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छत्तीसगढ़ में फिर उभरा भाजपा का अफसर प्रेम

छत्तीसगढ़ में फिर उभरा भाजपा का अफसर प्रेम

रायपुर. छत्तीसगढ़ में 2003 से लेकर 2018 तक काबिज रही रमन सिंह की सरकार नौकरशाहों की मनमर्जियों को जबरदस्त ढंग से बढ़ावा देने के लिए बदनाम रही है. इस साल नवम्बर में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का अफसर प्रेम साफ-साफ दिखाई दे रहा है. भाजपा ने रायगढ़ जिले के ब्यांग गांव के रहने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अफसर ओपी चौधरी को रायगढ़ से और  बस्तर के अंतागढ़ क्षेत्र में रहने वाले नीलकंठ टेकाम को केशकाल से प्रत्याशी बनाया है. भाजपा के अफसर प्रेम का आलम यह है कि राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की तरफ से जो सूची जारी की है उसमें दोनों अफसरों के नाम के आगे बकायदा पूर्व आईएएस लिखा गया है. ( गोया... अफसर होना भगवान हो जाना हो. )

वर्ष 2005 बैच के अफसर ओपी चौधरी बस्तर के दंतेवाड़ा और फिर राजधानी रायपुर में कलक्टर रह चुके हैं. वर्ष 2018 के अगस्त महीने में जब उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर भाजपा प्रवेश किया तब देशभर में यह चर्चा चलती रही कि क्या एक अफसर सरकारी नौकरी में रहते हुए जनता की सेवा नहीं कर सकता था ? हालांकि ओपी चौधरी जब सरकारी सेवा में थे तब भी उनका नाम विवादों से जुड़ता रहा है. उन पर दंतेवाड़ा की सुरभि कालोनी की बंधक रखी हुई जमीन को नियम विरुद्ध जाकर मुक्त करने का आरोप है. बताया जाता है कि दंतेवाड़ा की 8 एकड़ में बनी सुरभि कालोनी के 41बंधक प्लॉट नियम विरुद्ध मुक्त किए गए थे. इन प्लाट्स की कीमत 2.5 करोड़ रुपए से भी अधिक है. वर्ष 2005 में इस कॉलोनी का लाइसेंस जारी हुआ था. तब कालोनी की पन्द्रह फीसदी भूमि गरीब वर्ग के लिए आरक्षित थी. इस भूमि के 41 प्लॉट दंतेवाड़ा नगर पालिका के पास बंधक थे. चौधरी का जब दंतेवाड़ा से तबादला हुआ तब उनकी जगह दंतेवाड़ा कलक्टर बने केसी देवसेनापति ने मामले की जांच करवाई थीं. कुछ समय पहले इस मामले की दोबारा फाइल खोली गई है. हालांकि ओपी चौधरी अपने ऊपर लगे हुए तमाम आरोपों को राजनीति से प्रेरित मानते हैं.

कलक्टर से राजनेता बने ओपी चौधरी ने जब पहली बार खरसिया सीट से चुनाव लड़ा था तब उनका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था. इस वीडियो में यह कहते हुए नजर आए थे कि जिसने भी उनका साथ नहीं दिया तो वे उन पर कहर बनकर टूटेंगे. नौकरशाही के रुआब से भरे इस बयान के बाद वे नंदकुमार पटेल के पुत्र उमेश पटेल से चुनाव हार गए थे. इस हार के बाद उन्होंने अपनी सीट बदल ली.अब वे रायगढ़ से भाजपा के प्रत्याशी है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे भाजपा और मतदाताओं के भरोसे पर खरे उतर पाते हैं या नहीं.

भाजपा ने केशकाल सीट पर जिस नए प्रत्याशी नीलकंठ टेकाम को मौका दिया है वे भी भारतीय प्रशासनिक सेवा 2008 बैच के अफसर है. टेकाम लगभग ढाई साल तक कोंडागांव जिले के कलक्टर रह चुके हैं. टेकाम के बारे में यह बात प्रचारित है कि उन्हें केशकाल का बच्चा-बच्चा जानता है सो केशकाल में उनकी जबरदस्त पकड़ है. इस चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि वाकई जनता के बीच उनकी कोई पकड़ है भी या नहीं ?

रायपुर के मुरा गांव में जन्मे गणेश शंकर मिश्रा पदोन्नत होकर भारतीय सेवा के अफसर बने थे. खबर है कि वे धरसींवा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन इस सीट पर भाजपा ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के कलाकार अनुज शर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. हालांकि अनुज शर्मा को भी भीतरघात का सामना करना पड़ सकता है. इधर यह चर्चा भी चल पड़ी है कि भाजपा बेमेतरा सीट से गणेश शंकर मिश्रा को चुनाव समर में उतार सकती है. हालांकि इस सीट से जोगी कांग्रेस से हाल के दिनों में भाजपा प्रवेश करने वाले योगेश तिवारी, जिला पंचायत सदस्य राहुल टिकरिहा और अवधेश चंदेल की दावेदारी भी प्रबल मानी जा रही है. वैसे यह अभी तक साफ नहीं है कि बेमेतरा से भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा. यदि गणेश शंकर मिश्रा पर दांव लगाया जाता है तो भाजपा के तीन अफसर प्रत्याशी चुनाव समर में नजर आएंगे.

वैसे लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने और अपनी जमीन तैयार करने का अधिकार है, लेकिन अजीत जोगी ( जोगी भी नौकरशाह रहे हैं. ) से तनातनी के बीच वरिष्ठ राजनेता विद्याचरण शुक्ल पत्रकारों से चर्चा के दौरान अक्सर कहा करते थे- नौकरशाह... राजनेता तो बन जाते हैं, लेकिन उनके भीतर का रुआब चाहकर भी बाहर निकल नहीं पाता...इसलिए नौकरशाह जनता के दिलों में जगह नहीं बना पाते हैं. शुक्ल यह भी कहते थे- राजनीति धाराओं और कंडिकाओं से नहीं बल्कि जनता की भावनाओं और जरूरतों से संचालित होती है.

-राजकुमार सोनी

98268 95207

 

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