बड़ी खबर
जिसे मुकेश गुप्ता और सेंगर ने फंसाया उसे अदालत ने बचाया
रायपुर. प्रदेश के जिस खनिज अधिकारी को आय से अधिक संपत्ति रखने तथा साजिश रचने के आरोप में ईओडब्लू के चीफ मुकेश गुप्ता और निरीक्षक आरएन सिंह सेंगर ने फंसाया था अदालत ने उसे दोषमुक्त मानते हुए बरी कर दिया है. अदालत ने खनिज अधिकारी कुंदन बंजारे और उसके पिता कामता प्रसाद बंजारे को फंसाने के मामले में केबी ग्रुप से जुड़े निशांत जैन की भूमिका को भी षडयंत्र का हिस्सा माना है.
पिछले 30 मई 2019 को विशेष न्यायाधीश ( भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत प्राधिकृत ) खिलावन राम गिरी ने अपने फैसले में कहा कि जो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया उसमें निशांत जैन के नाम से पंजीकृत एक इनोवा कार को भी अभियुक्त कुंदन बंजारे का बता दिया गया था. प्रकरण में 45 लाख रुपए जप्त किए गए थे जिसे कुंदन बंजारे का बताया गया था लेकिन उस पर किसी ने कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया. न्यायाधीश ने इस प्रकरण में जांच की आवश्यकता बताते हुए विधि के अनुसार कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि संचालनालय भौमिकी और खनिकर्म विभाग में उपसंचालक की हैसियत से पदस्थ कुंदन बंजारे के ठिकानों पर ईओडब्लू ने एक फर्जी शिकायत के आधार छापामार कार्रवाई की थी. जब यह कार्रवाई हुई तब ईओडब्लू के चीफ मुकेश गुप्ता थे. खनिज अधिकारी के बारे में यह कहा गया था उसने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है और अपने पिता कामता प्रसाद बंजारे, कल्याणी बंजारे और कमलेश कुमार बंजारे के नाम से बेनामी संपत्ति क्रय की. ईओडब्लू ने छापामार कार्रवाई के दौरान 45 लाख रुपए भी जप्त किए. न्यायालय में यह बात भी सामने आई कि खनिज विभाग में पदस्थ रहने के दौरान कुंदन बंजारे ने अवैध उत्खनन के कई मामले बनाए थे. इन मामलों से कहीं न कही निशांत जैन जुड़े हुए थे. खनिज अधिकारी रहने के दौरान कुंदन बंजारे पेनाल्टी लगाया करते थे जिससे निशांत जैन चिढ़ गया था. न्यायालय में यह भी साफ हुआ कि निशांत जैन अभियुक्त बंजारे की कार्रवाई से दुखी था. इस मामले की पड़ताल निरीक्षक आरएन सेंगर ने की थी. न्यायालय ने यह माना कि सेंगर ने समयाभाव बताते हुए कुछ जरूरी कार्रवाई निशांत जैन के दफ्तर में संपन्न की थी. अदालत ने कहा कि निरीक्षक सेंगर को यह पता था कि जिस 45 लाख की वह जप्ती बना रहा है वह निशांत जैन के पास ही रखी गई थी.
न्यायालय द्वारा कुंदन बंजारे और उसके पिता कामता बंजारे को दोषमुक्त किए जाने से यह साफ हो गया है कि पिछली सरकार में ईओडब्लू झूठी शिकायतों के आधार पर बेगुनाह लोगों को फंसाया करती थी. एक इंजीनियर आलोक अग्रवाल को फंसाए जाने के मामले में भी उनके भाई पवन अग्रवाल ने सवाल उठाए हैं. इधर खबर है कि दोषमुक्त हो जाने के बाद कुंदन बंजारे ईओडब्लू चीफ और निरीक्षक सेंगर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने को लेकर कानूनी सलाह ले रहे हैं.
विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता पर एक और मामला दर्ज
राजकुमार सोनी
रायपुर. देश के सबसे विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता पर एक और मामला दर्ज कर लिया गया है. यह मामला माणिक मेहता की शिकायत के बाद दर्ज किया गया है. माणिक मेहता वहीं है जिनकी बहन मिक्की मेहता से मुकेश गुप्ता ने पहली पत्नी रहने के बाद भी विवाह किया था और बाद में संदिग्ध परिस्थियों में मिक्की की मौत हो गई थी. फिलहाल माणिक की शिकायत पर दुर्ग जिले की सुपेला पुलिस ने गुप्ता पर धारा 409, 420, 467, 468, 471, 201 एवं 421 के तहत मामला पंजीबद्ध किया है. गौरतलब है कि कुछ माह पहले ही मुकेश गुप्ता पर नागरिक आपूर्ति निगम में हुए घोटाले की जांच के दौरान अवैध ढंग से फोन टैपिंग का मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा उनकी करीबी रेखा नायर पर भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में ईओडब्लू ने प्रकरण पंजीबद्ध किया है. मुकेश गुप्ता पिछले कई महीनों से निलंबित है. निलंबन अवधि के दौरान उन्हें पुलिस मुख्यालय में अपनी आमद देनी है, लेकिन उन्होंने एक मर्तबा भी अपनी आमद नहीं दी है. उन पर विभागीय जांच भी लंबित है. कई बार नोटिस जारी किए जाने के बाद भी वे विभागीय जांच में बयान देने के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं.
बहरहाल पुलिस ने जो मामला दर्ज किया है उसके मुताबिक मुकेश गुप्ता वर्ष 1998 के जून माह में दुर्ग में पुलिस अधीक्षक थे. इस दौरान वे भिलाई साडा में पदेन सदस्य भी थे. माणिक का आरोप है कि उन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए मोतीलाल नेहरू आवासीय योजना ( पश्चिम ) में ब्लाक क्रमांक 67, भूखंड क्रमांक 5 कुल 540 वर्ग मीटर का आवंटन अपने नाम से प्राप्त कर लिया था. माणिक मेहता ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है किमुकेश गुप्ता ने 9 जून 1998 को कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर 2928 वर्ग फुट के आबंटित भूखण्ड के स्थान पर, उससे लगभग दोगुने भूखण्ड ( 5810.40 वर्ग फुट ) की 11 जून 1998 को रजिस्ट्री अपने नाम से करवा ली थी, जबकि चैक की राशि 13 जून 1998 को जमा हुई थी. यानी कि बिना पैसे दिए ही मुकेश गुप्ता ने विघटित हो चुके साडा से अपने नाम उक्त जमीन करवा ली थी.
इस जमीन जमीन को खरीदने के पश्चात मुकेश गुप्ता ने पुलिस विभाग को किसी तरह की कोई सूचना नहीं दी और बगैर अनुमति के उस जमीन पर बेशकीमती इमारत भी बनवा ली. जब इस मामले की चर्चा होने लगी तब मुकेश गुप्ता ने इस मकान को 42 लाख में बेच दिया और दिल्ली में एक करोड़ 5 लाख रुपए से एक दूसरा मकान खरीद लिया.माणिक ने पुलिस को बताया कि मुकेश गुप्ता ने विभाग को पहले इस बात की सूचना दी थी कि वह अपने मकान को 27 लाख रुपए में बेचना चाहता है. लेकिन फिर उन्होंने विभाग को यह सूचित किया कि अब सौदा निरस्त हो गया है. लेकिन फिर अगले दिन ही एक नए विक्रेता से उसी संपत्ति का सौदा 42 लाख में कर लिया.
माणिक का कहना है कि दिल्ली में खरीदे गए मकान में एक नंबर के पैसों की व्यवस्था नहीं हो पाई थी. यह भी समझना होगा कि कोई विवादित व्यापारी एक आला पुलिस अफसर की संपत्ति को बाजार मूल्य से डेढ़ गुना मंहगी क्यों खरीदेगा. माणिक का आरोप है कि गुप्ता ने साड़ा भिलाई के भंग होने के बाद कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर भूखंड की रजिस्ट्री अपने नाम से करवाई थी. इधर खबर है कि मुकेश गुप्ता से प्रताड़ित लगभग 25 लोगों ने सरकार के साथ-साथ विभिन्न थानों में आवेदन दे रखा है. इनमें कुछ महिलाओं के आवेदन भी शामिल है.आवेदन में छत्तीसगढ़ में सुपर सीएम के नाम से विख्यात संविदा में पदस्थ एक अफसर का भी खास तौर पर उल्लेख है. एक आवेदन में तो इस बात का भी उल्लेख है कि संविदा में पदस्थ अफसर ने पुलिस मेंस और फार्म हाउस में कब-कब किस घटना को अंजाम दिया था. इधर वरिष्ठ पुलिस अफसर गिरधारी नायक ने भी मिक्की मेहता संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. कहा जा रहा है कि विधानसभा सत्र से पहले सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे सकती है.
पीडब्लूडी में अटके प्रमोशन से सीएम खफा
रायपुर. प्रदेश का पीडब्लूडी विभाग ही एक ऐसा विभाग है जहां नीचे से लेकर ऊपर तक कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रमोशन अटका हुआ है. मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीडब्लूडी की समीक्षा बैठक के दौरान अटके हुए प्रमोशन को लेकर अप्रसन्नता व्यक्त की तो अफसर बगले झांकने लगे.मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि जब यदि किसी कर्मचारी और अधिकारी को सही समय पर पदोन्नति नहीं मिलती है तो वह निरुत्साहित हो जाता है. जिसका जो वाजिब हक है वह उसे मिलना चाहिए. मुख्यमंत्री जब यह टिप्पणी कर रहे थे तब विभाग के सचिव अनिल राय और अन्य अफसर मौजूद थे.
गौरतलब है कि पीडब्लू विभाग में कर्मचारियों और अफसरों की पदोन्नति का मामला लंबे समय से अटका पड़ा है. कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच इतनी अधिक खींचतान है कि हर कोई एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ में लगा रहता है. दूसरों की अयोग्यता की वजह से कुछ योग्य प्रमुख अभियंता इसलिए पिछड़ गए हैं क्योंकि वे किसी को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते. कुछ अभियंताओं ने नाइंसाफी से परेशान होकर बकायदा कोर्ट की शरण ले रखी है. मुख्यमंत्री ने जब पदोन्नति की बात उठाई तो ऐसा लग रहा था कि वे विभाग की रग-रग से वाकिफ है.
मंगाई स्काई वॉक की ओरिजनल फाइल
बैठक ने मुख्यमंत्री ने स्काई वॉक की उपयोगिता को लेकर अफसरों से सवाल भी पूछे. एक अफसर ने कहा कि पुरानी सरकार ने पैसा खर्च किया है तो स्काई वॉक को तोड़ना ठीक नहीं होगा. मुख्यमंत्री बघेल ने सवाल किया- भले ही जनता कष्ट उठाती रहे. उन्होंने अफसरों से स्काई वॉक योजना की ओरिजनल फाइल को उनके सामने प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. ज्ञात हो कि भाजपा के शासनकाल में कोरी नाम के एक इंजीनियर ने स्काई वॉक का प्रस्ताव तैयार किया था जबकि मंजूरी उन अफसरों ने ही दी थी जो अब भी पीडब्लूडी में ही तैनात है. इन अफसरों में वन विभाग के अफसर अनिल राय जो लंबे समय से पीडब्लूडी में तैनात है ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं. मुख्यमंत्री ने बैठक में अफसरों और मंत्रियों के बंगले के निर्माण की धीमी गति को लेकर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि जब तक अफसर और मंत्री नवा रायपुर में नहीं रहेंगे तब तक आम जनता से अपेक्षा करना बेकार है. मुख्यमंत्री ने बस्तर के माओवाद प्रभावित इलाकों में स्थानीय युवकों को रोजगार देने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए. उन्होंने कहा कि बस्तर में जो सड़क का जो भी काम होगा उसमें स्थानीय भागीदारी आवश्यक रुप से सुनिश्चित होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने नेशनल हाइवे की गुणवत्ता को लेकर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि अधिकांश जगह से यही शिकायत मिल रही है कि सड़कें खराब बन रही है.उन्होंने गुणवत्ता का ध्यान रखने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि रायपुर और बिलासपुर के बीच की सड़क भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है. लोकनिर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने समयबद्ध कार्यक्रम बनाकर कार्य करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अक्सर अधिकारी समस्या बताते रहते हैं, लेकिन वे इस बात का ख्याल नहीं रखते कि समस्या का समाधान कैसे निकल सकता है.
बिजली बोर्ड का अधिकारी 19 साल से मंत्रालय का बादशाह
रायपुर. बिजली बोर्ड का एक अधिकारी एमएस रत्नम गत 19 सालों से छत्तीसगढ़ मंत्रालय का बादशाह बना हुआ है. बताते हैं कि राज्य निर्माण से लेकर अब तक कई तरह के सचिव, मुख्य सचिव सेवानिवृत होकर घर बैठ गए,लेकिन रत्नम जहां के तहां है. कई तरह की गंभीर शिकायतों के बावजूद कोई उनका बाल-बांका नहीं कर पाया. जब वे बिजली बोर्ड से मंत्रालय भेजे गए थे तब कार्यपालन अभियंता थे. अब मुख्य अभियंता है. हालांकि मंत्रालय में उन्हें विशेष सचिव का दर्जा मिला हुआ है. बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि रत्नम कभी खुद को पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का करीबी बताकर बचते रहे हैं तो कभी शिवराज सिंह का करीबी बनकर. उन पर संविदा में पदस्थ एक ऐसे अधिकारी का भी वरदहस्त रहा है जो इन दिनों सब कुछ छोड़-छाड़कर दिल्ली जा बसा है. बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी तब संविदा में पदस्थ संरक्षणकर्ता अफसर को भाजपा के लोग ही सुपर सीएम कहा करते थे.
बिजली विभाग के अनेक अधिकारियों ने समय-समय पर रत्नम के कारनामों के बारे में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को जानकारी दी है. अभी हाल के दिनों में कुछ अधिकारियों ने रत्नम के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तारपूर्वक बताया है. अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में जगह-जगह बिजली कटौती का जो खेल चल रहा है उस खेल में रत्नम के अलावा कुछ ऐसे अफसर संलिप्त है जो यह मानने को तैयार नहीं है कि प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार है. पन्द्रह सालों तक स्वामी भक्ति में लिप्त रहे अफसर भूपेश सरकार को बदनाम कर अभी से भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की जुगत में लग गए हैं. हालांकि मुख्यमंत्री ने गुणा-भाग को पहले ही भांप लिया और यह बयान भी दे दिया है कि बिजली कटौती के खेल में भाजपाई शामिल है बावजूद इसके अफसर चाहते है कि त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति बरकरार रहे.
बिजली बोर्ड अभियंता संघ से जुड़े एक प्रमुख पदाधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ जब अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब बस्तर के बारसूर प्रोजेक्ट में एमएस रत्नम की तैनाती की गई थी. रत्नम मुख्य रुप से सिविल इंजीनियर है जबकि बिजली विभाग का कामकाज समझने के लिए इलेक्ट्रिक इंजीनियर होना अनिवार्य है. पदाधिकारी का कहना है कि एक सिविल इंजीनियर की वजह से ऊर्जा विभाग को कई बार आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और सीबीआई की जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है. पदाधिकारी का कहना है कि रत्नम पिछले 19 साल से मंत्रालय में ही पदस्थ है और लगभग तीन लाख 25 हजार रुपए की मोटी तनख्वाह प्राप्त कर रहे हैं. बोर्ड से जुड़े लोग कहते हैं कि उन्हें कई मर्तबा ऊर्जा विभाग के एक पूर्व सलाहकार के निवास स्थान पर भी देखा गया है. बताते हैं कि वे भाजपा के सुपर सीएम के संपर्क में भी है. सूत्रों का कहना है कि बिजली बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने जब रत्नम के बारे में एक प्रमुख अधिकारी को जानकारी दी तो उन्होंने उसे यह कहकर बचा लिया कि अब ज्यादा दिन नहीं है. रत्नम अक्टूबर 2020 में सेवानिवृत हो जाएंगे तो फिर किसी अच्छे अफसर की पदस्थापना कर देंगे. क्या तब तक बिजली बोर्ड का क्या हाल बेहाल ही रहने वाला है. इस बारे में रत्नम से उनके निवास पर मौजूद फोन 07712255705 से संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया है तो ज्ञात हुआ कि वे मौजूद नहीं है. यह जानकारी भी दी गई कि वे अपने साथ कोई मोबाइल नहीं रखते हैं.
बिलासपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष और उसके बेटे को शराब ठेकेदार ने दी जान से मारने की धमकी... मामले ने तूल पकड़ा
रायपुर. बिलासपुर प्रेस कल्ब के अध्यक्ष तिलक राज सलूजा और उनके पुत्र गुरजीत सलूजा को शराब ठेकेदार राजा भाटिया द्वारा गाली-गलौच कर जान से मारने की धमकी देने वाले मामले ने तूल पकड़ लिया है. हालांकि पुलिस ने शराब ठेकेदार के खिलाफ धारा 294 और 506 के तहत मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन दूसरी ओर पुलिस ने राजा भाटिया की शिकायत पर एक काउंटर रिपोर्ट भी दर्ज कर ली है. इधर सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों में शराब ठेकेदार की ओर से प्रेस क्लब अध्यक्ष के खिलाफ किए जा रहे दुष्प्रचार से प्रेस कल्ब के जिम्मेदार सदस्य खफा है और जल्द ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर वस्तुस्थिति से अवगत कराने की योजना पर विचार कर रहे हैं.
गौरतलब है कि इसी माह 16 मई को शीतला मंदिर दयालबंद का रहवासी गुरजीत सलूजा उर्फ शानू रात 8 बजे अपने पिता तिलक सलूजा के लौटने का इंतजार कर रहा था. ठीक उसी दौरान वहां राजा भाटिया आया और उसने गाली-गलौच करते हुए उसे जान से मारने की धमकी दी. भाटिया ने शानू के पिता का नाम लेकर उसे भी देख लेने को कहा. बताया जाता है कि शराब ठेकेदार और शानू के बीच घर के पास की एक जमीन में गेट लगाए जाने को लेकर पुराना विवाद चल रहा है. इसके पहले भी कई बार विवाद की स्थिति निर्मित हो चुकी है. गुरजीत का आरोप है कि जमीन छोड़ने के एवज में राजा भाटिया उनसे 10 लाख रुपए मांग करता है. गुरजीत का कहना है कि अब भी राजा भाटिया इधर-उधर से धमकी-चमकी के खेल में लगा हुआ है. उसके हौसले बुलंद है. प्रेस कल्ब अध्यक्ष तिलक राज सलूजा का कहना है कि पुराने जमीनी विवाद में शराब ठेकेदार आए दिन विवाद की स्थिति पैदा करते रहा है. अगर कोई बात गलत है तो उसका निराकरण कानून- सम्मत तरीके से ही हो सकता है, लेकिन गाली-गलौच और जान से मारने की धमकी देना यह साबित करता है कि शराब ठेकेदार के हौसले बुलंद है.
बिलासपुर में आईजी बंगले के पास सामाजिक कार्यकर्ता नंद कश्यप पर गुंडों ने किया हमला
रायपुर. बिलासपुर के रहवासी देश के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता नंद कश्यप पर बीती रात कुछ गुंडों ने प्राणघातक हमला कर उन्हें बुरी तरह से घायल कर दिया है. हमले में कश्यप के बड़े भाई और उनके पुत्र अंकित कश्यप को भी चोटें आई है. अंकित फिलहाल अपोलो अस्पताल में भर्ती है जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है.
बताया जाता है कि कश्यप बिलासपुर में ठीक आईजी बंगले के पास सिविल लाइन में निवास करते हैं. यहीं पर राकेश सहगल नाम का चिकित्सक पिछले कई सालों से एक अस्पताल का संचालन करता है. रिहाइशी इलाके में अस्पताल के संचालन की वजह से आए दिन पार्किंग को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होते रहती है. बीती रात भी पार्किंग को लेकर बहस हुई और इतनी ज्यादा बढ़ गई कि थोड़ी ही देर में तालापारा के पालित गुंड़ों ने कश्यप और उनके परिजनों पर हमला कर दिया. बताते हैं कि तालापारा में तैय्यब नाम के शख्स ने पैसे लेकर काम करने वाले कुछ असामाजिक तत्वों को संरक्षण दे रखा है. यह शख्स शहर के रसूखदार लोगों इशारे पर अपनी फौज लेकर घटना स्थल पर पहुंच जाता है. शहर के वे लोग जो गुंडे और मवालियों से मदद लेने के आदी है अक्सर तैय्यब गैंग की सेवाएं लेते रहते हैं. ऐसे लोगों में शहर के नामी-गिरामी नेता भी शामिल है. सूत्रों का कहना है कि यह शख्स लोगों से मकान खाली करवाने से लेकर अन्य सभी तरह के अवैधानिक कामों को प्रोफेशनल तौर-तरीके से अंजाम देता है. ऐसा नहीं है कि पुलिस को इस गैंग की जानकारी नहीं है, लेकिन वह खामोश बनी रहती है. इस घटना में राकेश सहगल के साथ तैय्यब गैंग और गुलशन नाम के एक नेताजी की भूमिका सामने आई है. घटना के बाद पुलिस ने कुछ संदिग्ध लोगों की धरपकड़ की है, लेकिन अब तक राकेश सहगल, तैय्यब और घटना से जुड़े प्रमुख लोग गिरफ्त से बाहर है. पीयूसीएल के पूर्व अध्यक्ष लाखन सिंह और अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने बताया कि बुधवार को घटना के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियन से जुड़े लोग कलक्टर से मिलकर ज्ञापन सौपेंगे.
मुकेश गुप्ता से मेरी जान को खतरा... पत्रकार नारायण शर्मा ने लगाई मुख्यमंत्री से गुहार
रायपुर. इंडियन मीडिया वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार नारायण शर्मा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को खत लिखकर विवादास्पद निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. श्री शर्मा ने कहा है कि मुकेश गुप्ता उन्हें पहले भी जान से मारने की धमकी दे चुके हैं और अब भी उनके ऊपर जान माल की हानि का खतरा मंडरा रहा है.
15 मई 2019 को लिखे एक खत में नारायण शर्मा ने मुख्यमंत्री बघेल से गुहार लगाते हुए पूर्व में घटित एक वाक्ये का जिक्र भी किया है. श्री शर्मा ने अपने आवेदन के साथ भाजपा सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह को सौंपा गया एक खत भी संलग्न किया है. इस खत में उन्होंने लिखा है कि दिनांक 17 जनवरी 2014 को जब वे बस्तर में गिरफ्तार किए गए माओवादियों की गिरफ्तारी से संबंधित समाचार के संकलन के लिए तत्कालीन पुलिस महानिदेशक रामनिवास से मुलाकात करने उनके कक्ष में गए थे तब अचानक मुकेश गुप्ता वहां पहुंचे और उन्होंने वहां मौजूद एक अन्य पुलिस अफसर से कहा कि हमारा अगला टारगेट नारायण शर्मा है. इनको पन्द्रह से बीस दिन में निपटा देना है. अफसर ने भी गुप्ता की हां में हां मिलाई. नारायण शर्मा ने लिखा कि वे चुपचाप मुकेश गुप्ता की बात सुनते रहे. पुलिस महानिदेशक रामनिवास ने मुकेश गुप्ता को खामोश रहने के लिए कहा, लेकिन वे खामोश नहीं हुए और नजदीक आकर बोले- मुझे सब पता है कि तुम कितनी बार माणिक मेहता से मिलने जेल गए और कितनी बार उसकी मां श्यामा मेहता से मिलने कोर्ट में गए थे. मुझे यह भी पता है कि तुम फोन में किस-किस से क्या-क्या बात करते हो.
नारायण शर्मा ने अपना मोर्चा डॉट कॉम से कहा कि जब यह घटना घटित हुई थी तब भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे और अब भी है. घटना की विस्तृत जानकारी लेने के बाद श्री बघेल ने दिनांक 13 फरवरी 2014 को डाक्टर रमन सिंह को खत लिखकर पुलिस अफसरों के कृत्य को निदंनीय और गंभीर बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन रमन सिंह ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ कभी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की. उलटे मुकेश गुप्ता और ज्यादा शक्तिशाली बना दिए गए. इधर भूपेश बघेल की सरकार ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ एक्शन तो लिया है, लेकिन अब भी निरकुंशता कम नहीं हुई है. श्री शर्मा ने कहा कि वर्ष 2014 में ही मुकेश गुप्ता ने साफ-साफ कहा था कि उन्हें सब पता है कि तुम फोन पर किससे-किससे बात करते हो... जाहिर सी बात है कि तब मुकेश गुप्ता मेरा ( नारायण शर्मा ) का फोन टेप करते थे. नारायण शर्मा ने कहा कि पूर्व में भी मुकेश गुप्ता ने उन्हें चार झूठे मामलों में फंसाया था और अब भी वे अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मुझे और मेरे परिवार को जान से खत्म करने की साजिश रच रहे हैं.
कैसे मिलेगी मलाईदार पोस्टिंग... उठा-पटक में लगे हैं लूप लाइन में बैठे वन अफसर
रायपुर. प्रदेश में जब रमन सिंह की सरकार थीं तब भारतीय वन सेवा के अधिकांश अफसर मंत्रालय और अन्य महत्वपूर्ण जगहों पर मलाई छान रहे थे. नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लंबे समय से मंत्रालय में पदस्थ रहने वाले अफसरों को अरण्य भवन रास्ता दिखाया, लेकिन वन अफसरों में लोक निर्माण के सचिव अनिल राय, योजना सांख्यिकी में पदस्थ आशीष भट्ट, सामान्य प्रशासन विभाग विभाग के कौशलेंद्र सिंह और सचिव जयसिंह महस्के ऐसे हैं जिनकी पदस्थापना मंत्रालय में है. आशीष भट्ट और महस्के को लेकर गंभीर शिकायतें भी नहीं है, लेकिन भाजपा सरकार में सुपर सीएम की नाक का बाल समझे जाने वाले अनिल राय अब तक मंत्रालय में कैसे टिके हैं इसे लेकर कई तरह की चर्चा प्रशासनिक गलियारों में कायम है. मंत्रालय से बाहर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क में पदस्थ आलोक कटियार की विवादित कार्यशैली की गूंज भी अब हर चौक-चौराहों में सुनाई देने लगी है. सीएसआईडीसी में पदस्थ अरुण प्रसाद से उनका अपना स्टाफ ही खफा चल रहा है. ( आधे से ज्यादा पुराने साहब सुनील मिश्रा से घरोबा रखने वाले हैं. ) अलबत्ता पर्यटन एवं संस्कृति विभाग में पदस्थ अनिल साहू न काहू से दोस्ती न काहू से बैर... सिद्धांत का पालन करते हुए काम कर रहे हैं.
इधर चुनाव परिणाम के बाद 27 मई तक आचार सहिता हट जाएगी, लेकिन वन विभाग में लूप लाइन में पदस्थ अफसर मलाईदार जगह पाने के लिए अभी से जोड़-तोड़ में लग गए हैं. सुपर सीएम के साथ कई बार विदेश यात्रा करने वाले सुनील मिश्रा अरण्य भवन लौटे तो उन्हें दो महीने तक बैठने की जगह तक नहीं मिली. उनकी सारी हेकड़ी निकल गई थी. जैसे-तैसे उन्होंने वन विभाग की कमान संभालने वाले राकेश चतुर्वेदी को मनाया तो उन्हें काम सौंपा गया. फिलहाल वे वन विभाग की शिकायतों का निराकरण करने में लगे हुए हैं और चिट्ठी-पत्री का जवाब देते हैं. खबर है कि मिश्रा एक बार फिर मंत्री परिक्रमा में लग गए हैं. वन अफसर संजय शुक्ला पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड के बेहद नजदीकी समझे जाते थे. जब तक ढांड मंत्रालय में पदस्थ थे तब तक उन्हें महत्वपूर्ण दायित्व भी दिया जाता रहा. जमीनों की खरीदी और बेशुमार संपत्ति अर्जित करने के आरोपों से घिरे संजय शुक्ला भी अरण्य भवन तो लौटे तो कई दिनों तक खाली रहे. फिलहाल उन्हें अनुश्रणव एवं मूल्यांकन का कामकाज सौंपा गया है. सूत्र बताते हैं कि वे भी अपने पुराने संबंधों के जरिए जोड़-तोड़ कर रहे हैं. हालांकि श्री शुक्ला राज्य लघु वनोपज संघ में एडिशनल एमडी बनने के लिए पहले भी प्रयासरत थे, लेकिन तब उनका जुगाड़ काम नहीं आया. तुरुप का पता ही फेल हो गया. हार्टिकल्चर से लौटे नरेंद्र पांडे किसी तरह की कवायद में नहीं लगे हैं क्योंकि उनकी सेवानिवृति को कुछ समय ही बाकी है. इसी 30 जून को वरिष्ठ अफसर कौशलेंद्र सिंह, केसी यादव और एके द्विवेदी भी सेवानिवृत हो रहे हैं सो वे भी खामोश है. अगर पुरानी सरकार होती तो अफसर संविदा में तैनाती के लिए आवेदन लगा चुके होते. अरण्य भवन लौटने वालों में वन अफसर नरसिम्हाराव और रामाराव भी शामिल है. ये दो अफसर ऐसे हैं जिनके पास किसी भी तरह का कोई काम नहीं है. ये दोनों अफसर अरण्य भवन में काफी-चाय पीने आते हैं. किसी चपरासी से पूछिए कि साहब... क्या कर रहे हैं तो जवाब मिलता है- साहब... मक्खी मार रहे हैं.
( अपना मोर्चा डॉट कॉम की प्रत्येक खबर को आप प्रकाशित करने के लिए स्वतंत्र है. बस... आपको साभार... अपना मोर्चा डॉट कॉम लिखना होगा. खबरों को जस का तस यानी कापी पेस्ट करने वालों से यह निवेदन मात्र है. )
मशहूर कत्थक नृत्यांगना से विकास ने पूछा- बताइए आपके हसबैंड छत्तीसगढ़ छोड़कर क्यों भाग गए
रायपुर. अब तक पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के प्रमुख सचिव ही विवादों में घिरे हुए थे, लेकिन अब मशहूर कत्थक नृत्यांगना यास्मीन सिंह भी विवादों के घेरे में आ गई है. संविदा में लगभग 14 साल तक नियुक्ति के बाद सरकार ने एक शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ जांच बिठा दी है. इधर मीडिया के जरिए जांच की सूचना मिलने के बाद यास्मीन सिंह ने शिकायतकर्ता विकास तिवारी और उन्हें बदनाम करने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है. यास्मीन सिंह का कहना है कि उनकी नियुक्ति सारे नियमों के हिसाब से सक्षम अधिकारियों की मंजूरी के साथ पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई थीं. उनके ऊपर लगाए गए तमाम आरोप असत्य और निराधार है. जबकि कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने एक बार फिर यास्मीन सिंह और उनके पति को आड़े हाथों लिया है. विकास तिवारी ने यास्मीन सिंह से पूछा है कि उन्हें इस बात का जवाब अवश्य देना चाहिए नई सरकार के बनते ही उनके पति छत्तीसगढ़ छोड़कर क्यों भाग गए.
बेरोजगार होंगे तो आहत तो जारी रहेगा प्रतिवाद
विकास तिवारी ने यास्मीन सिंह के द्वारा सोशल मीडिया और अखबारों में दिए गए बयान पर कहा है कि एक महिला होने के नाते उनका स्वागत और सम्मान रहेगा, लेकिन अगर गलत काम और गलत नियुक्ति पर छत्तीसगढ़ के लाखों बेरोजगार आहत होते हैं तो वे अपना प्रतिवाद भी जारी रखेंगे. तिवारी ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार यास्मीन सिंह का सम्मान नहीं करती तो प्रारंभिक जांच का आदेश ही नहीं देती. उन्हें तो इस बात के लिए सरकार का आभारी होना चाहिए कि उनकी नियुक्ति के खिलाफ जांच के लिए एक महिला अधिकारी को ही जवाबदारी दी गई है. यहां तक जांच के लिए आदेश जारी करने वाली भी एक महिला है. यास्मीन सिंह ने अपने बयान में यह कहा है कि उनके खिलाफ शिकायत कांग्रेस पार्टी के एक सदस्य ने की है. विकास तिवारी ने जानना चाहा है कि क्या अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के खिलाफ कांग्रेस के सदस्यों को शिकायत करने का अधिकार नहीं है. क्या सारे अधिकार भारतीय जनता पार्टी के पास ही सुरक्षित हैं ? यास्मीन सिंह ने यह भी कहा है कि उनके और उनके परिवार वालों को राजनीतिक द्वेष के तहत टारगेट किया जा रहा है. प्रवक्ता विकास तिवारी ने पूछा है कि यास्मीन सिंह और उनके पति को स्पष्ट करना चाहिए के वे किस राजनीतिक दल से सबद्ध थे।
यास्मीन सिंह ने अपनी नियुक्ति का ठीकरा राज्य सरकार के अधिकारियों पर फोड़ा है. उनके बयान में यह स्पष्ट है कि भाजपा सरकार के अधिकारियों ने ही उन्हें नियुक्त किया था. विकास तिवारी ने कहा है कि यही तो देखने लायक होगी कि कौन-कौन से अधिकारियों नियुक्ति की थी? किस आधार पर नियुक्ति दी गई थी ? किस योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखा गया था ? आपकी पदस्थापना कब-कब और कहां- कहां रही ? आपने अपने दफ्तर को कितना समय दिया और नृत्य कला को कितना समय दिया. सरकारी और सार्वजनिक समारोह में आपको प्रत्येक प्रस्तुति के लिए कितना भुगतान किया गया ? हर बार समारोह में जाने के लिए आपने किस विभाग प्रमुख से अनुमति ली ? जो वेतन 35 हजार था वह अचानक एक लाख कैसे हो गया ?
मुकदमे का स्वागत
प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि सरकार के पास तमाम दस्तावेजों और सबूतों के आधार पर शिकायत की गई है. जहां तक मुकदमे का सवाल है तो वे उसका स्वागत करते है. वे मुकदमे की धमकी से भयभीत नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसी तरह का राजनीतिक विद्वेष रखती तो आपकी और आपके पति की संपत्ति के मामलों के जांच का आदेश भी जारी कर देती. फिलहाल तो मामला असंवैधानिक ढंग से की गई है नियुक्ति का है. उन्होंने यास्मीन सिंह से आग्रह किया कि वे दिल्ली छोड़कर छत्तीसगढ़ में रहे और पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ जांच का सामना करें. इधर विकास तिवारी के नए बयान के बाद नृत्यांगना यास्मीन सिंह की प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. अगर उनका कोई पक्ष मिलता है तो उसका प्रकाशन भी किया जाएगा.
नाहर मेडिकल एजेंसी का कारनामा... मल्टी विटामिन सिरप घोटाले में ईओडब्लू ने प्रारंभ की जांच
रायपुर. छत्तीसगढ़ के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने मल्टी विटामिन सिरप घोटाले की जांच प्रारंभ कर दी है. अभी हाल के दिनों में सामाजिक कार्यकर्ता नितिन भंसाली ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को दस्तावेजों के साथ शिकायत में आरोप लगाया था कि डायरेक्टर हेल्थ के दबाव के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने मल्टी विटामिन सिरप की खरीदी कर धमतरी की नाहर मेडिकल एजेंसी को लगभग 13 करोड़ सात लाख रुपए का लाभ पहुंचाया है. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने श्री भंसाली को इसी माह 14 मई को बयान देने के लिए बुलाया है.
यह है पूरा मामला
दिनांक 23 फरवरी 2016 को डायरेक्टर हेल्थ ऑफ सर्विसेस ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड को 441 दवाईयों की खरीदी के लिए एक पत्र लिखा था. इस पत्र के आधार पर 11 अगस्त 2016 को आनलाइन टेंडर जारी किया गया, लेकिन थोड़े ही दिनों यह कहा जाने लगा कि टेंडर निकालने में देरी हो गई है इसलिए 23 जरूरी दवाईयां ( ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसवीएस ऑफ इंडिया ) बीपीपीआई के माध्यम से अनुमोदित की दरों पर खरीद ली जाए. इसके बाद डायरेक्टर हेल्थ ने बगैर टेंडर के दवाईयां खरीदने की अनुमति मांगी थी.
मल्टीविटामिन सीरप का चक्कर
डायरेक्टर हेल्थ लगभग पचास लाख अठावन हजार पांच सौ चालीस मल्टीविटामिन बोतल ( प्रत्येक बोतल 100 एमएल ) की खरीदी करना चाहता था, लेकिन छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने जानकारी दी कि दवा सप्लायरों के पास 200 एमएल की बोतल ही उपलब्ध है जिसकी कीमत 27 रुपए 64 पैसे हैं. इस बारे में डायरेक्टर हेल्थ और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा. डायरेक्टर हेल्थ ने दिनांक 27 मार्च 2017 को एक पत्र के जरिए अवगत कराया कि उसे अब सीरप की जरुरत नहीं होगी. सीरप के बजाय मल्ली विटामिन टेबलेट ( ड्रग कोड डी-63 ) खरीद लिया जाय.... और तब..........
बताते हैं कि डायरेक्टर हेल्थ और मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के बीच चले पत्र व्यवहार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के एक नजदीक के रिश्तेदार ने दबाव देना प्रारंभ किया.उनके दबाव के बाद अचानक 100 एमएल वाली मल्टीविटामिन वाली सीरप की बोतल भी मिल गई. डायरेक्टर हेल्थ महज पचास लाख अठावन हजार पांच सौ चालीस बोतल चाहता था, लेकिन मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने 73 लाख 94 हजार पांच सौ बोतल खरीद ली. इस पूरे मामले का सबसे संदिग्ध पक्ष यह है कि जब डायरेक्टर हेल्थ सीरप चाहता था तो सीरप की बोतल नहीं मिल रही थी और जब डायरेक्टर हेल्थ ने कहा कि चलिए बोतल नहीं मिल रही है तो टेबलेट खरीद लीजिए तब अचानक बोतल मिल गई. डायरेक्टर हेल्थ जितनी संख्या में बोतल चाहता था उससे कहीं ज्यादा संख्या में सीरप की खरीदी हो गई. बताते हैं कि सप्लाई का सारा काम धमतरी की नाहर नाम की एक मेडिकल एजेंसी को दिया गया था. इस एजेंसी को भी 90 दिनों के भीतर सप्लाई करनी थी, लेकिन इस सप्लायर ने 75 दिन देरी से सीरप की सप्लाई की. भंसाली का आरोप है कि बाजार से अधिक दर पर मल्टीविटामिन सीरप की खरीदी कर शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया गया है जबकि नाहर नाम की मेडिकल एजेंसी 13 करोड़ सात रुपए अतिरिक्त भुगतान हासिल करने में सफल रही. खबर है कि इस मामले में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के प्रमुख रामाराव को कुछ अधिकारियों ने समझाइश दी थी कि वे नियम-कानून से परे जाकर सिरप की खरीदी न करें, लेकिन वे नहीं माने. जिन अफसरों से समझाइश दी थी बाद में उनका तबादला अन्यत्र कर दिया गया.
सरकार ने मुकेश गुप्ता को थमाया आरोप पत्र...डीएम अवस्थी को आपराधिक मामलों की विभागीय जांच का जिम्मा
रायपुर. सरकार ने विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता को आरोप पत्र देने के साथ ही उनके आपराधिक मामलों की विभागीय जांच का जिम्मा पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी को सौंप दिया है. सरकार ने अखिल भारतीय सेवा ( अनुशासन तथा अपील ) नियम 1969 के नियम 8 ( 6 ) सी के अंतर्गत जांच अधिकारी के समक्ष शासन का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए दुर्ग के पुलिस महानिरीक्षक हिमांशु गुप्ता को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी भी बनाया है. गृह विभाग के अवर सचिव डीपी कौशल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि पुलिस महानिदेशक श्री अवस्थी पूरी तत्परता से मुकेश गुप्ता के खिलाफ जांच प्रारंभ करें और मय दस्तावेज अपना प्रतिवेदन शासन को उपलब्ध कराए. प्रस्तुतकर्ता अधिकारी हिमांशु गुप्ता से भी अपेक्षा की गई है कि वे जांच अधिकारी से संपर्क स्थापित कर अभिलेखों के साथ कार्रवाई को जल्द से जल्द पूरी करें.
तीन बिन्दुओं का आरोप पत्र
कई तरह के आरोपों से घिरे मुकेश गुप्ता पर विभागीय जांच के लिए तीन बिन्दुओं का आरोप पत्र तैयार किया गया है. पहले बिन्दु में उल्लेखित है कि वर्ष 1988 बैच के मुकेश गुप्ता ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एवं आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के महानिदेशक के पद पर रहने के दौरान अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से कार्यालयीन दस्तावेजों एवं रजिस्टर में बैक डेट में प्रविष्टियां करवाई थीं. उनका यह कृत्य अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 के नियम 3 का उल्लंघन है इसलिए क्यों न उन पर कार्रवाई की जाय. आरोप पत्र के दूसरे बिन्दु में उल्लेखित है कि गुप्ता ने अपराध क्रमांक 9 / 2015 में कायमी दिनांक के पूर्व प्रावधानों का उल्लंघन कर आम नागरिकों का फोन टेप किया था और उसका उपयोग साक्ष्य के तौर पर किया. तीसरे बिन्दु में साफ कहा गया है कि उन्होंने लोकसेवक के पद पर रहते हुए कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान स्वेच्छाचारिता प्रदर्शित की जिससे पुलिस की छवि धूमिल हुई. पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी के जांच अधिकारी एवं दुर्ग रेंज के आईजी हिमांशु गुप्ता के प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त होने के बाद यह माना जा रहा है कि दोनों अधिकारी अपनी रिपोर्ट शासन को जल्द से जल्द सौंप देंगे.
पुनीत गुप्ता को थमाया जाएगा आरोप पत्र सस्पेंड करने की तैयारी भी
रायपुर. अंतागढ़ टेपकांड और डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में करोड़ों के उपकरण खरीदी घोटाले में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के दामाद डाक्टर पुनीत गुप्ता को जल्द ही आरोप पत्र थमाकर सस्पेंड किया जा सकता है. गौरतलब है कि डाक्टर गुप्ता को इसी साल 21 जनवरी को अस्पताल के अधीक्षक पद से हटाकर ओएसडी बनाया गया था. उन्होंने 22 फरवरी 2019 को ओएसडी के पद पर अपना कार्यभार ग्रहण किया था और फिर सात दिनों के लिए छुट्टी पर चले गए थे. उम्मीद की जा रही थी कि ओएसडी के पद पर रहते हुए वे तमाम तरह के मामलों का सामना करेंगे, लेकिन अचानक 4 फरवरी को उन्होंने शासन के खाते में एक माह का वेतन लगभग एक लाख 72 हजार रुपए जमा कर मेडिकल कालेज के आवक-जावक शाखा में अपना इस्तीपा सौंप दिया था. इस बीच चर्चा थीं कि देर-सबेर उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया जाएगा, लेकिन उनके द्वारा किसी भी तरह का नो ड्यूज न दिए जाने चलते उनके इस्तीफे को मंजूरी नहीं दी गई. अब स्वास्थ्य महकमा उन्हें आरोप पत्र थमाकर सस्पेंड करने की तैयारी कर रहा है. सूत्र बताते हैं कि उन्हें दो-चार दिनों में सस्पेंड कर दिया जाएगा.
डाक्टर पुनीत गुप्ता पर आरोप है कि डीकेएस अस्पताल को नया बनाने के लिए मनमाने ढंग से 104 करोड़ रुपए फूंके थे. उन्हें कुल 59 करोड़ रुपए के उपकरण की खरीदी करनी थीं, लेकिन नियम-कानून को बलाए-ताक रखकर उन्होंने 128 करोड़ के उपकरण खरीदे. अस्पताल में कुल 141 पदों पर भर्ती की जानी थी, लेकिन चार ऐसे पदों पर भी भर्ती की गई जिसका उल्लेख नहीं था. उन पर एबुलेंस की खरीदी और फार्मेसी की निविदा में गड़बड़ी का आरोप भी लगा. बताया जाता है कि उन्होंने फार्मेंसी में सिंगल टेंडर के जरिए एक व्यापारी को उपकृत किया.
बाप रे बाप... मुकेश गुप्ता के मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के 97 खाते
रायपुर. देश के विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता का अब किसी भी सूरत में बच निकलना मुश्किल लग रहा है. छत्तीसगढ़ की रमन सरकार मुकेश गुप्ता के कारनामों पर पर्दा डालती रही, लेकिन भूपेश सरकार ने गुप्ता के नए-पुराने सभी कारनामों को उधेड़कर रख दिया है. गुप्ता पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. अवैध ढंग से फोन टेपकर संभ्रात लोगों को ब्लैकमेल करने के आरोप में फंसे मुकेश गुप्ता पर अभी हाल के दिनों में गृह विभाग ने मनी लांड्रिग से संबंधित एक शिकायत पर जांच की अनुमति दी है. सूत्रों का कहना है कि मिक्की मेहता के सगे भाई माणिक मेहता ने तमाम तरह के सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर इस मामले की सबसे पहली शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी, वहां से जांच के लिए निर्देश आने के बाद ईओडब्लू ने मामला दर्ज कर गृह विभाग से जांच की अनुमति मांगी थी. बताते हैं कि मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट ने एक बैंक में कुल 97 खाते खोल रखे है. हैरत की बात यह है कि कोई ट्रस्ट अगर ईमानदारी से कार्य कर रहा है तो उसे इतनी बड़ी संख्या में खातों के संचालन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए थीं. बहरहाल पुलिस यह पता लगाने में जुट गई है कि इतनी बड़ी संख्या में खातों का परिचालन किस मकसद से किया जाता था. किस खाते में कितनी रकम कब-कब जमा की गई और किसने दी.
जो फंसता था लिया जाता था तगड़ा डोनेशन
गौरतलब है कि भारतीय पुलिस सेवा में रहने और पूर्व से शादी-शुदा होने के बावजूद मुकेश गुप्ता ने नेहरू नगर भिलाई की निवासी श्माया मेहता की पुत्री और माणिक मेहता की बहन मिक्की से ब्याह रचाया था. एक रोज संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई तब परिजनों ने आरोप लगाया कि मिक्की की हत्या कर दी गई है. मिक्की की मौत के बाद जब मुकेश गुप्ता ने मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट खोला तो पहले-पहल लोगों ने यह माना कि यह मिक्की की स्मृति को जीवित रखने का कोई उपक्रम है, लेकिन बहुत जल्द ही इस ट्रस्ट की गतिविधियों को लेकर आरोप लगना शुरू हो गया. धीरे-धीरे यह बात सामने आई कि ट्रस्ट संवेदना बटोरने के लिए ही नहीं बल्कि उसकी आड़ में लोगों से डोनेशन लेने के लिए खोला गया था. खबर है कि जो लोग काली कमाई करने में माहिर थे वे इस ट्रस्ट में अपने काले धन को सफेद करने के लिए पैसा लगाते थे. जो कोई भी मुकेश गुप्ता की गिरफ्त में फंसता था तो वह तभी बच पाता था जब वह मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में डोनेशन देने के लिए तैयार हो जाता था. सामान्य तौर पर जो कोई भी किसी धर्मार्थ या परमार्थ ट्रस्ट में डोनेशन देता है उसे आयकर विभाग से छूट मिलती है. मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट धनाढ्य लोगों के काले धन को सफेद करने का एक केंद्र बन गया था. सूत्रों का कहना है कि ईओडब्लू ने अपनी प्रारंभिक जांच में अवैध ढंग से कई खातों का परिचालन होना पाया है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के विधानसभा मार्ग पर स्थित मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना को लगभग 18 साल हो गए हैं. इन 18 सालों में एक भी बार इस ट्रस्ट ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट पंजीयक सार्वजनिक न्यास को नहीं सौंपी है. इस ट्रस्ट से कौन-कौन लोग जुड़े हैं. वे क्या करते हैं. ट्रस्ट में उनकी कितनी पूंजी लगी है. ट्रस्ट की वार्षिक आम सभा कब-कब हुई. किसने कितना चंदा दिया है. कब दिया है... अब तक कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया गया है. बहरहाल एक ही बैंक में 97 खातों का होना चौंकाने वाला मामला है.
सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा से की गंदी बात... ज्वाइंट डायरेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज
रायपुर. प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा से अश्लील बात करने के आरोप छत्तीसगढ़ रायपुर की राजेंद्र नगर पुलिस ने उद्योग विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर संतोष भगत के खिलाफ धारा 354 ( क ) के तहत मामला दर्ज कर लिया है. ममता शर्मा ने बताया कि एक मई को वह एक पारिवारिक कार्यक्रम से घर लौटी ही थीं कि अचानक उसके फोन नंबर पर उद्योग विभाग में ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर पदस्थ संतोष भगत ने सुबह-सुबह इस बात के लिए फोन लगाया कि वह जल-जंगल-जमीन के मसले पर कुछ बात करना चाहता है. पहले तो वह उस शख्स को पहचान नहीं पाई और यह समझती रही कि कोई संतोष जैन है. बाद में उसने अपना नाम स्पष्ट किया और कहा कि वह उन्हें जानता है और शराबबंदी को लेकर पहले भी चर्चा कर चुका है. ममता शर्मा ने पुलिस को एक ऑडियो टेप भी दिया है जिसमें यह सुनाई देता है कि सरकारें आती-जाती रहती है. आपसे कभी बात होगी समता जजमेंट को लेकर... जल- जंगल-जमीन नक्सली मूव्हमेंट सब खत्म हो जाएगा. बातचीत में सामने वाला यह भी स्वीकार करता है कि वह खुद भी शराब पीता है. ममता शर्मा उन्हें समझाती है कि कोई अपने घर में एक दो पैग पीता है तो अलग बात है, लेकिन शराब की वजह से समाज के एक वर्ग में विघटन बढ़ गया है. बाद में संतोष भगत यह कहकर बातचीत बंद कर देता है कि फिर बातचीत होगी, लेकिन उसका फोन चालू रहता है. ऑडियो में गिलास... पानी... ब्लैक लेबल का जिक्र होता है और पंड़िताइन.................... कहते हुए अश्लील बातें सुनाई देती है.
ममता शर्मा ने बताया कि पूरी बातचीत से ऐसा लग रहा था कि कुछ लोग कार्यालयीन समय में ही एक साथ बैठकर शराब पी रहे थे. ममता ने बताया कि जब उन्होंने उद्योग विभाग के ही कतिपय अधिकारियों से चर्चा की तब पता चला कि ज्वाइंट डायरेक्टर कार्यालयीन समय में भी शराब पीकर आता रहा है. इधर सामाजिक कार्यकर्ता उचित शर्मा, राकेश चौबे, कुणाल शुक्ला, अनिल अग्रवाल, अभिषेक प्रताप सिंह, नागेंद्र दुबे और व्यास मुनि ने ज्वाइंट डायरेक्टर की गिरफ्तारी की मांग की है. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा है कि अगर आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा.
मिक्की मेहता हत्याकांड में भी कसेगा मुकेश गुप्ता पर शिकंजा
रायपुर.छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित मिक्की मेहता हत्याकांड में भी जल्द ही निलंबित पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता पर शिकंजा कसा जा सकता है. खबर है कि डीजी गिरधारी नायक ने पूरे मामले की जांच लगभग पूरी कर ली है. इस मामले में अब तक पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर, पूर्व पुलिस महानिदेशक रामनिवास, सेवानिवृत पुलिस अफसर डीएस वर्मा, जगत विजन पत्रिका की संपादक विजया पाठक, मिक्की मेहता की मां श्यामा मेहता, भाई माणिक मेहता एवं उनके परिजनों सहित अन्य कई का बयान दर्ज किया जा चुका है. हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि किसने क्या बयान दिया है, लेकिन प्रशासनिक हल्कों में यह चर्चा है कि सभी पक्षों ने इस प्रकरण को आत्महत्या के बजाय आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाला माना है. इधर मिक्की मेहता की मृत्यु प्रकरण से संबंधित डायरी जो काफी समय से गुम हो गई थीं वह मिल गई है. पुलिस को यह मर्ग डायरी जिला अदालत में मिली है. इसमें मिक्की मेहता की मौत से संबंधित कई तथ्यात्मक दस्तावेज संलग्न है जो मुकेश गुप्ता के लिए मुसीबत का सबब हो सकते हैं.
गौरतलब है कि आईपीएस मुकेश गुप्ता ने अपनी पहली पत्नी के रहते हुए भी मिक्की मेहता से दूसरा विवाह किया था, लेकिन नौकरी जाने के भय से वे इस मामले को छिपाकर रखना चाहते थे. वर्ष 2001 में जब मिक्की मेहता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई तब उनके परिजनों ने साफ तौर पर यह आरोप लगाया था कि मिक्की ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गई है. परिजनों की शिकायत के बाद हल्के-पुल्के स्तर पर जांच चलती रही. पूर्व पुलिस महानिदेशक रामनिवास ने इस मामले की जांच में यह मान लिया था कि मुकेश गुप्ता ने मिक्की मेहता से गंधर्व विवाह किया था जो कदाचरण की श्रेणी में आता है. नियमानुसार काफी पहले ही मुकेश गुप्ता को नौकरी से हाथ धोना पड़ जाता, लेकिन वे रमन सिंह के कार्यकाल में बचते रहे और संविदा में पदस्थ सुपर सीएम का सहारा लेकर लगातार पावरफुल भी होते गए. इधर नई सरकार के गठन के बाद जब पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने नए सिरे से शिकायत की तो जांच का जिम्मा वरिष्ठ पुलिस अफसर गिरधारी नायक को सौंपा. खबर है कि नायक जल्द ही सरकार को रिपोर्ट सौंप देंगे.
जैसे ही मुकेश गुप्ता ने कहा- च्यूटी की तरह मसल दूंगा एएसआई ने पलटकर कहा- तमीज से बात करिए
रायपुर. विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता का एक स्थायी तकिया कलाम है- च्यूटी की तरह मसल दूंगा. उनके मातहत काम करने वाले लोग बताते हैं कि जो कोई भी नियम के खिलाफ काम करने से इंकार करता था उसे वे डरा-धमकाकर कहते थे- ज्यादा बकवास मत करो... च्यूटी की तरह मसल दूंगा. गुरुवार को जब मुकेश गुप्ता ईओडब्लू में बयान दर्ज करने पहुंचे तो पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसना के कमरे में पहले से मौजूद अफसरों को उन्होंने सीधे तौर पर बाहर चले जाने के लिए कहा. उस कमरे में एक एएसआई भी मौजूद था. गुप्ता उस एएसआई को देखते ही बिफर गए. उन्होंने एएसआई से कहा- तू तो बिलासपुर का रहने वाला है न... यहां कैसे आ गया. चल बाहर निकल... नहीं तो च्यूटी की तरह मसल दूंगा....। एएसआई ने भी पलटकर जवाब दिया- तमीज से बात करिए... आप कौन हो... क्या हो... मुझे लेना-देना नहीं है. बयान देने आए हो तो सीधे-सीधे बयान दीजिए.
कोर्ट में घसीटने की धमकी
मुकेश गुप्ता की करतूतों को लेकर जो खबरें छनकर पहुंच रही है वह एक आततायी और निरकुंश अफसर की दर्प से भरी हकीकत ही बयां करती है. बताते हैं कि गुरुवार की सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर जैसे ही वे इंदिरा कल्याण एलेसना के कमरे में दाखिल हुए वैसे ही उन्होंने अफसरों से कहा- पता है न बख्शी ( एक अफसर ) को कोर्ट में पार्टी बना दिया हूं... तुम सबको भी कोर्ट में घसीट दूंगा. मेरे पास बहुत पैसा है. एक-एक वकील को 32-32 लाख देता हूं. कमरे में मौजूद एसपी को जब उन्होंने तेवर दिखाते हुए बाहर चले जाने के लिए हड़काया तो एसपी ने विनम्रता से कहा- सर... मैं सुपर विजन अफसर हूं. आप अपने वकील के साथ आए हैं तो मैं उसके साथ ही यहां थोड़ी दूर बैठ जाता हूं. आप बयान दे दीजिए. जब यह सब बात हो रही थी तब थोड़ी देर के लिए कमरे में पुलिस महानिरीक्षक जीपी सिंह भी दाखिल हुए. उन्हें देखते ही गुप्ता बिफर गए और भला-बुरा कहने लगे. ( जो कुछ कहा गया है उसे यहां लिखा नहीं जा सकता है. ) जीपी सिंह ने संयम का परिचय तो दिया मगर तल्ख होकर कहा- जिस काम के लिए आप आए हैं वह कर लीजिए... फिर जो लिखा-पढ़ी आपको करनी है वह करते रहिएगा. आपको किसने रोका है.
कुदरत का इंसाफ
यह शीर्षक किसी हिंदी फिल्म का लग सकता है, लेकिन मुकेश गुप्ता पर भूपेश सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाई को लोग कुदरत का इंसाफ मानकर ही चल रहे हैं. मुकेश गुप्ता के कारनामों से त्रस्त लोगों का कहना है कि जिस मिक्की मेहता से मुकेश गुप्ता ने गंधर्व विवाह किया था उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के लिए भी वे जिम्मेदार थे, लेकिन तब तमाम तरह की शिकायतों को रमन सरकार ने कचरे के डिब्बे में डाल दिया था. अब लगता है कि देर-सबेर मिक्की मेहता के परिजनों को न्याय मिल जाएगा. इधर भले ही हाईकोर्ट ने गुप्ता को जांच में सहयोग करने के लिए निर्देशित किया है, लेकिन लगता नहीं है वे बहुत ज्यादा दिनों तक बच पाएंगे. उनके खिलाफ कई तरह की और भी शिकायतें है जिन पर जांच चल रही है. सूत्र बताते हैं कि जल्द ही सभी शिकायतों पर एफआईआर दर्ज हो जाएगी. इधर खबर है कि ईओडब्लू उन्हें अभी पांच-छह बार और बुलाएगा. फिलहाल बयान देने के लिए दूसरी नोटिस जारी करने की तैयारी चल रही है.