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छत्तीसगढ़ को शराब का समुन्दर बनाने वाले समुंद्र सिंह की तलाश में ईओडब्लू ने मारा छापा

रायपुर.खुद को पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का रिश्तेदार बताकर आबकारी महकमे में रिटायरमेंट के बाद भी नौ साल तक संविदा में तैनात रहे विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी समुंद्र सिंह की तलाश में ईओडब्लू ने शुक्रवार को बोरियाकला के मकान पीपल 172 के अलावा बिलासपुर के नेहरू नगर स्थित पारिजात एक्सटेंशन मकान नंबर एमआईजी 21 में अल-सुबह छापामार कार्रवाई की है. बताते हैं कि बोरियाकला का मकान नागपुर में पदस्थ विजलेंस अफसर भुवनेश्वर सिंह के नाम पर है जिसमें अक्सर समुंद्र सिंह आया-जाया करते थे.नई सरकार के गठन के बाद से अचानक गायब हो गए समुंद्र सिंह पर करोड़ों रुपए की हेरा-फेरी का आरोप है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुशील ओझा और नितिन भंसाली की शिकायत के बाद ईओडब्लू उनकी धरपकड़ के लिए प्रयासरत थीं. सूत्रों का कहना है कि वे छत्तीसगढ़ में पदस्थ एक सत्कार अधिकारी अरविंद सिंह को भी अपना रिश्तेदार बताते रहे हैं. फिलहाल बोरियाकला के जिस मकान में ईओडब्लू ने छापा मारा है वह दस्तावेजों की जप्ती का काम चल रहा है.

शराब ठेकेदारों को पहुंचाया लाभ

शराब के समुन्दर में गोता लगाकर ठेकेदारों को अरबपति बनाने और सरकार को चूना लगाने वाले समुंद्र सिंह के बारे में यह तथ्य सामने आया था कि उन्होंने शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियम- कानून ताक पर रख दिए थे. शराब की बिक्री पर 50 से 60 तक प्रॉफिट मार्जिन यानि लाभ दिया गया जो अन्य राज्यों की तुलना में बेहद ज्यादा था. उल्लेखनीय है कि भाजपा के शासनकाल में शराब के मूल्य निर्धारण का कोई मापदंड नही था. एक दुकान में शराब का रेट अलग था तो दूसरी दुकान में अलग रेट. अलग-अलग दर पर बिक्री का लाभ सीधे तौर पर समुंद्र सिंह को मिलता था. लोकल ब्रांड की शराब बिना मापदंडों के परीक्षण के मनमाने तरीके से इंडियन मेड फारेन लिकर की श्रेणी में रख दी जाती थीं और स्थानीय स्तर पर निर्मित होने वाली शराब की बिक्री महंगे दर पर की जाती थी. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक शराब दुकानों का आवंटन लॉटरी के माध्यम से होता था जिसका लाभ शराब ठेकेदार अर्जित करते रहे. ठेकेदारों ने रामलाल, श्यामलाल, मांगीलाल जैसे नौकरों को भी दुकानें दिलवाई. इस खेल में समुंद्र सिंह की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थीं. जिन नौकरों ने दुकानें हासिल की उनका टर्न ओवर भी करोड़ों में था. एक रुपया भी आयकर विभाग को नहीं चुकाया गया. हकीकत यह थी कि जिन लोगों के नाम पर दुकानें आवंटित थीं खुद उन्हें ही यह नहीं पता था कि वे अरबपति है. कांग्रेस नेता नितिन भंसाली सारे तथ्यों के साथ ईओडब्लू में शिकायत की थी. उनका आरोप है कि समुंद्र सिंह ने लगभग पांच हजार करोड़ से अधिक का गड़बड़झाला किया है.

बगैर सूचना के गायब

बगैर सूचना के गायब रहने वालों में मुकेश गुप्ता की स्टेनो रेखा नायर ही शामिल नहीं है. समुंद्र सिंह भी उनमें से एक हैं. आबकारी महकमा भी समुंद्र सिंह की तलाश कर रहा था. इस तलाशी की एक वजह यह थीं कि उन्हें नौकरी से इस्तीफा से देने से पहले सूचना देनी थी. उन्हें एक महीने की तनख्वाह भी जमा करनी थीं. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अचानक-भयानक ढंग से गायब हो गए. आबकारी महकमे ने उनके विधायक कालोनी स्थित 36 नंबर के मकान पर भी कई मर्तबा नोटिस चस्पा किया था. इसके अलावा सूचना के आधार पर बोरियाकला स्थित निवास पर भी दस्तक दी थीं.

 

 

 

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मुकेश गुप्ता ने दिखाई हेकड़ी..अफसरों को चमकाया...पत्रकार को हड़काया

रायपुर. जो जरुरत से ज्यादा काली संपत्ति का मालिक होता है उसको लगता है कि वह खुदा हो गया है. विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता के साथ भी कमोबेश यही स्थिति कायम है. बेगुनाहों को झूठे केस में फंसाने और अपने काले-पीले कारनामों के लिए मशहूर गुप्ता को हाईकोर्ट से थोड़ी राहत क्या मिली उन्हें लगा कि अब सरकार उनका बाल बांका नहीं कर पाएगी. गुरुवार को बेहद ठसक के साथ ईओडब्लू दफ्तर में अपना बयान दर्ज करवाने के लिए पहुंचे गुप्ता थोड़े समय के लिए यह भूल गए कि वे गंभीर धाराओं के एक नामजद आरोपी है. उनकी हरकतों से लगा कि वे अब भी खुद को ईओडब्लू चीफ मानते हैं. खबर है कि बयान देने के दौरान उन्होंने कई मर्तबा अफसरों को यह कहते हुए लताड़ा कि जानते हो किससे बात कर रहे हो... मैंने तुम लोगों को बनाया है. इतना ही नहीं दफ्तर के बाहर बाइट ( वर्सन ) लिए इंतजार कर रहे पत्रकार आदित्य नामदेव पर उन्होंने जमकर गुस्सा निकाला. गुप्ता ने कहा कि किस तरह की रिपोर्टिंग कर रहे हो सब जानता हूं.

फाइल पटकी

फोन टैपिंग मामले में आरोपी बनाए गए मुकेश गुप्ता को ईओडब्लू ने पहले भी दो मर्तबा बयान देने के लिए दफ्तर बुलाया था, लेकिन वे गुरुवार को अपने वकील के साथ ईओडब्लू दफ्तर पहुंचे. सूत्रों का कहना है कि उन्होंने बयान देने के दौरान कई बार फाइल पटकी और अफसरों को बार-बार यह कहते हुए चमकाया कि ज्यादा तीन-पांच करोगे तो सुप्रीम कोर्ट तक घसीट दूंगा. गुप्ता ने जब ईओडब्लू के एक वरिष्ठ अफसर को तेवर दिखाया तो अफसर ने भी साफ शब्दों में कहा- सर... कोर्ट ने आपको जांच में सहयोग करने को कहा तो प्लीज जांच में सहयोग करिए... अभी तो आप असहयोग पर आमादा है. सुबह लगभग 11 बजकर 40 मिनट पर पहुंचे गुप्ता ने लगभग डेढ़ बजे अपना बयान दर्ज करवाया और थोड़ी ही देर बाद अफसरों से कहा कि शुगर बढ़ गई सो पूरा बयान आज ही दर्ज कर लो. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पुलिस महानिरीक्षक जीपी सिंह ने उनसे कहा कि आपको शायद अभी और आना होगा. गुप्ता इस बात के लिए तैयार नहीं हुए. दफ्तर के बाहर निकलकर उन्होंने मीडिया से कहा कि वे एक बार फिर शाम चार बजे बयान देने के लिए आएंगे. इस बीच मीडिया को यह भनक लग चुकी थी कि अब दोबारा बयान दर्ज नहीं होगा, लेकिन गुप्ता दोबारा पहुंचे. खबर है कि दोबारा आमद देने के दौरान उन्होंने यह कहते हुए रोष जताया कि उनका बयान क्यों नहीं लिया जा रहा है. उनके पास सैकड़ों काम है. कोर्ट जाना है. किसी को नहीं छोड़ूंगा. कोई नहीं बचेगा. ईओडब्लू के एक वरिष्ठ अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पूरे समय आरोपी मुकेश गुप्ता असहयोग करते रहे. एक तरह से वे कोर्ट की अवमानना भी कर रहे थे.

 

 

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रेखा नायर को पुलिस वाले सलाम बजाते थे... तो पड़ोसी मानते थे आईपीएस अफसर

रायपुर. देश के सबसे विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता की करीबी रेखा नायर के बारे में ईओडब्लू को कई सनसनीखेज जानकारी मिली है. सोमवार को जब ईओडब्लू के 18 सदस्यों ने रेखा नायर के कचना खम्हारडीह के मारुति सॉलिटियर में दस्तक दी तो वे मकान की भव्यता और अंदरुनी चकाचौंध देखकर हतप्रभ रह गए. सदस्यों को आलीशान मकान के सभी छह कमरों में सबसे मंहगे डायकैन कंपनी का एसी लगा हुआ मिला. इसके अलावा घर के अंदर और बाहर मंहगे एलईडी चमचमा रहे थे. हॉल के अंदर की टेबल-कुर्सियों को देखकर यह लग ही नहीं रहा था कि उसका निर्माण किसी भारतीय कंपनी के द्वारा किया गया है. शयनकक्ष और हॉल के पर्दें  बेशकीमती तो थे ही, पोर्च में एक पीतल का मजबूत दरवाजा भी मिला. इसकी कीमत पांच लाख के आसपास आंकी गई है. आसपास के लोगों से मालूम हुआ कि रेखा नायर के मकान के सामने हमेशा दो-चार गाड़ियां खड़ी रहती थीं. वह कभी-कभार ही नजर आती थी, लेकिन पुलिस वाले जैसे ही उसे देखते... वैसे ही सैल्यूट बजाते थे. ऐसा लगता था जैसे वह कोई आईपीएस अफसर है. सूत्र बताते हैं कि ईओडब्लू को तलाशी के दौरान कुछ रजिस्टर और रहस्यमय फोटोग्राफ भी हाथ लगे हैं.

लगाना पड़ा एड़ी-चोटी का जोर

रेखा नायर के बारे में बारीक सी बारीक जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा है. बताते हैं कि उसकी नियुक्ति वर्ष 97-98 में एक आरक्षक के पद पर तब हुई थी जब मुकेश गुप्ता दुर्ग में पुलिस अधीक्षक थे. कुछ सालों तक तो वह बकायदा नजर भी आई, लेकिन फिर परिदृश्य से गायब हो गई. सूत्र बताते हैं कि दुर्ग के बाद जहां-जहां भी मुकेश गुप्ता पदस्थ रहे वहां-वहां उसकी तैनाती होती रही, लेकिन गुप्ता के नजदीकी भी तब यह नहीं जान पाए कि उसका कैसा और किस तरह का इस्तेमाल हो रहा है और वह कहां नौकरी करती है. नई सरकार के गठन के बाद जब फोन टैंपिंग मामला उजागर हुआ तब पड़ताल में पता चला कि एक अत्यंत गरीब परिवार से तालुकात रखने वाली रेखा नायर करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हो गई है.

जामुल में रहती है रेखा की बहन

बताते हैं कि रेखा पहले अपनी बहन और पिता रेमाकांतन नायर के साथ जामुल के ईएसडब्लू मकान में रहा करती थीं. सामान्य तौर पर ईएसडब्लू मकान में वहीं लोग रहते हैं जिनकी आवक बेहद सामान्य होती है. बताते हैं कि रेखा नायर के तीन बच्चे भी हैं जो अब डीपीएस में पढ़ते हैं. पुलिस को यह सूचना मिली थी कि रेखा नायर बच्चों की टीसी ( ट्रांसफर सार्टिफिकेट ) लेकर नागपुर में कहीं सैटल होने की तैयारी कर रही है सो डीपीएस स्कूल के आसपास सादी वर्दी में मुखबिरों को तैनात किया गया था जो पल-प्रतिपल की सूचना एकत्र कर रहे थे.

कई जगह अकूत संपत्ति

सूत्रों का कहना है कि रेखा नायर ने अपने और परिजनों के नाम से कई जगह मकान और जमीनों की खरीदी की है. खम्हारडीह स्थित मारुति सॉलिटियर की कीमत ही दो करोड़ के आसपास है. रेखा ने दिखावे के लिए लोन पर एक कार की खरीदी थी जिसका लोन अदा कर दिया गया है. रेखा की मां गौरी कुट्टी अम्मा के नाम पर भी कांशीराम नगर में एक मकान का होना बताया जा रहा है. इसकी कीमत भी डेढ़ करोड़ है. रेखा ने अपने पिता रेमाकांतन नायर के नाम पर त्रिवेंद्रम में भी एक फ्लैट ले रखा है. इसके अलावा केरल राज्य के कोल्लम जिले के पवित्रेश्वरम ग्राम में भी रेखा के नाम पर एक आलीशान मकान पाया गया है. बताया जाता है कि इसी गांव में  हाल के दिनों में कई एकड़ कृषि भूमि भी खरीदी गई है. बताते है कि रेखा के पिता ने ग्राम नरहदा और पिरदा के अलावा अविनाश कैपिटल होम्स में लगभग तीन हजार वर्ग फीट जमीन खरीद रखी है. सूत्र बताते हैं कि ईओडब्लू आने वाले दिनों में घोषित-अघोषित और बेनामी संपत्तियों की खरीदी-बिक्री में शामिल लोगों से भी पूछताछ करेगी. ईओडब्लू की जांच के केंद्र में फिलहाल यह बिंदु शामिल है कि एक मामूली सी आरक्षक एकायक करोड़ों की मालकिन कैसे बन गई. उसे करोड़पति बनाने के लिए किन लोगों ने अवैधानिक ढंग से धन मुहैया करवाया. कमजोर आर्थिक स्थिति होने के बावजूद उसके परिजनों ने अकूत संपत्ति कैसे जुटाई. रेखा नायर ने फोन टैंपिंग के लिए कौन-कौन सी मशीनों और तरीकों का इस्तेमाल किया. वह सरकारी नौकरी में रहने के दौरान भी चार सालों तक कहां गायब थी.

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आखिर क्यों थर-थर कांप रही है पुलिस ... मुकेश गुप्ता से पूछताछ के पहले ईओडब्लू चीफ ने ली छुट्टी

रायपुर. देश के सबसे विवास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता से पूछताछ के पहले ही ईओडब्लू चीफ वीके सिंह छुट्टी पर चले गए हैं. हालांकि उनकी छुट्टी का कारण परिवार में भतीजे का विवाह होना बताया जा रहा है, लेकिन उनके अचानक छुट्टी पर चले जाने से प्रशासनिक महकमे में कई तरह की चर्चा चल रही है. कहा जा रहा है कि मुकेश गुप्ता के खौफनाक रिकार्ड के चलते कोई भी अफसर उनसे सीधे पंगा लेने को तैयार नहीं है. ज्ञात हो नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में जांच के दौरान आपराधिक षड़यंत्र रचने और फोन टैपिंग के आरोप में निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता को पहले 23 अप्रैल को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के दफ्तर में सुबह 11 बजे अपना बयान दर्ज करने पहुंचना था, लेकिन वरिष्ठ अफसर वीके सिंह के छुट्टी पर चले जाने से अब गुप्ता को 25 अप्रैल को मौजूद रहने को कहा गया है.

जीपी सिंह ने की तगड़ी घेराबंदी

वीके सिंह के छुट्टी पर चले जाने से अब सारी कमान पुलिस महानिरीक्षक जीपी सिंह के हाथों में रहेगी. अब वे ही यह तय करेंगे कि मुकेश गुप्ता से कोई सब इंस्पेक्टर पूछताछ करेगा या फिर पुलिस अधीक्षक. वैसे 25 अप्रैल को होने वाली पूछताछ के मद्देनजर जीपी सिंह ने चुनाव के दिन यानी 23 अप्रैल को सभी अफसरों की बैठक ली है. माना जा रहा है कि तमाम तरह की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गुप्ता को तगड़े ढंग से घेरने की तैयारी की गई है. दरअसल सरकार ने कुछ समय ईओडब्लू से मुकेश गुप्ता की पसन्द के पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण अन्यत्र कर दिया था, लेकिन ऐन-केन-प्रकारेण अब भी कई पुलिसकर्मी रिलीव नहीं हुए हैं और अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इधर पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि गुप्ता को पहले भी दो बार नोटिस देकर बयान दर्ज करने को कहा गया था, लेकिन तब वे उपस्थित नहीं हुए थे. इधर उनकी अत्यंत करीबी रेखा नायर ने ईओडब्लू पहुंचकर आमद दे दी हैं इसलिए माना जा रहा है कि गुप्ता भी 25 अप्रैल को बयान देने पहुंचेंगे.

दर्ज होगा मनी लांड्रिग का मामला

भले ही मुकेश गुप्ता को हाईकोर्ट से थोड़ी राहत मिल गई है, लेकिन उनके खिलाफ इतनी ज्यादा शिकायतें है कि उनका बचना मुश्किल ही लगता है. सोमवार को गृह विभाग के सचिव डीपी कौशल ने एक और अन्य मामलों में उनके खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए हैं. उन पर आरोप है कि वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक लोक सेवक रहने के दौरान उन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर अवैध उगाही की और कई ट्रस्टियों के साथ मिलकर अकूत संपत्ति और धन अर्जित कर उसका इस्तेमाल विधानसभा रोड़ पर स्थित एमजीएम नामक अस्पताल में किया. सूत्र बताते हैं कि अभी उनसे जुड़े तीन-चार और मामलों की पड़ताल चल रही है. एक मामला तो उनकी घोषित-अघोषित प्रापर्टी से ही जुड़ा हुआ है. सूत्रों का कहना है कि पद में रहने के दौरान कोल्लम केरल, मुरमुदा, कानपुर, इंदौर, परसदा, धरमपुरा, आजमगढ़ सहित अन्य कई जगहों पर बेहिसाब संपत्ति बनाई है. कुछ संपत्ति के मालिक वे स्वयं हैं जबकि अधिकांश दूसरों के नाम पर है.

 

 

 

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इधर चलता रहेगा चुनाव... उधर आज दर्ज होगा मुकेश गुप्ता का बयान

रायपुर. देश के सबसे विवास्पद पुलिस अफसरों में से एक मुकेश गुप्ता मंगलवार 23 अप्रैल 2019 को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के दफ्तर में सुबह 11 बजे अपना बयान दर्ज करने पहुंच सकते हैं. पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर का कहना है कि गुप्ता को पहले भी दो बार नोटिस देकर बयान दर्ज करने को कहा गया था, लेकिन तब वे उपस्थित नहीं हुए. इधर उनकी अत्यंत करीबी रेखा नायर ने ईओडब्लू पहुंचकर आमद दे दी हैं इसलिए माना जा रहा है कि गुप्ता भी बयान देने पहुंचेंगे. हालांकि जिस रोज गुप्ता को बयान देने के लिए आमंत्रित किया गया है उस रोज प्रदेश की सात संसदीय सीटों पर चुनाव है. जाहिर सी बात है प्रदेश की मीडिया व अन्य लोगों का ध्यान चुनाव पर केद्रिंत रहेगा. फिर भी इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि मीडिया गुप्ता को दी जाने वाली वीआईपी ट्रीटमेंट पर अपनी पैनी नजर रखेगा. वैसे इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि सोमवार को जब रेखा नायर जब ईओडब्लू के दफ्तर में बयान देने उपस्थित हुई तो उन्हें भरपूर वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया.

एक नए मामले में जांच के आदेश

भले ही मुकेश गुप्ता को हाईकोर्ट से थोड़ी राहत मिल गई है, लेकिन उनके खिलाफ इतनी ज्यादा शिकायतें है कि उनका बचना मुश्किल ही लगता है. सोमवार को गृह विभाग के सचिव डीपी कौशल ने एक और अन्य मामलों में उनके खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए हैं. उन पर आरोप है कि वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक लोक सेवक रहने के दौरान उन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर अवैध उगाही की और कई ट्रस्टियों के साथ मिलकर अकूत संपत्ति और धन अर्जित कर उसका इस्तेमाल विधानसभा रोड़ पर स्थित एमजीएम नामक अस्पताल में किया. सूत्र बताते हैं कि अभी उनसे जुड़े तीन-चार और मामलों की पड़ताल चल रही है. सभी मामलों में धीरे-धीरे प्रकरण पंजीबद्ध होगा. एक मामला तो उनकी घोषित-अघोषित प्रापर्टी से ही जुड़ा हुआ है. सूत्रों का कहना है कि पद में रहने के दौरान कोल्लम केरल, मुरमुदा, कानपुर, इंदौर, परसदा, धरमपुरा, आजमगढ़ सहित अन्य कई जगहों पर बेहिसाब संपत्ति बनाई है. कुछ संपत्ति के मालिक वे स्वयं हैं जबकि अधिकांश दूसरों के नाम पर है. सूत्रों का कहना है कि कुल 26 जगहों पर अरबों की संपत्ति की मयदस्तावेज जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी मुहैया करवाई गई है.

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सामने आया रमन के दामाद का एक और कारनामा

रायपुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता का एक और सनसनीखेज कारनामा प्रकाश में आया है. अभी हाल के दिनों में कांग्रेस प्रवेश करने वाले नितिन भंसाली ने उन पर नियम-कानून से परे जाकर धमतरी की नाहर मेडिकल एजेंसी को 13 करोड़ सात लाख का लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है. भंसाली का आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद स्वास्थ्य विभाग के हर विंग पर दखलदांजी करते थे. उनका दबाव डायरेक्टर हेल्थ पर था तो छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन पर भी. भंसाली ने बुधवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, मुख्य सचिव सुनील कुजूर और स्वास्थ्य सचिव को लगभग 104 पेज की शिकायत ( दस्तावेज ) के साथ सौंपी है. शिकायत की एक प्रति अपना मोर्चा डॉट कॉम को भी मुहैय्या करवाई है.

यह है पूरा मामला

दिनांक 23 फरवरी 2016 को डायरेक्टर हेल्थ ऑफ सर्विसेस ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड को 441 दवाईयों की खरीदी के लिए एक पत्र लिखा था. इस पत्र के आधार पर 11 अगस्त 2016 आनलाइन टेंडर जारी किया गया, लेकिन थोड़े ही दिनों यह कहा जाने लगा कि टेंडर निकालने में देरी हो गई है इसलिए 23 जरूरी दवाईयां ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसवीएस ऑफ इंडिया ) बीपीपीआई के माध्यम से अनुमोदित की दरों पर खरीद ली जाए. इसके बाद डायरेक्टर हेल्थ ने बगैर टेंडर के दवाईयां खरीदने की अनुमति मांगी.

मल्टीविटामिन सीरप का चक्कर

डायरेक्टर हेल्थ लगभग पचास लाख अठावन हजार पांच सौ चालीस मल्टीविटामिन बोतल ( प्रत्येक बोतल 100 एमएल ) की खरीदी करना चाहता था, लेकिन छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने जानकारी दी कि दवा सप्लायरों के पास 200 एमएल की बोतल ही उपलब्ध है जिसकी कीमत 27 रुपए 64 पैसे हैं. इस बारे में डायरेक्टर हेल्थ और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा. डायरेक्टर हेल्थ ने दिनांक 27 मार्च 2017 को एक पत्र के जरिए अवगत कराया कि उसे अब सीरप की जरुरत नहीं होगी. सीरप के बजाय मल्ली विटामिन टेबलेट ( ड्रग कोड डी-63 ) खरीद लिया जाय.... और तब..........

अब आया दामाद का दबाव

बताते हैं कि डायरेक्टर हेल्थ और मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के बीच चले पत्र व्यवहार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद पुनीत गुप्ता ने दबाव डालना प्रारंभ किया. उनके दबाव के बाद अचानक 100 एमएल वाली मल्टीविटामिन वाली सीरप की बोतल भी मिल गई. डायरेक्टर हेल्थ महज पचास लाख अठावन हजार पांच सौ चालीस बोतल चाहता था, लेकिन मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने 73 लाख 94 हजार पांच सौ बोतल खरीद ली. इस पूरे मामले का सबसे संदिग्ध पक्ष यह है कि जब डायरेक्टर हेल्थ सीरप चाहता था तो सीरप की बोतल नहीं मिल रही थी और जब डायरेक्टर हेल्थ ने कहा कि चलिए बोतल नहीं मिल रही है तो टेबलेट खरीद लीजिए तब अचानक बोतल मिल गई. डायरेक्टर हेल्थ जितनी संख्या में बोतल चाहता था उससे कहीं ज्यादा संख्या में सीरप की खरीदी हो गई. बताते हैं कि सप्लाई का सारा काम धमतरी की नाहर नाम की एक मेडिकल एजेंसी को दिया गया था. इस एजेंसी को भी 90 दिनों के भीतर सप्लाई करनी थी, लेकिन इस सप्लायर ने 75 दिन देरी से सीरप की सप्लाई की. भंसाली का कहना है कि बाजार से अधिक दर पर मल्टीविटामिन सीरप की खरीदी कर शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया गया है जबकि नाहर नाम की मेडिकल एजेंसी 13 करोड़ सात रुपए अतिरिक्त भुगतान हासिल करने में सफल रही है. भंसाली ने मुख्यमंत्री से पूरे में मामले से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. उनका कहना है कि इस प्रकरण में कई रसूखदार लोग संलिप्त है. जांच में सारे चेहरे बेनकाब हो जाएंगे. इस मामले में पुनीत गुप्ता से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन आउट ऑफ रेंज बताता रहा.

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झोला उठाकर चल दूंगा कहने वाले फकीर की चालाकियों से साहू समाज ने किया किनारा

रायपुर. छत्तीसगढ़ में भाजपा के बड़े नेताओं को लगता है कि परम्परागत रुप से साहू समाज भाजपा के साथ हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में करारी पराजय के बाद यह साफ हो गया है कि राजनीतिक तौर पर जागृत यह समाज देश और प्रदेश के हित को महत्वपूर्ण मानता है. एक राजनीतिक विश्वलेषक का कहना है कि साहू समाज हमेशा से विसंगतियों और गलत नीतियों के खिलाफ ही वोट करता आया है, लेकिन इसे भाजपा कभी समझ नहीं सकीं. बहरहाल यहां इस समाज का जिक्र इसलिए हो रहा है क्योंकि हर रोज अलग तरह की वेशभूषा और नाना प्रकार के बयानों के चलते अपनी विश्वसनीयता को दांव पर लगाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ की फिजा में भी जाति का जहर घोलने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि गुजरात में जो मोदी होता है वह साहू समाज से आता है तो क्या सारे मोदी चोर हो गए. उनका कहना था कांग्रेस उन्हें व्यक्तिगत तौर पर चोर कहती है, लेकिन पूरे समाज को चोर कहना ठीक नहीं है.

जाहिर सी बात है कि मोदी के इस बयान के बाद तीखी प्रतिक्रिया होनी थी. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टिव्हटर एवं फेसबुक में लिखा- मोदी कभी गुजरात में चाय वाला बन जाते हैं. बनारस में गंगा के बेटे. छत्तीसगढ़ में आते हैं तो साहू और अंबानी के यहां जाते हैं तो चौकीदार. छत्तीसगढ़ के लोगों को ऐसे बहुरुपिए से सावधान रहना चाहिए. बघेल ने यह भी कहा कि मोदी इस देश को धर्म-जाति और संप्रदाय के नाम पर बांटना चाहते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता उनके हर घृणित प्रयास का मुंहतोड़ जवाब देगी. प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने भी मोदी के बयान को जातिवादी नफरत फैलाने की निकृष्टतम कोशिश करार दिया. उन्होंने कहा कि चोर की कोई जाति नहीं होती... चोर सिर्फ चोर होता है. उसका काम सिर्फ दूसरों की संपत्ति हथियाना है. उन्होंने कहा कि मोदी और उनकी पूरी पार्टी चुनाव हार रही है इसलिए सामाजिक समरसता को छिन्न-भिन्न करने की कवायद में लगी है, लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता उनकी हर चालाकियों का माकूल जवाब अपने वोट के जरिए देगी.

 

साहू समाज ने किया किनारा

इधर मोदी के बयान से साहू समाज ने किनारा कर लिया है. कर्मचारी नेता एचपी साहू का कहना है कि मोदी ने पूरे समाज को चोर साबित करने की घृणित कोशिश की है. अव्वल तो मोदी अपने आपको साहू बताने की असफल कोशिश ही न करें क्योंकि साहू समाज मोदी को अपना अंग मानता ही नहीं है. उन्होंने कहा कि साहू समाज बेहद मेहनतकश और ईमानदार होता है. इस समाज में पढ़े-लिखे लोग भी बहुत हैं. मोदी इस समाज को बदनाम न करें तो बेहतर हैं. छत्तीसगढ़ साहू समाज के प्रदेश कोषाध्यक्ष हनुमत प्रसाद साहू ने कहा कि साहू समाज मोदी के चौकीदार अभियान का हिस्सा नहीं है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति चोर बन जाता है तो उससे पूरा समाज चोर नहीं हो जाता. प्रदेश साहू संघ के अध्यक्ष विपिन साहू का कहना है कि जब वे एक आयोजन के सिलसिले में मोदी से मिलने गए थे तब उन्होंने कहा था कि वे साहू-वाहू को नहीं जानते. राजनीतिक लाभ लेने के लिए मोदी खुद को पिछड़ा वर्ग का बता रहे हैं.

 

 

 

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जब जमीन घोटाले में फंसे राजेश टोप्पो को मुकेश गुप्ता ने बचाया

रायपुर. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर राजेश टोप्पो पर गंभीर आर्थिक गड़बड़ी करने के आरोप में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने शुक्रवार को मामला तो दर्ज कर लिया है, लेकिन इससे पहले भी टोप्पो आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की जद में आ चुके हैं. वर्ष 2012 में उन पर भिलाई की जीई रोड से लगी तीन हजार वर्ग मीटर से बड़ी बेशकीमती जमीन के लैंडयूज को बदलकर लाखों रुपए की गड़बड़ी करने का आरोप लगा था जो बाद में सही पाया गया. बताते हैं कि इस प्रकरण की पूरी छानबीन तब के एडिशनल डीजी दुर्गेश माधव अवस्थी ने की थी. इस मामले में ईओडब्लू की तरफ से चालान पेश करने की कार्रवाई होने ही वाली थीं कि अचानक सुपर सीएम के नाम से विख्यात अफसर ने हस्तक्षेप कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. थोड़े ही दिनों बाद अवस्थी को ईओडब्लू से हटा दिया गया. लंबे समय तक यह मामला फाइलों में बंद रहा. इधर सूत्र बताते हैं कि मुकेश गुप्ता के ईओडब्लू प्रमुख बनते ही मामले का खात्मा कर दिया गया. खबर है कि जिस मामले का खात्मा हो चुका है उसकी फाइल भी अब ईओडब्लू से गायब है.

गौरतलब है कि वर्ष 1993 में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण ( साडा ) ने नर्सिग होम के लिए नेहरूनगर पश्चिम इलाके में रहने वाले हरदीप सिंह राजपाल को 432 रुपए प्रति मीटर की दर से लीज पर 3075 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की थी। यह जमीन नर्सिग होम के लिए आरक्षित थी। वर्ष 1997 के इस जमीन का लैंडयूज बदल दिया गया. अफसरों ने अचानक अस्पताल और नर्सिंग होम के लिए आरक्षित जमीन पर व्यावसायिक निर्माण की अनुमति दे दी. जिस जमीन पर अस्पताल बनाया जाना था, वहां आज कमर्शियल कांप्लेक्स खड़ा है। यहां निजी बैंक, मोबाइल शो रूम, फाइनेंस कंपनियां, होटल, ज्वेलरी शॉप यहां चल रही हैं। 432 रुपए वर्ग मीटर की दर से खरीदी गई जमीन की वर्तमान दर करीब 14 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर है। इस मामले में अन्वेषण ब्यूरो ने अपनी जांच में यह पाया था कि साडा और उसके बाद बने नगर पालिका निगम के अधिकारियों ने अपने अधिकारों से परे जाकर जमीन का लैंड यूज बदला और नवीनीकरण की कार्यवाही को अंजाम दिया था. तब राजेश टोप्पो नगर निगम भिलाई के आयुक्त थे और आयुक्त रहने के दौरान ही उन्होंने बिल्डिंग परमिशन को रिन्यू किया था। ब्यूरो ने इस मामले में एचपी किंडो, एसबी सिंह, राजेश सुकुमार टोप्पो, सुधीर किंजवड़ेकर, एसबी शर्मा, यूके अश्वनी चंद्राकर,प्रोसेसर सर्वर और हरदीप सिंह राजपाल सहित कुल आठ लोगों को आरोपी बनाया था. इस मामले में अब तक किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.अब तो पूरा मामला ही दब गया है. वैसे इस प्रकरण में सबसे ज्यादा हैरत की बात यह है कि जो अफसर एक पड़ताल में दागदार आरोपी था वहीं अफसर उसी प्रकरण में कतिपय रसूखदार लोगों के हस्तक्षेप के चलते पाक-साफ हो गया. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस मामले की फाइल भी फिर से ढूंढी जाएगी और दोषियों के खिलाफ चालान पेश होगा. फिलहाल तो सूत्र यहीं कहते हैं कि फाइल नदारत है.

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क्या सांसद अभिषेक सिंह भी आएंगे जांच के दायरे में

रायपुर.छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता के उपकरण खरीदी मामले में फंसने के बाद सांसद पुत्र अभिषेक सिंह भी लपेटे में आ सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्द ही विदेश में खाता खोले जाने वाले मामले को लेकर जांच प्रारंभ कर सकती है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सबसे पहले एक टिव्हट के जरिए यह आरोप लगाया था कि सांसद अभिषेक सिंह ने विदेश में खाता खोलकर अच्छा-खासा निवेश किया है. उनके इस आरोप के बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ( अब मुख्यमंत्री भी ) कई मर्तबा कह चुके हैं कि अभिषेक सिंह ने शेयर कार्प कंपनी के जरिए अपना काला धन स्विस बैंक में जमा करवाया है. अभिषेक सिंह के द्वारा विदेश में खाता खोले जाने का मामला तब प्रकाश में आया था जब खोजी पत्रकारों की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था आईसीआईजे ने कुछ दस्तावेज जारी किए थे. इन दस्तावेजों के आधार पर यह पता चला था कि अभिषेक सिंह नाम के एक शख्स ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में क्वेस्ट नाम की एक कंपनी खोली थी. इस कंपनी के खुल जाने के ठीक 27 दिन बाद शार्प ओशन नाम की वह  कंपनी बंद हो गई जिसका नाम हेलिकाफ्टर खरीदी में एक बिचौलिए के तौर पर सामने आया था. अभिषेक ने विदेश में खाता खोलने के दौरान जो पता दिया था उसमें रमन मेडिकल स्टोर वार्ड नंबर 20 विध्यवासिनी कवर्धा उल्लेखित था. इस पते के उजागर होने के बाद अभिषेक सिंह पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को कहना पड़ गया था कि रमन सिंह के योग्य पुत्र अभिषेक सिंह का नाम भी पनामा पेपर में शामिल है और सरकार जांच से कतरा रही है.

खबरों पर सेंसर

अब तो हर अखबार और चैनल में रमन सिंह, चमन सिंह, पुनीत गुप्ता, वीणा सिंह और अभिषेक सिंह जैसे नाम छप रहे हैं और चल रहे हैं, लेकिन दिसम्बर 2018 तक छत्तीसगढ़ में स्थिति बेहद खराब थीं. अखबार के दफ्तर में मौजूद पत्रकारों और संपादकों को अभिषेक सिंह के नाम को प्रकाशित न करने के लिए सुपर सीएम फोन करते थे.कई बार जनसंपर्क विभाग के आयुक्त भी विज्ञापन रोक देने की धमकी  देकर खबर को दबा देने में सफल हो जाते थे. इधर सूत्र बताते है कि सांसद बनने से पहले भी अभिषेक सिंह इंटीग्रेटेड सोलर सोल्यूशंस नाम की एक प्राइवेट कंपनी में बतौर निदेशक कार्यरत थे. इस कंपनी ने भी तीन करोड़ साठ लाख की विदेशी मुद्रा कमाई थी, लेकिन बाद में अभिषेक सिंह इस कंपनी से इस्तीफा देकर अलग हो गए और इसका वित्तीय अधिकार हरि प्रकाश और उनकी पत्नी मनीषा प्रकाश को स्थानांतरित कर दिया गया.

 

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पुनीत गुप्ता के फरार होने में थानेदार संजय पुढ़ीर का रोल

रायपुर. क्या छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के गोलबाजार थाने में पदस्थ थानेदार संजय पुढ़ीर ने पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद पुनीत गुप्ता को शहर छोड़कर फरार होने में मदद की है. बुधवार को अनिल अग्रवाल, कुणाल शुक्ला, राकेश चौबे, ममता शर्मा, नागेंद्र दुबे सहित अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव कर आरोप लगाया था कि गोलबाजार पुलिस पुनीत गुप्ता को बचाने के खेल में हुई है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप था कि पुढ़ीर लंबे समय तक पूर्व मुख्यमंत्री और उनके सांसद पुत्र के करीबी थे, सो उन्होंने पुनीत गुप्ता की धरपकड़ में किसी भी तरह की दिलचस्पी नहीं दिखाई. फिलहाल पुनीत गुप्ता के लोकेशन की जानकारी भी पुलिस को नहीं मिल पाई है.

पार्टी ने पल्ला झाड़ा

इधर पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद के मामले में भाजपा ने किनारा कर लिया है. खुद को चौकीदार-चौकीदार लिखकर पार्टी का समर्पित सिपाही बताने वाले लोग भी पुनीत गुप्ता को लेकर खामोश चल रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह को छोड़कर अब तक पार्टी के किसी भी बड़े नेता ने पुनीत गुप्ता के पक्ष में बयान नहीं दिया है. वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने तो यह कहकर पार्टी नेताओं को सन्नाटे में डाल दिया है कि कानून अपना काम कर रहा है.

अकेला दामाद ही भारी

पुनीत गुप्ता को लेकर हर रोज नई-नई सनसनी सामने आ रही है. उनके एक से बढ़कर एक कारनामों के चलते राजनीति के धुंरधर भी मानकर चल रहे हैं कि दामाद बाबू चुनाव में भाजपा के लिए मुसीबत का पहाड़ बनकर उभरने वाले हैं.

 

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पुनीत गुप्ता के लिए काम करते थे लोकेश और मोनू

रायपुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता को लेकर हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. फिलहाल जो तथ्य सामने आ  रहे हैं उससे यह साफ होता है कि पूर्व मुख्यमंत्री के जीरो टॉरलेंस का नारा केवल दिखावे के लिए था. पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी दामाद को जो छूट दे थीं सो दी थीं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा दामाद बाबू के करीबी लोग भी मलाई छान रहे थे. खबर है कि सप्लायर लोकेश शर्मा और प्रसुन सिंह उर्फ मोनू सिंह दामाद बाबू के बेहद करीबी थे और सारे काम इन्हीं के माध्यम से किए जाते थे.

डीकेएस में पचास करोड़ के उपकरण और टेंडर प्रक्रिया में घोटाले के बाद हर खरीदी सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है. अभी चंद रोज पहले यह खुलासा हुआ कि पुनीत गुप्ता के अधीक्षक रहने के दौरान अस्पताल प्रबंधन ने शिक्षा विभाग में फर्नीचर आदि की सप्लाई के लिए बदनाम रहे ड्रोलिया इंटरप्राइजेस से 21 लाख 64 हजार 420 रुपए का ग्लास डोर और विजिटर बैंच और गोयल इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन से 21 लाख 97 हजार 664 रुपए का विभिन्न फर्नीचर और स्टील टेबल खरीदा था. अब जाकर पता चल रहा है कि दोनों फर्में एक ही व्यक्ति के नाम से पंजीकृत है. बहरहाल यह खरीदी भी जांच के दायरे में आ गई है. इधर डीकेएस में पैथालॉजी, एक्सरे, सिटी स्केन डायलिसिस के अलावा अन्य सभी कामों के ठेके में कृषि विभाग के लिए तगड़ी सप्लाई करने वाले दो लोगों की भूमिका सामने आ रही है. बताते हैं कि कृषि विभाग के ठेकेदारों के लिए काम करने वाले एक शख्स लोकेश शर्मा ने पुनीत गुप्ता से जान-पहचान बढ़ाकर करोड़ों का काम हथियाया. इसी तरह मध्य प्रदेश रीवा में शिक्षाकर्मी रहे प्रसुन सिंह उर्फ मोनू सिंह की भूमिका को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग में हडकंप मचा हुआ है. जानकार बताते हैं कि पुनीत गुप्ता के कहने पर लोकेश और मोनू ही अफसरों से सीधे संपर्क किया करते थे. पुनीत गुप्ता के सारे मामलों का हिसाब-किताब भी यहीं दो लोग रखा करते थे.  अफसरों के बीच मोनू खुद को रमन सिंह की पत्नी वीणा की कंजिन सिस्टर का रिश्तेदार बताया करता था सो अधिकारी भी खौफ खाते थे. मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि सरकार के दबाव में अफसरों ने मोनू सिंह  को संपूर्ण स्वच्छता अभियान में शौचालय बनाने के लिए कई तरह की सप्लाई का काम भी दिलवाया था. गांव-गांव में गुणवत्ताविहीन शौचालय निर्माण की शिकायतों के बावजूद अफसर मोनू सिंह को कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं रहते थे. इधर डीकेएस प्रकरण में पुलिस दवाईयों के नाम पर तगड़ा खेल करने वाले मोक्षित कार्पोरेशन और सीबी कार्पोरेशन की भूमिका भी खंगालने की तैयारी में हैं. गौरतलब है कि यह कंपनी भी एक ही व्यक्ति के नाम से पंजीकृत है. दोनों कंपनियों को शांतिलाल के पुत्र शशांक संचालित करते हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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विनय कुमार सिंह बने ईओडब्लू के विशेष महानिदेशक

रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार ने देर शाम भारतीय पुलिस सेवा 1987 बैच के अफसर विनय कुमार सिंह को ईओडब्लू और एंटी करप्शन ब्यूरो का विशेष महानिदेशक नियुक्त कर दिया है. इसके साथ ही नगर सेना और जेल के महानिदेशक गिरधारी नायक को नक्सल आपरेशन और एसआईबी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. गौरतलब है कि लगभग 16 साल तक दिल्ली में रहने के बाद वीके सिंह हाल के दिनों में छत्तीसगढ़ लौटे थे. दिल्ली में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे वीके सिंह का पूरा कार्यकाल निर्विवाद रहा है. यहां उन्होंने गृह विभाग को ज्वाइनिंग दी थी, लेकिन उन्हें कोई जवाबदारी नहीं सौंपी गई थीं. हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा भी था कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी जाएंगी उसका निर्वहन करेंगे. श्री सिंह वरिष्ठता क्रम में फिलहाल तीसरे क्रम में हैं. डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी और डीजी गिरधारी नायक के बाद वरिष्ठता क्रम में उनका नंबर आता है. उनके बाद संजय पिल्ले, आरके विज और निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता है.

 

 

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मुकेश गुप्ता को केस लड़ने के लिए 10 करोड़ का चंदा

राजकुमार सोनी

रायपुर. कई गंभीर धाराओं में आरोपी बनाए गए पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता को केस लड़ने के लिए लगभग 26 थानों के प्रभारियों ने 10 करोड़ रुपए की बड़ी राशि एकत्र की है. सरकार के पास इस बात की पुख्ता सूचना मिलने के बाद अब सभी थाना के प्रभारियों को हटाने की तैयारी चल रही है. सूत्र कहते हैं कि अब-तब में मुकेश गुप्ता के करीबी थाना प्रभारियों पर गाज गिर सकती है. इसके अलावा गुप्ता की अत्यंत निकटतम रही रेखा नायर पर भी शिकंजा कसा जा सकता है. सूत्रों का दावा है कि देर रात रेखा नायर पर भी मामला दर्ज हो सकता है.

मुकेश गुप्ता इन दिनों दिल्ली में सुपर सीएम अमन सिंह और अधिवक्ताओं के साथ बचने का उपाय ढूंढ रहे हैं, लेकिन एसीबी में अपनी पहुंच के चलते वे अब भी हर गतिविधि पर नजर गड़ाए हुए हैं. सूत्रों का कहना है कि आर्थिक अपराध अन्वेषण और करप्शन ब्यूरो में उनके करीबी लोग पदस्थ हैं जिसके चलते पुलिस उनका पता-ठिकाना भी ढूंढ नहीं पा रही है. माना जा रहा है कि गुप्ता को इनवेस्टिगेशन एवं जांच के सभी बिंदुओं की जानकारी मिल रही है. इस मामले में दीपक नाम के एक अफसर पर भी शक की सुई घूम गई है. बताया जाता है कि इस अधिकारी की नजदीकियां सुपर सीएम के साथ है जिसकी वजह से गुप्ता के खिलाफ होने वाली हर घटनाक्रम की जानकारी लीक हो रही है. संजय नाम के एक निरीक्षक को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस निरीक्षक के नेतृत्व में ही थाना प्रभारी हेम प्रकाश, प्रेम अवधिया, किरीत, विशाल, संदीप चंद्राकर, अमित बेरिया सहित अन्य कई से अच्छी खासी रकम एकत्रित की गई है. सूत्रों का दावा है कि लगभग 10 करोड़ रुपए एकत्र करने वाले सभी थाना प्रभारी वे हैं जिनकी पोस्टिंग भाजपा के शासनकाल में मुकेश गुप्ता ने करवाई थी. हालांकि न्याय के मंदिर पर कोई जज पैसा लेकर स्टे देता होगा ऐसा उदाहरण आज तक सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दस करोड़ की बड़ी राशि केस लड़ने और स्टे हासिल करने के नाम पर ही एकत्र की गई है. सरकार के पास इस बात की भी पुख्ता सूचना पहुंची है कि एक उद्योग समूह ने गुप्ता को गोविंद कुंज में बंगला मुहैया करवाया है, जहां फिलहाल 12 से ज्यादा सीए गुप्ता के अस्पताल की बैलेंसशीट को ठीक करने का काम कर रहे हैं. सूत्र कहते हैं कि पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए रेखा नायर भी फिलहाल अंडर ग्राउंड हो गई है. उस पर जल्द ही एफआईआर दर्ज किए जाने की जानकारी मिल रही है.

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आरोपी मुकेश गुप्ता के साथ दिल्ली के खान मार्केट में नजर आए अमन सिंह

रायपुर. सोशल मीडिया में एक तस्वीर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है. दावा किया जा रहा है कि भारतीय पुलिस सेवा के अफसर ( अब निलंबित ) मुकेश गुप्ता के साथ सुपर सीएम के नाम से विख्यात अमन सिंह के साथ दिल्ली के खान मार्केट में दो अन्य महत्वपूर्ण लोगों के साथ चर्चा कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि जो दो चर्चा कर रहे हैं उनमें से एक छत्तीसगढ़ का सामाजिक कार्यकर्ता है. हालांकि अभी यह पूरी तरह से साफ नहीं है कि वह सामाजिक कार्यकर्ता कौन है. कुछ लोगों का दावा है कि सामने बैठे हुए शख्स में से एक अधिवक्ता अपूर्व है. कुछ लोगों का कहना है कि जैकेट पहनने वाला शख्स सीबीआई में भी हो सकता है. खान मार्केट के एक कैफे में किस बात पर चर्चा हो रही है यह भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन जैसा कि आरोप लगता रहा है कि छत्तीसगढ़ को रमन सिंह से ज्यादा अमन सिंह और मुकेश गुप्ता चलाते रहे हैं तो यह जुगलबंदी कई बातों को पुख्ता करने के लिए पर्याप्त है. इस तस्वीर को देखकर यह सवाल भी उठ रहा है कि एक आरोपी के साथ अमन सिंह क्या कर रहे हैं. यह चर्चा भी है कि एक तरफ तो छत्तीसगढ़ की पुलिस मुकेश गुप्ता को खोज नहीं पा रही है और दूसरी ओर वे दिल्ली के सैर-सपाटे पर है.

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अंतागढ़ उपचुनाव में एक बड़ा खुलासा- जब घड़ी का कांटा उलटा घूमा तब संभव हुई मंतूराम की नाम वापसी

राजकुमार सोनी

रायपुर.अंतागढ़ उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, उनके पुत्र अमित जोगी, डाक्टर रमन सिंह और उनके दामाद पुनीत गुप्ता आरोपों से घिरे हुए हैं, लेकिन इस मामले की स्टिंग आपरेशन करने वाले फिरोज सिद्धकी का दावा है  कि 29 अगस्त 2014 को नाम वापसी की समय सीमा खत्म हो जाने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार को मैदान से हटाया गया था. उन्होंने बताया कि मामले की कवरेज के लिए उस रोज मीडिया भी वहां मौजूद था, लेकिन मीडिया को इस बात की भनक नहीं लगने दी गई और पूरे मामले को वैधानिक स्वरूप देने के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय की घड़ी का कांटा उलटा घूमा दिया गया. फिरोज ने बताया कि उक्त तिथि में सभी प्रत्याशियों के लिए नाम वापस लेने की समय सीमा शाम चार बजे तक निर्धारित थीं,लेकिन मंतूराम को पैसा देकर मनाने की कार्रवाई में यह समय बीत गया. जब मंतूराम मैदान से हटने को तैयार हो गए तब उसे ( फिरोज को ) और जिला निर्वाचन अधिकारी को पूर्व मुख्यमंत्री के अत्यंत ही करीबी एक अफसर ने फोन किया था. अफसर से मिले निर्देश के बाद ही घड़ी का कांटा उलटा घुमाया गया... यानि शाम चार बजे को तीन बजे किया गया. फिरोज ने कहा कि घड़ी के कांटे को उलटा करने के खेल में तीन से चार लोग ही जुड़े हुए थे जिसमें तात्कालिक जिला कलेक्टर भी शामिल थीं और उन्होंने खुद को बचाने के लिए बकायदा रिकार्डिंग भी करवाई थीं.

 

फिरोज ने अंतागढ़ कांड के कई मसलों पर खास बातचीत साफ तौर पर यह स्वीकारा कि पूरे मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, अमित जोगी और डाक्टर रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता शामिल थे. इसके अलावा भारतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अफसर भी लिप्त थे. फिरोज ने बताया कि मामले से जुड़ा एक अफसर तो अवैध ढंग से जमीन की खरीद-फरोख्त के खेल में भी लगा हुआ है. फिरोज ने कहा कि उन्हें अमित जोगी ने मंतूराम पवार को लेकर मंत्री राजेश मूणत के बंगले के सामने खड़े रहने को कहा था, फिर बाद में यह भी कहा कि वे मंतूराम को लेकर मूणत के बंगले चले जाए. ऐसा शायद सुरक्षागत कारणों से कहा गया था. 

चश्मदीद गवाह

 फिरोज ने बताया कि रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र को भैया कहकर संबोधित करते थे. लेन-देन का सारा मामला अमित जोगी की निगरानी में किया गया था. बात सात करोड़ की हुई थी, लेकिन उतनी बड़ी रकम शायद नहीं मिल पाई. इस मामले में एक बिल्डर और एक शराब माफिया की भी महत्वपूर्ण भूमिका थीं. इसके अलावा भारतीय पुलिस सेवा का एक प्रमुख अफसर भी जी-जान से इस खेल में लगा हुआ था. फिरोज ने अमित जोगी के हवाले से यह जानकारी भी दी कि अफसर ने भी फोन टेप किया था और शायद वह रमन सिंह को भी ब्लैक मेल कर रहा था. क्या उस अफसर का नाम मुकेश गुप्ता था... पूछने पर फिरोज ने कहा- हो सकता है.

फिरोज ने बताया कि अभी वह धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज करवाएगा, लेकिन उसे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि अजीत और अमित जोगी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को नीचा दिखाने के मंतूराम पवार को चुनाव मैदान से हटाने के खेल में लगे थे. फिरोज ने कहा कि वह पूरे मामले का चश्मदीद गवाह है इसलिए उसने सरकार से सुरक्षा भी मांगी है.

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कुख्यात पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता सस्पेंड

रायपुर. विवादों में घिरे पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता निलंबित कर दिए गए हैं. इसके साथ ही नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह भी निलंबन की जद में हैं. देर-सबेर उन पर भी कार्रवाई तय है.

पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह और खुद को पावरफुल नौकरशाह के तौर पर प्रचारित करने वाले अमन सिंह के करीबी समझे जाने वाले मुकेश गुप्ता पर कभी मिक्की मेहता की हत्या का आरोप लगता रहा है तो कभी झीरम घाटी के माओवादी हमले में उनकी भूमिका संदिग्ध मानी गई. पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे की मौत के मामले में भी उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठ चुके हैं.

इधर एक दिन पहले ईओडब्लू ने उन पर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले की जांच के दौरान आरोपियों और संबंधित दर्जनों लोगों के फोन टेप करने के मामले में धारा 166, 166 ए ( बी ), 167, 193, 194, 196, 201, 218, 466, 467, 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया है. उनके साथ-साथ खुद को रमन सिंह के रिश्तेदार के तौर पर प्रचारित करने वाले रजनेश सिंह भी आरोपी बनाए गए हैं. ईओडब्लू ने जिन गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है उसके बाद दोनों अफसरों का जेल जाना भी तय माना जा रहा है. दोनों पर नागरिक आपूर्ति घोटाले की जांच के दौरान झूठा साक्ष्य गढ़ने, आपराधिक साजिश रचते हुए रसूखदार लोगों को बचाने और अवैध तरीके से फोन टेप करने का आरोप है.

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