फिल्म

संस्कृति विभाग की लिस्ट से कटा योगेश अग्रवाल, अनुज शर्मा, सुरेंद्र दुबे, प्रकाश राजेश अवस्थी, लखी और मोहन सुंदरानी का नाम

संस्कृति विभाग की लिस्ट से कटा योगेश अग्रवाल, अनुज शर्मा, सुरेंद्र दुबे, प्रकाश राजेश अवस्थी, लखी और मोहन सुंदरानी का नाम

रायपुर. मल्टीफ्लैक्स में छत्तीसगढ़ी सिनेमा के प्रदर्शन की मांग से उपजे विवाद के बाद संस्कृति विभाग ने अपनी सूची से सिने कलाकार योगेश अग्रवाल, पद्मश्री अनुज शर्मा, सुरेंद्र दुबे, प्रकाश अवस्थी,राजेश अवस्थी, लखी सुंदरानी और मोहन सुंदरानी का नाम काट दिया है. इधर फिल्म निर्माता- निर्देशक संतोष जैन की अध्यक्षता में गठित संघ और उससे से जुड़े अधिकांश सदस्यों ने भी इन कलाकारों से भी अपना पल्ला झाड़ लिया है. गौरतलब है कि संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने गुरुवार 6 जून को प्रदेश के चुनिंदा साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, बुद्धिजीवियों और कलाकारों की एक बैठक बुलाई है. इस बैठक के पीछे का मकसद यहीं है कि छत्तीसगढ़ में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के नाम पर भाजपा सरकार ने जो भौंडापन परोसा था उससे कैसे निपटा जा सकता है. मंत्री ताम्रध्वज साहू की इसी मंशा के अनुरुप संस्कृति विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी और सिने कलाकारों की एक सूची बनाई थीं, लेकिन अब इस सूची से सुरेंद्र दुबे, योगेश अग्रवाल सहित अन्य कई का नाम कट गया है. बैठक में मौजूद रहने वालों की अब नई सूची तैयार की जा रही है. कलाकारों में किसे आमंत्रित करना है और किसे नहीं... इसका जिम्मा वरिष्ठ रंगकर्मी डीपी देशमुख, मोना सेन, फिल्म निर्माता संतोष जैन और मनोज वर्मा को सौंपा गया है.

जेल परिसर में विवाद की वजह

यहां यह बताना लाजमी है कि बुधवार पांच जून को छत्तीसगढ़ के फिल्मकारों ने मल्टीफ्लैक्स में छत्तीसगढ़ी फिल्म लगाए जाने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया था. रायपुर के एक मल्टीफ्लैक्स में विवाद की स्थित तब बनी जब छत्तीसगढ़ के एक सिने निर्माता ने एक सामान्य दर्शक से कह दिया कि वह सलमान खान के अभिनय से सजी फिल्म भारत को न देखें. ( पांच जून को सलमान की फिल्म भारत रीलिज हुई है और दर्शक सलमान की फिल्म देखने मॉल गया हुआ था. ) सामान्य दर्शक का कहना था जब छत्तीसगढ़ी फिल्मों का कंटेट ही घटिया और बंडल रहता है तो वह छत्तीसगढ़ी फिल्म क्यों देखेगा. दर्शक और सिने निर्माता के बीच के हुए इस विवाद की जानकारी पुलिस प्रशासन तक पहुंची तो मल्टीफ्लैक्स से आंदोलनकारियों की धर-पकड़ प्रारंभ हुई और देखते ही देखते सभी आंदोलनकारियों को सेंट्रल जेल परिसर पहुंचा दिया गया. यहां पहुंचने के बाद अधिकांश कलाकार सेल्फी और फेसबुक लाइव के जरिए यह बताने लगे कि उन्हें जेल क्यों लाया गया है. एक कलाकार ने तो बकायदा अपने लाइव में यहां तक कह दिया पहली बार सेंट्रल जेल में खूबसूरत-खूबसूरत लड़कियां आई हुई है. (  सिने कलाकार के इस लाइव से यह मैसेज गया कि क्या जेल में किसी मजबूरी में बंद महिलाएं और लड़कियां बदसूरत है. ) जेल परिसर में भी टीवी चैनल वाले उन कलाकारों की बाइट लेते दिखाई दिए जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा सक्रिय थे. इस बीच कलाकारों के बीच यह खुसफुसाहट तेज हो गई कि भाजपा के राज में गरीब कलाकारों का हक मारने वाले फिर से खुद को सामने रख रहे हैं और मलाई छानने की जुगत में है.

जब मंत्री ने कहा मिलने आइए तब...

कलाकारों की नारेबाजी के बीच संस्कृति विभाग के अधिकारी जेल परिसर पहुंचे और उन्होंने संघ के अध्यक्ष संतोष जैन को संदेश दिया कि संस्कृति मंत्री मांगों पर विचार करने के लिए प्रतिनिधि मंडल से मिलना चाहते हैं. प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के लिए बकायदा गाड़ी भी भिजवाई गई थी. जब यह तय हुआ कि मंत्री से कौन मुलाकात करेगा और कौन नहीं तब विवाद छिड़ गया. सिने कलाकार योगेश अग्रवाल ने आरोप लगाया कि कुछ लोग उनकी एकता को तोड़ना चाहते हैं. इस बात पर फिल्म निर्देशक सतीश जैन भड़क गए. योगेश अग्रवाल और सतीश जैन के बीच जमकर तू-तू मैं-मै हुई. जैन ने एक कलाकार राजेश अवस्थी को इस बात के लिए फटकारा कि वे केवल चेहरा दिखाने के लिए आंदोलन में शरीक हुआ है. सिने अभिनेता अनुज शर्मा ने भी कहा कि कुछ लोग कलाकारों के बीच ही कांग्रेस-भाजपा कर रहे हैं. जब इस विवाद की भनक संस्कृति विभाग तक पहुंची तो कलाकारों का नाम सूची से काट दिया गया. वैसे कल के आंदोलन में हास्य कवि सुरेंद्र दुबे मौजूद नहीं थे लेकिन सूत्रों का कहना है कि उनका नाम भाजपा में शामिल प्रचार करने की वजह से हटा दिया गया है. सूत्र बताते है कि कतिपय कलाकारों ने छत्तीसगढ़ी सिने इंडस्ट्री से जुड़े सात ऐसे लोगों की जानकारी भी मंत्री को दी है जो भाजपा के शासनकाल में जमकर गुलछर्रे उड़ाते थे. एक कलाकार के बारे में बताया गया है कि उसने नेता के बेटे साथ मिलकर जनसंपर्क विभाग के सारे काम हथिया लिए थे. पत्रकारों को हड्डी का टुकड़ा बांटने वाली कंसोल इंडिया में भी उसकी भागीदारी थी. इस अभिनेता के बारे यह भी कहा गया है कि यह शख्स खुद को पद्मश्री हूं... पद्मश्री हूं कहकर प्रचारित करते रहता है. दो अन्य कलाकारों के बारे में यह बताया गया है कि वे छत्तीसगढ़ी कलाकारों के सबसे बड़े शोषक और छत्तीसगढ़ की संस्कृति को मटियामेट करने के काम में लगे हैं. दो भाइयों के बारे में भी यह जानकारी दी कि वे खुलकर भाजपा के लिए काम करते थे जिसमें से एक ने  महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जाहिर की थी.

 

ये भी पढ़ें...