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अंतरराज्यीय बस टर्मिनल में गुंडे-मवाली-शराबी, जुआरी और सटोरियों का जमावड़ा

रायपुर. छत्तीसगढ़ में रायपुर के भाठागांव क्षेत्र में अंतरराज्यीय बस टर्मिनल खुल तो गया है, लेकिन इस टर्मिनल और उसके आसपास गुंडे-मवाली-शराबी, सटोरियों और जुआरियों का जमावड़ा देखा जा सकता हैं. भाठागांव से पहले बस स्टैंड पंडरी में स्थित था तब वहां असमाजिक तत्वों की तूती बोलती थीं. यात्रियों के साथ हर दिन मारपीट व हील-हुज्जत की घटनाएं आम बात थीं. इलाके में डेरा जमाकर बैठे गंजेड़ी और नशेड़ी परेशान अलग करते थे. उम्मीद की जा रही थीं कि अंतरराज्यीय बस टर्मिनल खुलने से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन यहां से भी अपना सफ़र शुरू और खत्म करने वाले यात्रियों को खराब अनुभव से गुजरना पड़ रहा है. यहां मौजूद एक पार्किंग स्थल के आसपास गुंडे और मवालियों का जमघट कायम रहता है. बताते हैं कि जबसे पार्किंग स्थल खुला है तब से यहां सटोरियों और जुआरियों की मौज हो गई हैं. पार्किंग के नाम पर यात्रियों से बदसलूकी भी आम हो गई हैं. वैसे तो यह इलाका टिकरापारा थाना क्षेत्र के अधीन है. इस थाने के अधीन श्रमिकों की बस्तियां भी आती है. खबर है कि संजय नगर और उसके आसपास के इलाकों में रहने वाले कम उम्र के बच्चे नशे के आदी हो रहे हैं और नशे की लत को पूरा करने के लिए बस टर्मिनल की तरफ ही दौड़ लगाते हैं. जानकारों का कहना है कि अगर समय रहते पुलिस प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती तो यह टर्मिनल अपराध के एक बड़े अड्डे में तब्दील हो जाएगा.
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आरटीआई अध्यक्ष के खिलाफ एनजीओ संचालिका ने की मुख्यमंत्री से शिकायत

रायपुर. एक राजनीतिक दल के आरटीआई अध्यक्ष पर एक महिला ने गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी है. जगदलपुर से अर्शिल शिक्षण व प्रशिक्षण वेलफेयर सोसायटी संचालित करने वाली शमीम सिद्धकी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजी गई शिकायत में आरटीआई अध्यक्ष को आड़े हाथों लिया है. महिला ने आरटीआई अध्यक्ष के एक निज सहायक के फोन को रिकार्ड करने का दावा भी किया है. महिला का कहना है कि निज सहायक उससे सीधे-सीधे पचास फीसदी हिस्सेदारी की बात करते हुए कह रहे हैं कि अगर पैसा नहीं दिया गया तो जैव विविधता बोर्ड की तरफ से सौंपा गया काम निरस्त करवा दिया जाएगा. शमीम का कहना है कि पूर्व में भी आरटीआई अध्यक्ष और उनसे जुड़े लोगों ने चार से पांच लाख रुपए उनसे वसूल लिए हैं.

शमीम ने पत्र में लिखा है कि उनकी संस्था वर्ष 2005 से ही छत्तीसगढ़ की सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रही है. संस्था मुख्य रुप से घरेलू हिंसा में महिलाओं के संरक्षण, एचआईवी की रोकथाम, महिला उत्थान, बंधवा मजदूर, कौशल उन्नयन, विधिक सेवा, मानव तस्करी की रोकथाम और लोक जैव विविधता पंजी निर्माण का काम करती है.

महिला ने बताया कि आरटीआई अध्यक्ष और उनके साथ जुड़े हुए दो अन्य लोग आए दिन उनकी छवि खराब करने का काम कर रहे हैं. बड़े राजनेताओं के साथ निजी संबंधों का हवाला देते हुए गत एक साल से उनके ऊपर मानसिक दबाव डाला जा रहा है. आरटीआई अध्यक्ष कहते हैं कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे छत्तीसगढ़ में काम नहीं करने देंगे. आरटीआई अध्यक्ष का कहना है कि छत्तीसगढ़ के हर शासकीय काम में उनकी भूमिका रहती है. वे जो बोलेंगे वहीं होगा क्योंकि कई मंत्री और अधिकारी उनके आफीस में बैठकर चाय पीते हैं.

एनजीओ संचालिका ने पत्र में जानकारी दी है कि वह फिलहाल जैव विविधता बोर्ड की ओर से सौंपे गए काम को बेहतर ढंग से कर रही है, लेकिन आरटीआई अध्यक्ष इस बात की धौंस दे रहे हैं कि अगर परियोजना राशि का 50 फीसदी उन्हें नहीं दिया गया तो वे जैव  विविधता कार्यादेश निरस्त करवा कर उनकी संस्था को काली सूची में डलवा देंगे.

 

शमीम सिद्धकी ने आगे लिखा है- मैंने आरटीआई अध्यक्ष की अनुचित मांगों के संबंध में संगठन के प्रभारी महामंत्री को भी मौखिक तौर पर जानकारी दी है. आरटीआई अध्यक्ष ने एक शख्स को निज सहायक बना रखा है. यह शख्स आए दिन कहता है कि अभी भी वक्त है पचास प्रतिशत दे दो नहीं दो कार्यादेश निरस्त करवा दिया जाएगा. शमीम का कहना है कि हर एनजीओ शासन से अच्छा और बेहतर काम हासिल हो जाए इसकी उम्मीद करता है. आरटीआई अध्यक्ष, उसके सहायक और उनके साथ जुड़े एक शख्स ने उन्हें कभी यह बताया था कि वन-धन योजना के अंर्तगत बड़ा काम दिया जाएगा. इस बाबत उन्होंने एक हजार रुपए के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट भी करवाया था. शमीम ने अपने पत्र के साथ एग्रीमेंट की प्रति भी मुख्यमंत्री के पास भेजी है. महिला ने आरटीआई अध्यक्ष पर कार्रवाई की मांग की है. महिला का कहना है कि आरटीआई अध्यक्ष और उनके साथ जुड़े हुए लोग धमकी-चमकी और दबाव बनाने के खेल में संलिप्त रहकर लोकप्रिय और जनप्रिय सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं. महिला ने आरटीआई अध्यक्ष और उनके साथ जुड़े हुए लोगों की शिकायत कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, प्रभारी महामंत्री रवि घोष और पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी को भी भेजी है.

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गांधी को अपशब्द कहने वाला कथित संत चढ़ा पुलिस के हत्थे... मध्यप्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार

रायपुर. महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले कथित संत कालीचरण को छत्तीसगढ़ पुलिस ने अल-सुबह चार बजे मध्यप्रदेश के खजुराहो से 25 किलोमीटर दूर बागेश्वर धाम में एक किराए के मकान से गिरफ्तार कर लिया है. खबर हैं कि पुलिस उन्हें अपने साथ लेकर गुरुवार की शाम तक रायपुर पहुंच जाएगी. जो सूचनाएं मिल रही हैं उसके मुताबिक कालीचरण ने पुलिस को चकमा देने के लिए एक घटिया किस्म के लॉज को किराए पर ले रखा था. इसके अलावा उसके समर्थकों ने एक कॉटेज में भी उसके ठहरने का इंतज़ाम कर रखा था. कथित संत को भरोसा था कि पुलिस उसे ज्यादा से ज्यादा लक्जरी होटल में तलाश करेगी. पुलिस से बचने के लिए वह बार-बार लोकेशन भी बदल रहा था. उसके पीए का मोबाइल कभी बंद कभी चालू बता रहा था. छत्तीसगढ़ पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया तो उसने कहा- तुमको सबको श्राप लगेगा. सब भस्म हो जाओगे...तुम जानते नहीं किस पर हाथ डाल रहे हो.एक पुलिसकर्मी ने बेहद विनम्रतापूर्वक कहा- चलिए...महाराज जी...आपके चलने का टाइम आ गया है.

कालीचरण की गिरफ्तारी के साथ ही उनके समर्थक जमानत आदि के लिए सक्रिय हो गए हैं. समर्थक उनकी गिरफ्तारी को साधु-संत और हिन्दुत्व का अपमान बताने के खेल में भी जुट गए हैं. समर्थकों में कुछ कथित किस्म के राष्ट्रवादी पत्रकार भी शामिल हैं. इन पत्रकारों ने कुछेक साइट पर खबर चलाई हैं कि महाराज ने बेहद बहादुरी के साथ पुलिस का सामना किया और स्वयं थाने जाकर सरेंडर कर दिया. जबकि हकीकत यह है कि कथित संत पुलिस को लगातार चकमा देकर बचने के फिराक में था. मूलतः महाराष्ट्र के रहने वाले कालीचरण ने अपने छिपने के लिए मध्यप्रदेश के खजुराहो का चुनाव भी इसलिए किया था क्योंकि उसे यकीन था कि वहां भाजपा की सरकार से जुड़े नामचीन राजनेता उसकी मदद करेंगे और उसे बचा लेंगे.

वैसे छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार को मानना पड़ेगा कि उसने वैमनस्यता और सांप्रदायिकता फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार कर रखा है. जब कथित संत ने यहां की धर्म संसद में गांधी को लेकर जहर उगला था तभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साफ कर दिया था कि ऐसे विषाक्त लोगों को समाज स्वीकृति नहीं देगा और कानून अपना काम करेगा. गांधी पर अमर्यादित टिप्पणी सामने आने के बाद नफरती चिंटूओं ने यह अफवाह भी फैलाई थीं कि कोई भी महाराज का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा...लेकिन महाराज की चालबाजी उलटी पड़ गई. कालीचरण की गिरफ्तारी के बाद देश की एक बड़ी आबादी सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों में खुशी जाहिर कर रही हैं.नफरत से दूर रहकर अमन-चैन पर यकीन करने वाले लोग लिख रहे हैं कि किसी भी सूरत में महाराज पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो क्या गाड़ी वैसे ही पलट सकती हैं जैसे यूपी में विकास दुबे को लेकर पलटी थीं ? खबर है कि इस कथित संत को पुलिस छत्तीसगढ़ लेकर आ रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कथित संत के लिए पैरवी कौन करेगा ? समरसता पर यकीन रखने वाले लोगों का मानना है कि कालीचरण की हिमायत वहीं लोग करने वाले हैं जो देश को गृहयुद्ध की तरफ धकेलना चाहते हैं.

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गांधी को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले बाबा पर एफआईआर दर्ज

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धर्म संसद का आयोजन किया गया था. इस आयोजन के अंतिम दिन 26 दिसम्बर को महात्मा गांधी पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के बाद एक बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं. जिस बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं वे महाराष्ट्र के हैं और उनका नाम कालीचरण बताया गया है. हालांकि बाबा का सोशल एकाउंट खंगालने पर पता चलता है कि उन्हें सनातन धर्म की खूब चिंता हैं, लेकिन देश के एक समुदाय विशेष से खासी नफरत भी हैं. उनकी अधिकांश पोस्ट वैमनस्यता और नफरत को बढ़ावा देने वाली बातों से अटी पड़ी हैं. वैसे सांप्रदायिकता के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का एकाउंट बंद करने वाले टिव्हटर और फेसबुक की नज़र अब तक बाबा पर क्यों नहीं पड़ी...यह भी आश्चर्य और शोध का विषय है ? बाबा ने धर्म संसद में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए देश के विभाजन के लिए गांधी जी को जिम्मेदार बताते हुए नाथूराम गोडसे के कृत्य को जायज ठहराया था.उनकी इस टिप्पणी के बाद देर रात बवाल मचा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सिविल लाइन थाने पहुंचकर बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने भी बाबा के वकतव्य को घोर अपमानजनक बताते हुए शिकायत दर्ज करवाई है. फिलहाल बाबा काली चरण के खिलाफ धारा 502 ( 2 ) और 294 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है. गौरतलब है कि धर्म संसद का आयोजन नीलकंठ सेवा संस्थान की तरफ से किया गया था.इस आयोजन में भाजपा से जुड़े राजनेता तो आमंत्रित थे ही...कांग्रेस से जुड़े लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद थे. आयोजन के मुख्य संरक्षक राज्य गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास भी विशेष रुप से उपस्थित थे. उन्होंने कालीचरण के बयान पर अपनी गंभीर असहमति जताई और खुद को धर्म संसद से अलग कर मंच छोड़ दिया. महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी के बाद बाबा को गिरफ्तार करने की मांग भी उठने लगी हैं.

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रायगढ़ में महिला से अनाचार करने वाला युवक चढ़ा पुलिस के हत्थे

रायपुर. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में एक महिला से लंबे समय तक अनाचार करने वाला पुरूषोत्तम पटेल पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. रायगढ़ थाने के  प्रभारी मनीष नागर ने बताया कि युवक फरारी काट रहा था, लेकिन आज उसे गिरफ्त में ले लिया गया.

गौरतलब है कि रायगढ़ के एमजी रोड़ में निवास करने वाली एक युवती ने ग्राम देवल सुरा के रहने वाले पुरूषोत्तम पटेल पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. युवती की शिकायत के बाद पुलिस ने 26 नवम्बर शुक्रवार को आरोपी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर लिया था. युवती का आरोप था कि जिस रोज अपराध पंजीबद्ध किया गया था आरोपी को थाने लाया गया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया. इधर थाना प्रभारी मनीष नागर ने बताया कि युवती लंबे समय से युवक के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही थीं. दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ तो वह थाने चली आई. मैंने अपने उच्चाधिकारियों को पूरी बात बताई और फिर अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया था. नागर ने जानकारी दी कि वे एक आवश्यक काम के सिलसिले में मुंबई महाराष्ट्र गए हुए थे. वहां से लौटकर उन्होंने युवक को गिरफ्तार कर लिया है.

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स्वाधीनता सेनानी की 92 वर्षीय बूढ़ी पत्नी को बागबाहरा पुलिस ने घंटों बिठाया थाने में

रायपुर. छत्तीसगढ़ के बागबाहरा में एक शर्मनाक वाक्या घटित हुआ है. बागबाहरा नगरपालिका परिषद के कुछ अफसर एक इलाके में कब्जा हटाने गए थे. वहां कुछ विवाद की स्थिति बनी तो अफसरों ने अभद्र व्यवहार से आहत होकर एक शिकायत थाने में जमा कर दी. शिकायत मिलने के तुरन्त बाद पुलिस ऐसी सक्रिय हुई जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया हो. पुलिस ने वार्ड क्रमांक पांच गणेशपारा पहुंचकर सबसे पहले उस बुर्जुग महिला को उठाया जो 92 साल की है और स्वाधीनता संग्राम सेनानी सुखदेव प्रसाद गुप्ता की पत्नी है.वयोवृद्ध महिला के परिजन चिल्लाते रह गए कि महिला ठीक से चल-फिर नहीं सकती है. उन्हें समय-समय पर दवा लेनी पड़ती है, लेकिन पुलिस के जाबांज सिपाहियों ने किसी की नहीं सुनी. महिला को गाड़ी में लाकर थाने में बिठा दिया गया. इस मामले की जानकारी होने पर बागबाहरा के भोजपुरी समाज ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और जिले के कलक्टर को शिकायत भेजी है. भोजपुरी समाज ने कहा है कि नगरपालिका परिषद के अफसरों की सोच उनकी असंवेदनशीलता और घटिया मानसिकता को दर्शाती है. एक अत्यंत ही बुर्जुग महिला के साथ जो कुछ हुआ वह न केवल निदंनीय है बल्कि बेहद शर्मनाक है.

भोजपुरी समाज के अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद ने अपनी शिकायत में लिखा है कि नगरपालिका परिषद के अफसरों ने 92 वर्षीय श्रीमती मंतो देवी गुप्ता के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई है. भला एक वयोवृद्ध महिला हट्टे-कट्टे जवान अफसरों के साथ हाथापाई करेगी ? जिस मंतो देवी के खिलाफ अफसरों ने मामला दर्ज करवाया है वह महिला पूरी तरह से कमजोर है. इस मामले की निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए और दोषी अफसरों और पुलिस वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए. भोजपुरी समाज ने थाने में खींचा गया वह चित्र भी जारी किया है जिसमें एक पुलिसकर्मी...बूढ़ी महिला से पूछताछ करता हुआ दिखाई दे रहा है. जो लोग भी इस खबर को पढ़ रहे हैं...वे अगर बूढ़ी महिला की जगह अपनी बूढ़ी मां को रखकर देखेंगे तो शायद उनका खून खौल उठेगा.छत्तीसगढ़ की पुलिस कब सुधरेगी...कहना मुश्किल हैं.

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अनाचार करने वाले युवक से समझौते के लिए बोल रहा है थानेदार.युवती ने लगाई मुख्यमंत्री से गुहार

रायपुर. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में एक थानेदार पदस्थ हैं. उनका नाम हैं- मनीष नागर. वे जिस थाने में पदस्थ हैं वहां पिछले दिनों एक युवती अपने साथ हुए अनाचार की रिपोर्ट लिखाने गई. काफी मशक्कत के बाद युवती की रिपोर्ट तो लिख ली गई, लेकिन अब थानेदार युवती पर इस बात के लिए दबाव डाल रहा है कि वह अनाचार करने वाले युवक से समझौता कर लें. थक-हारकर युवती ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से गुहार लगाई है.

रायगढ़ के एमजी रोड़ में निवास करने वाली युवती ने मुख्यमंत्री को भेजे एक पत्र में लिखा है कि ग्राम देवल सुरा के रहने वाले पुरूषोत्तम पटेल ने मेरी अस्मिता लूट ली है. मैंने उसके खिलाफ थाना सिटी कोतवाली में शिकायत दी थीं. मेरी शिकायत के बाद पुलिस ने 26 नवम्बर शुक्रवार को आरोपी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर लिया गया है. जिस रोज अपराध पंजीबद्ध किया गया उसी रोज थानेदार साहब आरोपी पुरूषोत्तम पटेल को थाने लेकर आ गए. थानेदार ने मुझसे कहा कि अब मैं इसे सोमवार को कोर्ट में पेश करूंगा. जब मैं दूसरे दिन थाने पहुंची तो थानेदार ने कहा- फिलहाल मैंने आरोपी को छोड़ दिया है.अब मैं इसे सोमवार को गिरफ्तार करूंगा.

इधर आरोपी खुलेआम घूम रहा है और उसे अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है बल्कि मुझसे कहा जा रहा है कि आरोपी से राजीनामा कर लो.उसको  जेल भिजवाने से तुमको क्या मिलेगा? युवती ने आगे लिखा है- जिस थानेदार ने गिरफ्तार किए गए आरोपी को ही थाने से भगा दिया है... और मुझे समझौता करने की सलाह दी जा रही है वहां मुझे न्याय मिलना असंभव दिखाई देता है. युवती ने थाना प्रभारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और आरोपी पुरूषोत्तम पटेल को गिरफ्तार करने की मांग की है. इधर थाना प्रभारी मनीष नागर ने युवती के आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद और झूठा बताया है. थाना प्रभारी का कहना है कि युवती लंबे समय से युवक के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहती थीं. युवक...युवती से शादी भी करना चाहता हैं, लेकिन युवती तैयार नहीं है. दोनों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ तो वह थाने चली आई. मैंने अपने उच्चाधिकारियों को पूरी बात बताई और फिर अपराध पंजीबद्ध कर लिया है. फिलहाल मैं मुंबई महाराष्ट्र में हूं. जैसे ही लौटूंगा... आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

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मनेंद्रगढ़ में डाक्टरों की सांठगांठ से चल रहा है मरीजों से लूट का कारोबार

मनेंद्रगढ़ के स्वास्थ्य अधिकारी सुरेश तिवारी और विकास पोद्दार आरोपों के घेरे में

रायपुर. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेंद्रगढ़ में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी सुरेश तिवारी और विकास पोद्दार पर जीवन दीप समिति के सदस्य रामनरेश पटेल ने गंभीर आरोप लगाया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजी गई एक लिखित शिकायत में पटेल ने कहा है कि दोनों अधिकारी पैसा कमाने के फेर में मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं.

पटेल का कहना है कि विकास पोद्दार को सुरेश तिवारी की शह मिली हुई है सो अधिकांश मरीजों की खून की जांच विकास पोद्दार की पत्नी मधु पोद्दार के द्वारा संचालित केयर एवं डायग्नोस्टिक सेंटर में ही होती है. इस काम के लिए डाक्टर पोद्दार ने एक व्यक्ति को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ही तैनात कर रखा है. वह व्यक्ति मरीज के ब्लड का सैंपल लेकर जाता है और रिपोर्ट पहुंचाता है. पटेल ने बताया कि मनेंद्रगढ़ के स्वास्थ्य केंद्र में एक मरीज दिलभजन भर्ती था. इस मरीज के डेंगु, सीआरपी, सीबीसी व डी डाइमर जांच मधु पोद्दार के लैब में की गई और दिलभजन के पुत्र से 33 सौ रुपए ले लिए गए. जबकि यह जांच मनेंद्रगढ़ के स्वास्थ्य केंद्र लैब में भी हो सकती थीं. ऐसा अधिकांश मरीजों के साथ किया जा रहा है.

एक खास मेडिकल स्टोर से दवा खरीदी

पटेल का यह भी आरोप है कि सुरेश तिवारी आपातकालीन दवाओं की खरीदी एक खास मेडिकल स्टोर से ही करवाते हैं. अगर सरकार के अमले ने गहन जांच-पड़ताल की तो यह भी साफ हो जाएगा कि मेडिकल स्टोर के संचालक और डाक्टर सुरेश तिवारी का आपस में क्या रिश्ता है. पटेल ने आगे लिखा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में निर्मित आईसीयू कक्ष और कोविड सेंटर के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है. जांच किट व मेडिकल  से संबंधित अन्य सामानों की खरीदी भी मनमाने दर पर की गई है. अस्पताल में कई डाक्टरों की डयूटी लगी रहती हैं, लेकिन एक भी डाक्टर समय पर उपलब्ध नहीं रहता है. शाम के समय तो वरिष्ठ चिकित्सक कभी कभार ही पहुंचते हैं. एक्सरे मशीन केवल सुबह के समय चलाई जाती है. अस्पताल में कई सालों से सोनोग्राफी मशीन बंद है जिसका प्रारंभ होना अनिवार्य है.

1-आरोप बेबुनियाद और निराधार

रामनरेश पटेल जीवन दीप समिति के सदस्य जरूर है, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं हैं कि कौन सी जांच कहां पर हो सकती है. उन्होंने जीवन दीप समिति की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था, लेकिन उन्हें पता नहीं है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएं नगण्य है. मनेंद्रगढ़ में बहुत से लैब हैं, लेकिन उन लैबों को विशेषज्ञ नहीं तकनीशियन चलाते हैं. पटेल के आरोप बेबुनियाद और निराधार है.

सुरेश तिवारी / खंड चिकित्सा अधिकारी मनेंद्रगढ़

2- आरोपों में दम नहीं

मेरी पत्नी मधु पोद्दार पहले एम्स में कार्यरत थीं. उन्होंने वहां से इस्तीफा देकर अपना लैब खोला है. मनेंद्रगढ़ में एक उनका ही लैब है जिसमें सब तरह की जांच विशेषज्ञों की देखरेख में होती है. अब दो-चार दिन पहले एक और लैब खुल गई है. हम मरीजों को कभी नहीं कहते हैं कि उन्हें खून या अन्य जांच कहां करवानी चाहिए. राम नरेश पटेल के आरोपों में दम नहीं है.

विकास पोद्दार / चिकित्सक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेंद्रगढ़

 

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बिजली सामानों की सप्लाई करने वालों की आपसी प्रतिस्पर्धा और खींचतान के चलते बिजौरा विवादों में

ओम ट्रेडर्स, आर्या ट्रेडर्स और टेक्निकल टूल्स सेल्स पर मेहरबानी को लेकर शिकायत

रायपुर. बिजली घरों में बिजली सामानों की सप्लाई करने वालों की आपसी प्रतिस्पर्धा और खींचतान ने छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक निर्मल कुमार बिजौरा को लपेटे में ले लिया है. छत्तीसगढ़ राज्य पावर कम्पनीज बचाव संघर्ष समिति ने उनके खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखित में शिकायत भेजी है.

कोरबा में स्थापित कोरबा पूर्व, कोरबा पश्चिम, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप बिजली घरों सहित जल बिजली घरों के संचालन  में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बिजौरा ने जनवरी 2020 में राजेश वर्मा के इस्तीफे के बाद प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभाला था. इनहेंसमेंट आफ मैनेजमेंट स्किल पर नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन से प्रशिक्षण प्राप्त बिजौरा को दो बार पावर कंपनी प्रबंधन द्वारा मेरिटोरियस अवार्ड से अलंकृत किया चुका है, लेकिन इधर उन पर कोरबा के बिजली सामानों के सप्लायरों पर विशेष रुप से मेहरबान रहने का आरोप लगा है.

शिकायत में कहा गया है कि हसदेव ताप बिजली घर कोरबा पश्चिम में तैनात मुख्य अभियंता पंकज कोले और बीडी बघेल पूरी तरह से बिजौरा के चहेते हैं. उन्हें मलाईदार जगह पर टिके रहने के लिए ओम ट्रेडर्स के एसबी सिंह और आर्या ट्रेडर्स के विनय श्रीवास्तव ने आर्थिक मदद दी है. शिकायत में लिखा है कि बिजौरा के प्रबंध निदेशक बनने के बाद बहुत अधिक सामान सिंगल टेण्डर और अधिक रेट पर खरीदा जा रहा है. जबकि जिन सामानों की  खरीदी हो रही है उसकी खरीदी खुली निविदा में सस्ते दर पर हो सकती है. खरीदी का ज्यादा से ज्यादा आर्डर ओम ट्रेडर्स, आर्या ट्रेडर्स और मेसर्स टेक्निकल टूल्स सेल्स को दिया जा रहा है. शिकायत में सामान खरीदी के आदेश की कई प्रतियां संलग्न की गई है. शिकायत में एक अफसर कुलकर्णी की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाया गया है. कहा गया है कि कभी एक आर्डर में महीनों लग जाते थे, लेकिन ओम, आर्या और टेक्निकल टूल्स वालों को दस-बारह दिन में ही सामानों की सप्लाई का आर्डर थमा दिया जाता है. शिकायत में कोरबा पश्चिम के एक अक्षीक्षण अभियंता के तबादले और फिर नई पदस्थापना को लेकर भी जानकारी दी गई है. कहा गया है कि मार्च 2021 में अधीक्षण अभियंता कोरम को स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन अगस्त 2021 में उसे फिर उसी जगह वापस भेज दिया गया. यह चमत्कार कैसे हुआ.

खरीदी कमेटी तय करती है

जो भी शिकायत हुई है वह सप्लायरों की आपसी प्रतिस्पर्धा और खींचतान का नतीजा है. अब जिस किसी को भी आर्डर नहीं मिला होगा तो उसने शिकायत कर दी होगी. कौन सा सामान खरीदा जाएगा और कौन सा नहीं... इसका निर्धारण कमेटी करती है. जो भी शिकायत हुई है वह पूरी तरह से निराधार है. 

-निर्मल कुमार बिजौरा प्रबंध निदेशक सीएसपीजीसीएल

 

सप्लाई नियमानुसार

यह सही है कि ओम ट्रेडर्स को बिजली सामानों की सप्लाई का काम मिलता है. मैं छह-सात कंपनियों के द्वारा निर्मित सामानों की सप्लाई करता हूं. मैं अधिकृत डीलर हूं. जैसा आदेश मिलता है वैसा काम होता है. सारा कुछ नियमानुसार होता है.

एसबी सिंह, ओम ट्रेडर्स कोरबा

 

कोई गड़बड़ी नहीं

हम नियमानुसार काम हासिल करते हैं. कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है. अब किसी ने शिकायत कर दी है तो जांच हो जानी चाहिए.

विनय श्रीवास्तव, आर्या ट्रेडर्स कोरबा

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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में भी आ धमका है एक वर्दी वाला गुंडा

क्या पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी संज्ञान लेंगे ?

रायपुर. किसी जमाने में जासूसी उपन्यासकार वेदप्रकाश शर्मा का उपन्यास वर्दी वाला गुंडा बेहद लोकप्रिय हुआ था. बहुत बाद में इसी उपन्यास पर हिंदी और भोजपुरी में फिल्में भी बनी. यहां खबर में इस उपन्यास का जिक्र करने की आवश्यता सिर्फ इसलिए हो रही है क्योंकि छत्तीसगढ़ में वर्दी की आड़ में गरीबों और मजलूमों को प्रताड़ित करने का उपक्रम बदस्तूर जारी है.अभी कुछ दिनों पहले ही केमिकल लोचे से ग्रस्त एक पुलिस अधिकारी ने अपने ड्राइव्हर को पीट दिया था. जैसे ही इस बात की भनक मुख्यमंत्री को लगी उन्होंने पुलिस अधिकारी हटाने में देर भी नहीं लगाई. धमतरी जिले के अर्जुनी थाने में एक एएसआई को भी सिर्फ इसलिए निलंबित कर दिया गया है क्योंकि उसने एक युवक को झूठे मामले में फंसाने की धमकी देकर रिश्वत मांगी थीं. रायगढ़ के कोतरा थाना के उसरौट गांव के 26 साल के नौजवान ईश्वर ने अपने घर में इसलिए खुदकुशी कर ली क्योंकि पुलिस उसे बेवजह परेशान कर रही थीं. इधर कोरबा जिले में भी एक वर्दी वाले गुंडे के आ धमकने की खबर आम हो रही है.

कोरबा के बालको नगर में रहने वाले शशिकांत खलखो ने इस बारे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखित में शिकायत भेजी है. शशिकांत का कहना है कि जिस पुलिस अधिकारी की कोरबा में पदस्थापना हुई है वह थोड़े समय के लिए नारायणपुर में पदस्थ था. अधिकारी ने नारायणपुर पदस्थापना के दौरान अपने मोबाइल से धमकी दी थीं कि जिस दिन वह कोरबा में पदस्थ हो जाएगा उस दिन उसे और उसके परिवार को जान से मार देगा. शशिकांत ने बताया कि फोन पर धमकी मिलने के बाद उन्होंने कोरबा के पुलिस अधीक्षक और बालको थाना के प्रभारी को लिखित में शिकायत भी भेजी थीं, लेकिन किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक धमकी देने का टेप भी पुलिस अफसरों को मुहैय्या करवाया...लेकिन कोई हल नहीं  निकला. खलको ने बताया कि उनके बुर्जुग पिता आनंद पाल खलको को पुलिस ने बुरी तरह प्रताड़ित किया. थोड़े दिनों बाद साजिश रचते हुए उनके भाई पर जानलेवा हमला किया गया. यहां तक जब उनकी बहन वाचाकीर्ति स्कूटी से आ रही थीं तब एक कार से ठोकर मारकर उसे दुर्घटनाग्रस्त कर दिया गया. शशिकांत ने अपनी शिकायत में लिखा है- पुलिस अधिकारी नारायणपुर से कोरबा आ चुका है और अपनी पदस्थापना के पहले दिन से उसके घर के सामने से जोरदार ढंग से सायरन बजाकर गुजरता है. अप्रिय घटनाओं के घटित होने का सिलसिला लगातार जारी है.

अपना मोर्चा डॉट कॉम ने जब इस तरह की धमकी-चमकी के मूल कारणों के संबंध में शशिकांत से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि अधिकारी के पिता एवंउनके परिवार से जुड़े हुए लोग गलत ढंग से जमीन की खरीदी-बिक्री के खेल में लगे हुए हैं. अधिकारी ने वर्दी की आड़ में कोरबा जिले में ही अपने परिवार के नाम पर कई एकड़ जमीन खड़ी कर ली है और अब उसकी  पुश्तैनी जमीन पर भी नजर गड़ा ली है.

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रायपुर के प्रसिद्ध चिकित्सक सुनील खेमका और उनकी पत्नी मेघा खेमका पर फर्जीवाड़े का आरोप

श्री नारायण हास्पिटल के प्रबंध निदेशक और निदेशक की उच्च स्तरीय शिकायत

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित नारायण हास्पिटल के प्रबंध निदेशक डाक्टर सुनील खेमका और उनकी पत्नी मेघा खेमका पर बेंगलुरू कर्नाटक के रहने वाले कुशल शेट्टी इंद्राली ने फर्जीवाड़े का गंभीर आरोप लगाया है. इंद्राली शेट्टी इन दिनों देश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति और चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले डाक्टर बीआर शेट्टी के ग्रुप से जुड़े हुए हैं. गौरतलब है कि बीआर शेट्टी के ग्रुप ने नारायण हास्पिटल में अच्छा-खासा निवेश कर रखा है.

प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुइया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित देश की तमाम जांच एजेंसियों को भेजी गई एक शिकायत में रामा शेट्टी इन्द्राली के पुत्र कुशल शेट्टी ने कहा है कि हेल्थ टेक छत्तीसगढ़ प्राइवेट लिमिटेड से संबंद्ध सुनील व मेघा खेमका ने डाक्टर बीआर शेट्टी के ग्रुप को पहले तो अपने हास्पिटल में निवेश के लिए प्रेरित किया.जब खेमका की कंपनी फायदे में चलने लगी तो एक सोची-समझी योजना के तहत शेट्टी ग्रुप से कपटपूर्वक व्यवहार करते हुए फर्जीवाड़ा किया.

कुशल शेट्टी ने शिकायत में बताया है कि दिनांक 19 जुलाई 2013 को हरिशांति डेव्लपर्स, ज्यूपिटर डेल्कोम और हेल्थ-टेक प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक अनुबंध हुआ था. इस अनुबंध में यह साफ तौर पर उल्लेखित था कि निवेशकर्ता बीआर शेट्टी न केवल पूर्णकालिक निदेशक बनाए जाएंगे बल्कि सभी तरह का प्रबंधन बीआर शेट्टी को हस्तांतरित कर दिया जाएगा. सभी तरह का टैक्स अदा करने के बाद आय का 51 प्रतिशत बीआर शेट्टी को एवं 49 प्रतिशत सुनील व मेघा खेमका के बीच वितरित किया जाएगा.

शेट्टी के फर्जी हस्ताक्षर

कुशल शेट्टी का कहना है कि बीआर शेट्टी जब कभी भी बोर्ड आफ डायरेक्टर की बैठक का जिक्र करते तो सुनील खेमका व उनकी निदेशक पत्नी यह कहकर टाल जाते थे कि सब कुछ ठीक चल रहा है. बीआर शेट्टी एकाध बार ही कभी बैठक में शामिल हुए जबकि कई मर्तबा बोर्ड की मीटिंग हुई और हर बार उनके फर्जी हस्ताक्षर के साथ फर्जी उपस्थिति दर्शायी गई. शिकायतकर्ता का कहना है कि दिनांक एक जुलाई 2015, तीन मार्च 2017, पंद्रह सितम्बर 2017 और इक्कीस जून वर्ष 2018 को कथित बोर्ड की बैठक दर्शायी गई है जबकि इन तिथियो में बीआर शेट्टी किसी अन्य स्थानों पर थे. ( बैठक के दिन बीआर शेट्टी कहां और किस जगह की यात्रा पर थे इसका विस्तृत विवरण दस्तावेज के साथ शिकायत में संलग्न किया गया है.)

बोर्ड के प्रस्ताव के बिना ली धनराशि

शिकायतकर्ता का कहना है कि सुनील खेमका ने बोर्ड को विश्वास में लिए बगैर खातों में जबरदस्त ढंग से हेराफेरी की है. यहां तक बगैर किसी ब्याज के 85 लाख रुपए की धनराशि भी व्यक्तिगत तौर हासिल की है. जब बीआर शेट्टी को गड़बड़ियों की भनक लगी तो उन्होंने गौरव गुलेचा नाम के एक अंकेक्षक को भेजकर अंकेक्षण करवाया. तमाम खातों की जांच-पड़ताल के बाद करोड़ों रुपए की हेरा-फेरी विधि विरुद्ध कार्य की जानकारी हासिल हुई. अस्पताल के खातों को सही ढंग का दिखाने के लिए कई तरह कूटरचित दस्तावेज संलग्न किए गए हैं.

अधिक अंश दर्शाकर जालसाजी

शिकायतकर्ता का कहना है कि जब 19 जुलाई 2017 को निष्पादन हुआ था तब ज्यूपिटर डेल्कोम के 6,11,000 अंशों को बीआर शेट्टी को हस्तांतरित करने की बात कहीं गई थीं जबकि हकीकत यह थीं कि ज्यूपिटर डेल्कोम के अंशधारक रजिस्टर को अवलोकन करने के बाद यह बात सामने आई कि उसके पास उक्त तिथि में ज्यूपिटर के पास मात्र 4,06,000 equity शेयर ही थे. इसका स्पष्ट अर्थ है कि सुनील खेमका और उसकी पत्नी मेघा खेमका ने फर्जी आंकड़ों और दस्तावेजों के जरिए बीआर शेट्टी को गुमराह कर जालसाजी की. इतना ही नहीं बीआर शेट्टी के निवेश को लूटने के लिए खेमका और उसकी पत्नी ने हेल्थ टेक छत्तीसगढ़ प्राइवेट लिमिटेड के 10 रुपए वाले अंश को उसके वास्तविक मूल्य से कई गुना बढ़ाकर पेश किया. शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में और भी कई तरह के गंभीर और सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. एक आरोप वामपंथी अतिवादियों के इलाज और उनके धन के वित्तपोषण और समायोजन का भी है.

न्यायालय क्यों नहीं जाते शेट्टी

इधर डाक्टर सुनील खेमका ने यह माना है कि शेट्टी उनके पार्टनर है. खेमका का कहना है कि अनुबंध की शर्तों के हिसाब से शेट्टी को जो पेमेंट करना था वह उनके द्वारा नहीं किया गया. खेमका का कहना है कि शेट्टी के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और निराधार है. अगर उन्हें बहुत ज्यादा दिक्कत हैं तो उन्हें इधर-उधर जाने के बजाय न्यायालय की शरण ले लेनी चाहिए.

 

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जल जीवन मिशन योजना में धांधलीः मुख्यमंत्री का करप्शन पर वॉर

रायपुर. जल जीवन मिशन के ठेके में उपजे विवाद के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी टेंडर निरस्त करके एक जोरदार पहल की है.पानी की आपूर्ति के नाम पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में पदस्थ अफसरों द्वारा भारी गड़बड़ी किए जाने की शिकायत कांग्रेस के जिम्मेदार कार्यकर्ताओं के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंची थी. मुख्यमंत्री ने पहले तो जांच बिठाई ( जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है ) लेकिन कैबिनेट की बैठक में सभी टेंडर को निरस्त करके साफ-साफ यह संकेत दे दिया है कि छत्तीसगढ़ में गड़बड़ी और धांधली करने वाले अफसरों की खैर नहीं है. अब पूरे खेल में कौन लोग जिम्मेदार है इसका खुलासा तो रिपोर्ट के आने के बाद ही हो पाएगा, लेकिन माना जा रहा है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के ईएनसी एमएल अग्रवाल, मुख्य अभियंता अजय साहू और पीएचई मंत्री के ओएसडी कैलाश मढ़रिया पर गाज गिर सकती है. इसके अलावा टेंडर के खेल में शामिल कुछ बड़े ठेकेदार भी लपेटे में आ सकते हैं.

यह है पूरा मामला

गौरतलब है कि केंद्र की जल जीवन मिशन योजना के लिए राज्य को साढ़े सात हजार करोड़ रुपए की कार्य योजना तैयार कर टेंडर जारी करना था. छत्तीसगढ़ के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इसके लिए कई तरह के नियम-कानून के साथ टेंडर जारी किया. बताया जाता है कि प्रदेश के बाहर की लगभग 44 कंपनियों को काम दे दिया गया. जिन कंपनियों को ठेका दिया गया अगर वे योग्य होती तो शायद कोई बात नहीं उठती. टेंडर में हिस्सेदारी दर्ज करने वाली अधिकांश कंपनियां पाइप निर्माण करने वाली थी तो कुछ कंपनियां सोने-चांदी के कारोबार से संबंधित थीं. सूत्र कहते हैं कि कुछ ऐसे लोग भी काम हासिल करने में सफल हो गए जो पेट्रोल पंप और होटल के कारोबार से संबंधित थे. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मोटे तौर पर यह तय हुआ  था कि छत्तीसगढ़ के लोगों को ही ज्यादे से ज्यादा काम दिया जाएगा, लेकिन इस बड़े काम में ऐसा नहीं हुआ. बताया जाता है कि अफसरों ने सोची-समझी योजना के तहत बड़े टर्न ओवर वालों को बड़े जिले में काम थमा दिया और छोटे टर्न ओवर वाले छोटे जिले तक सीमित कर दिए गए. छत्तीसगढ़ के अधिकांश ठेकेदार बस्तर भेज दिए गए जबकि प्रदेश के बाहर के ठेकेदार जो नलजल योजना के काम से अनभिज्ञ थे वे मैदानी इलाकों का काम हासिल करने में सफल हो गए. खबर यह भी है कि बिना वर्क आर्डर दिए प्रभारी ईएनसी ने करोड़ों रुपए के काम का आवंटन भी कर दिया है. इस पूरे घटनाक्रम में एक कारोबारी और एक ओएसडी का विवादास्पद चैट भी चर्चा में हैं. हालांकि ओएसडी का कहना है कि कुछ लोगों ने उसे फंसाने के लिए साजिश रची है और शिकायत सामने आने के बाद वे सभी जगहों पर अपनी सफाई दे चुके हैं, लेकिन ठेकेदारों का आरोप है कि ओएसडी ने ही भ्रष्टाचार की चेन बनाई थी. नलजल योजना में गड़बड़ी के बाद जिन ठेकेदारों ने पीएचई मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार किया उसके पीछे भी ओएसडी की भूमिका थीं. बताया जाता है कि ओएसडी सी और डी श्रेणी के ठेकेदारों का टेंडर निरस्त किए जाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सभी टेंडर को  निरस्त कर दिया. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जब भी नए टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ होगी उसमें छत्तीसगढ़ में विभिन्न श्रेणियों में पंजीकृत ठेकेदार  लाभान्वित होंगे. इधर छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने मुख्यमंत्री के द्वारा टेडर निरस्त किए जाने के फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार में सभी श्रेणियों के ठेकेदार कामकाज को लेकर परेशान थे. वर्तमान सरकार के मुखिया से उम्मीद बंधी है कि वे कभी भी छत्तीसगढ़ वासियों का अहित नहीं होने देंगे.

 

 

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पत्रकार के साथ बदसलूकी का मामलाः कांकेर के थाना प्रभारी पर गिरी गाज

रायपुर. कांकेर के पत्रकार कमल शुक्ला पर किए गए हमले पर पत्रकारों की जांच समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक को परीक्षण कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. इस परिप्रेक्ष्य में कांकेर के थाना प्रभारी मोरध्वज देशमुख को लाइन हाजिर कर दिया गया है. उन्हें आगामी आदेश तक रक्षित केंद्र कांकेर में पदस्थ किया गया है. उनकी जगह गोण्डाहूर के उपनिरीक्षक राजेश राठौर को कांकेर का थाना प्रभारी नियुक्त किया गया है. जबकि रक्षित केंद्र कांकेर के निरीक्षक जवाहर गायकवाड़ गोण्डाहूर के थाना प्रभारी बनाए गए हैं. पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी ने जांच रिपोर्ट की अनुशंसा प्राप्त हो जाने के बाद निष्पक्ष विवेचना की कार्रवाई के लिए तीन सदस्यों की विशेष अनुसंधान टीम गठित की है. इस कमेटी में जगदलपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओपी शर्मा, कांकेर के उप पुलिस उप पुलिस अधीक्षक आकाश मरकाम और उपनिरीक्षक राजेश राठौर शामिल किए गए हैं.

 

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कांकेर में पत्रकार कमल शुक्ला के ऊपर किए गए हमले का असली सच आया सामने

जांच समिति ने सौंपी रिपोर्ट

रायपुर. कांकेर के पत्रकार कमल शुक्ला के ऊपर किए गए हमले का सच सामने आ गया है. मामले की जांच के लिए गठित समिति के सदस्य राजेश जोशी, सुरेश महापात्र, रुपेश गुप्ता, अनिल द्विवेदी और शगुफ्ता शरीन ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी. समिति ने हमले की घटना के लिए कई कारणों को जिम्मेदार मानकर कांकेर थाने के समूचे स्टाफ और पुलिस अधीक्षक पर कार्रवाई की अनुशंसा की है. समिति ने माना है कि इस तरह की घटना को रोकने के लिए किसी भी सूरत में पत्रकार सुरक्षा कानून का लागू होना बेहद अनिवार्य है. समिति ने मामले में कई गंभीर धाराओं को जोड़ने की सिफारिश भी की है, लेकिन कई बिन्दुओं में पत्रकार कमल शुक्ला और उनके साथ जुड़े लोगों के आचार-व्यवहार पर भी सवाल उठाए हैं. समिति ने घटना की पृष्ठभूमि, सभी पक्षों की संलिप्तता, भूमिका, पुलिस प्रशासन की भूमिका, पब्लिक डोमन में उपलब्ध आरोपों की पड़ताल जैसे बिन्दुओं पर अपनी जांच केंद्रित रखी थीं. मुख्यमंत्री को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में 16 पेज का मूल प्रतिवेदन और 450 पेज के अन्य दस्तावेज शामिल है.

घटना के पीछे कई कारण सामने आए हैं. एक महत्वपूर्ण कारण पांच हजार रुपए का विज्ञापन भी है. बताया जाता है कि कमल शुक्ला ने विधायक शिशुपाल सोरी का एक विज्ञापन प्रकाशित किया था जिसके भुगतान में विलंब हो गया था. जब सोरी के प्रतिनिधि ने विज्ञापन की राशि भेजी तो कमल शुक्ला ने पैसे लेने से इंकार किया. समिति के सदस्यों ने कई लोगों से मुलाकात के बाद वाट्सअप चैट की स्क्रीन शाट एकत्रित की है. एक जगह कमल शुक्ला लिखते हैं- आज से आदर मत करना भाई. मुझे सब पता है आप लोग क्या कर रहे हो. मैं यहां की राजनीति छोड़कर रायपुर चला गया पर कल से अपना काम कांकेर में शुरू कर दिया हूं. अब कांकेर के विकास में आप लोगों की भूमिका को मेहनत से पूरे देश में पहुंचाने की कोशिश करूंगा. आज आपने जिस तरह से मुझको सहयोग किया ऐसा ही सहयोग सुमित्रा मारकोले ने भी किया था. ऐसा ही सहयोग शंकर  ध्रुवा ने भी किया था.

मारपीट की घटना की पृष्ठभूमि में एक विवाद नजूल की जमीन पर कब्जे को लेकर भी जुड़ा है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में इसका भी जिक्र किया है. समिति ने लिखा है- प्रदेश सरकार ने नजूल की जमीन पर कब्जा शुल्क लेकर कब्जेदार को पट्टा देने की बड़ी योजना लागू की है. कांकेर में सड़क चौड़ीकरण और कुछ विकास कामों के लिए कोशिश चल रही है. कई पत्रकारों ने नजूल की भूमि पर कब्जा कर रखा है. प्रशासन ने कुछ को नोटिस भेजा तो विवाद और टकराव बढ़ गया. कांकेर के पत्रकार कमल शुक्ला और सतीश यादव को भी यह नोटिस भेजा गया तो नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ठाकुर को लेकर सतीश यादव ने अपने फेसबुक पर व्यक्तिगत टिप्पणियां लिखी. रिपोर्ट में और भी कई सारे तथ्य ऐसे हैं जो यह बताने के लिए काफी है कि मामला पूरी तरह से एकतरफा नहीं है. यह घटना दुर्भाग्यजनक और शर्मनाक तो है ही, लेकिन मौजूद तथ्य यह बताने के लिए भी काफी है कि पत्रकार और पत्रकारिता क्यों बदनाम है? यह रिपोर्ट पत्रकारिता की आड़ में गोरखधंधा करने वालों का पर्दापाश तो करती है वहीं राजनीति और प्रशासन की भूमिका को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करती है. समिति ने मीडिया के भीतर विमर्श पर भी जोर दिया है. समिति के सदस्यों का कहना है कि एक पत्रकार के रुप में लक्ष्मण रेखा कहां तक होनी चाहिए यह मीडिया को सोचना है. उसका अपना दायरा क्या है. कांकेर में जो कुछ घटित हुआ उसमें कमल शुक्ला और सतीश यादव ने पत्रकारिता से बेपटरी होकर अपनी निजी नाराजगी को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रस्तुत किया जिसके चलते दोनों के साथ गंभीर घटना घटित हुई. पूरे घटनाक्रम में अहं का टकराव साफ-साफ दिखाई देता है. यह स्थिति संवादहीनता से पैदा होती है. समिति ने माना है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति नहीं होनी चाहिए. ऐसी किसी भी घटना को रोका जाना चाहिए. इधर समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक को जांच रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

 

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दागी अफसर को बना दिया प्रमुख अभियंता

रायपुर. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री टीएस सिंहदेव की छवि बेहद साफ-सुथरी है,लेकिन उनके विभाग के अफसर ही उनकी छवि को बट्टा लगाने के खेल में लगे हुए हैं.अब इस बात की जानकारी मंत्री टीएस सिंहदेव को है या नहीं यह तो नहीं मालूम, लेकिन हाल के दिनों में एक दागी अफसर को विकास आयुक्त कार्यालय का प्रमुख अभियंता बना दिया गया है.

इस दागी अफसर का नाम है एसएन श्रीवास्तव. जब एसएन श्रीवास्तव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चीफ इंजीनियर के प्रभार में थे जब एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके कई ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थीं. इस छापे में 2.72 करोड़ रुपए की संपत्ति का खुलासा हुआ था. ब्यूरो को अम्लीडीह के लेविस्टा कालोनी में एक बेशकीमती मकान होने की जानकारी मिली थीं. इसके अलावा बिलासपुर के रामग्रीन सिटी, जबलपुर और छतरपुर में मकान और 20 एकड़ जमीन के दस्तावेज मिले थे. इधर पूरे चार साल बीत जाने के बाद भी एंटी करप्शन ब्यूरो एसएन श्रीवास्तव के खिलाफ चालान पेश नहीं कर पाया है. बताते हैं कि ब्यूरो की तरफ से कई मर्तबा विभाग से अनुमति मांगी गई है, लेकिन कोई न कोई पेंच निकालकर अंतिम कार्रवाई को टाला जाता रहा है.

यहां बताना लाजिमी है कि एंटी करप्शन ब्यूरो ने जब वर्ष 2016 में छापे की कार्रवाई की थीं तब पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने श्रीवास्तव को चीफ इंजीनियर के प्रभार से हटाते हुए मंत्रालय में अटैच कर दिया था. सामान्य प्रशासन विभाग ने यह हिदायत भी दे रखी है कि जो अफसर दागी है उसे किसी भी तरह से महत्वपूर्ण ओहदा न दिया जाय. यहां तक फील्ड में काम भी न लिया जाय. विभाग के इस निर्देश के बाद यह उम्मीद की जा रही थीं कि श्रीवास्तव जैसे दागी अफसरों को महत्वपूर्ण काम नहीं मिलेगा, लेकिन उल्टा हो गया. श्रीवास्तव को कई महत्वपूर्ण जवाबदारी देते हुए इन दिनों पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के विकास आयुक्त कार्यालय का प्रमुख अभियंता बना दिया गया है. उनकी यह नियुक्ति विकास आयुक्त कार्यालय के अफसर एसके गुप्ता के स्थान पर की गई है जो इसी महीने सेवानिवृत हुए हैं.

सूत्र बताते हैं कि एसएन श्रीवास्तव ने अंबिकापुर के किसी अजय नाम के शख्स के जरिए राजधानी रायपुर में अपनी जड़े जमा ली है. बहरहाल एक दागी अफसर को नई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपे जाने से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में हलचल मची हुई है. विभाग के छोटे-बड़े सभी तरह के अफसर यह कहने को मजबूर हुए है कि...दागी सच्चे हैं... और दाग अच्छे हैं.

 

 

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ऊर्जा विभाग में ओएसडी रहे रत्नम ने किया वेतन घोटाला... मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से शिकायत

रायपुर. छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन को सत्रह महीने बीत चुके हैं. इस बीच पुरानी सरकार के एक से बढ़कर एक घोटाले सामने आते रहे. घोटालों के उजागर होने का सिलसिला अब भी थमा नहीं  है. अभी हाल के दिनों में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी के सेवानिवृत मुख्य अभियंता वीरेंद्र बिलैया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मय दस्तावेज जानकारी भेजकर आरोप लगाया है कि ऊर्जा विभाग में विशेष सचिव की हैसियत से पदस्थ रहे एमएस रत्नम ने अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए वेतन निर्धारण में बड़ा घोटाला किया है.

शिकायतकर्ता  जो जानकारी भेजी है उसके अनुसार एसबी अग्रवाल स्टेट पावर जनरेशन कंपनी में एमडी बनाए गए थे. इस कंपनी में एमडी बनने के पहले वे एनटीपीसी में पदस्थ थे और वर्ष 2010 में सेवानिवृत हो चुके थे, लेकिन एमएस रत्नम ने मार्च 2014 के वेतन को आधार बनाकर उसका निर्धारण किया जो पूरी तरह से गलत था. एनटीपीसी के कार्यपालक निदेशक को मई 2015 में 3,09,654 वेतन मिलता था जबकि श्री अग्रवाल को प्रतिमाह 3,75,000 रुपए ( तीन साल तक का भुगतान किया जाता रहा. इतना ही नहीं रत्नम ने बिजली बोर्ड के एक दूसरे एमडी केआरसी मूर्ति की संविदा नियुक्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनके वेतन निर्धारण में सारा रिकार्ड ही तोड़ दिया था. मूर्ति भी एनटीपीसी से आए थे. उन्हें सेवानिवृति के समय मूल वेतन, महंगाई भत्ता, परफार्मेश लिंकड, मकान भत्ता, अवकाश नगदीकरण, अटेन्डेट एलाउंस सहित प्रतिमाह 5 लाख 54 हजार 755 रुपए का भुगतान किया जाता रहा. छत्तीसगढ़ में सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को संविदा नियुक्ति दिए जाने की स्थिति में वेतन निर्धारण के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. बिजली कंपनी से सेवानिवृत हुए व्हीके श्रीवास्तव, एनटीपीसी से सेवानिवृत हुए अरुण शर्मा को सरकार ने छत्तीसगढ़ नियामक आयोग का सदस्य बनाया था. यहां तक सेवानिवृत न्यायाधीश आरबी सिंह भी लोकपाल बनाए गए थे. इन सभी को छत्तीसगढ़ राज्य संविदा नियुक्ति के अनुसार ही वेतन दिया जाता था, लेकिन एसबी अग्रवाल और केआरसी मूर्ति के वेतन निर्धारण के दौरान संविदा नियम के तहत होने वाले वेतन निर्धारण की धज्जियां उड़ा दी गई. जबकि जनरेशन कंपनी के एमडी पद के लिए अखबारों में जो विज्ञापन प्रकाशित किया गया वह 45900-76300 +5000 था.

नहीं था वेतन निर्धारण का अधिकार 

शिकायत में इस बात का भी उल्लेख है कि एमएस रत्नम बिजली उत्पादन कंपनी के अधिकारी थे. सरकार ने अपनी सुविधा के लिए उन्हें ऊर्जा विभाग में विशेष सचिव का ओहदा दिया था. नियमानुसार मूल रुप से ऊर्जा विभाग का ही कोई अधिकारी वेतन निर्धारण का काम कर सकता था, लेकिन रत्नम ने अवैधानिक ढंग से अपने चहेतों का वेतन निर्धारण किया. बिलैया का आरोप है कि रत्नम ने यह सब कुछ इसलिए किया क्योंकि वे अग्रवाल और मूर्ति के माध्यम से बिजली बोर्ड से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रमोशन व तबादला कर भ्रष्टाचार करते थे. एसबी अग्रवाल वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक प्रबंध निदेशक बने रहे. इसी दौरान मड़वा प्रोजेक्ट की लागत कई गुणा बढ़ गई. इस प्रोजेक्ट के चलते कई हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. शिकायतकर्ता का कहना है कि रत्नम ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सरकार के कोष को चूना लगाने का काम किया है. जिन अधिकारियों को अतिरिक्त राशि का भुगतान किया गया है उनसे ब्याज सहित वसूली कर कठोर कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए.

19 साल तक मंत्रालय में पदस्थापना का रिकार्ड

मंत्रालय में 19 साल तक प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ रहने का रिकार्ड भी एमएस रत्नम के नाम पर है. राज्य निर्माण से लेकर अब तक कई तरह के सचिव, मुख्य सचिव सेवानिवृत होकर घर बैठ गए,लेकिन रत्नम का कोई बाल बांका नहीं कर पाया. जब वे बिजली बोर्ड से मंत्रालय भेजे गए थे तब कार्यपालन अभियंता बनकर गए थे लेकिन जल्द ही उन्हें विशेष सचिव का दर्जा मिल गया. बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि रत्नम कभी खुद को पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का करीबी बताकर बचते रहे हैं तो कभी शिवराज सिंह का करीबी बनकर. उन पर संविदा में पदस्थ एक ऐसे अधिकारी का भी वरदहस्त रहा है जो इन दिनों सब कुछ छोड़-छाड़कर दिल्ली जा बसा है. प्रदेश में ठीक लोकसभा चुनाव से पहले जगह- जगह बिजली कटौती का खेल चला था तब इस खेल में रत्नम की भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे. बिजली बोर्ड अभियंता संघ के एक प्रमुख पदाधिकारी का कहना है कि छत्तीसगढ़ जब अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब बस्तर के बारसूर प्रोजेक्ट में एमएस रत्नम की तैनाती की गई थी. रत्नम मुख्य रुप से सिविल इंजीनियर है जबकि बिजली विभाग का कामकाज समझने के लिए इलेक्ट्रिक इंजीनियर होना अनिवार्य है. पदाधिकारी का कहना है कि एक सिविल इंजीनियर की वजह से ऊर्जा विभाग को कई बार आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और सीबीआई की जांच प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा है.

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