सियासत

चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता विश्वविद्यालय की घोषणा...जनभावना का सम्मान

चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता विश्वविद्यालय की घोषणा...जनभावना का सम्मान

परदेशीराम वर्मा

छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने जनभावना के अनुरूप निर्णय लिया है.राजिम में राजिम मेला प्रारंभ कर इस तीर्थ को पुनः छत्तीसगढ़ी परंपरा से जोड़ दिया गया. गांव गंध से जुड़े आयोजन की सफलता और जन स्वीकृति से यह स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ के लोग अपने प्रदेश की पहचान के लिए  भीतर ही भीतर छटपटा रहे थे. भूपेश बघेल और उनके साथियों ने इस छटपटाहट को दशकों पहले जान- समझ लिया था. वे प्रतिपक्ष मे थे तब भी छत्तीसगढ़ी परंपराओं की स्थापना के लिए संघर्ष की राजनीति करते थे. तभी छत्तीसगढ़ के आमजन को लग गया था कि जब छत्तीसगढ़ की असल पहचान के लिए संकल्पित राजनीतिक दल को सत्ता मे आने का अवसर मिलेगा तब छत्तीसगढ़ की आत्मा की पहचान की दिशा मे ठोस निर्णय होंगे.

पत्रकारिता विश्वविद्यालयका नाम चंदूलाल च॔द्राकर के सिवाय किस विभूति के नाम पर रखा जा सकता है यह सोचकर ही लोग थक जाते हैं दूसरा कोई ही नहीं सूझता. इसका कारण है यह है कि चंदूलाल जी ऐसे पहले छत्तीसगढ़ी सपूत हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ के एक गांव से निकलकर देश में एक श्रेष्ठ पत्रकार के रूप में पहचान बनाई. वे 148 देशों मे घूमे. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के ऐतिहासिक और निर्णायक दौर में उन्होंने नेतृत्व किया. इसकी उन्होंने कीमत भी चुकाई. वे प्रवक्ता के पद पर थे. उनसे यह पद छीन लिया गया.

वे दिल्ली और दुनिया में साक्षात जीवंत छत्तीसगढ़ी माने जाते थे. एक अच्छे छत्तीसगढ़ी की तरह सहिष्णु- परोपकारी और अहिंसक थे. उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्यआंदोलन को जो ऊंचाई मिली उसी का सुखद परिणाम रहा कि हमें बेहद शांतिपूर्ण तौर-तरीकों से अपना छत्तीसगढ़ राज्य मिल गया. मैं मानता हूं कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय का गौरव उनके नाम के जुड़ने से ही बढ़ गया है. यहां किसी को कमतर आंकने का भाव नही है. सोचना यह चाहिए कि निर्णय के पीछे भाव क्या है ? छत्तीसगढ़  में भूपेश बघेल की सरकार छत्तीसगढ़ के गौरव को बढ़ाने और बचाने का संकल्प लेकर ही सत्ता मे आई है. वह तमाम साहसिक निर्णय यूं ही नही ले रही है. ये निर्णय आकांक्षा और प्रतिबद्धता को समझने की उसकी क्षमता का परिचायक है. छत्तीसगढ़ राज्य की अपनी विशिष्ट पहचान बने यह प्रयत्न करना और सत्ता में आकर लंबे समय तक बने रहने की अनिवार्य शर्त का ह पहला पाठ भी है. उस पाठ को लगातार पढ़ और समझकर जिन लोगों ने सही राजनीति की हैं वे सत्ता में आ गए हैं. ऐसे निर्णय से वे बंधे और वचनबद्ध हैं.

आम आदमी ईमान और संकल्प के साफ और बड़े अक्षरों मे लिखे हुए घोषणा पत्र पढ़ पाता है. वह दांव- पेंच नही समझना चाहता. छत्तीसगढ़ियों ने भी सब कुछ जान-परख कर इस सरकार को मौका दिया है. भूल सुधार करते चलना इस सरकार का कर्तव्य है. अगर कोई पुरानी भूल हुई है तो उसे सुधार लेना अच्छी बात है.

चंदूलालजी के साथ वासुदेव च॔द्राकर को नमन कर सरकार ने अपना मान बढ़ाया है. छत्तीसगढ़ मे आज राजनीति क्षेत्र के जगमग कांग्रेसी सितारों को आसमान में स्थापित करने मे सफल रहे दाऊ वासदेव च॔द्राकर से जुड़कर कामधेनु विश्वविद्यालय का यश बढ़ गया है. वासुदेव चंद्राकर ही थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ की जमीनी हकीकत को समझकर राजनीति करने का गुरूमंत्र अपने शिष्यों को दिया था. वे संकल्प लेकर और ताल ठोंककर राजनीतिक घोषणा करते थे. वासुदेव चंद्राकर संस्कृति प्रेमी धर्मनिष्ठ दूरदृष्टि सम्पन्न राजनेता थे. छतीसगढ़ के ऐसे दिग्गज गुरू के अप्रतिम प्रतिभाशाली शिष्यसिद्ध हुए भूपेश बघेल. वर्तमान मंत्रिमंडल के अमूमन सभी सदस्यों को दाऊ जी से मार्गदर्शन और स्नेह मिलता रहा है. पुरखों के   सपनों का छत्तीसगढ़ बनाना जिनकी वचनवद्धता का हिस्सा है वे आगे बढ़ रहे हैं. कुछ नारे यूं ही नही बनते.

अभी तो यह अंगड़ाई है

आगे और

लड़ाई है.

 

 

 

 

 

 

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