अंदरखाने की बात

साहबों का भी साहब है छत्तीसगढ़ के परिवहन विभाग का एक ड्राइव्हर

साहबों का भी साहब है छत्तीसगढ़ के परिवहन विभाग का एक ड्राइव्हर

साला मैं तो साहब बन गया

अरे साहब बनके कैसा तन गया

ये सूट मेरा देखो... ये बूट मेरा देखो

जैसा गोरा कोई लंदन का

मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ यह गीत फिल्म सगीना में यूसुफ खान साहब यानि दिलीप कुमार पर फिल्माया गया था. वैसे तो पूरी  फिल्म मजदूर आंदोलन के आसपास घूमती थी. यह गीत फिल्म में तब आता है जब युसूफ खान साहब चिढ़ाते हैं कि देखो मैं साहब बन गया हूं... मेरा सूट देखो... मेरा बूट देखो. 

इस गाने का ख्याल इसलिए आया कि क्योंकि छत्तीसगढ़ के परिवहन विभाग में कार्यरत एक ड्राइव्हर युसूफ साहब के अंदाज में ये गीत गाकर हर रोज अफसरों को चिढ़ाता है. विभाग के अफसर ड्राइव्हर की ठाठबाजी से हतप्रभ और परेशान रहते हैं. ड्राइव्हर की ऊपरी कमाई और ठाठबाट देखकर अफसर भी उसे लाट साहब मानने के लिए विवश हो चले हैं. अफसरों की जुबान में कहें तो ड्राइव्हर साहबों का भी बड़ा साहब है.

परिवहन विभाग भारतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवा के कई नामचीन और विवादास्पद अफसरों की पदस्थापना होती रही है,लेकिन किसी भी अफसर ने विभाग के इस युसूफ खान को गाड़ी चलाते हुए नहीं देखा. विभाग के अफसर कहते हैं- अरे भाई जिस ड्राइव्हर को घोषित-अघोषित तौर-तरीकों से विभाग चलाने की शक्तियां दे दी गई हो वह भला गाड़ी क्यों चलाएगा ? बताते हैं कि विभाग का युसूफ खान राज्य निर्माण से लेकर अब तक विभाग को चला रहा है. अब आप भी सोच रहे होंगे कि भला एक ड्राइव्हर परिवहन विभाग जैसे बड़े विभाग को कैसे चला सकता है, तो हकीकत यह है कि ड्राइव्हर चला नहीं रहा... बल्कि चरा रहा है. विभाग का युसूफ खान रायपुर फ्लाइंग स्कावड का सर्वेसर्वा है. इसे फ्लाइंग स्कावड का सर्वे-सर्वा किसने बनाया इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. बस... है तो है.

फ्लाइंग स्कावड में ड्राइव्हर क्या कर रहा है... पूछने पर अफसर खामोश हो जाते हैं. कोई भी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि फ्लाइंग स्कावड़ में ड्राइव्हर का क्या रोल है?  बताते हैं कि यह ड्राइव्हर एक नंबर का वसूली मास्टर है. वसूली के तगड़े अभियान को अंजाम देते रहने की वजह से कोई भी अफसर इस वाहन चालक को डिस्टर्ब नहीं करता. हालांकि परिवहन विभाग में पदस्थ कुछ बेहतर अफसर वसूली प्रथा के खिलाफ है और चाहते भी है कि ड्राइव्हर को ड्राइव्हर का काम करने के लिए बोला जाय. वे कुछ एक्शन लेने की सोच ही रहे होते कि मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय में पदस्थ आईएएस और आईपीएस अफसरों का फोन आ जाता है- अरे भाई... युसूफ खान साहब को डिस्टर्ब मत करिए... विभाग की मर्यादा और परम्परा से ज्यादा छेड़छाड़ ठीक नहीं है. एक्शन लेने वाले अफसर हाथ बांधकर खड़े हो जाते हैं.

अब आपको यह जान लेना जरूरी है कि यह ड्राइव्हर एकाएक साहब कैसे बन गया. दरअसल जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था तब अजीत जोगी के कार्यकाल में इस ड्राइव्हर ने पूरे सिस्टम को समझने में खूब मेहनत की. भाजपा की सरकार आते ही ड्राइव्हर ने मंत्री जी को पकड़ लिया और खुद को श्रेष्ठ इंतजाम अली साबित कर दिखाया. ( अब भी यह ड्राइव्हर पूर्व मंत्री का सबसे करीबी बना हुआ है.) कहा तो यह जाता है कि लोग बेगारी से बचते हैं, लेकिन यह लाट साहब ड्राइव्हर चाहता है कि उसके हिस्से बेगारी आते रहे और वह अफसरों को उपकृत करता रहे. अगर परिवहन विभाग के युसूफ साहब ने किसी अफसर के पीछे एक लाख रुपए खर्च किए तो फिर समझिए बाहर से 20 लाख की वसूली तय है. वह यह काम कैसे करता है यह तकनीक और शोध का विषय है. ( इसका खुलासा फिर कभी ) रायपुर आरटीओ में सालों-साल से कई कर्मचारी और बाबू पदस्थ है. बताते हैं कि उसने हर स्टाफ के लिए इतना कुछ कर रखा है कि हर कोई उसके कब्जे में हैं. कुछ समय पहले परिवहन में पदस्थ एक वरिष्ठ अफसर दुर्ग आरटीओ की कार्यप्रणाली से खफा थे. वे इस अफसर को सस्पेंड करना चाहते थे, लेकिन ऐन वक्त पर ड्राइव्हर साहब कूद गए और आरटीओ महोदय बच निकले. अब बताइए जो ड्राइव्हर बड़े-बड़े अफसरों के काले-पीले कारनामों पर पर्दा डालने में सहायक साबित होता हो तो वह जादूगर आनंद का बाप तो होगा ही ? पलक झपकी और फाइल गायब ?? पलक झपकी और इधर का साइन उधर और उधर का दस्तखत इधर.

कुछ समय पहले एक नए आरटीओ ने रायपुर का चार्ज संभाला. उनकी इच्छा थी कि बरसो से एक ही टेबल पर कार्यरत कर्मचारियों और बाबूओं की टेबल बदली जाय. शाखा में परिवर्तन हुआ तो आंदोलन प्रारंभ हो गया. पता चला कि आंदोलन के पीछे भी ड्राइव्हर साहब थे. बताते हैं कि अब भी यह ड्राइव्हर अपने पंसदीदा इंस्पेक्टरों की जहां चाहे वहां पोस्टिंग करवा लेता है. सूत्र बताते हैं कि यह ड्राइव्हर ( माफ करिएगा साहब ) कभी आफीस नहीं आते... अपने कामकाज को सुचारू रुप से संचालित करने के लिए इन्होंने लालपुर रोड़ स्थित एक महंगी सोसायटी में  वातानुकूलित दफ्तर खोल रखा है. परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर तो शंकर नगर स्थित अपने सरकारी मकान, प्रभात टाकीज और पुराने काफी हाउस के पास के पुराने से दफ्तर में लोगों की समस्याओं का निराकरण करते हैं मगर... परिवहन विभाग के युसूफ साहब बड़े से बड़े सूटकेस धारकों की समस्याओं का निदान लालपुर स्थित दफ्तर में ही करते हैं. इनकी और कोई दूसरी ब्रांच नहीं है. सरकार का जनदर्शन हफ्ते में एक बार ही होता है मगर लालपुर के महंगे दफ्तर में जनदर्शन 24 घंटे चलता है. 

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