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बिंदेश्वरी बघेल के निधन पर कांग्रेस नेताओं ने जताया शोक

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता बिन्देश्वरी बघेल के निधन पर कांग्रेस नेताओं ने शोक प्रकट करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महा सचिव मोतीलाल वोरा ,छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया ,प्रभारी सचिव चन्दन यादव ,अरुण उरांव, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मंत्री टीएस सिंहदेव ,रविन्द्र चौबे ,ताम्रध्वज साहू ,वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू ,सत्यनारायण शर्मा ,मंत्री मोहम्मद अकबर,डॉ शिव डहरिया ,प्रेम साय सिंह ,कवासी लखमा ,जय सिंह अग्रवाल, अमरजीत भगत, उमेश पटेल, श्रीमती अनिला भेड़िया ,रुद्र गुरु ,प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री गिरीश देवांगन ,कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी,महामंत्री महेंद्र छाबड़ा ,मुख्य वक्ता सुशील आनंद शुक्ला ,प्रवक्ता आर पी सिंह सहित अन्य कई नेताओं ने श्रीमती बिंदेश्वरी बघेल को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने की कामना की है.

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वॉलफोर्ट सिटी बनाने वालों ने किया अरबों का जमीन घोटाला... भाजपा नेता ननकीराम कंवर ने की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जांच की मांग

रायपुर. अगर कभी आप रायपुर आए तो रायपुर से भिलाई जाने वाले मार्ग पर आपको एक चमकदार कालोनी नजर आएगी. इस चमकदार कालोनी को देखकर आप चौंक सकते हैं और यह सोचने के लिए मजबूर हो सकते हैं कि जिस राज्य की एक बड़ी आबादी हर रोज अपनी रोजी-रोटी के लिए जद्दोजहद करती है वहां के बांशिदें तीन से चार करोड़ रुपए में एक बंगला खरीदने की हैसियत रखते हैं.

जी हां... हम बात कर रहे हैं वॉलफोर्ट सिटी की. बताते हैं कि इस सिटी में एक बंगले की कीमत तीन से चार करोड़ रुपए हैं और यहां कई रसूखदार लोग निवास करते हैं. छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने इसी वॉलफोर्ट सिटी के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. हालांकि यह अभियान भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह को छेड़ना था, लेकिन उनके शासनकाल में यह कालोनी पल्लवित और पुष्पित हुई थीं तो उनके हिस्से का काम पूर्व गृहमंत्री कंवर ने कर दिया.

कंवर ने पांच जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंपी गई एक शिकायत में कहा है कि रायपुर निवासी पंकज लाहोटी ने गोपाल, रामचंद सोनकर, राजीव और शिवमूरत जैसे लोगों के सहयोग से राजस्व अधिकारी रहे घनश्याम शर्मा, पटवारी सनत पटेल से सांठगांठ कर ग्राम महुदा के पटवारी हल्का नंबर 7 अम्लेश्वर तहसील पाटन जिला दुर्ग की करीब 38 एकड़ भूमि जिसका वर्तमान बाजार मूल्य एक अरब 14 करोड़ रुपए है की हेराफेरी कर ली है. कंवर का कहना है कि उक्त जमीन भूमिहीन कृषकों को खेती के जरिए जीवनयापन करने के लिए दी गई थीं, लेकिन कृषकों के साथ धोखाधड़ी कर उनकी जमीन हड़प ली गई है.

अपनी शिकायत के साथ कंवर ने सिलसिलेवार पूरा ब्यौरा दिया है. उन्होंने बताया कि जैनम एग्रो फायनेंस के गोपाल पिता रामचंद्र सोनकर के पास मोहन, रामसिंह की जमीन है. भूपेंद्र कुमार पिता शारदा प्रसाद सोनकर के पास जिन्नतबी छोटे मियां की जमीन है. महेश पिता सोनू राम सोनकर ने हेमंत पिता राजाराम, मनोहर पिता विरुमल, भारत, विष्णु, सरुप, रामाधार की जमीन को अपने नाम कर लिया है. अनिल पिता आरसी ने तुलसी, नंदकुमार और शिवकुमार की जमीन अपने नाम कर ली है. वसुंधरा आयुवैर्दिक अनुसंधान केंद्र प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजू पिता शिवमूरत ने मेहतरू, सुखचंद, गिरधर, सिलउ, गोवर्धन, जगतपाल, डेरहा, कन्हैया, दुखवा और सुखऊ की जमीन अपने नाम चढ़ा ली है.

 

कंवर का कहना है कि गोपाल सोनकर, भूपेंद्र सोनकर, महेंद्र सोनकर और अनिल सोनकर सभी पंकज लाहोटी के खास लोग है. कंवर का आरोप है कि ग्राम कोपेडीह की पटवारी हल्का नंबर सात की जमीन वॉलफोर्ट सिटी को कंपनी टू कंपनी ट्रांसफर की गई है. ऐसा कर शासन को राजस्व की क्षति पहुंचाई गई है. कंवर ने जमीन का जो-जो हिस्सा वॉलफोर्ट सिटी को स्थानांतरित किया गया है उसका ब्यौरा भी सौंपा है. कंवर का कहन है कि यह अरबों रुपए का जमीन घोटाला है. अगर सूक्ष्मता से जांच की जाएगी तो कई चेहरे बेनकाब होंगे. वैसे सूत्रों का कहना है कि वॉलफोर्ट सिटी के निर्माण में भारतीय पुलिस सेवा के एक विवादास्पद पुलिस अफसर की भी बड़ी भूमिका है. प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थीं तब इस पुलिस अफसर ने अवैध धंधों में लिप्त कई लोगों को संरक्षण दे रखा था. सूत्रों का कहना है कि वॉलफोर्ट सिटी के  निर्माण में दूसरा महत्वपूर्ण शख्स वह है जो कई तरह के गोरखधंधों में लिप्त पुलिस अफसर के लिए वसूली का काम किया करता था. बताते हैं कि अफसर जिन लोगों को अपने जाल में फंसाता था उनसे अस्पताल के लिए अनुदान मांगता था. बेगुनाह और मजबूर लोगों से वसूली का काम वॉलफोर्ट सिटी से जुड़ा शख्स ही किया करता था. बहरहाल अरबों के इस जमीन घोटाले की शिकायत शुक्रवार को मुख्यमंत्री तक पहुंच गई है. इस मामले में अभी और कई सनसनीखेज खुलासे होने बाकी है.

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मंत्री अमरजीत भगत को आवंटित हो सकता है मुकेश गुप्ता का बंगला ?

रायपुर. हाल के दिनों में मंत्रिमंडल में शामिल किए गए अमरजीत भगत के लिए सरकार आवास की तलाश कर रही है, लेकिन अभी कोई ऐसा बंगला खाली नहीं है जो उन्हें आवंटित किया जा सकें. कहा जा रहा है कि उन्हें देश के सबसे विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता का बंगला आवंटित किया जा सकता है.

सरगुजा के सीतापुर से विधायक अमरजीत भगत को हाल के दिनों में ही संस्कृति मंत्री बनाया गया है. जो लोग संस्कृति के जानकार है उनका मानना है कि मंत्री भगत को शंकर नगर या उसके आसपास ही कहीं बंगला आवंटित होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग उनसे आसानी से मेल- मुलाकात कर सकें. मगर इस इलाके में कोई भी सरकारी बंगला फिलहाल खाली नहीं है. सूत्रों का कहना है कि सरकार उन्हें सिविल लाइन में दंतेवाड़ा की पूर्व विधायक देवती कर्मा के पास स्थित मुकेश गुप्ता का सरकारी आवास आवंटित कर सकती है. हालांकि यह आवास अपेक्षाकृत छोटा है मगर थोड़े से कामकाज के बाद बंगले की हालत ठीक की जा सकती है. इस बंगले में नए सिरे से कभी किसी तरह का निर्माण कार्य नहीं हुआ है. केवल एक बार मुकेश गुप्ता ने बंगले के पिछले हिस्से में एक छोटा सा दरवाजा बनवाया था तो यह खबर तेजी से फैली थीं कि गिरफ्तारी के दौरान भागने के लिए उन्होंने ऐसा किया है.

यह बताना भी लाजिमी है कि मुकेश गुप्ता को जब से यह बंगला आवंटित हुआ है तब से वे यहां दो-चार बार ही ठहरे होंगे. निलंबित होने के बाद दिल्ली को ही उन्होंने अपना स्थायी ठिकाना बना लिया है. पुलिस महकमे के कर्मचारी उनके निवास पर किसी भी तरह की नोटिस चस्पा करने जाते हैं तो वहां तैनात पुलिसकर्मी कह देते हैं कि साहब तो यहां रहते ही नहीं है.

जब उन्हें निलंबित किया गया था तब उनके आदेश में यह साफ-साफ उल्लेखित किया गया था कि उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी और निलंबन अवधि तक उन्हें पुलिस मुख्यालय में हर रोज ( अवकाश के दिनों को छोड़कर ) अपनी आमद देनी होगी, लेकिन मुकेश गुप्ता ने सरकार के सभी फरमान को ठेंगा दिखा रहे हैं. नब्बे दिनों से ज्यादा गैर-हाजिर रहने पर जब उन्हें पुलिस मुख्यालय की तरफ से नोटिस जारी किया गया तब उन्होंने एक पत्र भेजकर यह सूचित किया कि कोई ऐसा नियम नहीं है कि जिसे निलंबित किया गया है वह उपस्थित रहेगा? उनके इस कथन के बाद यह सवाल भी उठा कि जिन अफसरों ने भ्रष्ट तरीके से पैसा नहीं कमाया या जो रसूखदार नहीं बन पाए... क्या सारे नियम उन्हीं के लिए बनाए गए है. उनके साथ ही निलंबित किए गए भारतीय पुलिस सेवा के अफसर रजनेश सिंह बकायदा पुलिस मुख्यालय में हर रोज आमद दे देते हैं. जब-जब रजनेश सिंह को ईओडब्लू की तरफ से बयान देने के लिए बुलवाया तब-तब वे अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं, लेकिन मुकेश गुप्ता ने महज दो बार ही ईओडब्लू में दस्तक दी हैं. मुकेश गुप्ता के  खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही है. यह जांच पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी कर रहे हैं. गुप्ता को कई मर्तबा पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है, लेकिन यहां भी उनका रवैय्या- ज्यादा से ज्यादा क्या कर लोगे... वाला बना हुआ है. 

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क्या पुरातत्व विभाग के जगदेव राम भगत ने सिक्कों को बेचकर महल खड़ा किया है?

रायपुर. संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में उपसंचालक की हैसियत से पदस्थ जगदेव राम भगत के कारनामों को लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली एक संस्था खबरदार आज तक इंडिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को शिकायत भेजी है. इस दस्तावेजी शिकायत की एक प्रति अपना मोर्चा डॉट कॉम के पास भी सुरक्षित है. अब शिकायत कितनी सच है इसका खुलासा तो जांच के उपरांत ही पता चलेगा, लेकिन शिकायतकर्ता संस्था के आरोप काफी गंभीर है. शिकायत में संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में कार्यरत दीप्ति नाम की एक महिला को भी भ्रष्टाचार में लिप्त बताया गया है.

शिकायत में कहा गया है कि जगदेव राम भगत लंबे समय से महंत घासीदास संग्रहालय में पदस्थ है. गत 16 साल से संग्रहालय का चार्ज होने के बावजूद भी भगत ने आज तक भौतिक सत्यापन नहीं करवाया है. वहां कार्यरत कर्मचारी दबी जुबान से कहते हैं कि भगत ने संग्रहालय के सिक्कों को बेचकर अपनी निजी प्रापर्टी खड़ी की है. शिकायत में उल्लेखित है कि भगत के संग्रहालय अध्यक्ष रहने के दौरान ही पचराही संगोष्ठी का आयोजन किया गया था. इस आयोजन के लिए अच्छी-खासी रकम संग्रहाध्यक्ष कार्यालय से ही आहरित की गई थी. इसके भुगतान की जवाबदारी बीरबल राम कुजूर को दी गई थी, लेकिन बाद में भुगतान की जवाबदारी दीप्ति नाम की महिला को दे दी गई. बताया गया है कि भगत अब भी अपने सहयोगी युगल और सतीश के माध्यम से पचराही के पुराने बिलों का भुगतान कर रहे हैं. मेसर्स बल्लू अग्रवाल और पूर्णेद्र प्रकाश लाइट साउंड का भुगतान पहले हो चुका है बावजूद इसके इन्हें पुरानी तिथि यानी बैक डेट पर भुगतान दिया जा रहा है.

यहां यह बताना लाजिमी है कि पुरातत्व विभाग की ओर से तरीघाट में किया गया उत्खनन बेहद विवादित रहा है. इस उत्खनन को लेकर कई खबरें मीडिया में सार्वजनिक होती रही है. शिकायत में तरीघाट में हुई अनियमितता का भी उल्लेख है. इस मामले में संस्था ने कहा है कि तरीघाट का उत्खनन दो सालों से बंद है बावजूद इसके फर्जी ढंग से मस्टर रोल बनाकर लाखों का भुगतान किया गया और इस काम के लिए भी महिला कर्मचारी दीप्ति का सहयोग लिया गया. शिकायत में मेला मंडई में भी 15 लाख के भुगतान की गफलतबाजी का जिक्र है. इसके अलावा महंत सर्वेश्वर दास ग्रंथालय में अध्ययन और संगीत कक्ष के नाम पर 33.17 लाख रुपए का व्यय अनावश्यक बताया गया है. कहा गया है कि इस कार्य में विक्रांत वैष्णव नाम का एक शख्स भी शामिल है. पुरखौती मुक्तागंन परिसर में कोटा वोल्टाइज प्रणाली लगाई गई है. इसका भुगतान भी पोखराज पुरी गोस्वामी के माध्यम से किया गया है. शिकायत में एक महिला कर्मचारी के नाम से तीन बेडरुम वाले फ्लैट को खरीदे जाने की जानकारी दी गई है.

चेलों की भरमार

प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थीं तब कई अफसरों ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकालने वाले चेले पाल रखे थे.एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत की प्रक्रिया अब भी बंद नहीं हुई है. कुछ लोगों की रोजी-रोटी ही सूचना के अधिकार के तहत निकाली गई जानकारी के भरोसे चल रही है. शिकायत में दो लोगों का नाम सहित उल्लेख है. कहा गया है कि दो लोग अक्सर संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग आते हैं और जगदेव राम भगत के इशारे पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल कर विभाग को बदनाम करते हैं. शिकायत में पुरखौती मुक्तागंन में एक ही सीरियल की टिकट गड़बड़ी की भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है. इस जानकारी में यह बताया गया है कि कब-कब किसने क्या-क्या किया. शिकायत में टिकट वितरण में गड़बड़ी करने वालों की तस्वीरें भी चस्पा है. इसके अलावा अन्य कई गंभीर आरोपों का उल्लेख है. इधर जगदेव राम भगत ने अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को निराधार बताया है. भगत का कहना है कि वे पूरी ईमानदारी और निष्ठा से अपने काम को अंजाम देते हैं. विभाग के ही कतिपय लोग जो विघ्नसंतोषी है उनके खिलाफ अर्नगल दुष्प्रचार करते रहते हैं. भगत ने बताया है कि वे अपने ऊपर लगे हुए तमाम आरोपों का सिलसिलेवार जवाब प्रस्तुत कर चुके हैं. आगे भी प्रस्तुत कर देंगे.

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छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ संपादक प्राण चड्ढा की बेटी की दुबई में हत्या ?

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ संपादक एवं वन्य जीव विशेषज्ञ प्राण चड्ढा की छोटी बेटी प्रीति चड्ढा की दुबई में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. प्राण चड्ढा ने इसे सामान्य मौत मानने से इंकार करते हुए हत्या की आशंका जताई है. मिली जानकारी के अनुसार गुरुघासी दास विवि से एमबीए में गोलमेडलिस्ट प्रीति चड्डा की संदिग्ध मौत आबूधाबी में उनके निवास स्थान में 23 जून रविवार को हो गयी थीं. बताते हैं कि प्रीति दुबई के एक मल्टीनेशनल फर्म के एचआर विभाग में प्रमुख पद पर कार्यरत थीं. लगभग तीन साल साल पहले प्रीति का विवाह कलकत्ता निवासी पायलट सिंधु घोष से हुआ था.लेकिन प्रीति उनके अत्यधिक शराब सेवन की आदत से परेशान होकर एक होटल में रह रही थीं. समय-समय पर प्रीति ने अपने परिजनों को यह भी बताया था उसका दापंत्य जीवन खराब चल रहा है. अभी चंद रोज पहले उसने बिलासपुर पहुंच कर अपने पिता प्राण चड्ढा और परिजनों को शरीर पर चोटों के निशान भी दिखाए थे. बिलासपुर से दुबई लौटने के बाद प्रीति ने अपने पिता को यह जानकारी भी दी कि पति सिंधु घोष संबंध सुधारने की बात करते है. बीते रविवार को प्रीति होटल से कपड़े लेने अबुधाबी गई और फिर उसकी मौत हो गयी. प्रीति की मौत की सूचना दामाद सिंधु घोष ने स्वयं दी. प्रीति के पास पिता प्राण चड्ढा काफी मशक्कत के बाद प्रीति का शव यहां ला पाए. यहां भी प्रीति के शव का पोस्टमार्टम किया गया है. लंबे समय तक पत्रकारिता करने वाले प्राण चड्ढा ने फिलहाल सीआरपीसी की धारा 188 के तहत बिलासपुर के पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है. इस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार से अनुमति के.बाद आरोपी के खिलाफ जुर्म दर्ज कर आगे कार्रवाई की जा सकती है.
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मोहन मरकाम बने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष

रायपुर. बस्तर के कोंंडागांव से विधायक मोहन मरकाम को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह जानकारी शुक्रवार को.पत्रकारों को दी.
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40 से ज्यादा बच्चों की तस्करी... युवक चढ़ा राजनांदगांव पुलिस के हत्थे

रायपुर. राजनांदगांव पुलिस ने गुरुवार की सुबह मुंबई-हावड़ा मेल में 40 से ज्यादा बच्चों को बरामद किया है. प्रदेश के पूर्व वरिष्ठ अफसरऔर मितान पुलिस टाइम्स के संस्थापक राजीव श्रीवास्तव को किसी ने यह सूचना दी थी कि ट्रेन में बच्चों की तस्करी हो रही है. इस सूचना के बाद मितान पुलिस टाइम्स की प्रतिनिधि  और अधिवक्ता  स्मिता पांडे ट्रेन में सवार हुई और पल-पल की सूचना एकत्रित करती रही. उन्होंने जानकारी दी कि मुंबई-हावड़ा मेल में 40 से ज्यादा छोटे बच्चे सवार है. उनकी बोली-बानी और बातचीत से यह लग रहा था कि  वे बेहद मजबूर है और उनके साथ उनका कोई भी अभिवावक नहीं है. ग्रुप के सदस्य की सूचना के बाद राजीव श्रीवास्तव ने इसकी सूचना राजनांदगांव पुलिस को दी और थोड़े ही समय में पुलिस ने रेलवे स्टेशन में डेरा डाल दिया. फिलहाल पुलिस ने एस पाइव और एस टू कोच से 40 से ज्यादा बच्चों को बरामद कर लिया है. इन बच्चों में कितने बच्चे छत्तीसगढ़ के हैं यह अभी साफ नहीं है. बच्चों को महाराष्ट्र ले जाने वाले जिस युवक को गिरफ्तार किया गया है वह बिहार का रहने वाला है. युवक पुलिस को अपना नाम अलग-अलग बता रहा है. गिरफ्तार किए गए युवक शाकिर का कहना है कि वह सभी बच्चों को उनके अभिभावकों की अनुमति से ही मुंबई घुमाने ले जा रहा था. फिलहाल 40 बच्चों की बरामदगी से राजनांदगांव में हडकंप मच गया है. पुलिस मामले की विवेचना में जुट गई है.

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भाजपा विधायक ने निगम कर्मचारियों को बल्ले से पीटा

इंदौर. मध्यप्रदेश के इंदौर से भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय के पिता कैलाश विजयवर्गीय एक नामदार शख्स है, लेकिन आकाश ने बुधवार को जो कुछ किया उसके बाद चौतरफा उनकी थू-थू हो रही है. आकाश ने निगम कर्मचारियों को बल्ले से पीटा जिसका वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है.

खबर है कि निगम का अमला गंजी कंपाउड में एक जर्जर मकान को तोड़ने के लिए पहुंचा था. इसी दौरान स्थानीय लोगों ने आकाश को बुला लिया.लोगों के बुलाने पर आकाश ने मौके पर पहुंचकर निगम के अधिकारियों को धमकी भी दी. विधायक के आते ही कार्यकर्ताओं ने जेसीबी की चाबी निकाल ली। आकाश ने अधिकारियों से कहा कि 10 मिनट में यहां से निकल जाना, वर्ना जो भी होगा उसके जिम्मेदार आप लोग होंगे। इसी दौरान अधिकारियों से कहासुनी हो गई.तभी आकाश ने अधिकारी को बैट से पीटना शुरू कर दिया. हालांकि, पुलिस और अन्य लोगों ने किसी तरह विधायक को पकड़कर शांत करवाया. विवाद के बाद आकाश ने कहा, ‘मैं बहुत गुस्से में था। मैंने क्या कर दिया मुझे नहीं पता। निगम के अफसर ने एक महिला के साथ गाली-गलौज की और हाथ पकड़ा, जिससे मुझे गुस्सा आ गया.’ विवाद के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने एमजी रोड थाने का घेराव किया.वहीं, दूसरी तरफ मारपीट के विरोध में नगर निगम कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया. देर रात पुलिस ने आकाश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

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मुख्यमंत्री की इस तस्वीर को देखकर हर कोई कह रहा है- भई वाह...जोरदार

रायपुर.छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सादगी से हर कोई वाकिफ है. इस वजह से पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के समय हाई-फाई हो चुके अफसर थोड़ा असहज भी महसूस कर रहे हैं. अभी कुछ दिनों पहले वे ग्रामीण इलाकों में बिकने वाली भंदही ( एक तरह की सैंडल ) पहनकर पत्रकारों के बीच जा बैठे थे. तब उनकी इस सादगी पर वरिष्ठ छायाकार गोकुल सोनी ने अपने फेसबुक पर एक बेहतरीन पोस्ट लिखी थीं. वैसे यह बताना भी लाजिमी होगा कि जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने और रमन महल मतलब मुख्यमंत्री निवास पहुंचे तब अफसरों ने महल को नए ढंग से सजाने के लिए लंबे-चौड़े खर्चों का ब्यौरा दिया था, लेकिन बघेल ने सिर्फ़ रंगाई-पोताई की अनुमति दी. अगर कभी आपको मुख्यमंत्री निवास जाने का अवसर मिले तो देखिएगा जिन दीवारों पर कभी रमनसिंह की आदमकद तस्वीरें लगा करती थीं अब उन दीवारों पर सिर्फ़ कीले हैं.  बाकी यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि जब रमन सिंह मकान खाली कर रहे थे तब उन्होंने कई दिनों का वक्त लिया था. हर रोज कोई न कोई ट्रक पिछले गेट से बाहर निकलता था. आखिरी बार एक छोटा हाथी बाहर निकला था और इस हाथी में लदा सामान भी बाहर लटक रहा था. अब जरा इस चित्र को गौर से देखिए...। एक नाई की दुकान में अपने दाऊजी मूंछ सेट करवा रहे है. ऐसी तस्वीर पहले कभी नहीं देखी गई. यह तस्वीर फिलहाल सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है. हर कोई कह रहा है- भई वाह... शानदार.... जबरदस्त.

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सेक्स सीडी कांड में लिप्त न्यूज चैनल का मालिक रच रहा है फंसाने की साजिश- कैलाश मुरारका

रायपुर. छत्तीसगढ़ के एक पूर्व मंत्री के कथित सेक्स सीडी कांड में आरोपों से घिरे वरिष्ठ नेता कैलाश मुरारका का कहना है कि एक चैनल का मालिक उन्हें झूठे आरोपों में फंसाने की साजिश रच रहा है. अपना मोर्चा डॉट कॉम से संक्षिप्त चर्चा में मुरारका ने कहा कि पिछले दो दिनों से मीडिया में उसके खिलाफ खबरें प्लांट की जा रही है. यदि चैनल का मालिक बहुत ज्यादा पाक- साफ है तो उसे अपने चैनल में भी खबरें दिखानी चाहिए थी. मुरारका ने कहा कि जब सेक्स सीडी सामने आई थी तब चैनल के सारे लोग सीबीआई का काम करते हुए नजर आ रहे थे. चैनल से जुड़ा छोटा-बड़ा हर आदमी यह बताने कर रहा था कि उनके चैनल ने तीर मार लिया है. सीडी में फर्जीवाड़ा किया गया है, लेकिन अब सेक्स सीडी से संबंधित खबरें उस चैनल में  दिखाई नहीं जाती. मुरारका ने कहा कि उसके बारे में यह प्रचारित किया जा रहा है कि उसका कोई ऑडियो वायरल हुआ है जबकि हकीकत यह है कि पूर्व में उन्होंने ( मुरारका ने ) खुद ही पैसों के लेन-देन वाला एक ऑडियो जारी किया था जिसमें चैनल मालिक की आवाज थीं. मुरारका ने बताया कि उसने चैनल मालिक को अदालत में घसीट रखा है. चैनल का मालिक अपने आपको बचाने के लिए इधर-उधर हाथ-पांव मार रहा है.

गौरतलब है कि मंत्री की कथित सेक्स सीडी मामले में रिंकू खनूजा नाम के एक शख्स का नाम भी सामने आया था. जब सीबीआई इस मामले की पूछताछ कर रही थी तब अचानक एक रोज रिंकू खनूजा की मौत हो गई. पुलिस का दावा था कि उसने अपने आटोपार्टस की दुकान में फांसी लगा ली थी जबकि रिंकू के परिजनों का कहना था कि सीडीकांड में शामिल लोगों ने खुद को बचाने के लिए रिंकू को मौत के घाट उतार दिया था. रिंकू की मौत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने स्वयं मौके का मुआयना किया था और रिंकू के घर जाकर उनके परिजनों को आश्वस्त किया था कि कांग्रेस की सरकार बनते ही नए सिरे से मामले की जांच होगी. इधर पिछले दिनों रिंकू के परिजनों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की तब पुलिस ने एक बार फिर नए सिरे से मामले की जांच प्रारंभ की. इस मामले में पुलिस ने लवली खनूजा, विजय पंडया और मानस साहू के खिलाफ नामजद शिकायत की है. कैलाश मुरारका का कहना है कि चैनल का मालिक उसे फंसाने के लिए लगातार साजिश रच रहा है ताकि खुद बच निकले, लेकिन ऐसा होगा नहीं. मुरारका ने बताया कि चैनल का मालिक सेक्स सीडी मामले में पूरी तरह से लिप्त है. उसने पांच मंत्रियों और संगठन से जुड़े एक महत्वपूर्ण शख्स की सीडी बनाकर रखी थी. देश के एक बड़े भाजपा नेता की सीडी को उसने एक प्रसिद्ध योग गुरू को भी सौंपा था. मुरारका ने कहा कि उसका कथित ऑडियो चैनल का मालिक ही इधर-उधर बांटते फिर रहा है. वह जल्द ही चैनल के मालिक के खिलाफ अदालत में परिवाद दाखिल करेगा. 

 

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सोशल मीडिया में इस कार्टून ने मचाया धमाल... सब कह रहे हैं-क्या तमाचा मारा है.

सोशल मीडिया में इस कार्टून ने धमाल मचा दिया है. हर लोग इस कार्टून को थोड़ा रुककर देख रहे हैं और समझने की कोशिश कर रहे हैं कि देश में आगे और क्या-क्या होना बाकी है. वैसे कार्टून की ताकत क्या होती है इस कार्टून को देखकर समझा जा सकता है. जिस गांधी के हाथों में लाठी थी उन्हें भी चौक से उतरना छिपना पड़ रहा है. यह कार्टून एक जोरदार तमाचा भी है.

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जिसे मुकेश गुप्ता और सेंगर ने फंसाया उसे अदालत ने बचाया

रायपुर. प्रदेश के जिस खनिज अधिकारी को आय से अधिक संपत्ति रखने तथा साजिश रचने के आरोप में ईओडब्लू के चीफ मुकेश गुप्ता और निरीक्षक आरएन सिंह सेंगर ने फंसाया था अदालत ने उसे दोषमुक्त मानते हुए बरी कर दिया है. अदालत ने खनिज अधिकारी कुंदन बंजारे और उसके पिता कामता प्रसाद बंजारे को फंसाने के मामले में केबी ग्रुप से जुड़े निशांत जैन की भूमिका को भी षडयंत्र का हिस्सा माना है.

पिछले 30 मई 2019 को विशेष न्यायाधीश ( भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत प्राधिकृत ) खिलावन राम गिरी ने अपने फैसले में कहा कि जो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया उसमें निशांत जैन के नाम से पंजीकृत एक इनोवा कार को भी अभियुक्त कुंदन बंजारे का बता दिया गया था. प्रकरण में 45 लाख रुपए जप्त किए गए थे जिसे कुंदन बंजारे का बताया गया था लेकिन उस पर किसी ने कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया. न्यायाधीश ने इस प्रकरण में जांच की आवश्यकता बताते हुए विधि के अनुसार कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है.

गौरतलब है कि संचालनालय भौमिकी और खनिकर्म विभाग में उपसंचालक की हैसियत से पदस्थ कुंदन बंजारे के ठिकानों पर ईओडब्लू ने एक फर्जी शिकायत के आधार छापामार कार्रवाई की थी. जब यह कार्रवाई हुई तब  ईओडब्लू के चीफ मुकेश गुप्ता थे. खनिज अधिकारी के बारे में यह कहा गया था उसने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है और अपने पिता कामता प्रसाद बंजारे, कल्याणी बंजारे और कमलेश कुमार बंजारे के नाम से बेनामी संपत्ति क्रय की. ईओडब्लू ने छापामार कार्रवाई के दौरान 45 लाख रुपए भी जप्त किए. न्यायालय में यह बात भी सामने आई कि खनिज विभाग में पदस्थ रहने के दौरान कुंदन बंजारे ने अवैध उत्खनन के कई मामले बनाए थे. इन मामलों से कहीं न कही निशांत जैन जुड़े हुए थे. खनिज अधिकारी रहने के दौरान कुंदन बंजारे पेनाल्टी लगाया करते थे जिससे निशांत जैन चिढ़ गया था. न्यायालय में यह भी साफ हुआ कि निशांत जैन अभियुक्त बंजारे की कार्रवाई से दुखी था. इस मामले की पड़ताल निरीक्षक आरएन सेंगर ने की थी. न्यायालय ने यह माना कि सेंगर ने समयाभाव बताते हुए कुछ जरूरी कार्रवाई निशांत जैन के दफ्तर में संपन्न की थी. अदालत ने कहा कि निरीक्षक सेंगर को यह पता था कि जिस 45 लाख की वह जप्ती बना रहा है वह निशांत जैन के पास ही रखी गई थी.

न्यायालय द्वारा कुंदन बंजारे और उसके पिता कामता बंजारे को दोषमुक्त किए जाने से यह साफ हो गया है कि पिछली सरकार में ईओडब्लू झूठी शिकायतों के आधार पर बेगुनाह लोगों को फंसाया करती थी. एक इंजीनियर आलोक अग्रवाल को फंसाए जाने के मामले में भी उनके भाई पवन अग्रवाल ने सवाल उठाए हैं. इधर खबर है कि दोषमुक्त हो जाने के बाद कुंदन बंजारे ईओडब्लू चीफ और निरीक्षक सेंगर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने को लेकर कानूनी सलाह ले रहे हैं.

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जनता के बीच सबसे बड़ा सवाल... मुकेश गुप्ता को जेल कब होगी

रायपुर. छत्तीसगढ़ के विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता पर एक के बाद एक कई तरह के मामले पंजीबद्ध हो रहे हैं, लेकिन इन मामलों के पंजीबद्ध होने के साथ ही जन सामान्य के बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या कभी मुकेश गुप्ता को जेल की सजा हो पाएगी.

इसमें कोई दो मत नहीं है कि वर्ष 2003 में जोगी के सत्ता में रहने के दौरान मुकेश गुप्ता बेहद पावरफुल थे. याद करिए तब वरिष्ठ भाजपा नेता नंद कुमार साय को लाठी-डंडों से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया था. उनके पैर टूट गया था. जोगी के सत्ता से बाहर होने के बाद साय इस बात के लिए आशान्वित थे गुप्ता पर कोई बड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. भाजपा के सत्ता में आते ही गुप्ता एक बार फिर शक्तिशाली होकर उभरे और उनके खिलाफ चल रही सारी जांच ठंठे बस्ते में चली गई. इधर मुकेश गुप्ता पर शिकंजा कसने के लिए भूपेश बघेल सरकार की प्रशंसा तो हो रही है, लेकिन जनसामान्य के बीच यह चर्चा भी जमकर चल रही है कि क्या वाकई मुकेश गुप्ता को उनके काले-पीले और अवैध कारनामों के लिए कभी कोई सजा मिल पाएगी.

सवाल उठने के कई कारण है. सबसे पहला कारण तो यही है कि अदालत ने मुकेश गुप्ता को अवैध फोन टैप कांड मामले में फौरी राहत दी है. गुप्ता के पीछे बड़े-बड़े वकीलों की फौज है. इधर गुप्ता महज एक या दो बार ही ईओडब्लू में बयान देने के लिए उपस्थित हुए हैं. पहली बार उपस्थिति के दौरान उनकी अकड़ के किस्से सार्वजनिक हुए तो दूसरी बार यह बात सार्वजनिक हुई है कि वे इतना ज्यादा कूल थे कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है. पूछो जो पूछना है.... जैसा अंदाज था. गुप्ता को निलंबित हुए 90 दिन से ज्यादा हो गए हैं. इस बीच उन्होंने एक भी बार पुलिस मुख्यालय में अपनी आमद नहीं दी है जबकि उनके साथ ही निलंबित किए गए रजनेश सिंह बकायदा पुलिस मुख्यालय के छोटे से कमरे में बैठते हैं और जब बयान देने को कहा जाता है तब उपस्थित होते हैं. नियमानुसार गुप्ता को भी पुलिस मुख्यालय में मौजूद रहना है, लेकिन उनका रवैय्या सब को ठेंगे पर रखने जैसा है. उन्हें बार-बार नोटिस देकर बयान देने के लिए बुलाया जाता है लेकिन जब उनकी मर्जी होती है तब वे फ्लाइट पकड़कर बयान देने के लिए दिल्ली से आते हैं और जब मर्जी होती है फ्लाइट पकड़कर दिल्ली चले जाते हैं. पूर्व सरकार की मेहरबानी से उन्हें पूर्व विधायक की पत्नी देवती कर्मा के ठीक बगल वाला आवास आवंटित किया गया है, लेकिन यहां भी वे यदा-कदा आते हैं. वहां मौजूद सिपाहियों से पूछो तो वे कहते हैं- कई महीने हो गए साहब को देखा ही नहीं. साहब और कही रहते हैं क्या... पूछने पर सिपाहियों का जवाब होता है- हमें नहीं मालूम, लेकिन सुनते हैं कि दिल्ली में घर बना लिया है. वही से आना-जाना करते हैं. मुकेश गुप्ता के इस तरह के बेखौफ आचार- व्यवहार से यह सवाल भी उठ रहा है कि जब उन्हें अपनी सारी कानूनी प्रक्रिया दिल्ली से आकर-जाकर ही पूरी करनी है तो फिर सरकार ने उन्हें आवास सुविधा क्यों दे रखी है. उनके खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही है, लेकिन वे एक भी बार अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं. उनका पूरा अंदाज जो करना है... कर लो जैसा है.

जरा सोचिए... अगर कोई साधारण आदमी फोन टैप और धोखाधड़ी जैसी गंभीर धाराओं का आरोपी होता तो क्या ईओडब्लू और पुलिस साधारण आदमी की आरती उतारने का उपक्रम करती. शायद नहीं.... लेकिन मुकेश गुप्ता के मामले में ऐसा ही हो रहा है. जनता के बीच में यह धारणा घर कर गई है कि मुकेश गुप्ता का बाल बांका भी नहीं हो पाएगा. वैसे एक बड़ी आबादी मुकेश गुप्ता और सुपर सीएम बनकर छत्तीसगढ़ को लूटने वाले शख्स को जेल के पीछे देखना चाहती है, लेकिन हाल-फिलहाल तो यह मुमकिन होते नहीं दिख रहा है. जनसामान्य के बीच यह चर्चा भी कायम है कि मुकेश गुप्ता पर ठोस कार्रवाई के मामले में कुछ अफसर सरकार को अंधेरे में रखकर चल रहे हैं. उनकी पूरी कोशिश है कि किसी तरह से मुकेश गुप्ता को मुसीबत के घेरे से बाहर निकाल लिया जाय. बहुत संभव है इन चर्चाओं में कोई दम न हो, लेकिन यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि चर्चा का स्तर व्यापक है और जबरदस्त है.

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विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता पर एक और मामला दर्ज

राजकुमार सोनी

रायपुर. देश के सबसे विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता पर एक और मामला दर्ज कर लिया गया है. यह मामला माणिक मेहता की शिकायत के बाद दर्ज किया गया है. माणिक मेहता वहीं है जिनकी बहन मिक्की मेहता से मुकेश गुप्ता ने पहली पत्नी रहने के बाद भी विवाह किया था और बाद में संदिग्ध परिस्थियों में मिक्की की मौत हो गई थी. फिलहाल माणिक की शिकायत पर दुर्ग जिले की सुपेला पुलिस ने गुप्ता पर धारा 409, 420, 467, 468, 471, 201 एवं 421 के तहत मामला पंजीबद्ध किया है. गौरतलब है कि कुछ माह पहले ही मुकेश गुप्ता पर नागरिक आपूर्ति निगम में हुए घोटाले की जांच के दौरान अवैध ढंग से फोन टैपिंग का मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा उनकी करीबी रेखा नायर पर भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में ईओडब्लू ने प्रकरण पंजीबद्ध किया है. मुकेश गुप्ता पिछले कई महीनों से निलंबित है. निलंबन अवधि के दौरान उन्हें पुलिस मुख्यालय में अपनी आमद देनी है, लेकिन उन्होंने एक मर्तबा भी अपनी आमद नहीं दी है. उन पर विभागीय जांच भी लंबित है. कई बार नोटिस जारी किए जाने के बाद भी वे विभागीय जांच में बयान देने के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं.

बहरहाल पुलिस ने जो मामला दर्ज किया है उसके मुताबिक मुकेश गुप्ता वर्ष 1998 के जून माह में दुर्ग में पुलिस अधीक्षक थे. इस दौरान वे भिलाई साडा में पदेन सदस्य भी थे. माणिक का आरोप है कि उन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए मोतीलाल नेहरू आवासीय योजना ( पश्चिम ) में ब्लाक क्रमांक 67, भूखंड क्रमांक 5 कुल 540 वर्ग मीटर का आवंटन अपने नाम से प्राप्त कर लिया था. माणिक मेहता ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है किमुकेश गुप्ता ने 9 जून  1998 को कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर  2928 वर्ग फुट के आबंटित भूखण्ड के स्थान पर, उससे लगभग दोगुने भूखण्ड ( 5810.40 वर्ग फुट ) की 11 जून 1998 को रजिस्ट्री अपने नाम से करवा ली थी, जबकि चैक की राशि 13 जून 1998 को जमा हुई थी. यानी कि बिना पैसे दिए ही मुकेश गुप्ता ने विघटित हो चुके साडा से अपने नाम उक्त जमीन करवा ली थी.

इस जमीन जमीन को खरीदने के पश्चात मुकेश गुप्ता ने पुलिस विभाग को  किसी तरह की कोई सूचना नहीं दी और बगैर अनुमति के उस जमीन पर बेशकीमती इमारत भी बनवा ली. जब इस मामले की चर्चा होने लगी तब मुकेश गुप्ता ने इस मकान को 42 लाख में बेच दिया और दिल्ली में एक करोड़ 5 लाख रुपए से एक दूसरा मकान खरीद लिया.माणिक ने पुलिस को बताया कि मुकेश गुप्ता ने विभाग को पहले इस बात की सूचना दी थी कि वह अपने मकान को 27 लाख रुपए में बेचना चाहता है. लेकिन फिर उन्होंने विभाग को यह सूचित किया कि अब सौदा निरस्त हो गया है. लेकिन फिर अगले दिन ही एक नए विक्रेता से उसी संपत्ति का सौदा 42 लाख में कर लिया.

माणिक का कहना है कि दिल्ली में खरीदे गए मकान में एक नंबर के पैसों की व्यवस्था नहीं हो पाई थी. यह भी समझना होगा कि कोई विवादित व्यापारी एक आला पुलिस अफसर की संपत्ति को बाजार मूल्य से डेढ़ गुना मंहगी क्यों खरीदेगा. माणिक का आरोप है कि गुप्ता ने साड़ा भिलाई के भंग होने के बाद कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर भूखंड की रजिस्ट्री अपने नाम से करवाई थी. इधर खबर है कि मुकेश गुप्ता से प्रताड़ित लगभग 25 लोगों ने सरकार के साथ-साथ विभिन्न थानों में आवेदन दे रखा है. इनमें कुछ महिलाओं के आवेदन भी शामिल है.आवेदन में छत्तीसगढ़ में सुपर सीएम के नाम से विख्यात संविदा में पदस्थ एक अफसर का भी खास तौर पर उल्लेख है. एक आवेदन में तो इस बात का भी उल्लेख है कि संविदा में पदस्थ अफसर ने पुलिस मेंस और फार्म हाउस में कब-कब किस घटना को अंजाम दिया था. इधर वरिष्ठ पुलिस अफसर गिरधारी नायक ने भी मिक्की मेहता संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. कहा जा रहा है कि विधानसभा सत्र से पहले सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे सकती है.

 

 

 

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पीडब्लूडी में अटके प्रमोशन से सीएम खफा

रायपुर. प्रदेश का पीडब्लूडी विभाग ही एक ऐसा विभाग है जहां नीचे से लेकर ऊपर तक कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रमोशन अटका हुआ है. मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीडब्लूडी की समीक्षा बैठक के दौरान अटके हुए प्रमोशन को लेकर अप्रसन्नता व्यक्त की तो अफसर बगले झांकने लगे.मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि जब यदि किसी कर्मचारी और अधिकारी को सही समय पर पदोन्नति नहीं मिलती है तो वह निरुत्साहित हो जाता है. जिसका जो वाजिब हक है वह उसे मिलना चाहिए. मुख्यमंत्री जब यह टिप्पणी कर रहे थे तब विभाग के सचिव अनिल राय और अन्य अफसर मौजूद थे.

गौरतलब है कि पीडब्लू विभाग में कर्मचारियों और अफसरों की पदोन्नति का मामला लंबे समय से अटका पड़ा है. कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच इतनी अधिक खींचतान है कि हर कोई एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ में लगा रहता है. दूसरों की अयोग्यता की वजह से कुछ योग्य प्रमुख अभियंता इसलिए पिछड़ गए हैं क्योंकि वे किसी को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते. कुछ अभियंताओं ने नाइंसाफी से परेशान होकर बकायदा कोर्ट की शरण ले रखी है. मुख्यमंत्री ने जब पदोन्नति की बात उठाई तो ऐसा लग रहा था कि वे विभाग की रग-रग से वाकिफ है.

मंगाई स्काई वॉक की ओरिजनल फाइल

बैठक ने मुख्यमंत्री ने स्काई वॉक की उपयोगिता को लेकर अफसरों से सवाल भी पूछे. एक अफसर ने कहा कि पुरानी सरकार ने पैसा खर्च किया है तो स्काई वॉक को तोड़ना ठीक नहीं होगा. मुख्यमंत्री बघेल ने सवाल किया- भले ही जनता कष्ट उठाती रहे. उन्होंने अफसरों से स्काई वॉक योजना की ओरिजनल फाइल को उनके सामने प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. ज्ञात हो कि भाजपा के शासनकाल में कोरी नाम के एक इंजीनियर ने स्काई वॉक का प्रस्ताव तैयार किया था जबकि मंजूरी उन अफसरों ने ही दी थी जो अब भी पीडब्लूडी में ही तैनात है. इन अफसरों में वन विभाग के अफसर अनिल राय जो लंबे समय से पीडब्लूडी में तैनात है ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं. मुख्यमंत्री ने बैठक में अफसरों और मंत्रियों के बंगले के निर्माण की धीमी गति को लेकर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि जब तक अफसर और मंत्री नवा रायपुर में नहीं रहेंगे तब तक आम जनता से अपेक्षा करना बेकार है. मुख्यमंत्री ने बस्तर के माओवाद प्रभावित इलाकों में स्थानीय युवकों को रोजगार देने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए. उन्होंने कहा कि बस्तर में जो सड़क का जो भी काम होगा उसमें स्थानीय भागीदारी आवश्यक रुप से सुनिश्चित होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने नेशनल हाइवे की गुणवत्ता को लेकर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि अधिकांश जगह से यही शिकायत मिल रही है कि सड़कें खराब बन रही है.उन्होंने गुणवत्ता का ध्यान रखने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि रायपुर और बिलासपुर के बीच की सड़क भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है. लोकनिर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने समयबद्ध कार्यक्रम बनाकर कार्य करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अक्सर अधिकारी समस्या बताते रहते हैं, लेकिन वे इस बात का ख्याल नहीं रखते कि समस्या का समाधान कैसे निकल सकता है.

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बिजली बोर्ड का अधिकारी 19 साल से मंत्रालय का बादशाह

रायपुर. बिजली बोर्ड का एक अधिकारी एमएस रत्नम गत 19 सालों से छत्तीसगढ़ मंत्रालय का बादशाह बना हुआ है. बताते हैं कि राज्य निर्माण से लेकर अब तक कई तरह के सचिव, मुख्य सचिव सेवानिवृत होकर घर बैठ गए,लेकिन रत्नम जहां के तहां है. कई तरह की गंभीर शिकायतों के बावजूद कोई उनका बाल-बांका नहीं कर पाया. जब वे बिजली बोर्ड से मंत्रालय भेजे गए थे तब कार्यपालन अभियंता थे. अब मुख्य अभियंता है. हालांकि मंत्रालय में उन्हें विशेष सचिव का दर्जा मिला हुआ है. बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि रत्नम कभी खुद को पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का करीबी बताकर बचते रहे हैं तो कभी शिवराज सिंह का करीबी बनकर. उन पर संविदा में पदस्थ एक ऐसे अधिकारी का भी वरदहस्त रहा है जो इन दिनों सब कुछ छोड़-छाड़कर दिल्ली जा बसा है. बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी तब संविदा में पदस्थ संरक्षणकर्ता अफसर को भाजपा के लोग ही सुपर सीएम कहा करते थे.

बिजली विभाग के अनेक अधिकारियों ने समय-समय पर रत्नम के कारनामों के बारे में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को जानकारी दी है. अभी हाल के दिनों में कुछ अधिकारियों ने रत्नम के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तारपूर्वक बताया है. अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में जगह-जगह बिजली कटौती का जो खेल चल रहा है उस खेल में रत्नम के अलावा कुछ ऐसे अफसर संलिप्त है जो यह मानने को तैयार नहीं है कि प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार है. पन्द्रह सालों तक स्वामी भक्ति में लिप्त रहे अफसर भूपेश सरकार को बदनाम कर अभी से भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की जुगत में लग गए हैं. हालांकि मुख्यमंत्री ने गुणा-भाग को पहले ही भांप लिया और यह बयान भी दे दिया है कि बिजली कटौती के खेल में भाजपाई शामिल है बावजूद इसके अफसर चाहते है कि त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति बरकरार रहे.

 बिजली बोर्ड अभियंता संघ से जुड़े एक प्रमुख पदाधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ जब अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब बस्तर के बारसूर प्रोजेक्ट में एमएस रत्नम की तैनाती की गई थी. रत्नम मुख्य रुप से सिविल इंजीनियर है जबकि बिजली विभाग का कामकाज समझने के लिए इलेक्ट्रिक इंजीनियर होना अनिवार्य है. पदाधिकारी का कहना है कि एक सिविल इंजीनियर की वजह से ऊर्जा विभाग को कई बार आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और सीबीआई की जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है. पदाधिकारी का कहना है कि रत्नम पिछले 19 साल से मंत्रालय में ही पदस्थ है और लगभग तीन लाख 25 हजार रुपए की मोटी तनख्वाह प्राप्त कर रहे हैं. बोर्ड से जुड़े लोग कहते हैं कि उन्हें कई मर्तबा ऊर्जा विभाग के एक पूर्व सलाहकार के निवास स्थान पर भी देखा गया है. बताते हैं कि वे भाजपा के सुपर सीएम के संपर्क में भी है. सूत्रों का कहना है कि बिजली बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने जब रत्नम के बारे में एक प्रमुख अधिकारी को जानकारी दी तो उन्होंने उसे यह कहकर बचा लिया कि अब ज्यादा दिन नहीं है. रत्नम अक्टूबर 2020 में सेवानिवृत हो जाएंगे तो फिर किसी अच्छे अफसर की पदस्थापना कर देंगे. क्या तब तक बिजली बोर्ड का क्या हाल बेहाल ही रहने वाला है. इस बारे में रत्नम से उनके निवास पर मौजूद फोन 07712255705 से संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया है तो ज्ञात हुआ कि वे मौजूद नहीं है. यह जानकारी भी दी गई कि वे अपने साथ कोई मोबाइल नहीं रखते हैं.

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