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सावधान : ठगी का गोरखधंधा करने वाले लविश चौधरी के गुर्गें छत्तीसगढ़ में भी एक्टिव !!

सावधान : ठगी का गोरखधंधा करने वाले लविश चौधरी के गुर्गें छत्तीसगढ़ में भी एक्टिव !!

क्या पुलिस को पता नहीं है कि नेटवर्किंग मार्केटिंग के धंधे में

कैसे-कैसे गुल खिला रहे हैं चाचा और भतीजा ?

रायपुर. नेटवर्किंग मार्केटिंग के जरिए करोड़ों रुपए का हेर-फेर करने वाला लविश चौधरी पुलिस की आंखों में धूल झोंककर दुबई से अपना कारोबार संचालित कर रहा है. इधर छत्तीसगढ़ में भी लविश के कई गुर्गें जबरदस्त ढंग से सक्रिय है. फिलहाल भोली-भाली जनता को निवेश के लिए बरगलाने वाले दो ऐसे गुर्गों के बारे में जानकारी मिली है जो रिश्ते में चाचा-भतीजा कहलाते हैं.

कौन है लविश चौधरी ?

बताते हैं कि गाजियाबाद के गांव पसोंडा का रहने वाला लविश चौधरी उर्फ नवाब अली कुछ साल पहले जब मुजफ्फरनगर आया था, तो मंसूरपुर क्षेत्र के नरा नाम के एक गांव में वह कोचिंग सेंटर और घासीपुरा में थ्रो रायल बास्केट नाम से प्रोविजन स्टोर संचालित किया करता था. जब प्रोविजन स्टोर से गुजारा नहीं हुआ तो वह एक फैक्ट्री में काम करने लगा, लेकिन जब यहां भी बात नहीं बनी तो उसने फॉरेक्स ट्रेडिंग के कारोबार में इंट्री मारी और फिर  वह उस कारोबार का मास्टर मांइड बन गया. उसने क्यूएफएक्स नाम की एक कंपनी खोली और निवेश के नाम पर अच्छा-खासा मुनाफा देने का लालच देकर लोगों को ठगता चला गया.जनता की गाढ़ी कमाई को प्रलोभन के जरिए ऐंठने के इस गोरखधंधे में उसके साथ कई लोग जुटते भी चले गए. बहरहाल जनता को ठगी का शिकार बनाने के आरोप में लविश चौधरी पर कई राज्यों की पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर रखी है. लविश की तलाश प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को भी है.

हाट-बाजारों में बाला-फुल्ली बेचता था बेनूराम

छत्तीसगढ़ में बेनूराम और नुकेश नाम के दो शख्स क्यूएफएक्स के कारोबार को संभाल रहे हैं. बताते हैं कि बेनूराम नेटवर्किंग मार्केटिंग के धंधे में आने से पहले ग्रामीण  इलाकों के साप्ताहिक हाट-बाजारों में खिनवा-बाला-फुल्ली ( महिलाओं के कृत्रिम आभूषण )  बेचा करता था. धीरे-धीरे उसने नेटवर्किंग के धंधे में प्रवेश किया और फिर प्लस ग्रीन नाम की एक कंपनी में एजेंट बन गया. यहां से कारोबार की समझ  विकसित करने के बाद उसने रायपुर के उरला इलाके की एक फैक्ट्री में कार्यरत अपने भतीजे नुकेश को इंट्री दिलाई. अब चाचा और भतीजा क्यूएफएक्स कंपनी के सर्वे-सर्वा है. इसके अलावा चाचा-भतीजा बॉटब्रो, टीएलसी कॉइन, यॉर्कर एफएक्स जैसी धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं का कामकाज भी देख रहे हैं. इन सबकी जड़े कहीं न कहीं से क्यूएफएक्स से ही जुड़ी हुई है. नेटवर्किंग मार्केटिंग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 210 करोड़ की ठगी में नाम आने के बाद लविश चौधरी ने खुद को बचाने के लिए अपने नाम के साथ-साथ कंपनियों का नाम भी बदल डाला है. कभी वह खुद को नवाब खान के रुप में प्रस्तुत करता है तो कभी राशिद अली के तौर पर. बताते हैं कि हाल के दिनों में उसने अफ्रीका के क्यूमोरोक्स मोहिली आइलैंड में ‘योकर कैपिटल मार्केट’ के नाम से एक नई कंपनी पंजीकृत करवाई है. अफ्रीका में कंपनी को पंजीकृत करवाने के दौरान उसने खुद को राशिद अली बताया है जबकि हिमाचल के मंडी थाने में दर्ज की गई एफआईआर में उसका नाम नवाब खान लिखा गया है. वहीं निवेशकों के बीच उसकी पहचान लविश चौधरी के नाम पर ही बनी हुई है.

यूं चर्चा में आए चाचा-भतीजा

देश की मशहूर शायर शबीना अदीब यह चंद पंक्तियां चाचा और भतीजे के बदले हुए लहजे-चाल-ढाल और तौर-तरीकों पर सौ फीसदी फिट बैठती है.

जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आ के बैठे हो पहली सफ में

अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई- नई है.

जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना

तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई- नई है.

जानकार बताते हैं कि कभी मुफलिसी के दौर से गुजरने वाले बेनूराम और नुकेश ने जनता के पैसों पर डाका डालने के लिए कई स्तर पर एजेंट तैयार कर रखे हैं. एजेंटों को 125 डॉलर यानी दस-साढ़े दस हजार के जरिए इंट्री दी जाती है. जो एजेंट ग्राहकों की शक्ल में मुर्गा फांस लेते हैं उनसे कम से कम एक लाख रुपए यह कहकर जमा करवाया जाता है उन्हें छह फीसदी से लेकर 28 फीसदी तक कमीशन मिलता रहेगा. बेनूराम और नुकेश द्वारा निर्धारित किए लक्ष्य को पूरा  करने वाले एजेंटों को समय-समय पर बैकॉक-पटाया और दुबई की यात्रा भी करवाई जाती है. दुबई में एजेंटों की मुलाकात लविश चौधरी से होती है. लविश चौधरी दुबई में एजेंटों को यह गुर सिखाते हैं कि जनता की जेब से किस तरह से पैसा निकालना है. बताते हैं कि नुकेश और बेनूराम साल में दो से तीन बार बैकॉक-पटाया और दुबई आना-जाना करते हैं. जानकारों का कहना है कि हाल के दिनों में नुकेश ने भिलाई के एक बेशकीमती इलाके में दस से बारह करोड़ की लागत से एक ऑलीशान मकान बनवा लिया है. इसके अलावा बेशकीमती गाड़ियों का लंबा काफिला भी उनके साथ चलता है. वहीं रायपुर में रहने वाले बेनूराम ने भी कई जगहों पर बेशकीमती जमीन खरीद ली है. बहरहाल यह साफ है कि दुबई में बैठकर ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनियों के जरिए निवेश करवाने के खेल में जुटे लविश चौधरी के लिए एजेंट का कार्य करने वाले लोग भी जनता की गाढ़ी कमाई से धनपशु बन रहे हैं. ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ पुलिस को लविश के गुर्गों और उनके कारनामों की जानकारी नहीं है, लेकिन पुलिस ने खामोशी अख्तियार कर रखी है. पुलिस यदि समय रहते कोई एक्शन लेती है तो जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने और डूबने से बचाया जा सकता है. गौरतलब है कि विगत दिनों प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने उत्तर प्रदेश के शामली इलाके के एक एजेंट नवाब अली के मकान पर जब छापा मारा था तो उसे 90 लाख रुपए कैश मिले थे. इसके अलावा ईडी ने 170 करोड़ की चल संपत्ति भी जब्त की थीं.

जनता को रहना होगा सचेत

छत्तीसगढ़ में जब रमन सिंह की सरकार थीं तब रिजर्व बैंक से अमान्य कई तरह की चिटफंड और नेटमार्केटिंग कंपनियों को पनपने का मौका मिला था. इन कंपनियों में लाखों निवेशकों के पैसे डूब गए थे. कंपनियां चंद दिनों में ही जनता को दोगुना पैसा लौटाने का दावा करती है. दो-चार लोगों को पैसा लौटाकर विश्वास अर्जित करती है और फिर जनता की गाढ़ी कमाई लेकर फुर्र हो जाती है. जनता को हर हाल में सचेत रहना होगा.  पिछले दिनों रिजर्व बैंक ने नियम तोड़ने के आरोप में 13 फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर कड़ी कार्रवाई की है.रिजर्व बैंक की लिस्ट में जिन 13 प्लेटफॉर्म को शामिल किया गया है उसमें रेंजर कैपिटल, टीडीएफएक्स, यॉर्कर एफएक्स, ग्रो लाइन, थिंक मार्केट्स, स्मार्ट प्रॉप ट्रेडर, फंडेड नेक्स्ट, वेलट्रेड, एफएक्स रोड, डीबीजी मार्केट्स और प्लस वन ट्रेड शामिल है.

 

राजकुमार सोनी

98268 95207

 

 

 

 

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