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बिजली बोर्ड का अधिकारी 19 साल से मंत्रालय का बादशाह

बिजली बोर्ड का अधिकारी 19 साल से मंत्रालय का बादशाह

रायपुर. बिजली बोर्ड का एक अधिकारी एमएस रत्नम गत 19 सालों से छत्तीसगढ़ मंत्रालय का बादशाह बना हुआ है. बताते हैं कि राज्य निर्माण से लेकर अब तक कई तरह के सचिव, मुख्य सचिव सेवानिवृत होकर घर बैठ गए,लेकिन रत्नम जहां के तहां है. कई तरह की गंभीर शिकायतों के बावजूद कोई उनका बाल-बांका नहीं कर पाया. जब वे बिजली बोर्ड से मंत्रालय भेजे गए थे तब कार्यपालन अभियंता थे. अब मुख्य अभियंता है. हालांकि मंत्रालय में उन्हें विशेष सचिव का दर्जा मिला हुआ है. बिजली बोर्ड के कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है कि रत्नम कभी खुद को पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का करीबी बताकर बचते रहे हैं तो कभी शिवराज सिंह का करीबी बनकर. उन पर संविदा में पदस्थ एक ऐसे अधिकारी का भी वरदहस्त रहा है जो इन दिनों सब कुछ छोड़-छाड़कर दिल्ली जा बसा है. बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थी तब संविदा में पदस्थ संरक्षणकर्ता अफसर को भाजपा के लोग ही सुपर सीएम कहा करते थे.

बिजली विभाग के अनेक अधिकारियों ने समय-समय पर रत्नम के कारनामों के बारे में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव को जानकारी दी है. अभी हाल के दिनों में कुछ अधिकारियों ने रत्नम के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तारपूर्वक बताया है. अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में जगह-जगह बिजली कटौती का जो खेल चल रहा है उस खेल में रत्नम के अलावा कुछ ऐसे अफसर संलिप्त है जो यह मानने को तैयार नहीं है कि प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार है. पन्द्रह सालों तक स्वामी भक्ति में लिप्त रहे अफसर भूपेश सरकार को बदनाम कर अभी से भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की जुगत में लग गए हैं. हालांकि मुख्यमंत्री ने गुणा-भाग को पहले ही भांप लिया और यह बयान भी दे दिया है कि बिजली कटौती के खेल में भाजपाई शामिल है बावजूद इसके अफसर चाहते है कि त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति बरकरार रहे.

 बिजली बोर्ड अभियंता संघ से जुड़े एक प्रमुख पदाधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ जब अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब बस्तर के बारसूर प्रोजेक्ट में एमएस रत्नम की तैनाती की गई थी. रत्नम मुख्य रुप से सिविल इंजीनियर है जबकि बिजली विभाग का कामकाज समझने के लिए इलेक्ट्रिक इंजीनियर होना अनिवार्य है. पदाधिकारी का कहना है कि एक सिविल इंजीनियर की वजह से ऊर्जा विभाग को कई बार आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और सीबीआई की जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है. पदाधिकारी का कहना है कि रत्नम पिछले 19 साल से मंत्रालय में ही पदस्थ है और लगभग तीन लाख 25 हजार रुपए की मोटी तनख्वाह प्राप्त कर रहे हैं. बोर्ड से जुड़े लोग कहते हैं कि उन्हें कई मर्तबा ऊर्जा विभाग के एक पूर्व सलाहकार के निवास स्थान पर भी देखा गया है. बताते हैं कि वे भाजपा के सुपर सीएम के संपर्क में भी है. सूत्रों का कहना है कि बिजली बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने जब रत्नम के बारे में एक प्रमुख अधिकारी को जानकारी दी तो उन्होंने उसे यह कहकर बचा लिया कि अब ज्यादा दिन नहीं है. रत्नम अक्टूबर 2020 में सेवानिवृत हो जाएंगे तो फिर किसी अच्छे अफसर की पदस्थापना कर देंगे. क्या तब तक बिजली बोर्ड का क्या हाल बेहाल ही रहने वाला है. इस बारे में रत्नम से उनके निवास पर मौजूद फोन 07712255705 से संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया है तो ज्ञात हुआ कि वे मौजूद नहीं है. यह जानकारी भी दी गई कि वे अपने साथ कोई मोबाइल नहीं रखते हैं.

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