाखन गेंदे, भारत वनसे, शीतल साहू , शीतेश चंद्रवंशी, वाल्मीकि वर्मा, चंद्रभान कोसले अश्वनी वर्मा, अमन वर्मा ,सोनू कौशिक ,नरेंद्र देवांगन ,संतोष यादव ,हरेश चतुर्वेदी ,राजेश गुप्ता, कपिल जायसवाल ,भीकम कोसले ,सुशीला धुर्वे, नेतराम धुर्वे, बबलू चंद्रवंशी, उत्तम गोप ,चुनवा खान, राजेश गुप्ता,मुकेश कौशिक,संतोष नामदेव,नारद चंद्रवंशी सहित लगभग चार सौ कांग्रेस जन शमिल थे.
विजय शर्मा के अलावा भाजपा के अनेक नेताओं ने वादा किया था कि किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ होगा... कांग्रेस ने याद दिलाया
रायपुर. कांग्रेस के दिग्गज नेता मोहम्मद अकबर को चुनाव में परास्त करने के बाद कवर्धा के भाजपा नेता विजय शर्मा का एक वीडियो सोशल मीडिया में जबरदस्त ढंग से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में श्री शर्मा यह कहते हुए दिख रहे हैं कि 20-25 लाख रुपए का कर्ज लेने वाले बड़े किसानों का कर्ज माफ करने के बजाय उन किसानों का कर्ज माफ करना ज्यादा ठीक है जिन्होंने दो लाख रुपए तक का कर्ज लिया है. वीडियो में श्री शर्मा यह कहते हुए भी दिखाई देते हैं कि भाजपा की सरकार बनने के बाद छोटे-बड़े हर किसान का दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ होगा.इधर कांग्रेस ने मांग की है कि भाजपा सरकार को कैबिनेट की पहली बैठक में किसानों के 2 लाख तक का कर्ज माफ करना चाहिए. प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने एक बयान में कहा है कि भाजपा के कई नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान किसानों से कर्ज माफी करने का वादा अपने भाषणों में किया था. इस संबध में पर्चा भी वितरित किया गया था.
सुशील आनंद ने कहा कि विजय शर्मा भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक हैं और ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वे भाजपा के सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाये जा रहे हैं. उन्होंने चुनाव के दौरान कवर्धा की जनता से अनेक जगह सभाओं में वादा किया है, कि भाजपा की सरकार बनने पर 2 लाख तक सारे बड़े और छोटे किसानों का कर्जा माफ किया जायेगा. अब भाजपा की सरकार बन गयी है तो किसान अपेक्षा कर रहे हैं कि विजय शर्मा कैबिनेट की पहली बैठक में इस प्रस्ताव को पारित करवाएंगे.
4 जून को मुक्तिबोधः स्वदेश की खोज का लोकार्पण
4 जून को मुक्तिबोधः स्वदेश की खोज का लोकार्पण
रायपुर. देश के नामचीन लेखक और संस्कृतिकर्मी 4 जून को छत्तीसगढ़ की राजधानी में मौजूद रहेंगे. इस दिन शाम पांच बजे रायपुर के वृंदावन हॉल में जन संस्कृति मंच की रायपुर ईकाई द्वारा प्रसिद्ध विचारक रामजी राय की पुस्तक-मुक्तिबोध:स्वदेश की खोज़ का लोकार्पण एवं समीक्षा का कार्यक्रम रखा गया है.
इस कार्यक्रम में लेखक रामजी राय के अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष और आलोचक प्रणय कृष्ण, प्रोफेसर सियाराम शर्मा भिलाई, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह गोरखपुर, नई दिल्ली से आलोचना के संपादक आशुतोष कुमार, छत्तीसगढ़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त रायपुर, युवा कवि-आलोचक बसंत त्रिपाठी इलाहाबाद, प्रेमशंकर सिंह आगरा मौजूद रहेंगे. कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य जसम रायपुर ईकाई के अध्यक्ष आनंद बहादुर देंगे. वहीं अजुल्का सक्सेना और वसु गंधर्व द्वारा मुक्तिबोध की कविता का सस्वर पाठ होगा. कार्यक्रम का संचालन युवा लेखक भुवाल सिंह करेंगे जबकि आभार प्रदर्शन जसम के सचिव मोहित जायसवाल करेंगे. कार्यक्रम में विशेष तौर पर समकालीन जनमत की प्रबंध संपादक मीना राय,संस्कृतिकर्मी अनीता त्रिपाठी इलाहाबाद, रुचि बाजपेयी लखनऊ, डीपी सोनी बलिया उत्तर प्रदेश, केके पांडे संपादक जनमत, दीपक सिंह, डॉ.कामिनी अंबिकापुर , संजय जोशी नवारुण प्रकाशन दिल्ली, कैलाश बनवासी दुर्ग, कल्पना मिश्रा, नरोत्तम शर्मा, इंद्र कुमार राठौर, दीक्षित भीमगड़े, मीता दास भिलाई, अंजनकुमार, अभिषेक पटेल, अंबरीश त्रिपाठी, अमित चौहान, आलोक कुमार, अखिलेश एडगर, वंदना शर्मा, विनीता, तत्पुरूष सोनी के अलावा अंचल के अनेक लेखक और संस्कतिकर्मी उपस्थित रहेंगे. कार्यक्रम में नवारुण प्रकाशन और समकालीन जनमत की तरफ से पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी.इस महत्वपूर्ण आयोजन में हिस्सेदारी दर्ज करने के बाद लेखक और संस्कृतिकर्मी 5 से 7 जून तक बस्तर भ्रमण पर जाएंगे.
अमन चोपड़ा खुद को समझ रहा था प्रेम चोपड़ा...देशद्रोह का मामला दर्ज
पुलिस की होशियारी...पड़ गई भारी...रंगकर्मियों और पत्रकारों को थाने में नंगा खड़ा करने पर मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी और आईजी से मांगा जवाब
भोपाल. मध्यप्रदेश के सीधी जिले की कोतवाली थाने में स्थानीय रंगकर्मियों और पत्रकारों को नंगा खड़ा करके उनकी तस्वीरों को वायरल करने का मामला पुलिस को भारी पड़ गया है. मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने पुलिस महानिदेशक और रीवा के पुलिस महानिरीक्षक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. घटना के बाद एडिटर्स आफ गिल्ड ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को कड़ा पत्र लिखा है. खबर है कि इस मामले में देशभर के पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से पीड़ित पक्ष से जुड़े लोग सीधी के पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार, थाना प्रभारी मनोज सोनी और एसआई अभिषेक परिहार के खिलाफ न्यायालय में परिवाद दायर करने पर भी विचार कर रहे हैं.
गौरतलब है कि सीधी में कुछ दिन पहले रंगकर्मी नीरज कुंदेर को पुलिस ने एक मामले में गिरफ्तार किया था. इस गिरफ्तारी के विरोध में इलाके के पत्रकार कनिष्क तिवारी ने खबर चलाई थी और स्थानीय रंगकर्मियों ने विरोध जताया था. इस विरोध के बाद कोतवाली थाने के प्रभारी मनोज सोनी ने रंगकर्मियों और पत्रकारों को गिरफ्तार कर बुरी तरह से पीटा और फिर उन्हें अंडरवियर में खड़ा कर उनकी तस्वीरों को सोशल मीडिया में वायरल किया. इस घटना के बाद शिवराज सरकार और पुलिस के खिलाफ देशव्यापी गुस्सा फूट पड़ा. देश के ज्यादातर लोग वायरल हुई इन तस्वीरों को मानवीय गरिमा के खिलाफ बताकर थू-थू करते रहे. सोशल मीडिया में सरकार की फजीहत को देखने के बाद कल थाना प्रभारी मनोज सोनी और एसआई अभिषेक परिहार को लाइन हाजिर कर दिया गया था. हालांकि इस कार्यवाही को लोग अब भी नाकाफी ही बता रहे हैं.
बताते हैं कि सीधी से भाजपा के स्थानीय विधायक केदारनाथ शुक्ला की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एक यू ट्यूब चैनल को संचालित करने वाले कनिष्क तिवारी और उनके कैमरामैन ने खबर चलाई थीं. बताया जाता है कि रंगकर्मी नीरज कुंदेर को भी विधायक और उसके पुत्र के इशारे पर ही गिरफ्तार किया गया था. कुंदेर अभी भी जेल में हैं. जब सीधी में कुंदेर की गिरफ्तारी पर विरोध प्रदर्शन हुआ तो कनिष्क तिवारी ने एक पत्रकार की हैसियत से समाचार को कव्हरेज किया, लेकिन उन्हें और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर थाने में नंगा बिठा दिया गया. खबर हैं थाने में सभी पत्रकारों और रंगकर्मियों को विधायक के पालित गुंडों और एक शराब कारोबारी के सामने ही बुरी तरह से मारा-पीटा गया. थाने में मौजूद थाना प्रभारी ने वहां मौजूद पुलिस कर्मी अभिषेक सिंह परिहार और अन्य लोगों को तस्वीरें खींचने के लिए कहा और फिर तस्वीर वायरल कर दी गई.
रंगकर्मियों और पत्रकारों को थाने में खड़ा किया नंगा... देशभर में मचा बवाल
भोपाल. मध्यप्रदेश के सीधी जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई हैं. इस जिले में कुछ दिन पहले रंगकर्मी नीरज कुंदेर को गिरफ्तार किया गया था. जब नीरज की गिरफ्तारी के विरोध में इलाके के पत्रकारों ने खबर चलाई और स्थानीय रंगकर्मियों ने विरोध जताया तो ना केवल उन्हें गिरफ्तार किया गया ब्लकि उनका जुलूस निकालकर उन्हें थाने में लगभग नग्न अवस्था में खड़ा कर उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल कर दी गई.तस्वीरों के वायरल होने के बाद प्रदेश की शिवराज सरकार और पुलिस के खिलाफ देशव्यापी गुस्सा फूट पड़ा है. लोग-बाग वायरल हुई इन तस्वीरों को मानवीय गरिमा के खिलाफ बताकर थू-थू कर रहे हैं. खबर हैं कि देश के कई हिस्सों के रंगकर्मी और पत्रकार सीधी जाकर विरोध प्रकट करने की तैयारी में जुट गए हैं.
अभी बलिया के पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन शांत भी नहीं हुआ है कि भाजपा शासित मध्यप्रदेश से रंगकर्मियों और पत्रकारों की गिरफ्तारी की बड़ी खबर सामने आ गई हैं. बताते हैं कि सीधी से भाजपा के स्थानीय विधायक केदारनाथ शुक्ला की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एक यू ट्यूब चैनल को संचालित करने वाले कनिष्क तिवारी और उनके कैमरामैन ने खबर चलाई थीं. जब रंगकर्मी नीरज कुंदेर को गिरफ्तार किया गया तब पूरे सीधी में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था. कनिष्क तिवारी रंगकर्मियों के विरोध-प्रदर्शन को कव्हरेज करने पहुंचे तो पुलिस ने उनके साथ-साथ रंगकर्मियों को भी गिरफ्तार कर लिया.खबर हैं थाने में सभी पत्रकारों और रंगकर्मियों को विधायक के पालित गुंडों और एक शराब कारोबारी के सामने बुरी तरह से पीटा गया. थाने में मौजूद थाना प्रभारी ने वहां मौजूद पुलिस कर्मी अभिषेक सिंह परिहार और अन्य लोगों को फोटो खींचने के लिए कहा और फिर तस्वीर वायरल कर दी गई.
कनिष्क तिवारी का कहना है कि रंगकर्मी नीरज कुंदेर कला आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ हैं. स्थानीय पुलिस ने विधायक केदारनाथ शुक्ला के इशारों पर नीरज कुंदेर की फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाई और फिर उन्हें विधायक के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.जब उनकी गिरफ्तारी को लेकर विरोध प्रारंभ हुआ तो कव्हरेज करने गए पत्रकारों को भी लपेट दिया गया. कनिष्क ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी कर पुलिस पर झूठे मुकदमे दर्ज करने का आरोप भी लगाया है. कनिष्क का कहना है कि उसे और उसके परिवार को लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही हैं. वैसे इस घटना के बाद भाजपा और उसकी सरकार की रक्षा में लगे हुए गोदी मीडिया के पत्रकार भी सक्रिय हो गए हैं. गोदी मीडिया की खबरों में यह कहा जा रहा है कि कनिष्क तिवारी यू ट्यूब चैनल को चलाता है. वह शुद्ध पत्रकार नहीं है. कभी किसी बड़े बैनर में नहीं रहा. वह पहले भी इधर-उधर प्रवेश करता रहा है तो उसके खिलाफ मुकदमा चल रहा हैं...आदि-आदि.
सीधी में हुई इस घटना के बाद देश के प्रसिद्ध पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक वॉल पर फिल्म आरआरआर के एक पोस्टर को शेयर करते हुए अपने अंदाज में कुछ यूं लिखा है-चलिए नाचो नाचो पर नाचिए. डांस आना चाहिए. क्या शानदार तालमेल है दोनों का. गति बिजली के जैसी और उल्लास बारिश के जैसा. ज़्यादा तनाव न लें. डांस करें. पत्रकारों को नंगा किया जा रहा है. एक दिन पाठकों दर्शकों को भी ये नंगा कर दिया जाएगा... इसलिए नाचिए. सीधी जिले के एसएसपी मुकेश कुमार का कहना है कि जो तस्वींरें वायरल हुई है वह उनके संज्ञान में हैं. यह तस्वीरें किस हालात में खींची गई हैं इसकी जांच की जा रही हैं. यदि कुछ भी नियम विरुद्ध निकला तो थाना प्रभारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा. इधर खबर है कि मामले में तूल पकड़ने के बाद एसएसपी ने थाने के प्रभारी मनोज सोनी और एसआई अभिषेक परिहार को लाइन हाजिर कर दिया है.