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हमारे हिस्से का इरफ़ान

हमारे हिस्से का इरफ़ान

“अबे तरसते हैं लोग मुझसे acting सीखने के लिए, और तेरे पास टाइम नहीं है”

कुछ ऐसे ही शब्दों थे इरफान साहब के, जब बाबिल उन्हें ‘आज नहीं बाबा कल, कल पक्का’ कहके गच्चा दे रहा था।

बाबिल की परवरिश आम सेलेब्रिटी बच्चों से नहीं हुई थी। उसको इरफान साहब स्कूल नहीं भेजते थे। वो होम ट्यूशन पढ़ता था। वो नदी में तैरना सीखता था, वो पेड़ों पर चढ़ता-उतरता था। इनशॉर्ट, इरफान साहब के घर एक मोगली रहता था। इस मोगली को एक रोज़ एहसास हुआ कि उसके पिता क्या चीज़ हैं, क्या ग़जब फ़नकार हैं।

मोगली ने अपने बाबा से गुज़ारिश की कि वो actor बनना चाहता है।

इरफ़ान साहब ये सुना और कहा “धत्त तेरे की, बेटा जी, लग गए आपके”

इसके बाद बाबिल की ट्रैनिंग तो शुरु हुई, पर इरफ़ान साहब खुद दुनिया भर की फिल्मों में इतने मसरूफ़ रहने लगे कि घर में उनकी हाज़िरी घटती चली गई। छोटा बाबिल अपने जंगल का मोगली बना, कुछ समय तो उछल-कूद से दिल बहलाता रहा, पर एक उम्र बाद उसे भी संगी-साथियों की ज़रूरत महसूस होने लगी।

नतीजतन बाबिल लड़कपन की उम्र में पहुँचते ही मुंबई के टॉप स्कूल में एजुकेशन के साथ-साथ बढ़िया एसयूवी गाड़ी का भी मालिक बन गया। अब पासा घूम गया, इरफ़ान साहब उसके पीछे भागने लगे कि “अबे सुन ले, सीख ले, आ जा एक सीन है इसको ब्रेक करते हैं” पर बाबिल है तो लड़का ही, और लड़के जब हमउम्र लड़कों की दोस्ती और लड़कियों की संगत में आते हैं तो अनजाने में ही घर-परिवार को किनारे करने लगते हैं।

हालाँकि बाबिल आम बच्चों से ज़रा बेहतर है, इसलिए अचानक स्कूल में मिली पॉपुलरिटी से जल्द ही ऊबने लगा। पर तबतक वो मनहूस घड़ी आ चुकी थी, इरफ़ान साहब को बीमारियों के भेड़िये ने दबोच लिया था। इलाज चलता रहा, पहले घर पर, फिर अमेरिका में! इस दौरान बाबिल से जितना बन पड़ा, वो अपने बाबा के साथ ही रहा।

फिर कैंसर सुधरने लगा। घर वापसी हो गई। हालात उम्मीदज़दा लगने लगे पर आह-री किस्मत, पेट में एक इन्फेक्शन हो गया! डॉक्टर ने अंदाज़न कहा कि मैक्सिमम 3 दिन के लिए एडमिट कर दीजिए। हमें उम्मीद है कि उससे पहले ही हम घर वापस भेज देंगे।

इरफ़ान साहब घर से निकलने से पहले बोले “3 दिन में आता हूँ, फिर सिखाऊँगा तुझे, बस तीन दिन और इंतेज़ार कर...”

पर मगर अफ़सोस, इरफ़ान साहब लौटकर नहीं आए और अपना अर्बन मोगली, एक बार फिर अकेला रह गया।

CUT TO:

मैं रेलवे मैन से जुड़ा एक इंटरव्यू देख रहा था। चंद बातों के बाद ही बाबिल ने बड़ी मासूमियत से कहा कि “केके सर के सेट पर होने से, मुझे एक पल भी ऐसा नहीं लगा कि बाबा नहीं हैं, मैं इनसे जो पूछता था, वो झट से बता देते थे”

इसके साथ ही बाबिल बोला “मेरी हिन्दी बहुत अच्छी नहीं है और मुझे इस बात पर शर्म आती है, मैं सीख रहा हूँ और बेहतर कर रहा हूँ”

इसके तुरंत बाद ही ऑडियंस में से किसी ने इरफ़ान साहब की एक फिल्म के बारे में कुछ कहा तो बाबिल बच्चों की तरह उछलकर अपना इक्साइट्मेंट दिखाने लगा।

एक बात गौर करिए कि हम उस दौर में हैं जहाँ दुनिया की, साथी कलाकारों की, यहाँ तक की अपने बाप तक की इज्ज़त भी फॉर्मैलिटी में की जा रही है क्योंकि इंडस्ट्री में ये सब कूल नहीं लगता है।

ऐसे माहौल के बीच, एक 25 साल का लड़का, बिना किसी फूँ-फाँ के, बॉय नेक्स्ट डोर सूरत वाला, जो दिल में है वही मुँह पर लाने में संकोच न करता, जिसकी मुस्कुराहट में इरफ़ान साहब झलक बसती हो, वो इंडस्ट्री में आता है और तुरंत सबका लाड़ला बन जाता है।

सबसे अच्छी बात ये है कि बाबिल acting करते वक़्त इरफ़ान खान बनने की कोशिश नहीं करता। पर फिर भी, हम सिनेमा दीवाने लोग, उसको देखकर अपने हिस्से का इरफ़ान खान जी लेते हैं।

#सहर

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