अंदरखाने की बात

छत्तीसगढ़ की कंगना रनौत ?

छत्तीसगढ़ की कंगना रनौत ?

कौन ऐसा है जो कंगना को नहीं जानता ? जो कोई भी समझदार शख्स कंगना को जान लेता हैं... फिर वह पतली गली से बचकर निकलना चाहता है. ऐसा भी नहीं है कि लोग कंगना को जवाब नहीं दे सकते.उसे हिंदी में समझा नहीं सकते...मगर ज्यादातर लोग स्त्री शक्ति का सम्मान करते हैं. अगर कंगना ने पलटकर थूक दिया... या हाथ चला दिया तब ? तब तो इज्जत का भाजी-पालक हो जाएगा ?

बहरहाल छत्तीसगढ़ में भी दो-तीन के महिलाओं के भीतर कंगना की आत्मा का प्रवेश हो चुका है. लोग बताते हैं कि एक कंगना बिलासपुर में रहती हैं और दूसरी रायपुर में. दोनों कंगना राजनीतिक दलों से जुड़ी हुई हैं. एक कंगना की पार्टी ए हैं तो दूसरी बी पार्टी से जुड़ी हुई है. तो एबी पार्टी की दोनों कंगना खूब जोर-जोर से चिल्लाती है. तू-तड़ाक करती हैं. कल एक वकील साहब बता रहे थे कि कंगना ने कोर्ट परिसर में उसकी इज्जत का फालूदा बनाने की भरपूर कोशिश की...लेकिन वे खामोश रहकर सब कुछ सुनते और सहते रहे. काली जुबान रखने वाले चरण ने गांधी जी को लेकर जो अपशब्द कहे थे उसके बाद तो उसे सज़ा मिलनी ही थीं... लेकिन कोर्ट परिसर में लोग-बाग कंगना की हरकत देखकर हैरान रह गए.जमकर तू-तड़ाक चली.वकील साहब बेहद दुःखी हो गए थे.उनका कहना था-जिन लोगों के साथ उन्हें काम करते हुए 30 साल हो गए... वे सभी लोग लामबंद होकर ऐसा चीख रहे थे जैसा कि मैंने कोई अपराध कर दिया हो ? पता नहीं यह नफरत देश को कहां लेकर जाने वाली हैं ?

जब काली जुबान रखने वाले चरण को लेकर कोर्ट में हलचल थीं तब वहां लोग-बाग दिल को दहला देने वाली कंगना की मौजूदगी को देखकर घबरा गए थे. थोड़ी देर के लिए ऐसा लग रहा था कि कंगना की गाली सुनकर ही दो-चार लोगों को हार्ट-अटैक आ जाएगा. शुक्र हैं ऐसा कुछ नहीं हुआ.पुलिस प्रशासन ने सब कुछ संभाल लिया. बहरहाल छत्तीसगढ़ की दोनों कंगना  को लेकर जबरदस्त चर्चा कायम है. ( इन्हें पदमश्री तो नहीं मिलेगी... क्योंकि इनके आका खुद नहीं चाहते हैं कि पद्मश्री दिलवाई जाय. ) लेकिन कंगनाओं के पीछे एक तमगा जरूर जोड़ा जा रहा है. वह तमगा हैं-शेरनी हैं... शेरनी... ऐसी शेरनी-वैसी शेरनी. पहले इस्तेमाल करो...फिर विश्वास करो...यानी घड़ी डिटरजेंट वाली शेरनी ? लोग-बाग सब समझ रहे हैं. एक 56 इंच वाला शेर पालना ही कितना महंगा पड़ रहा है...ऊपर से शेरनी ? बाप रे बाप ! हे...शेरनियों... आपकी चीख-चिल्लाहट से भरी प्रतिभा का सम्मान हैं...लेकिन इसका इस्तेमाल गरीब और मज़लूमों को न्याय दिलाने के लिए हो तो कितना अच्छा हो ? जोर से बोलो- संतोषी माता की............. जय. सारे बोलो...जय माता दी.

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