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क्या सांसद अभिषेक सिंह भी आएंगे जांच के दायरे में

क्या सांसद अभिषेक सिंह भी आएंगे जांच के दायरे में

रायपुर.छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता के उपकरण खरीदी मामले में फंसने के बाद सांसद पुत्र अभिषेक सिंह भी लपेटे में आ सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्द ही विदेश में खाता खोले जाने वाले मामले को लेकर जांच प्रारंभ कर सकती है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सबसे पहले एक टिव्हट के जरिए यह आरोप लगाया था कि सांसद अभिषेक सिंह ने विदेश में खाता खोलकर अच्छा-खासा निवेश किया है. उनके इस आरोप के बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ( अब मुख्यमंत्री भी ) कई मर्तबा कह चुके हैं कि अभिषेक सिंह ने शेयर कार्प कंपनी के जरिए अपना काला धन स्विस बैंक में जमा करवाया है. अभिषेक सिंह के द्वारा विदेश में खाता खोले जाने का मामला तब प्रकाश में आया था जब खोजी पत्रकारों की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था आईसीआईजे ने कुछ दस्तावेज जारी किए थे. इन दस्तावेजों के आधार पर यह पता चला था कि अभिषेक सिंह नाम के एक शख्स ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में क्वेस्ट नाम की एक कंपनी खोली थी. इस कंपनी के खुल जाने के ठीक 27 दिन बाद शार्प ओशन नाम की वह  कंपनी बंद हो गई जिसका नाम हेलिकाफ्टर खरीदी में एक बिचौलिए के तौर पर सामने आया था. अभिषेक ने विदेश में खाता खोलने के दौरान जो पता दिया था उसमें रमन मेडिकल स्टोर वार्ड नंबर 20 विध्यवासिनी कवर्धा उल्लेखित था. इस पते के उजागर होने के बाद अभिषेक सिंह पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को कहना पड़ गया था कि रमन सिंह के योग्य पुत्र अभिषेक सिंह का नाम भी पनामा पेपर में शामिल है और सरकार जांच से कतरा रही है.

खबरों पर सेंसर

अब तो हर अखबार और चैनल में रमन सिंह, चमन सिंह, पुनीत गुप्ता, वीणा सिंह और अभिषेक सिंह जैसे नाम छप रहे हैं और चल रहे हैं, लेकिन दिसम्बर 2018 तक छत्तीसगढ़ में स्थिति बेहद खराब थीं. अखबार के दफ्तर में मौजूद पत्रकारों और संपादकों को अभिषेक सिंह के नाम को प्रकाशित न करने के लिए सुपर सीएम फोन करते थे.कई बार जनसंपर्क विभाग के आयुक्त भी विज्ञापन रोक देने की धमकी  देकर खबर को दबा देने में सफल हो जाते थे. इधर सूत्र बताते है कि सांसद बनने से पहले भी अभिषेक सिंह इंटीग्रेटेड सोलर सोल्यूशंस नाम की एक प्राइवेट कंपनी में बतौर निदेशक कार्यरत थे. इस कंपनी ने भी तीन करोड़ साठ लाख की विदेशी मुद्रा कमाई थी, लेकिन बाद में अभिषेक सिंह इस कंपनी से इस्तीफा देकर अलग हो गए और इसका वित्तीय अधिकार हरि प्रकाश और उनकी पत्नी मनीषा प्रकाश को स्थानांतरित कर दिया गया.

 

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