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नाहर मेडिकल एजेंसी का कारनामा...  मल्टी विटामिन सिरप घोटाले में ईओडब्लू ने प्रारंभ की जांच

नाहर मेडिकल एजेंसी का कारनामा... मल्टी विटामिन सिरप घोटाले में ईओडब्लू ने प्रारंभ की जांच

रायपुर. छत्तीसगढ़ के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने मल्टी विटामिन सिरप घोटाले की जांच प्रारंभ कर दी है. अभी हाल के दिनों में सामाजिक कार्यकर्ता नितिन भंसाली ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को दस्तावेजों के साथ शिकायत में आरोप लगाया था कि डायरेक्टर हेल्थ के दबाव के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने मल्टी विटामिन सिरप की खरीदी कर धमतरी की नाहर मेडिकल एजेंसी को लगभग 13 करोड़ सात लाख रुपए का लाभ पहुंचाया है. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने श्री भंसाली को इसी माह 14 मई को बयान देने के लिए बुलाया है.

यह है पूरा मामला

दिनांक 23 फरवरी 2016 को डायरेक्टर हेल्थ ऑफ सर्विसेस ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड को 441 दवाईयों की खरीदी के लिए एक पत्र लिखा था. इस पत्र के आधार पर 11 अगस्त 2016 को आनलाइन टेंडर जारी किया गया, लेकिन थोड़े ही दिनों यह कहा जाने लगा कि टेंडर निकालने में देरी हो गई है इसलिए 23 जरूरी दवाईयां ( ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसवीएस ऑफ इंडिया ) बीपीपीआई के माध्यम से अनुमोदित की दरों पर खरीद ली जाए. इसके बाद डायरेक्टर हेल्थ ने बगैर टेंडर के दवाईयां खरीदने की अनुमति मांगी थी.

मल्टीविटामिन सीरप का चक्कर

डायरेक्टर हेल्थ लगभग पचास लाख अठावन हजार पांच सौ चालीस मल्टीविटामिन बोतल ( प्रत्येक बोतल 100 एमएल ) की खरीदी करना चाहता था, लेकिन छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने जानकारी दी कि दवा सप्लायरों के पास 200 एमएल की बोतल ही उपलब्ध है जिसकी कीमत 27 रुपए 64 पैसे हैं. इस बारे में डायरेक्टर हेल्थ और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा. डायरेक्टर हेल्थ ने दिनांक 27 मार्च 2017 को एक पत्र के जरिए अवगत कराया कि उसे अब सीरप की जरुरत नहीं होगी. सीरप के बजाय मल्ली विटामिन टेबलेट ( ड्रग कोड डी-63 ) खरीद लिया जाय.... और तब..........

बताते हैं कि डायरेक्टर हेल्थ और मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के बीच चले पत्र व्यवहार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के एक नजदीक के रिश्तेदार ने दबाव देना प्रारंभ किया.उनके दबाव के बाद अचानक 100 एमएल वाली मल्टीविटामिन वाली सीरप की बोतल भी मिल गई. डायरेक्टर हेल्थ महज पचास लाख अठावन हजार पांच सौ चालीस बोतल चाहता था, लेकिन मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन ने 73 लाख 94 हजार पांच सौ बोतल खरीद ली. इस पूरे मामले का सबसे संदिग्ध पक्ष यह है कि जब डायरेक्टर हेल्थ सीरप चाहता था तो सीरप की बोतल नहीं मिल रही थी और जब डायरेक्टर हेल्थ ने कहा कि चलिए बोतल नहीं मिल रही है तो टेबलेट खरीद लीजिए तब अचानक बोतल मिल गई. डायरेक्टर हेल्थ जितनी संख्या में बोतल चाहता था उससे कहीं ज्यादा संख्या में सीरप की खरीदी हो गई. बताते हैं कि सप्लाई का सारा काम धमतरी की नाहर नाम की एक मेडिकल एजेंसी को दिया गया था. इस एजेंसी को भी 90 दिनों के भीतर सप्लाई करनी थी, लेकिन इस सप्लायर ने 75 दिन देरी से सीरप की सप्लाई की. भंसाली का आरोप है कि बाजार से अधिक दर पर मल्टीविटामिन सीरप की खरीदी कर शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया गया है जबकि नाहर नाम की मेडिकल एजेंसी 13 करोड़ सात रुपए अतिरिक्त भुगतान हासिल करने में सफल रही. खबर है कि इस मामले में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के प्रमुख रामाराव को कुछ अधिकारियों ने समझाइश दी थी कि वे नियम-कानून से परे जाकर सिरप की खरीदी न करें, लेकिन वे नहीं माने. जिन अफसरों से समझाइश दी थी बाद में उनका तबादला अन्यत्र कर दिया गया.

 

 

 

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