अंदरखाने की बात

विजय बघेल का राजनीतिक भविष्य खतरे में ?

विजय बघेल का राजनीतिक भविष्य खतरे में ?

अभी हाल के दिनों में जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जोगी की मेहरबानी से डॉ. रमन सिंह तीन बार सत्ता पर काबिज रहे तो जोगी कांग्रेस और भाजपा में थोड़ी हलचल नजर आई, लेकिन कांग्रेसियों को जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ. कांग्रेसी हमेशा से यह मानते रहे हैं कि अजीत जोगी और रमन सिंह अच्छे दोस्त थे और ऐन-केन-प्रकारेण एक-दूसरे की मदद ही किया करते थे.

इधर जबसे भाजपा ने छत्तीसगढ़ में 21 सीटों पर टिकटों का ऐलान किया है तबसे नारंगी संपादक और संवाददाता इस प्रचार में जुट गए हैं कि विजय बघेल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कड़ी टक्कर देने वाले हैं. जबकि राजनीति को सही ढंग से जानने-समझने वाले प्रेक्षक मानते हैं कि चाचा ( भूपेश बघेल ) के खिलाफ भतीजे ( विजय बघेल ) को चुनाव समर में उतारकर भाजपा ने एक तरह से विजय बघेल के राजनीतिक सफर को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करने का ही काम किया है.

जिस भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस पूरे प्रदेश का चुनाव लड़ने जा रही है उसे हारने के लिए भाजपा ने जिस भतीजे का इस्तेमाल किया है उसका ट्रैक थोड़ा गड़बड़ है. सब जानते हैं कि वर्ष 2003 में विजय बघेल ने पहली बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा था और अपने चाचा से ही शिकस्त खाई थीं. इस चुनाव में पराजित होने के बाद विजय बघेल ने भाजपा का दामन थामा और 2008 में जीत हासिल की. यह वह समय था जब कांग्रेसजन यह जानने लगे थे कि उनके बीच ही कोई ऐसा शख्स मौजूद है जो लगातार भाजपा की मदद कर रहा है. ( इस शख्स की महान करतूतों का पता लोगों को तब चला जब अंतागढ़ के उपचुनाव में एक टेप वायरल हुआ. ) बताते है कि वर्ष 2008 के चुनाव में पाटन विधानसभा में एक घटना घटी थीं. यहां एक कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ के एक महान संत-महात्मा की तस्वीर को मंच से फेंक दिया गया था. जानकारों का कहना है कि यह कार्रवाई दो बड़े नेताओं की मिली-भगत का परिणाम थीं. तब पाटन विधानसभा में यह संदेश बड़ी तेजी से फैला कि संत-महात्मा के अपमान के पीछे भूपेश बघेल का हाथ है. हालांकि यह बात पूरी तरह से झूठी थीं, लेकिन रातों-रात गणेश जी दूध पिलाने की कला में माहिर लोग अपने मकसद में कामयाब हो गए. एक वर्ग विशेष का वोट कटा और भूपेश बघेल पराजित हो गए. इस पराजय के बाद भी भूपेश बघेल पाटन क्षेत्र में डटे रहे और फिर 2013 के चुनाव में उन्होंने भतीजे को चुनाव समर में पराजित किया.

2018 विधानसभा चुनाव में विजय बघेल को भाजपा ने टिकट नहीं दी. अब जबकि वे एक बार फिर भूपेश बघेल से मुकाबले के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं तब यह कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों से पराजित होने के बाद क्या भाजपा उन्हें दोबारा लोकसभा के चुनावी समर में मौका देगी ? क्या पराजित व्यक्ति पर कोई दांव लगाता है? और अब तो अंतागढ़ टेपकांड का वह नायक भी इस दुनिया में उपस्थित नहीं है तो फिर मदद कौन करेगा?

राजकुमार सोनी

98268 95207

 

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