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छत्तीसगढ़ में जबसे बनी भाजपा की सरकार तबसे मॉब लिंचिंग की घटनाओं में इजाफा
रायपुर. छत्तीसगढ़ में जबसे भाजपा की सरकार बनी है तबसे मॉब लिंचिंग की घटनाओं में इजाफा देखने को मिल रहा है. प्रदेश के अभनपुर इलाके में सहारनपुर के तीन मुस्लिम युवकों की मॉब लिंचिंग के बाद इधर रायगढ़ जिले के ग्राम डुमरपाली बनोरा में एक दलित को चोरी के शक में पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया है. देश के चर्चित मानवाधिकार कार्यकर्ता डिग्री चौहान का कहना है कि छत्तीसगढ़ में मनुष्य के जान की कोई कीमत नहीं रह गई है. जिसे देखो वहीं कानून अपने हाथ में लेकर चल रहा है. कानून और व्यवस्था की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि कभी भी कोई भी किसी को मौत की नींद सुला देता है. छत्तीसगढ़ अब शांति का टापू नहीं बल्कि मारकाट और खून-खराबे का गढ़ बन गया है.
प्रेस को जारी किए गए एक बयान में मानवाधिकार कार्यकर्ता डिग्री चौहान ने बताया कि 22 दिसम्बर को रायगढ़ जिले के चक्रधर नगर थाना क्षेत्र के ग्राम डूमरपाली बनोरा में पचास वर्षीय पंचराम उर्फ बुटु सारथी को गांव वालों ने खंबे से बांधकर सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि ग्रामीणों को शक था कि पंचराम चोरी करता है. डिग्री का कहना है वैसे तो भीड़ का कोई विवेक नहीं होता है, लेकिन यदि कानून और व्यवस्था मजबूत हो तो बहुत सारी घटनाओं को रोका जा सकता है. जब भीड़ को संचालित करने वालों को लगता है कि किसी तरह का कोई राजनीतिक संरक्षण उन्हें बचा लेगा तो फिर उन्हें उन्मादी और फसादी हो जाने में देर नहीं लगती. डिग्री ने कहा कि सहारनपुर के जिन तीन मुस्लिम युवकों को कथित भीड़ ने गौ-तस्करी के आरोप में मौत के घाट उतारा था उस भीड़ को बचाने के लिए पुलिस ने कई तरह के उपक्रम किए थे. पुलिस ने इस मामले में जो चालान पेश किया उससे पता चलता कि मुस्लिम युवकों ने खुद ही नदी में कूदकर जान दे दी थीं. यानी मुस्लिम युवकों की हत्या को आत्महत्या ठहराने की कवायद हुई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिन लोगों ने घटना को अंजाम दिया वे सभी कथित तौर पर गौ-सेवक थे. डिग्री ने बताया कि कुछ समय पहले रायगढ़ जिले के लैलूंगा थाने में पुलिस के सामने ही भीड़ ने एक दलित अरविंद सारथी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थीं. इस घटना के बाद जिला सत्र एवं विशेष न्यायाधीश ने पुलिस की जांच प्रक्रिया पर संदेह जाहिर करते हुए शासन से सीबीआई जांच को कहा था. मामला अभी तक न्यायालय में लंबित है. लंबे समय तक पीयूसीएल से जुड़े रहे डिग्री चौहान का कहना है कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ के सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर प्रतिवाद दर्ज करना चाहिए एवं जांच दल गठित कर रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए.