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पुनीत गुप्ता के लिए काम करते थे लोकेश और मोनू

पुनीत गुप्ता के लिए काम करते थे लोकेश और मोनू

रायपुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता को लेकर हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. फिलहाल जो तथ्य सामने आ  रहे हैं उससे यह साफ होता है कि पूर्व मुख्यमंत्री के जीरो टॉरलेंस का नारा केवल दिखावे के लिए था. पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी दामाद को जो छूट दे थीं सो दी थीं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा दामाद बाबू के करीबी लोग भी मलाई छान रहे थे. खबर है कि सप्लायर लोकेश शर्मा और प्रसुन सिंह उर्फ मोनू सिंह दामाद बाबू के बेहद करीबी थे और सारे काम इन्हीं के माध्यम से किए जाते थे.

डीकेएस में पचास करोड़ के उपकरण और टेंडर प्रक्रिया में घोटाले के बाद हर खरीदी सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है. अभी चंद रोज पहले यह खुलासा हुआ कि पुनीत गुप्ता के अधीक्षक रहने के दौरान अस्पताल प्रबंधन ने शिक्षा विभाग में फर्नीचर आदि की सप्लाई के लिए बदनाम रहे ड्रोलिया इंटरप्राइजेस से 21 लाख 64 हजार 420 रुपए का ग्लास डोर और विजिटर बैंच और गोयल इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन से 21 लाख 97 हजार 664 रुपए का विभिन्न फर्नीचर और स्टील टेबल खरीदा था. अब जाकर पता चल रहा है कि दोनों फर्में एक ही व्यक्ति के नाम से पंजीकृत है. बहरहाल यह खरीदी भी जांच के दायरे में आ गई है. इधर डीकेएस में पैथालॉजी, एक्सरे, सिटी स्केन डायलिसिस के अलावा अन्य सभी कामों के ठेके में कृषि विभाग के लिए तगड़ी सप्लाई करने वाले दो लोगों की भूमिका सामने आ रही है. बताते हैं कि कृषि विभाग के ठेकेदारों के लिए काम करने वाले एक शख्स लोकेश शर्मा ने पुनीत गुप्ता से जान-पहचान बढ़ाकर करोड़ों का काम हथियाया. इसी तरह मध्य प्रदेश रीवा में शिक्षाकर्मी रहे प्रसुन सिंह उर्फ मोनू सिंह की भूमिका को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग में हडकंप मचा हुआ है. जानकार बताते हैं कि पुनीत गुप्ता के कहने पर लोकेश और मोनू ही अफसरों से सीधे संपर्क किया करते थे. पुनीत गुप्ता के सारे मामलों का हिसाब-किताब भी यहीं दो लोग रखा करते थे.  अफसरों के बीच मोनू खुद को रमन सिंह की पत्नी वीणा की कंजिन सिस्टर का रिश्तेदार बताया करता था सो अधिकारी भी खौफ खाते थे. मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि सरकार के दबाव में अफसरों ने मोनू सिंह  को संपूर्ण स्वच्छता अभियान में शौचालय बनाने के लिए कई तरह की सप्लाई का काम भी दिलवाया था. गांव-गांव में गुणवत्ताविहीन शौचालय निर्माण की शिकायतों के बावजूद अफसर मोनू सिंह को कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं रहते थे. इधर डीकेएस प्रकरण में पुलिस दवाईयों के नाम पर तगड़ा खेल करने वाले मोक्षित कार्पोरेशन और सीबी कार्पोरेशन की भूमिका भी खंगालने की तैयारी में हैं. गौरतलब है कि यह कंपनी भी एक ही व्यक्ति के नाम से पंजीकृत है. दोनों कंपनियों को शांतिलाल के पुत्र शशांक संचालित करते हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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