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छत्तीसगढ़ विधानसभा सचिवालय की गोपनीय फाइलों की फोटोकॉपी करने वाले अफसर से छीना गया सभी शाखाओं का प्रभार....लेकिन ? ? ?

छत्तीसगढ़ विधानसभा सचिवालय की गोपनीय फाइलों की फोटोकॉपी करने वाले अफसर से छीना गया सभी शाखाओं का प्रभार....लेकिन ? ? ?

रायपुर. प्रश्नकाल, शून्यकाल, ध्यानाकर्षण और सूबे के अन्य ज्वलंत मसलों पर सार्थक विमर्श की वजह से छत्तीसगढ़ की विधानसभा ने हमेशा से शानदार मापदंड स्थापित किया है, लेकिन कई बार वहां पदस्थ अफसरों की करतूतों की वजह से विधानसभा की चर्चा कुछ अलग ढंग से यानी ऐसा भी होता है क्या ? वाले अंदाज में होने लगती है.

अब से कुछ अरसा पहले तक विधानसभा में एक सचिव हुआ करते थे. कुछ अलग तरह के कारनामों और फरमानों की वजह विधानसभा के छोटे-बड़े सभी तरह के कर्मचारी उनसे परेशान रहा करते थे.( यहां जिस सचिव की बात हो रही है उनके बैंक लॉकर पर से चोरों ने जब हाथ साफ किया तब पता चला कि सचिव महोदय तो आय से अधिक संपत्ति के मालिक थे और एक से बढ़कर एक बेशकीमती आभूषण धारण करने के शौकीन थे.) बताते हैं कि विवादों से नाता से रखने वाले सचिव महोदय ने जब पिंड छोड़ा तब विधानसभा में कार्यरत कर्मचारियों ने एक-दूसरे को मिष्ठान खिलाकर जश्न मनाया था.

खैर...सचिव महोदय तो जैसे-तैसे रुखसत हो गए...लेकिन इधर वैमन्स्य से भरी हुई कार्यशैली चलते पूर्व सचिव को टक्कर देने वाले एक अन्य अफसर की चर्चा भी इन दिनों जबरदस्त ढंग से बनी हुई है. बताते हैं कि शासन के कई विभागों में प्रतिनियुक्ति पर काम कर चुके इस अफसर को विधानसभा सचिवालय ने योग्य और प्रतिभाशाली अफसर मानते हुए कई महत्वपूर्ण शाखाओं का प्रभार दे दिया था लेकिन एक रोज वे विधानसभा सचिवालय की गोपनीय फाइलों की फोटोकॉपी करते हुए रंगे हाथों पकड़े तब उनसे सभी तरह का प्रभार छीन लिया गया.

जानकारों का कहना है कि विवादों से नाता रखने वाला अफसर विधानसभा सचिवालय में प्रतिनियुक्ति और संविलियन के पूर्व मूल रुप से रोजगार अधिकारी था. वर्ष 2002 में अफसर की सेवाएं प्रथम श्रेणी के प्रशासकीय अधिकारी के तौर पर ली गई थीं और वर्ष 2005 में इसी पद पर उनका संविलियन भी किया गया था. अफसर को इस बात की उम्मीद थीं कि एक रोज वह विधानसभा में सचिव बन जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. यह जानते हुए भी कि अफसर नियमानुसार कभी सचिव नहीं बन पाएगा तो भी उसकी उठा-पटक जारी है.

दरअसल विधानसभा सचिवालय में प्रशासकीय अधिकारी का पद निज सचिव से पदोन्नति का पद होता है. कोई सचिव बनता है या नहीं बनता...यह विधानसभा अध्यक्ष की पसन्द का मामला भी होता है. बताते हैं कि जब रोजगार अधिकारी ने विधानसभा में प्रथम श्रेणी अधिकारी के तौर पर इंट्री ली तब विधानसभा के कर्मचारियों और अधिकारियों ने आपत्ति दर्ज करवाई थीं. एक कर्मचारी ने तो इस संबंध में बकायदा हाईकोर्ट में याचिका भी दायर कर दी थीं.

योग्यता और दक्षता पर उठे सवाल

अफसर की योग्यता और क्षमता प्रारंभ से ही सवालों के घेरे में रही है. छत्तीसगढ़ विधानसभा सचिवालय में एक मर्तबा अधिकारियों और कर्मचारियों ने हड़ताल का रुख कर लिया था. हालांकि इस हड़ताल के मूल में पूर्व सचिव की कार्यप्रणाली महत्वपूर्ण थीं,लेकिन यह भी माना जाता है कि हड़ताल के पीछे रोजगार अधिकारी ने ही मुख्य भूमिका निभायी थीं. जानकार बताते हैं कि अफसर का जब विधानसभा  सचिवालय में संविलियन हो गया तो उन्हें उनके मूल विभाग जनशक्ति नियोजन से त्यागपत्र दे देना था, लेकिन उन्होंने लंबे समय तक ऐसा नहीं किया. हड़ताल के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों को भड़काने की वजह से विधानसभा सचिवालय ने उनकी सेवाएं जनशक्ति नियोजन विभाग को लौटा भी दी थीं. बाद में उन्हें माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिले का रोजगार अधिकारी बनाकर भेजा गया, लेकिन दंतेवाड़ा में अपनी पदस्थापना को अफसर ने बतौर सजा मानकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी. हालांकि हाईकोर्ट में याचिका के बाद अफसर को थोड़ी राहत तो मिल गई, लेकिन तब तक उनकी कार्यप्रणाली इतनी ज्यादा विवादित हो गई कि विधानसभा सचिवालय ने उन्हें किसी भी तरह का महत्वपूर्ण काम देने के काबिल नहीं समझा.

अफसर के बारे में यह भी बताया जाता है कि वे  वर्ष 2014 से 2017 तक संस्कृति विभाग में प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे. इस विभाग के मूल कर्मचारियों और अधिकारियों को भी वे अलग तरह के  तौर-तरीकों से प्रताड़ित करने लगे. नतीजा यह हुआ कि संस्कृति विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनके खिलाफ आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया था. वर्ष 2017 में जब वे एक बार फिर विधानसभा सचिवालय लौटे तो वहां पदस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों ने असंतोष जाहिर किया. नतीजा यह हुआ कि उन्होंने एक बार फिर प्रतिनियुक्ति की राह पकड़ ली और चिकित्सा शिक्षा विभाग में चले गए. वर्ष 2018 में उनका विधानसभा सचिवालय लौटना हुआ और फिर इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ा कि वे विधानसभा संभाग के लोक निर्माण विभाग, हार्टिकल्चर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को डरा-धमकाकर आर्थिक भयादोहन कर रहे हैं. अफसर को अब भी उम्मीद है कि हथकंडों के जरिए वे विधानसभा के सचिव बन ही जाएंगे सो उनकी उठा-पटक जारी है. इधर अफसर हथकंड़ों से परेशान विधानसभा के अधिकारी और कर्मचारी जल्द ही उच्चस्तरीय शिकायत करने की तैयारी में हैं.

 

राजकुमार सोनी

98268 95207

 

 

 

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