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बाप रे बाप... मुकेश गुप्ता के मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के 97 खाते

बाप रे बाप... मुकेश गुप्ता के मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के 97 खाते

रायपुर. देश के विवादास्पद पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता का अब किसी भी सूरत में बच निकलना मुश्किल लग रहा है. छत्तीसगढ़ की रमन सरकार मुकेश गुप्ता के कारनामों पर पर्दा डालती रही, लेकिन भूपेश सरकार ने गुप्ता के नए-पुराने सभी कारनामों को उधेड़कर रख दिया है. गुप्ता पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. अवैध ढंग से फोन टेपकर संभ्रात लोगों को ब्लैकमेल करने के  आरोप में फंसे मुकेश गुप्ता पर अभी हाल के दिनों में गृह विभाग ने मनी लांड्रिग से संबंधित एक शिकायत पर जांच की अनुमति दी है. सूत्रों का कहना है कि मिक्की मेहता के सगे भाई माणिक मेहता ने तमाम तरह के सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर इस मामले की सबसे पहली शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी, वहां से जांच के लिए निर्देश आने के बाद ईओडब्लू ने मामला दर्ज कर गृह विभाग से जांच की अनुमति मांगी थी. बताते हैं कि मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट ने एक बैंक में कुल 97 खाते खोल रखे है. हैरत की बात यह है कि कोई ट्रस्ट अगर ईमानदारी से कार्य कर रहा है तो उसे इतनी बड़ी संख्या में खातों के संचालन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए थीं. बहरहाल पुलिस यह पता लगाने में जुट गई है कि इतनी  बड़ी संख्या में खातों का परिचालन किस मकसद से किया जाता था. किस खाते में कितनी रकम कब-कब जमा की गई और किसने दी.

जो फंसता था लिया जाता था तगड़ा डोनेशन

गौरतलब  है कि भारतीय पुलिस सेवा में रहने और पूर्व से शादी-शुदा होने के बावजूद मुकेश गुप्ता ने नेहरू नगर भिलाई की निवासी श्माया मेहता की पुत्री और माणिक मेहता की बहन मिक्की से ब्याह रचाया था. एक रोज संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई तब परिजनों ने आरोप लगाया कि मिक्की की हत्या कर दी गई है. मिक्की की मौत के बाद जब मुकेश गुप्ता ने  मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट खोला तो पहले-पहल लोगों ने यह माना कि यह मिक्की की स्मृति को जीवित रखने का कोई उपक्रम है, लेकिन बहुत जल्द ही इस ट्रस्ट की गतिविधियों को लेकर आरोप लगना शुरू हो गया. धीरे-धीरे यह बात सामने आई कि ट्रस्ट संवेदना बटोरने के लिए ही नहीं बल्कि उसकी आड़ में लोगों से डोनेशन लेने के लिए खोला गया था. खबर है कि जो लोग काली कमाई करने में माहिर थे वे इस ट्रस्ट में अपने काले धन को सफेद करने के लिए पैसा लगाते थे. जो कोई भी मुकेश गुप्ता की गिरफ्त में फंसता था तो वह तभी बच पाता था जब वह मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में डोनेशन देने के लिए तैयार हो जाता था. सामान्य तौर पर जो कोई भी किसी धर्मार्थ या परमार्थ ट्रस्ट में डोनेशन देता है उसे आयकर विभाग से छूट मिलती है. मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट धनाढ्य लोगों के काले धन को सफेद करने का एक केंद्र बन गया था. सूत्रों का कहना है कि ईओडब्लू ने अपनी प्रारंभिक जांच में अवैध ढंग से कई खातों का परिचालन होना पाया है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के विधानसभा मार्ग पर स्थित मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना को लगभग 18 साल हो गए हैं. इन 18 सालों में एक भी बार इस ट्रस्ट ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट पंजीयक सार्वजनिक न्यास को नहीं सौंपी है. इस ट्रस्ट से कौन-कौन लोग जुड़े हैं. वे क्या करते हैं. ट्रस्ट में उनकी कितनी पूंजी लगी है. ट्रस्ट की वार्षिक आम सभा कब-कब हुई. किसने कितना चंदा दिया है. कब दिया है... अब तक कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया गया है. बहरहाल एक ही बैंक में 97 खातों का होना चौंकाने वाला मामला है. 

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