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जिसे मुकेश गुप्ता और सेंगर ने फंसाया उसे अदालत ने बचाया

जिसे मुकेश गुप्ता और सेंगर ने फंसाया उसे अदालत ने बचाया

रायपुर. प्रदेश के जिस खनिज अधिकारी को आय से अधिक संपत्ति रखने तथा साजिश रचने के आरोप में ईओडब्लू के चीफ मुकेश गुप्ता और निरीक्षक आरएन सिंह सेंगर ने फंसाया था अदालत ने उसे दोषमुक्त मानते हुए बरी कर दिया है. अदालत ने खनिज अधिकारी कुंदन बंजारे और उसके पिता कामता प्रसाद बंजारे को फंसाने के मामले में केबी ग्रुप से जुड़े निशांत जैन की भूमिका को भी षडयंत्र का हिस्सा माना है.

पिछले 30 मई 2019 को विशेष न्यायाधीश ( भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत प्राधिकृत ) खिलावन राम गिरी ने अपने फैसले में कहा कि जो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया उसमें निशांत जैन के नाम से पंजीकृत एक इनोवा कार को भी अभियुक्त कुंदन बंजारे का बता दिया गया था. प्रकरण में 45 लाख रुपए जप्त किए गए थे जिसे कुंदन बंजारे का बताया गया था लेकिन उस पर किसी ने कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया. न्यायाधीश ने इस प्रकरण में जांच की आवश्यकता बताते हुए विधि के अनुसार कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है.

गौरतलब है कि संचालनालय भौमिकी और खनिकर्म विभाग में उपसंचालक की हैसियत से पदस्थ कुंदन बंजारे के ठिकानों पर ईओडब्लू ने एक फर्जी शिकायत के आधार छापामार कार्रवाई की थी. जब यह कार्रवाई हुई तब  ईओडब्लू के चीफ मुकेश गुप्ता थे. खनिज अधिकारी के बारे में यह कहा गया था उसने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है और अपने पिता कामता प्रसाद बंजारे, कल्याणी बंजारे और कमलेश कुमार बंजारे के नाम से बेनामी संपत्ति क्रय की. ईओडब्लू ने छापामार कार्रवाई के दौरान 45 लाख रुपए भी जप्त किए. न्यायालय में यह बात भी सामने आई कि खनिज विभाग में पदस्थ रहने के दौरान कुंदन बंजारे ने अवैध उत्खनन के कई मामले बनाए थे. इन मामलों से कहीं न कही निशांत जैन जुड़े हुए थे. खनिज अधिकारी रहने के दौरान कुंदन बंजारे पेनाल्टी लगाया करते थे जिससे निशांत जैन चिढ़ गया था. न्यायालय में यह भी साफ हुआ कि निशांत जैन अभियुक्त बंजारे की कार्रवाई से दुखी था. इस मामले की पड़ताल निरीक्षक आरएन सेंगर ने की थी. न्यायालय ने यह माना कि सेंगर ने समयाभाव बताते हुए कुछ जरूरी कार्रवाई निशांत जैन के दफ्तर में संपन्न की थी. अदालत ने कहा कि निरीक्षक सेंगर को यह पता था कि जिस 45 लाख की वह जप्ती बना रहा है वह निशांत जैन के पास ही रखी गई थी.

न्यायालय द्वारा कुंदन बंजारे और उसके पिता कामता बंजारे को दोषमुक्त किए जाने से यह साफ हो गया है कि पिछली सरकार में ईओडब्लू झूठी शिकायतों के आधार पर बेगुनाह लोगों को फंसाया करती थी. एक इंजीनियर आलोक अग्रवाल को फंसाए जाने के मामले में भी उनके भाई पवन अग्रवाल ने सवाल उठाए हैं. इधर खबर है कि दोषमुक्त हो जाने के बाद कुंदन बंजारे ईओडब्लू चीफ और निरीक्षक सेंगर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने को लेकर कानूनी सलाह ले रहे हैं.

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