विशेष टिप्पणी

छत्तीसगढ़ में छलिया और छैला बाबू  अफसरों की भरमार !

छत्तीसगढ़ में छलिया और छैला बाबू अफसरों की भरमार !

नफरत के इस भयावह दौर में

मोहब्बत करना तो अच्छी बात है

लेकिन...पद और प्रभाव के जरिए

छलिया और छैला बाबू

बन जाने वाली लंपटई  को

क्या जायज माना जा सकता है ?

 

इसे समाचार समझ लीजिए...टिप्पणी या खाली-पीली में दी जाने वाली कोई अनावश्यक सी सूचना...

इस टिप्पणी को लिखने वाला मोहब्बत का दुश्मन नहीं है. लिखने वाले का मानना है कि जो कोई भी मोहब्बत करता है... उसकी आंखे खूबसूरत हो जाती है और फिर वह अपने साथ-साथ दुनिया को बेहतर बनाने का ख्वाब देखने लगता है.

प्रेम करना अपराध नहीं है.

लेकिन...टिप्पणी लिखने वाला यह भी मानता है कि दो चीजें एक साथ नहीं हो सकती. पवित्रता का कोई पाखंड नहीं हो सकता और पाखंड वाली कोई पवित्रता नहीं हो सकती है.

छत्तीसगढ़ में कई आला अफसरों के बीच प्रेम के नाम पर जो कुछ भी चल रहा है उसे पाखंड वाली पवित्रता की श्रेणी में ही रखा जा सकता है.

छत्तीसगढ़ में एक आरटीआई एक्टिविस्ट है कुणाल शुक्ला. उन्होंने अपने एक्स हैंडल में छत्तीसगढ़ में पदस्थ अफसरों के कथित प्रेम प्रसंग को लेकर कई पोस्ट शेयर की है. उनकी पोस्टों के बाद तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है. कुछ लोग अफसरों के प्रेम को जायज ठहरा रहे हैं तो कुछ का मानना है कि विवाहित अफसरों को सिविल आचरण सेवा अधिनियम का ख्याल रखते हुए ही कदम उठाना चाहिए.

अपनी एक पोस्ट में कुणाल ने बगैर नाम लिए लिखा है- छत्तीसगढ़ में फिलहाल दो कलेक्टर प्रेम के पंछी बने हुए है. प्रेम का पंछी बन जाना बुरी बात नहीं है...लेकिन माजरा यह है कि साहब पहले से ही शादी-शुदा है जबकि मेमसाब कुंवारी है. इश्क का आलम यह है कि मीटिंग के दौरान भी दोनों अफसरों के बीच वाट्सअप पर लव बर्ड्स का आदान-प्रदान चलते रहता है. कुणाल शुक्ला ने अपनी इस पोस्ट में और भी ज्यादा खुलकर जानकारी चस्पा की है... जिसे यहां लिखा नहीं जा सकता है.

कुणाल ने दूसरी पोस्ट भी एक जिले में पदस्थ कलेक्टर के बारे में है. इस पोस्ट में उन्होंने इशारों-इशारों में यह तो बताया ही है कि कलेक्टर साहब को साइकिल चलाकर रिकार्ड बनाने का शौक रहा है. एक्स हैंडल में दी गई सूचना में उल्लेखित है कि साइकिल चलाने वाले कलेक्टर साहब ने अपने एक मातहत की बीवी को ही हड़प लिया है.

चूंकि कुणाल शुक्ला आरटीआई एक्टिविस्ट है... इसलिए बीवी को खोने वाले शख्स ने उनसे मिलकर गुहार लगाई है कि वे आरटीआई लगाकर यह जानकारी हासिल करें कि उनकी बीवी कब-कब... कहां-कहां कलेक्टर के साथ आती-जाती रही है.

कुणाल की तीसरी पोस्ट के राडार में भी एक कलेक्टर ही है. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है-जब लोकसभा का चुनाव चल रहा था तब केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों ने बिना नंबर वाली एक गाड़ी को पकड़ा था. जवानों को लगा था कि बिना नंबर वाली गाड़ी से नगदी बरामद होगी. जब गाड़ी की डिक्की खोली गई तब नगदी की जगह इच्छाधारी नागिन निकली. मसला यह था कि कलेक्टर साहब अपनी प्रेयसी को डिक्की में छिपाकर घूमने निकले थे. पोस्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कलेक्टर साहब की पत्नी भी एक अधिकारी है. उन्हें कलेक्टर की करतूतों के बारे में पता है इसलिए आए दिन उनके बीच जूतम-पैजार होते रहती है. ( बहुत अधिक विस्तार से जानकारी के लिए पाठकगण कुणाल शुक्ला के एक्स हैंडल को खंगाल सकते हैं.)

अभी हाल के दिनों में जशपुर जिले में पदस्थ वनमंडलाधिकारी जितेंद्र उपाध्याय पर भी एक महिला रेंजर ने गंभीर आरोप लगाए हैं. महिला रेंजर ने मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत में साफ तौर पर कहा है कि एक बार वनमंडलाधिकारी सरकारी काम के बहाने उसे बिठाकर बाहर ले गए थे. वाहन में गलत काम करने की कोशिश की थीं लेकिन वह किसी तरह बच निकली. फिलहार वन अफसर की गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस का कहना है जांच चल रही है. जांच कब तक चलेगी पता नहीं. कोई साधारण इंसान होता तो पुलिस अब तक ठोंक-पीटकर सलाखों के पीछे कर देती. 

इधर पुलिस ने मोहब्बत के नाम पर शादी का झांसा देने वाले कांकेर में पदस्थ रेंजर विजयंत तिवारी को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. बताते हैं कि विजयंत ने एक सहायक प्राध्यापक से पहले फेसबुक के जरिए दोस्ती गांठी. प्यार के जाल में फंसाया और फिर रायपुर शहर के एक नामी होटल में संबंध बनाया. जब महिला गर्भवती हुई तो आरोपी ने शादी करने से मना कर दिया और उसका गर्भपात करवा दिया.

कुछ समय पहले दिल्ली की एक महिला ने छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी युवराज मरमट पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. महिला का कहना था अफसर ने उसे पति से तलाक लेने के लिए मजबूर किया और फिर लगातार शारीरिक शोषण करता रहा जबकि आईएएस अफसर का कहना था कि महिला से उसकी जान-पहचान अवश्य थीं लेकिन अब महिला ब्लैकमेल कर रही है और डेढ़ करोड़ रुपए मांग रही है.

पाठकों को जांजगीर जिले में पदस्थ रहे कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक का प्रकरण भी याद होगा. पाठक ने भी एक महिला को स्वयं के चैंबर में हवस का शिकार बनाया था. महिला का कहना था कि वह किसी काम के सिलसिले में कलेक्टर साहब से मिली थीं जब जान-पहचान हो गई कलेक्टर ने उसके साथ दुष्कर्म किया और उसके शिक्षक पति को नौकरी से निकालने की धमकी देता रहा. पुलिस लंबे समय तक पाठक को गिरफ्तार नहीं कर पाई. फिलहाल यह मामला कोर्ट में हैं और पाठक जमानत पर. इसी संगीन केस के चलते उनका प्रमोशन अटक गया है जबकि उनकी बैच के सारे अधिकारी प्रमोट हो गए हैं.

खबर तो यह भी है कि सरकार ने हाल के दिनों में प्रजातंत्र के चौथे प्रहरियों के विभाग का कामकाज देख रहे एक अफसर को भी सिर्फ इसलिए चलता कर दिया है क्योंकि वे सरकार का चेहरा चमकाने के बजाय संविदा में पदस्थ दो महिलाकर्मियों के चेहरे पर जरूरत से ज्यादा क्रीम- पाउडर लगा रहे थे. बताते है कि मुंबई की रहने वाली किसी डिम्पल ने भी  ( अभिनेत्री कपाड़िया नहीं ) बड़े सिम्पल तरीके से अच्छा-खासा वारा-न्यारा कर दिया है.

छलिया और छैला बाबू अफसरों की करतूतों से किसकी छवि मलिन हो रही है यह बताने की जरूरत नहीं है. इधर प्रदेश का आम छत्तीसगढ़िया इस बात के लिए हैरान और परेशान है कि सभ्यताओं के सौम्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में ये सब क्या हो रहा है ?

राजकुमार सोनी

98268 95207

 

 

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