बड़ी खबर

छत्तीसगढ़ को शराब का समुन्दर बनाने वाले समुंद्र सिंह की तलाश में ईओडब्लू ने मारा छापा

छत्तीसगढ़ को शराब का समुन्दर बनाने वाले समुंद्र सिंह की तलाश में ईओडब्लू ने मारा छापा

रायपुर.खुद को पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का रिश्तेदार बताकर आबकारी महकमे में रिटायरमेंट के बाद भी नौ साल तक संविदा में तैनात रहे विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी समुंद्र सिंह की तलाश में ईओडब्लू ने शुक्रवार को बोरियाकला के मकान पीपल 172 के अलावा बिलासपुर के नेहरू नगर स्थित पारिजात एक्सटेंशन मकान नंबर एमआईजी 21 में अल-सुबह छापामार कार्रवाई की है. बताते हैं कि बोरियाकला का मकान नागपुर में पदस्थ विजलेंस अफसर भुवनेश्वर सिंह के नाम पर है जिसमें अक्सर समुंद्र सिंह आया-जाया करते थे.नई सरकार के गठन के बाद से अचानक गायब हो गए समुंद्र सिंह पर करोड़ों रुपए की हेरा-फेरी का आरोप है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुशील ओझा और नितिन भंसाली की शिकायत के बाद ईओडब्लू उनकी धरपकड़ के लिए प्रयासरत थीं. सूत्रों का कहना है कि वे छत्तीसगढ़ में पदस्थ एक सत्कार अधिकारी अरविंद सिंह को भी अपना रिश्तेदार बताते रहे हैं. फिलहाल बोरियाकला के जिस मकान में ईओडब्लू ने छापा मारा है वह दस्तावेजों की जप्ती का काम चल रहा है.

शराब ठेकेदारों को पहुंचाया लाभ

शराब के समुन्दर में गोता लगाकर ठेकेदारों को अरबपति बनाने और सरकार को चूना लगाने वाले समुंद्र सिंह के बारे में यह तथ्य सामने आया था कि उन्होंने शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियम- कानून ताक पर रख दिए थे. शराब की बिक्री पर 50 से 60 तक प्रॉफिट मार्जिन यानि लाभ दिया गया जो अन्य राज्यों की तुलना में बेहद ज्यादा था. उल्लेखनीय है कि भाजपा के शासनकाल में शराब के मूल्य निर्धारण का कोई मापदंड नही था. एक दुकान में शराब का रेट अलग था तो दूसरी दुकान में अलग रेट. अलग-अलग दर पर बिक्री का लाभ सीधे तौर पर समुंद्र सिंह को मिलता था. लोकल ब्रांड की शराब बिना मापदंडों के परीक्षण के मनमाने तरीके से इंडियन मेड फारेन लिकर की श्रेणी में रख दी जाती थीं और स्थानीय स्तर पर निर्मित होने वाली शराब की बिक्री महंगे दर पर की जाती थी. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक शराब दुकानों का आवंटन लॉटरी के माध्यम से होता था जिसका लाभ शराब ठेकेदार अर्जित करते रहे. ठेकेदारों ने रामलाल, श्यामलाल, मांगीलाल जैसे नौकरों को भी दुकानें दिलवाई. इस खेल में समुंद्र सिंह की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थीं. जिन नौकरों ने दुकानें हासिल की उनका टर्न ओवर भी करोड़ों में था. एक रुपया भी आयकर विभाग को नहीं चुकाया गया. हकीकत यह थी कि जिन लोगों के नाम पर दुकानें आवंटित थीं खुद उन्हें ही यह नहीं पता था कि वे अरबपति है. कांग्रेस नेता नितिन भंसाली सारे तथ्यों के साथ ईओडब्लू में शिकायत की थी. उनका आरोप है कि समुंद्र सिंह ने लगभग पांच हजार करोड़ से अधिक का गड़बड़झाला किया है.

बगैर सूचना के गायब

बगैर सूचना के गायब रहने वालों में मुकेश गुप्ता की स्टेनो रेखा नायर ही शामिल नहीं है. समुंद्र सिंह भी उनमें से एक हैं. आबकारी महकमा भी समुंद्र सिंह की तलाश कर रहा था. इस तलाशी की एक वजह यह थीं कि उन्हें नौकरी से इस्तीफा से देने से पहले सूचना देनी थी. उन्हें एक महीने की तनख्वाह भी जमा करनी थीं. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अचानक-भयानक ढंग से गायब हो गए. आबकारी महकमे ने उनके विधायक कालोनी स्थित 36 नंबर के मकान पर भी कई मर्तबा नोटिस चस्पा किया था. इसके अलावा सूचना के आधार पर बोरियाकला स्थित निवास पर भी दस्तक दी थीं.

 

 

 

ये भी पढ़ें...