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विदेश न भाग जाए पुनीत गुप्ता... जप्त होगा पासपोर्ट

रायपुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता पर पुलिस अपना शिकंजा लगातार कसते जा रही है. डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अधीक्षक रहने के दौरान करोड़ों के उपकरणों की खरीदी सहित अन्य कई मामलों फंसे पुनीत गुप्ता फिलहाल किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से अलॉट सिम कार्ड का उपयोग कर रहे हैं. उनकी लोकेशन का भी पता नहीं चल पा रहा है. पुलिस को यह अंदेशा है कि वे विदेश भी भाग सकते हैं इसलिए  उनका पासपोर्ट जप्त करने की तैयारी चल रही है. जल्द ही पुलिस रेड कार्नर नोटिस भी जारी करेगी. हालांकि अब तक रेड कार्नर नोटिस जारी करने का काम इंटरपोल की तरफ से ही होता रहा है, लेकिन किसी विशेष मामले में पुलिस भी गृह विभाग की अनुमति लेकर इंटरपोल की मदद ले सकती है. रेडकार्नर नोटिस जारी होने की अवस्था में देश के समस्त एयरपोर्ट के इमिग्रेशन चेकपोस्ट पर पुनीत गुप्ता की तस्वीर के साथ-साथ हुलिए आदि की जानकारी मुहैया करवा दी जाएगी.

डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अधीक्षक रहने के दौरान पुनीत गुप्ता ने कई तरह की गड़बड़ियों को अंजाम दिया था. उन पर यह आरोप है कि उन्होंने रायपुर के मैग्नेटो मॉल स्थित ह्यूमन कनेक्शन प्राइवेट लिमिटेड के साथ चिकित्सकों, मेडिकल स्टॉफ आदि की सेवाओं के लेकर अनुबंध किया था. यह निजी कंपनी पहले से कार्य कर रही थी मगर अनुबंध बाद में किया गया. उन पर यह भी आरोप है कि हॉस्पिटल के लिए करोड़ों रुपए के उपकरण खरीदे गए. उपकरणों की खरीदी के दौरान इस बात का भी ध्यान नहीं रखा गया  कि उसकी आवश्यकता है या नहीं. आवश्यकता अगर एक मशीन की थीं तो कई गुना अधिक मशीन खरीदी गई. गौरतलब है कि डाक्टर गुप्ता के खिलाफ डीकेएस हॉस्पिटल के अधीक्षक केके सहारे ने इसी महीने 15 मार्च को एफआईआर दर्ज करवाई है. एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही उनकी गिरफ्तारी को लेकर सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों में आवाजें उठ रही है. देश-प्रदेश के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर कोई साधारण व्यक्ति होता तो पुलिस अब तक उसे जेल की सलाखों के पीछे भेज देती, लेकिन वे पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद है इसलिए पुलिस के हाथ-पांव कांप रहे हैं. इधर पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर ने अपना मोर्चा डॉट काम को बताया कि गिरफ्तारी के लिए पुख्ता सबूत जुटा लिए गए हैं. जल्द ही पुनीत गुप्ता की गिरफ्तारी हो सकती है.

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छत्तीसगढ़ में 15 किन्नरों की होगी शादी... शामिल होंगे भूपेश बघेल

रायपुर.अभी आप सब होली की खुमारी से बाहर नहीं निकले होंगे. ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि हम सब थोड़े-बहुत उत्सवधर्मी तो होते ही हैं. खैर... कल जब अखबार छपकर आएंगे तो प्रथम पेज पर ज्यादातर खबरें भाजपा सांसदों की टिकट कट जाने को लेकर होगी. भाजपा को कभी हारता हुआ न देखने की अभ्यस्त आत्माएं इस बात को लेकर भी परेशान होगी कि आखिर छत्तीसगढ़ के सांसदों के साथ भाजपा आलाकमान भंयकर किस्म का अन्याय क्यों कर  रहा है. अंदर के पन्नों की खबरें होली के दिन चले हुए चाकू-छुरे से संबंधित हो सकती है. अब परम्परागत ढंग से कल जो छपेगा सो छपेगा,लेकिन आज आप इस खबर से गुजर लीजिए

सामाजिक कार्यकर्ता नीना युसूफ के माध्यम से शुक्रवार को एक बेहद स्पेशल कार्ड पहुंचा है. इस कार्ड में छत्तीसगढ़ की धरती पर 15 किन्नरों की शादी का उल्लेख है, जिसमें से छह जोड़े छत्तीसगढ़ के हैं. कार्ड में इस बात का दावा भी किया गया है कि यह विश्व का पहला किन्नरों का सामूहिक विवाह है. जो भी हो यह एक अच्छी पहल हैं. सामान्य तौर पर हम किन्नरों से दुआ तो चाहते हैं, लेकिन कभी यह नहीं सोचते कि उनका भी घर बस जाय. वे सुखी पारिवारिक जीवन जिए. उन्हें ट्रेनों में यात्रियों के आगे ताली बजाकर भीख न मांगनी पड़े. बहरहाल 15 किन्नरों की शादी पुजारी पार्क में बकायदा विधि-विधान के साथ होगी. सभी किन्नरों की बारात सिविल लाइन के अंबेडकर भवन से निकलेगी. बारात घड़ी चौक, जयस्तंभ कालीबाड़ी चौक से होते हुए टिकरापारा के पुजारी पार्क तक पहुंचेगी. शादी 30 मार्च को है, लेकिन इसके पहले 29 मार्च को मेंहदी और संगीत का कार्यक्रम भी चलेगा. इस शादी में खास तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मौजूद रहेंगे. इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया, महापौर प्रमोद दुबे, बिलासपुर के विधायक शैलेष पाण्डेय और पूर्व विधायक अमित जोगी मौजूद रहेंगे. आयोजकों ने भाजपा से एक मात्र विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को विशिष्ट अतिथि बनाया है. शेष किसी का भी नाम कार्ड में नहीं छापा गया है. यहां तक पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के नाम का भी उल्लेख नहीं है. अब इसकी क्या वजह हो सकती है यह आयोजक ही बता सकते हैं, लेकिन यह किसी से छिपा नहीं है कि भाजपा के शासनकाल में संचालित सामूहिक कन्या विवाह योजना में काफी घपले-घोटाले उजागर हुए थे. अफसर दहेज का सामान खुद ही हड़प लेते थे. यहां तक रवि का काला पंखा भी नहीं छोड़ते थे. पैसे की भूख इतनी ज्यादा थीं हर जोड़ों को अफसरों को रिश्वत देने के लिए कई-कई बार शादी करनी पड़ती थी. जोड़ों को शादी में जो भी उपहार मिलता था उसे वे अफसरों को भेंट कर देते थे. बहरहाल 30 मार्च को जिनकी शादी हो रही है उनके नाम इस प्रकार है- प्रिया नागवानी के साथ विशाल नागवानी, सलौनी किन्नर के साथ दिलीप कौसले, रचना भारती- सतनाम सिंह, सोनाली देवी-अजय भाई रागी, राखी किन्नर-सूरज पांडे, अनुप्रिया सिंह- रजत सिंह, मोनिका- मिथिलेश कुमार, अंकिता- नवीन कुमार, जया सिंह परमार- जुनैद खान, पायल कुंवर-कैयूर चौहान, रीना पटेल- संजय राठवा, शिवानी- निरमाल्यो सिंह, सलौनी- गुलाब  नबी अंसारी, रमा बाघ-शम्मी खान, सौम्या जंघेल- वंशमणि प्रसाद द्विवेदी.

शादी की तैयारियों में जुटी नीना युसूफ ने बताया कि इस शादी के लिए चित्रवाही फिल्मस मुंबई के सुरेश शर्मा विशेष रुप से सक्रिय है. सुरेश वही है जिन्होंने किन्ररों के जीवन पर हंसा एक संयोग नामक फिल्म का निर्माण किया है. इसके अलावा तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड की सदस्य विद्या राजपूत एवं चित्रवाही फिल्मस की पब्लिसिटी हेड रवीना बरिहा भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रही है.

चलिए... शादियां तो आपने बहुत सी देखी होगी... लेकिन इस शादी में वक्त निकालकर अवश्य आइए. कार्ड में एक जगह लिखा है- किन्नरों की दुआ कभी खाली नहीं जाती. दुआ देने नहीं तो कम से कम दुआ लेने के लिए ही सही.... पधारिए जरूर.

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तो जनाब... इसलिए हटाया गया कल्लूरी को

रायपुर. भारतीय पुलिस सेवा 1994 बैच के अफसर शिवराम प्रसाद कल्लूरी पर सरकार ने कई बड़े मामलों की जांच सौंप रखी थीं, लेकिन अब उन्हें हटा दिया गया है. कल्लूरी को हटाए जाने के पीछे एक सीधा-सादा सा यह कारण बताया जा रहा है कि वे अपने काम को बेहतर अंजाम नहीं दे पा रहे थे, लेकिन यह सच नहीं है. हकीकत में कल्लूरी अपने काम के साथ कुछ ऐसा कर रहे थे जो सरकार की नजर में खटक गया. हालांकि कम समय में उन्होंने जो कुछ किया उसके परिणाम स्वरुप उन्हें परिवहन विभाग में अपर आयुक्त बनाया गया है. नेताओं और अखबारवालों की भाषा में इस विभाग को मलाई छानने वाला विभाग भी माना जाता है.

सूत्रों का दावा है कि कल्लूरी 11 फरवरी को विजय नाम के एक शख्स के साथ दिल्ली गए थे. विजय के बारे में यह विख्यात है कि वह कभी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल कर पूर्ववर्ती सरकार के लिए मुसीबत खड़ी किया करता था. विजय ने पिछले कुछ साल से एक पूर्व कद्दावर नौकरशाह राजनेता से नजदीकियां बढ़ा ली थीं. सूत्र कहते हैं कि दिल्ली में विजय ने चिप्स घोटाले से जुड़े सारे कागजात उस सुपर सीएम को सौंप दिए हैं जिसकी वजह से जांच प्रभावित हो सकती है. सूत्रों का कहना है कि कल्लूरी को टीवी टॉवर के पास स्थित होटल इटोलॉजी में एक ऐसे विवादित शख्स के साथ भी देखा गया है जो एमसीएक्स के कारोबार से जुड़ा हुआ है. यह शख्स प्रदेश के भ्रष्ट अफसरों को बचाने के लिए पैसों का लेन-देन भी करता है.

स्वामीभक्त अफसरों पर नजर

इसमें कोई दो मत नहीं कि प्रदेश में कुछ अफसर अपने काम को बेहतर अंजाम दे रहे हैं, लेकिन यह भी उतना बड़ा सच है कि बहुत से अफसर खुद को पिछली सरकार के प्रभाव से मुक्त नहीं कर पा रहे हैं. उन पर अमन-चमन और उसके गैंग का हैंगओवर कायम है. कांग्रेस की सरकार किसी अफसर, नेता या पत्रकार का फोन टेप नहीं कर रही है, बावजूद इसके नेटवर्क इतना तगड़ा है कि स्वामीभक्त अफसरों के पल-प्रतिपल की खबर सरकार को दस्तावेजों के साथ मिल रही है. स्वामीभक्त अफसरों की फौज सरकार की योजनाओं को लेट-लतीफ करने और काम में रोड़ा अटकाने के साथ-साथ अर्नगल प्रचार-प्रसार  के खेल में लगी हुई है. यह भी कहा जा रहा है कि भ्रष्ट अफसरों का एक तबका सरकार को फेल करने की कवायद में जुटा हुआ है. इस खेल में एकता कपूर के सीरियलों के पात्र जैसा वह अफसर भी शामिल है जो चिंगम चबाते रहता हैं. कल्लूरी को ईओडब्लू और एसीबी से हटाने के बाद सरकार ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि वह पूर्ववर्ती सरकार की तरह नौकरशाहों के इशारों पर नाचने वाली सरकार नहीं है. कल्लूरी को हटाने के बाद भाजपा की बोलती भी बंद हो गई है.

 

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बस्तर की बच्चियां मिलने पहुंची तो भाग खड़ी हुई निहारिका बारिक

रायपुर. बस्तर जगदलपुर के डोंगाघाट स्थित गायत्री इंस्टीयूट में अध्यनरत कुछ बच्चियां पिछले तीन दिनों से राजधानी में भटक रही है. वे स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक से मिलकर अपनी समस्या बताना चाहती है ताकि कोई हल निकल सकें, लेकिन मैडम को फुरसत नहीं है. गुरुवार को बच्चियों ने बकायदा मंत्रालय में पास बनाया और मुलाकात करने की कोशिश की, लेकिन बच्चियों के आगमन की सूचना मिलते ही मैडम भाग खड़ी हुई. दफ्तर में मौजूद कर्मचारियों ने कहा- अब मैडम कब आएगी पता नहीं... आप  लोग जाइए... कल फिर आइए.

खेत बेचकर भरनी पड़ रही है फीस

बच्चियों की व्यथा यह है कि अब उन्हें अपनी मां के जेवर और पिता के खेत को बेचकर इंस्टीट्यूट की फीस भरनी पड़ रही है. दरअसल वर्ष 2015 में भाजपा की सरकार ने बस्तर और सरगुजा क्षेत्र की अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्राओं को यूरोपीय कमीशन के अनुदान से तीन साल तक नर्सिंग का निःशुल्क प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया था. इस योजना में बस्तर संभाग से 63 एवं सरगुजा संभाग से 37 उन बच्चियों का मेरिट के आधार पर चयन किया जाना था जिन्होंने 12 वीं कक्षा पास कर ली थीं. नर्सिंग के प्रशिक्षण के लिए छात्राओं को यह छूट दी गई थीं कि वे किसी भी संस्थान चाहे वह प्राइवेट हो या सरकारी... एडमिशन ले सकती है. सरकार ने वर्ष 2015-2016 के बजट में यह भी तय किया कि जिन छात्राओं का नर्सिंग के लिए चयन हो जाएगा उनके खाते में हर साल 80 हजार रुपए डाल दिए जाएंगे ताकि वे 42 हजार रुपए टयूशन फीस, 36000 रुपए भोजन व आवास व्यय का वहन कर सकें. सरकार ने पहले साल तो योजना के तहत चयनित सभी छात्राओं के खाते में पैसे भेजे, लेकिन वर्ष 2016 से बच्चियों के खाते में पैसा आना बंद हो गया. अब फीस के अभाव में इंस्टीटयूट वालों ने दबाव बनाना प्रारंभ कर दिया है. हाल के दिनों में बच्चियों ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बताई है. पराते ने बच्चियों को मंत्रालय ले जाकर स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक से रु-ब-रु करवाने की कोशिश की, मगर उन्हें भी सफलता नहीं मिली. पराते ने बताया कि वे कई बार मैडम को फोन लगा चुके हैं, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं किया गया. बच्चियां अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात करना चाहती है.

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शिव डहरिया के आगे हाथ जोड़ लेते हैं अजय चंद्राकर

रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के जनवरी- मार्च के सत्र में बहुत से प्रश्न और ध्यानाकर्षण खास रहे हैं. इन सबके बीच एक खास बात यह भी हुई है कि कांग्रेस को पूर्व संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर से मुकाबले के लिए एक नेता मिल गया है. पूर्व मंत्री चंद्राकर को अच्छा वक्ता माना जाता है. उनके बारे में यह विख्यात है कि वे हर मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं और करते भी हैं, लेकिन कई मर्तबा उनके हस्तक्षेप से सदन गरम हो उठता है.अजय चंद्राकर के अमूमन हर विषय पर हस्तक्षेप का सामना इन दिनों शिव डहरिया कर रहे हैं. उनका अंदाज इतना सधा हुआ रहता है कि चंद्राकर को भी हाथ जोड़ना ( नमन वाली मुद्रा में ) पड़ रहा है.

सदन के भीतर सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोंक-झोंक स्वाभाविक ढंग से होती रही है. अभी हाल के दिनों में जब हुडको की जमीन के मामले में अजय चंद्राकर ने हस्तक्षेप किया तो शिव डहरिया ने उन्हें अपने अंदाज में समझाया और कहा- मैं मंत्री हूं और मैं जवाब दूंगा... आप बार-बार खड़े क्यों हो जाते हैं. दोनों नेताओं के बीच प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण के दौरान कई बार नोंक-झोंक हो चुकी है. बुधवार को भी दोनों नेता बिलासपुर शहर के सीवरेज और गढ़ढों के मामले में उलझे तो अध्यक्ष चरणदास महंत को हस्तक्षेप करना पड़ा. प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में अवैध स्लाटर हाउस के मामले में अजय चंद्राकर उन्हें घेरना चाहते थे, लेकिन ढंग से घेर नहीं पाए. बहरहाल सदन के बाहर और भीतर दोनों नेताओं का मुकाबला चर्चा का विषय बना हुआ है.

 

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सुपर सीएम के चहेते सुनील मिश्रा ने जमकर की देश-विदेश की यात्रा

रायपुर. भारतीय वन सेवा के अफसर और सुपर सीएम के सबसे चहेते  सुनील मिश्रा ने छत्तीसगढ़ में औद्योगिक निवेश को आमंत्रित करने के नाम पर देश-विदेश की जमकर यात्राएं की है. हालांकि यात्रा में उनके साथ अन्य अफसर भी शामिल रहे हैं, लेकिन सीएसआईडीसी में पदस्थापना के दौरान अमूमन हर यात्रा में उनकी मौजूदगी रही है.

वर्ष 2014 से लेकर 2018 की अवधि तक सुनील मिश्रा ने कुल कितनी यात्राएं की इसका ब्यौरा विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दिया गया है. लोरमी के विधायक धर्मजीत सिंह के सवाल पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने बताया कि सुनील मिश्रा 6 अप्रैल से 13 अप्रैल तक चीन की यात्रा में थे. यहां उनके साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर सुबोध सिंह, कार्तिकेय गोयल और सीएसआईडीसी के कार्यपालन अभियंता एसके सोनी भी थे. सुनील मिश्रा 4 से 9 अक्टूबर 2016 में ताइवान में थे. यहां भी उनके साथ सुबोध सिंह थे. जबकि दिनांक 26 नवम्बर से 7 दिसम्बर 2016 तक यूएसए की यात्रा में भी उक्त अफसर शामिल थे. औद्योगिक निवेश को आमंत्रित करने के लिए वे 24 मई 2017 से 28 मई 2017 तक शेनझेन ( चीन ) हांगकांग और टोकियो गए थे और वहीं से वे ओसाका ( जापान ) और दक्षिण कोरिया सियोल निकल गए थे. दिनांक 14 से 24 जनवरी तक उन्होंने वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के तत्कालीन सचिव कमलप्रीत सिंह, तत्कालीन उद्योग संचालक अलरमेल मंगई डी के साथ आस्ट्रेलिया की यात्रा की थी. निवेशकों को रिझाने के लिए वे कई बार बैंगलूरु, मुंबई, कोलकाता, नई दिल्ली, गोवा, अहमदाबाद, बेलगाम ( कर्नाटक ) भी गए.

सीएसआईडीसी में लंबे समय तक पदस्थ रहने का रिकार्ड बना चुके सुनील मिश्रा की कार्यप्रणाली हमेशा विवादित रही है. कई कारणों से उनकी हवाई यात्राएं भी सुर्खियां बटोरती रही है. उनका नाम चूल्हा कांड में जुड़ा था. सरकार ने हाल-फिलहाल उनकी सेवाएं वन विभाग को वापस लौटा दी गई है और अभी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी है. सीएसआईडीसी में पदस्थ एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यात्राओं में 60 करोड़ 90 लाख रुपए फूंके गए  मगर धुआंधार यात्राओं के बाद भी किसी निवेशक ने छत्तीसगढ़ का रुख नहीं किया.

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अब लोकसभा चुनाव के लिए उछला रुचिर गर्ग का नाम

रायपुर. भाजपा में रायपुर लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों का टोटा कायम है. भाजपा की ओर से अब तक सांसद रमेश बैस का नाम ही दौड़ रहा है. कहा जा रहा है कि अगर बैस ने चुनाव लड़ने से मना भी किया तब भी आलाकमान उन्हें समझो भाई मजबूरी है...मोदी को लाना  जरूरी का मर्म समझाकर चुनाव समर में झोंक ही देगा, लेकिन कांग्रेस में ऐसी स्थिति नहीं है. यहां एक से बढ़कर एक दावेदार ताल ठोंक रहे है. विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद प्रत्याशियों की सूची और भी थोड़ी लंबी हो गई है. वैसे अभी यह साफ नहीं है कि कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा, लेकिन शुक्रवार को अचानक रायपुर लोकसभा सीट के लिए सरकार के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग का नाम उभरा. गर्ग का नाम विधानसभा चुनाव के दौरान भी चर्चा में था तब राजनीति के धुंरधरों ने यह माना था कि अगर उन्हें टिकट दे दी जाती तो वे इतिहास रच सकते थे. हालांकि उनके करीबियों का कहना है कि वे चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है और दूर-दूर तक उनके चुनाव लड़ने की कोई संभावना भी नहीं है.

मैदान में कई दिग्गज

अभी आचार संहिता भी लागू नहीं हुई है, बावजूद इसके राजनीति के गलियारों में कई नामों की चर्चा बनी हुई है. वरिष्ठ नेता राजेंद्र तिवारी और पूर्व महापौर किरणमयी नायक की दावेदारी सबसे पुख्ता समझीं जा रही है. रायपुर लोकसभा की आठ विधानसभा सीटों में से रायपुर ग्रामीण में सत्यनारायण शर्मा, धरसींवा में अनीता शर्मा, रायपुर पश्चिम में विकास उपाध्याय, भाटापारा में शिवरतन शर्मा और बलौदाबाजार में प्रमोद शर्मा कुल मिलाकर पांच ब्राम्हण प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है इसलिए कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस किसी ब्राम्हण प्रत्याशी को मौका दे सकती है. अगर ऐसा होता है तो राजेंद्र तिवारी टिकट पाने में सफल हो सकते हैं. वैसे हर बार अंतिम समय में पिछड़ जाने वाले कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी भी रायपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक है. कहा जा रहा है कि उन्हें टिकट के लिए कुछ आलानेताओं ने आश्वस्त भी कर दिया है. रायपुर उत्तर में सिख समुदाय के कुलदीप जुनेजा, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट आरंग में शिव डहरिया और अभनपुर सीट पर पिछड़ा वर्ग के धनेंद्र साहू ने जीत कायम की है सो यह तर्क भी चल रहा है कि एक बार फिर कुर्मी समुदाय का प्रत्याशी मैदान में उतारा जा सकता है. राजनीति के जानकार किरणमयी नाम को एक बेहतर विकल्प मानकर चल रहे हैं. लेकिन इसके साथ यह बात भी कही जा रही है कि चूंकि राज्यसभा में सांसद छाया वर्मा कुर्मी समुदाय से ही हैं इसलिए किसी अन्य नाम पर भी विचार हो सकता है.इन दो नामों के अलावा दिल्ली में आला नेताओं से निकटतम संबंधों को लेकर चर्चा में रहने वाले पारस चोपड़ा का नाम भी सुर्खियों में हैं. कभी कसडोल तो कभी भाटापारा से चुनाव लड़ने का दावा करने वाले राजकमल सिंघानिया की दावेदारी भी मजबूत बताई जा रही है. राजनीति के जानकार महापौर प्रमोद दुबे को भी लोकसभा का संभावित प्रत्याशी बता रहे हैं. हालांकि जानकारों का यह भी कहना है कि प्रमोद दुबे ने बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था सो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन पर दोबारा दांव नहीं लगाएंगे. रायपुर लोकसभा सीट से दो मजबूत दावेदार और भी है. एक है- महंत रामसुंदर दास और दूसरे कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन. महंत रामसुंदर दास को विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया था बावजूद इसके उन्होंने कई प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया. गिरीश देवांगन के बारे में सर्वविदित है कि वे प्रभारी महामंत्री रहते हुए कांग्रेस के लिए बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं.

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क्या नान का पैसा पहुंचा था अंतागढ़ में

रायपुर. क्या सच में नान घोटाले के पैसे का इस्तेमाल अंतागढ़ उपचुनाव में प्रत्याशियों को मैदान से हटाने के लिए किया गया था. अपना मोर्चा डॉट कॉम के पास सात सितम्बर 2014 की डायरी का एक पन्ना हाथ लगा है. इस पन्ने को मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के समक्ष जांच के लिए प्रस्तुत किए जाने का दावा भी किया जा रहा है. इस पन्ने में एक बारिक को छोड़कर बाकी सब नाम कोड में हैं. एक जगह किसी हाउस का उल्लेख करते हुए रकम का उल्लेख किया गया है. एक जगह लोकल शब्द लिखा हुआ है. इसके आगे एमपी एंड एफएस / एजे लिखा गया है. कयास लगाया जा रहा है कि एफएस का मतलब अंतागढ़ मामले की स्टिंग करने वाले फिरोज सिद्की है. जब हमने फिरोज से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि वे डायरी के पन्नों में हैं या नहीं इसकी जानकारी अगर एसआईटी चाहेगी तो वे अवश्य देना चाहेंगे. बहरहाल डायरी के पन्ने पर उल्लेखित आकंडों को देखकर हर कोई यह सोचने के लिए मजबूर हो सकता है कि छत्तीसगढ़ को किस बुरी तरह से लूटा गया है.

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मुकेश गुप्ता के बाद रजनेश सिंह पर भी गिरी गाज फरार न हो जाए इसलिए... हो सकती है गिरफ्तारी

रायपुर. विवादों में घिरे पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता और नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह निलंबित कर दिए गए है. गृह विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने दोनों अफसरों के निलंबन की पुष्टि की है. सूत्रों का कहना है कि दोनों विवादित अफसर फरार न हो जाए इसलिए उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है.

गौरतलब है कि ईओडब्लू ने दोनों अफसरों के खिलाफ नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले की जांच के दौरान आरोपियों और अन्य लोगों के फोन टेप करने, साजिश रचने और रसूखदार लोगों को बचाने के मामले में धारा 166, 166 ए ( बी ), 167, 193, 194, 196, 201, 218, 466, 467, 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया है. पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह और सुपर सीएम के नाम से विख्यात अमन सिंह के करीबी समझे जाने वाले मुकेश गुप्ता का पूरा कार्यकाल विवादों से भरा रहा है. उनका नाम कभी मिक्की मेहता हत्याकांड में जुड़ा तो कभी झीरम घाटी के माओवादी हमले में. पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे की मौत के मामले में भी उनकी भूमिका संदेह के दायरे में हैं. इधर खुद को रमन सिंह के रिश्तेदार के तौर पर प्रचारित करने वाले रजनेश सिंह भी पन्द्रह सालों में काफी पावरफुल बन गए थे. उनके खिलाफ भी कई तरह की गंभीर शिकायतें है. बताना लाजिमी होगा कि ईओडब्लू ने जिन गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है उसके बाद दोनों अफसरों का निलंबन तय था. कानून के जानकार कहते हैं कि अधिकांश धारा गैर-जमानती है इसलिए उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. सूत्रों का कहना है कि निलंबन के बाद दोनों अफसर कानूनी मश्चिरा ले रहे हैं, लेकिन ऐसी भी खबर है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए वे फरार हो सकते हैं. बहरहाल सरकार के इस दमदार फैसले का चौतरफा स्वागत हो रहा है. 

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मुख्यमंत्री के बगल में नजर नहीं आया कोई अफसर अर्थशास्री

रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को अपना पहला बजट पेश किया. गांव- गरीब और किसान को केंद्र में रखकर तैयार किए गए इस बजट के कई महत्वपूर्ण अंशों का प्रकाशन शनिवार को अखबारों में होगा. इसके साथ ही हर चैनल में नजर आने वाले चिर-परिचित अर्थशास्रियों की टिप्पणियां भी पढ़ने को मिलेगी, लेकिन एक खास बात जिसका जिक्र यहां जरूरी है. पहली बार बतौर वित्तमंत्री बजट पेश करने के बाद बघेल जब पत्रकारों से मुखातिब हुए तब उनकी बगल में कोई अफसर अर्थशास्री विराजमान नहीं था. पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के कार्यकाल में बजट पेश करने के बाद आयोजित होने वाली पत्रवार्ता में अगल-बगल सुपर सीएम, चमन-चटनी, लौंग-इलायची और भी न जाने कितने अफसर एकत्रित हो जाते थे. सीएम के आजू-बाजू बैठने वाले अफसर खुद को अर्थशास्री समझते हुए पत्रकारों के सवालों पर कूढ़ते और उन्हें धमकाते थे. एक अफसर तो बकायदा नाम ले- लेकर प्रश्न पूछने के लिए कहता था. प्रश्न पूछने वाले वही लोग होते थे जो आगे चलकर कंसोल इंडिया के शेयर होल्डर बनने में कामयाब हुए.

बहरहाल शुक्रवार को बजट भाषण की एक खास बात यह भी थीं इस दौरान मुख्यमंत्री ने एक भी बार पानी नहीं पीया. सामान्य तौर पर वित्तमंत्री ( मुख्यमंत्री ) बजट को हौव्वे की तरह पेश करते रहे हैं. आठ से दस बार पानी पीकर वित्तमंत्री यह जताने का प्रयास करते रहे है कि भाइयों... बजट इतना भारी-भरकम है कि हलक सूख गया है. बघेल जब बजट पेश कर रहे थे तब यह साफ झलक रहा था कि लक्ष्य एकदम स्पष्ट है. उन्हें पता है कि सरकार की ओर से दिए जाने वाले लाभ का पहला हकदार कौन है. कहना लाजिमी होगा कि बघेल के बजट की पहली प्राथमिकता में हमारे अन्नदाता है जो दुनिया का पेट भरते हैं. अपने बजट भाषण में उन्होंने जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त राशि देने के साथ-साथ गैर- जरूरी एवं प्रत्यक्ष लाभ न देने वाली योजनाओं के प्रावधानों में संशोधनों पर विचार करने की बात कहकर यह भी समझा दिया कि वे बेमतलब की योजनाओं पर सरकारी धन को खर्च कर अफसरों के लिए खाने-पीने और ठेकेदारों के लिए कमीशनखोरी का रास्ता खोलने के पक्ष में नहीं है.

नए जेल खोलने की बात पर भड़का विपक्ष

रायपुर और बिलासपुर में नई जेल की स्थापना को लेकर भी बजट में प्रावधान किया गया है. सदन में जैसे ही इस बात का उल्लेख हुआ तो गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने विपक्ष के सदस्यों को देखकर कहा- ये जेले आप लोगों के लिए बन रही है. गृहमंत्री की बात पर विपक्षी सदस्य भड़क गए. उन्होंने इसे अपना अपमान बताया.

 

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अंतागढ़ मामले में मंतूराम, अजीत जोगी, अमित जोगी, राजेश मूणत और रमन सिंह के दामाद के खिलाफ मामला दर्ज

रायपुर. बहुचर्चित अंतागढ़ मामले में पंडरी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य एवं प्रवक्ता किरणमयी नायक की रिपोर्ट के आधार पर राजधानी की पंडरी पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धारा 171 इ, 171 एफ, 406, 420, 120, धारा 9, 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है.

अपनी रिपोर्ट किरणमयी नायक ने कहा है कि वर्ष 2014 में अंतागढ़ के उपचुनाव में कांग्रेस ने मंतूराम पवार को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन थोड़े ही दिनों के बाद मंतूराम पवार मैदान छोड़कर चले गए. उनके इस कृत्य से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा. जब पार्टी ने इसकी छानबीन की तो पता चला कि मंतूराम को मंत्री राजेश मूणत, विधानसभा के सदस्य अमित जोगी, लोकसेवक पुनीत गुप्ता, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने आर्थिक प्रलोभन दिया था. किरणमयी नायक ने अपना मोर्चा डॉट काम को बताया कि उन्होंने इस मामले से जुड़े सभी आवश्यक तथ्यों और दस्तावेजों के साथ पहले भी सिविल लाइन थाने में शिकायत की थी, लेकिन तब उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया था. अब जबकि एक बार फिर मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित हो गई है तो रिपोर्ट लिखवाई है. किरणमयी ने फिलहाल मामले से जुड़े कुछ अहम सबूत सौंपे हैं और कहा है कि जब भी पुलिस को मूल टेप और ट्रांसक्रिप्ट के अलावा अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरूरत होगी तो वह उन्हें सौंप देगी. उन्होंने कहा कि अंतागढ़ में लोकतंत्र का चीरहरण करने की घृणित कोशिश की गई थी. पूरे मामले में कई करोड़ रुपए की डील के बाद मंतूराम पवार ने अचानक अपना नाम वापस ले लिया था. इस घटना के थोड़े ही दिनों बाद मंतूराम ने भाजपा प्रवेश कर कांग्रेस के आरोपों की पुष्टि कर दी थी.

 

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ननकी के बाद अब भाजपा प्रवक्ता ने भी सीएम को सौंपा शिकायतों का पुलिंदा

रायपुर. भले ही पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह कविता-कहानी के जरिए बदलापुर-बदलापुर का राग आलाप रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि उनकी ही पार्टी के नेता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पूर्ववर्ती सरकार के कारनामों का कच्चा चिट्ठा सौंपकर जांच की मांग कर रहे हैं. पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के बाद हाल के दिनों में भाजपा के एक प्रवक्ता ने भी मुख्यमंत्री को शिकायत सौंपी है.

इस खबर में जो तस्वीर आप देख रहे हैं उस शख्स का नाम गौरीशंकर श्रीवास है. आपने इसे विभिन्न चैनलों द्वारा आयोजित की जाने वाली डिबेट में कांग्रेस और विशेषकर भूपेश बघेल पर जुबानी हमला करते हुए देखा होगा. भाजपा और रमन सरकार के लिए एक ढाल की तरह काम करते रहने की वजह से भाजपा के कुछ बड़े नेता इस शख्स में रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह की झलक भी देखते हैं. कुछ नेताओं का मानना है कि यह शख्स भाजपा की राजनीति का एक चमकता सितारा है और आने वाले दिनों में एक नया क्षत्रप गढ़ने में कामयाब होगा. बहरहाल हाल के दिनों में इस भाजपा प्रवक्ता ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पाटिल के खिलाफ मुख्यमंत्री को शिकायत सौंपकर कार्रवाई की मांग की है.

कुलपति को बताया कमीशनखोर

यहां यह बताना लाजिमी है कि कुलपति पाटिल की नियुक्ति भाजपा के शासनकाल में हुई थीं और उन पर कदाचार और भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगते रहे हैं, बावजूद इसके पूर्व सरकार ने न तो उन्हें हटाना जरूरी समझा और न ही कभी कोई कार्रवाई की. अपनी शिकायत में गौरीशंकर श्रीवास ने कहा है कि इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल हमेशा से विवादित रहा है. उनकी कमीशनखोरी का खेल काफी दिनों से चल रहा है. वे कमीशन लेकर नियुक्तियां करते रहे हैं. सूचना के अधिकार से हासिल दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है कि कीटविज्ञान में पीएचडी किए हुए एक छात्र रणदीप कुशवाहा की जगह कुलपति ने कम अंक हासिल करने वाले किसी अन्य छात्र को नौकरी दे दी है. श्रीवास ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है. छत्तीसगढ़ के अधिकांश नौजवान कृषि को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं, लेकिन कुलपति संस्था को बदनाम करने में लगे हुए हैं. भाजपा प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री से नियुक्तियों में की गई गड़बड़ियों की जांच की जांच का निवेदन करते हुए कुलपति को बर्खास्त करने की मांग की है.

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अकेले क्यों पड़ गए रमन

राजकुमार सोनी

रायपुर. कुछ समय पहले छत्तीसगढ़ की विधानसभा का नजारा बदला था ठीक वैसे ही शनिवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर राजभवन का नजारा भी बदला हुआ नजर आया. हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजनेताओं, नौकरशाहों, उद्योगपतियों, साहित्यकारों, पत्रकारों और शायद ( शराब ठेकेदारों ) को आमंत्रित किया जाता है सो इस बार भी वहीं सब लोग राजभवन में मौजूद थे. सबको सायंकाल 4 बजे से मौजूद रहने कहा गया था. ज्यादातर लोग निर्धारित समय पर राजभवन पहुंचे. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह जब भी राजभवन पहुंचते थे तब उनके आगे-पीछे सुपर सीएम और अन्य कई तरह के पीएम-सीएम मौजूद रहते थे, लेकिन पहली बार ऐसा नहीं था. शनिवार को राजभवन में कोई सुपर सीएम मौजूद नहीं था. पूर्व मुख्यमंत्री राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की बगल वाली सीट पर बैठे रहे. उनसे मिलने-जुलने वालों की संख्या भी काफी कम थीं. अफसर भी देख-समझकर मिल रहे थे. हालांकि कुछ लोगों ने उनके साथ तस्वीरें खिंचवाई, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजभवन के हाल में प्रवेश करने के साथ ही भीड़ छंट गई. राजभवन में मौजूद हर दूसरा मेहमान मुख्यमंत्री बघेल के साथ तस्वीरें खिंचवाने में लग गया. बहरहाल अपना मोर्चा डॉट काम ने भी एक तस्वीर खींची है. इस तस्वीर को गौर से देखिए...। इसे देखकर कई तरह के शीर्षक याद आ रहे हैं, फिलहाल इतना ही लिखना ठीक होगा- आदमी तब अकेला होता है ( चाहे वह राजनांदगांव के पुल में ही क्यों न हो ) जब वह सबके साथ... सबके विकास का नारा तो देता है, लेकिन केवल और केवल अपने और अपने परिवार का विकास करता है. राजभवन में एक नौकरशाह की जोरदार टिप्पणी सुनने को मिली- जनता को कीड़ा-मकोड़ा समझने वाले अपने सुकून के लिए खाली पीपे ( कनस्तर ) के नीचे वाले प्लाट की तलाश में रहते हैं. इस तस्वीर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल से न जाने क्या बात कर रहे हैं, लेकिन जो भी हो... तीनों नेता बड़ी देर तक हंसते रहे.

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पूर्व गृहमंत्री और आदिवासी नेता ननकीराम कवर से सनसनीखेज सवाल

पूर्व गृहमंत्री और आदिवासी नेता ननकीराम कवर से सनसनीखेज सवाल

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संविधान की शपथ लेकर एक हुए दूल्हा-दुल्हन, रिक्शे से निकली बारात

इस शादी में ज्यादातर मजदूर, गरीब और जन आंदोलन से जुड़े लोग ही बाराती के तौर पर शामिल थे और खास बात यह कि बारात रिक्शे पर बड़ी ही धूमधाम से निकाली गई थी। रात के वक्त जब शादी की यह अनूठी रस्में शुरू हुईं तो सबकी आंखें खुली की खुली ही रह गईं।

वर-वधू ने कुछ इस तरह संविधान की शपथ ली और हमेशा-हमेशा के लिए एक-दूजे के हो गए। जी हां, शादी के मंडप में कई जोड़ों को आपने सात फेरे लेकर और पूरे रस्म-ओ-रिवाज के साथ सात जन्मों का बंधन में बंधते देखा होगा। लेकिन हम जिस विवाह की आज यहां बात कर रहे हैं वो उन रीति-रिवाजों से बिल्कुल ही अलग है। बीते 23 दिसंबर यानी रविवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर से करीब 150 किलोमीटर दूर रतनपुर के पास लखनीपुर में एक अनोखी शादी हुई। इस शादी की तैयारी, शादी की रस्में, बारात और शादी का जश्न सबकुछ दूसरी शादियों से एकदम अलग था। पेशे से वकील प्रिया ने थियेटर कलाकार अनुज संग शादी संविधान की शपथ लेकर रचाई।

इस शादी में ज्यादातर मजदूर, गरीब और जन आंदोलन से जुड़े लोग ही बाराती के तौर पर शामिल थे और खास बात यह कि बारात रिक्शे पर बड़ी ही धूमधाम से निकाली गई थी। रात के वक्त जब शादी की यह अनूठी रस्में शुरू हुईं तो सबकी आंखें खुली की खुली ही रह गईं। प्रियंका और अनुज ने संविधान की शपथ खाकर एक-दूसरे को अपनाया। शपथ के दौरान दूल्हा-दुल्हन ने एक साथ कुछ इस तरह संविधान की किताब में लिखी बातों को दोहराया।


मैं अनुज/प्रियंका भारत के संविधान की शपथ लेते हैं कि हम एक दूसरे को हमेशा एक दूसरे की तरह रहने देंगे। हम दोनों कभी भी मतभेद को मनभेद में नहीं बदलेंगे। हम दोनों आजीवन घर के सारे काम आपस में बराबर से बांट लेंगे। कितना भी गुस्सा आए हम दोनों हिंसा से दूर रहेंगे। घर के अंदर या बाहर जातिवाद, अभद्र, महिला विरोधी, वर्ग विरोधी सांप्रदायिक भााषा का इस्तेमाल नहीं करेंगे। दुनिया के सारे बच्चों को अपने बच्चों की तरह मानेंगे। सारे वंचित समाज को अपना परिवार मानेंगे। अपना आदर्श स्थापित कर समाज बदलेंगे। हम भारत के संविधान द्वारा स्थापित मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति ना सिर्फ निष्ठा रखेंगे बल्कि उनको कायम रखने के लिए जीवन समर्पित कर देंगे। इस शपथ को लेने के बाद प्रियंका ने इनकलाब जिंदाबाद के नारे भी लगाए।

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