बड़ी खबर

अंतागढ़ उपचुनाव में एक बड़ा खुलासा- जब घड़ी का कांटा उलटा घूमा तब संभव हुई मंतूराम की नाम वापसी

अंतागढ़ उपचुनाव में एक बड़ा खुलासा- जब घड़ी का कांटा उलटा घूमा तब संभव हुई मंतूराम की नाम वापसी

राजकुमार सोनी

रायपुर.अंतागढ़ उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, उनके पुत्र अमित जोगी, डाक्टर रमन सिंह और उनके दामाद पुनीत गुप्ता आरोपों से घिरे हुए हैं, लेकिन इस मामले की स्टिंग आपरेशन करने वाले फिरोज सिद्धकी का दावा है  कि 29 अगस्त 2014 को नाम वापसी की समय सीमा खत्म हो जाने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार को मैदान से हटाया गया था. उन्होंने बताया कि मामले की कवरेज के लिए उस रोज मीडिया भी वहां मौजूद था, लेकिन मीडिया को इस बात की भनक नहीं लगने दी गई और पूरे मामले को वैधानिक स्वरूप देने के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय की घड़ी का कांटा उलटा घूमा दिया गया. फिरोज ने बताया कि उक्त तिथि में सभी प्रत्याशियों के लिए नाम वापस लेने की समय सीमा शाम चार बजे तक निर्धारित थीं,लेकिन मंतूराम को पैसा देकर मनाने की कार्रवाई में यह समय बीत गया. जब मंतूराम मैदान से हटने को तैयार हो गए तब उसे ( फिरोज को ) और जिला निर्वाचन अधिकारी को पूर्व मुख्यमंत्री के अत्यंत ही करीबी एक अफसर ने फोन किया था. अफसर से मिले निर्देश के बाद ही घड़ी का कांटा उलटा घुमाया गया... यानि शाम चार बजे को तीन बजे किया गया. फिरोज ने कहा कि घड़ी के कांटे को उलटा करने के खेल में तीन से चार लोग ही जुड़े हुए थे जिसमें तात्कालिक जिला कलेक्टर भी शामिल थीं और उन्होंने खुद को बचाने के लिए बकायदा रिकार्डिंग भी करवाई थीं.

 

फिरोज ने अंतागढ़ कांड के कई मसलों पर खास बातचीत साफ तौर पर यह स्वीकारा कि पूरे मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, अमित जोगी और डाक्टर रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता शामिल थे. इसके अलावा भारतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अफसर भी लिप्त थे. फिरोज ने बताया कि मामले से जुड़ा एक अफसर तो अवैध ढंग से जमीन की खरीद-फरोख्त के खेल में भी लगा हुआ है. फिरोज ने कहा कि उन्हें अमित जोगी ने मंतूराम पवार को लेकर मंत्री राजेश मूणत के बंगले के सामने खड़े रहने को कहा था, फिर बाद में यह भी कहा कि वे मंतूराम को लेकर मूणत के बंगले चले जाए. ऐसा शायद सुरक्षागत कारणों से कहा गया था. 

चश्मदीद गवाह

 फिरोज ने बताया कि रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र को भैया कहकर संबोधित करते थे. लेन-देन का सारा मामला अमित जोगी की निगरानी में किया गया था. बात सात करोड़ की हुई थी, लेकिन उतनी बड़ी रकम शायद नहीं मिल पाई. इस मामले में एक बिल्डर और एक शराब माफिया की भी महत्वपूर्ण भूमिका थीं. इसके अलावा भारतीय पुलिस सेवा का एक प्रमुख अफसर भी जी-जान से इस खेल में लगा हुआ था. फिरोज ने अमित जोगी के हवाले से यह जानकारी भी दी कि अफसर ने भी फोन टेप किया था और शायद वह रमन सिंह को भी ब्लैक मेल कर रहा था. क्या उस अफसर का नाम मुकेश गुप्ता था... पूछने पर फिरोज ने कहा- हो सकता है.

फिरोज ने बताया कि अभी वह धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज करवाएगा, लेकिन उसे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि अजीत और अमित जोगी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को नीचा दिखाने के मंतूराम पवार को चुनाव मैदान से हटाने के खेल में लगे थे. फिरोज ने कहा कि वह पूरे मामले का चश्मदीद गवाह है इसलिए उसने सरकार से सुरक्षा भी मांगी है.

ये भी पढ़ें...