पहला पन्ना
शिव डहरिया के आगे हाथ जोड़ लेते हैं अजय चंद्राकर
रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के जनवरी- मार्च के सत्र में बहुत से प्रश्न और ध्यानाकर्षण खास रहे हैं. इन सबके बीच एक खास बात यह भी हुई है कि कांग्रेस को पूर्व संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर से मुकाबले के लिए एक नेता मिल गया है. पूर्व मंत्री चंद्राकर को अच्छा वक्ता माना जाता है. उनके बारे में यह विख्यात है कि वे हर मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं और करते भी हैं, लेकिन कई मर्तबा उनके हस्तक्षेप से सदन गरम हो उठता है.अजय चंद्राकर के अमूमन हर विषय पर हस्तक्षेप का सामना इन दिनों शिव डहरिया कर रहे हैं. उनका अंदाज इतना सधा हुआ रहता है कि चंद्राकर को भी हाथ जोड़ना ( नमन वाली मुद्रा में ) पड़ रहा है.
सदन के भीतर सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोंक-झोंक स्वाभाविक ढंग से होती रही है. अभी हाल के दिनों में जब हुडको की जमीन के मामले में अजय चंद्राकर ने हस्तक्षेप किया तो शिव डहरिया ने उन्हें अपने अंदाज में समझाया और कहा- मैं मंत्री हूं और मैं जवाब दूंगा... आप बार-बार खड़े क्यों हो जाते हैं. दोनों नेताओं के बीच प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण के दौरान कई बार नोंक-झोंक हो चुकी है. बुधवार को भी दोनों नेता बिलासपुर शहर के सीवरेज और गढ़ढों के मामले में उलझे तो अध्यक्ष चरणदास महंत को हस्तक्षेप करना पड़ा. प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में अवैध स्लाटर हाउस के मामले में अजय चंद्राकर उन्हें घेरना चाहते थे, लेकिन ढंग से घेर नहीं पाए. बहरहाल सदन के बाहर और भीतर दोनों नेताओं का मुकाबला चर्चा का विषय बना हुआ है.
अब लोकसभा चुनाव के लिए उछला रुचिर गर्ग का नाम
रायपुर. भाजपा में रायपुर लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों का टोटा कायम है. भाजपा की ओर से अब तक सांसद रमेश बैस का नाम ही दौड़ रहा है. कहा जा रहा है कि अगर बैस ने चुनाव लड़ने से मना भी किया तब भी आलाकमान उन्हें समझो भाई मजबूरी है...मोदी को लाना जरूरी का मर्म समझाकर चुनाव समर में झोंक ही देगा, लेकिन कांग्रेस में ऐसी स्थिति नहीं है. यहां एक से बढ़कर एक दावेदार ताल ठोंक रहे है. विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद प्रत्याशियों की सूची और भी थोड़ी लंबी हो गई है. वैसे अभी यह साफ नहीं है कि कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा, लेकिन शुक्रवार को अचानक रायपुर लोकसभा सीट के लिए सरकार के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग का नाम उभरा. गर्ग का नाम विधानसभा चुनाव के दौरान भी चर्चा में था तब राजनीति के धुंरधरों ने यह माना था कि अगर उन्हें टिकट दे दी जाती तो वे इतिहास रच सकते थे. हालांकि उनके करीबियों का कहना है कि वे चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है और दूर-दूर तक उनके चुनाव लड़ने की कोई संभावना भी नहीं है.
मैदान में कई दिग्गज
अभी आचार संहिता भी लागू नहीं हुई है, बावजूद इसके राजनीति के गलियारों में कई नामों की चर्चा बनी हुई है. वरिष्ठ नेता राजेंद्र तिवारी और पूर्व महापौर किरणमयी नायक की दावेदारी सबसे पुख्ता समझीं जा रही है. रायपुर लोकसभा की आठ विधानसभा सीटों में से रायपुर ग्रामीण में सत्यनारायण शर्मा, धरसींवा में अनीता शर्मा, रायपुर पश्चिम में विकास उपाध्याय, भाटापारा में शिवरतन शर्मा और बलौदाबाजार में प्रमोद शर्मा कुल मिलाकर पांच ब्राम्हण प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है इसलिए कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस किसी ब्राम्हण प्रत्याशी को मौका दे सकती है. अगर ऐसा होता है तो राजेंद्र तिवारी टिकट पाने में सफल हो सकते हैं. वैसे हर बार अंतिम समय में पिछड़ जाने वाले कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी भी रायपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक है. कहा जा रहा है कि उन्हें टिकट के लिए कुछ आलानेताओं ने आश्वस्त भी कर दिया है. रायपुर उत्तर में सिख समुदाय के कुलदीप जुनेजा, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट आरंग में शिव डहरिया और अभनपुर सीट पर पिछड़ा वर्ग के धनेंद्र साहू ने जीत कायम की है सो यह तर्क भी चल रहा है कि एक बार फिर कुर्मी समुदाय का प्रत्याशी मैदान में उतारा जा सकता है. राजनीति के जानकार किरणमयी नाम को एक बेहतर विकल्प मानकर चल रहे हैं. लेकिन इसके साथ यह बात भी कही जा रही है कि चूंकि राज्यसभा में सांसद छाया वर्मा कुर्मी समुदाय से ही हैं इसलिए किसी अन्य नाम पर भी विचार हो सकता है.इन दो नामों के अलावा दिल्ली में आला नेताओं से निकटतम संबंधों को लेकर चर्चा में रहने वाले पारस चोपड़ा का नाम भी सुर्खियों में हैं. कभी कसडोल तो कभी भाटापारा से चुनाव लड़ने का दावा करने वाले राजकमल सिंघानिया की दावेदारी भी मजबूत बताई जा रही है. राजनीति के जानकार महापौर प्रमोद दुबे को भी लोकसभा का संभावित प्रत्याशी बता रहे हैं. हालांकि जानकारों का यह भी कहना है कि प्रमोद दुबे ने बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था सो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन पर दोबारा दांव नहीं लगाएंगे. रायपुर लोकसभा सीट से दो मजबूत दावेदार और भी है. एक है- महंत रामसुंदर दास और दूसरे कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन. महंत रामसुंदर दास को विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया था बावजूद इसके उन्होंने कई प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया. गिरीश देवांगन के बारे में सर्वविदित है कि वे प्रभारी महामंत्री रहते हुए कांग्रेस के लिए बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं.
क्या नान का पैसा पहुंचा था अंतागढ़ में
रायपुर. क्या सच में नान घोटाले के पैसे का इस्तेमाल अंतागढ़ उपचुनाव में प्रत्याशियों को मैदान से हटाने के लिए किया गया था. अपना मोर्चा डॉट कॉम के पास सात सितम्बर 2014 की डायरी का एक पन्ना हाथ लगा है. इस पन्ने को मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के समक्ष जांच के लिए प्रस्तुत किए जाने का दावा भी किया जा रहा है. इस पन्ने में एक बारिक को छोड़कर बाकी सब नाम कोड में हैं. एक जगह किसी हाउस का उल्लेख करते हुए रकम का उल्लेख किया गया है. एक जगह लोकल शब्द लिखा हुआ है. इसके आगे एमपी एंड एफएस / एजे लिखा गया है. कयास लगाया जा रहा है कि एफएस का मतलब अंतागढ़ मामले की स्टिंग करने वाले फिरोज सिद्की है. जब हमने फिरोज से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि वे डायरी के पन्नों में हैं या नहीं इसकी जानकारी अगर एसआईटी चाहेगी तो वे अवश्य देना चाहेंगे. बहरहाल डायरी के पन्ने पर उल्लेखित आकंडों को देखकर हर कोई यह सोचने के लिए मजबूर हो सकता है कि छत्तीसगढ़ को किस बुरी तरह से लूटा गया है.
मुख्यमंत्री के बगल में नजर नहीं आया कोई अफसर अर्थशास्री
रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को अपना पहला बजट पेश किया. गांव- गरीब और किसान को केंद्र में रखकर तैयार किए गए इस बजट के कई महत्वपूर्ण अंशों का प्रकाशन शनिवार को अखबारों में होगा. इसके साथ ही हर चैनल में नजर आने वाले चिर-परिचित अर्थशास्रियों की टिप्पणियां भी पढ़ने को मिलेगी, लेकिन एक खास बात जिसका जिक्र यहां जरूरी है. पहली बार बतौर वित्तमंत्री बजट पेश करने के बाद बघेल जब पत्रकारों से मुखातिब हुए तब उनकी बगल में कोई अफसर अर्थशास्री विराजमान नहीं था. पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के कार्यकाल में बजट पेश करने के बाद आयोजित होने वाली पत्रवार्ता में अगल-बगल सुपर सीएम, चमन-चटनी, लौंग-इलायची और भी न जाने कितने अफसर एकत्रित हो जाते थे. सीएम के आजू-बाजू बैठने वाले अफसर खुद को अर्थशास्री समझते हुए पत्रकारों के सवालों पर कूढ़ते और उन्हें धमकाते थे. एक अफसर तो बकायदा नाम ले- लेकर प्रश्न पूछने के लिए कहता था. प्रश्न पूछने वाले वही लोग होते थे जो आगे चलकर कंसोल इंडिया के शेयर होल्डर बनने में कामयाब हुए.
बहरहाल शुक्रवार को बजट भाषण की एक खास बात यह भी थीं इस दौरान मुख्यमंत्री ने एक भी बार पानी नहीं पीया. सामान्य तौर पर वित्तमंत्री ( मुख्यमंत्री ) बजट को हौव्वे की तरह पेश करते रहे हैं. आठ से दस बार पानी पीकर वित्तमंत्री यह जताने का प्रयास करते रहे है कि भाइयों... बजट इतना भारी-भरकम है कि हलक सूख गया है. बघेल जब बजट पेश कर रहे थे तब यह साफ झलक रहा था कि लक्ष्य एकदम स्पष्ट है. उन्हें पता है कि सरकार की ओर से दिए जाने वाले लाभ का पहला हकदार कौन है. कहना लाजिमी होगा कि बघेल के बजट की पहली प्राथमिकता में हमारे अन्नदाता है जो दुनिया का पेट भरते हैं. अपने बजट भाषण में उन्होंने जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त राशि देने के साथ-साथ गैर- जरूरी एवं प्रत्यक्ष लाभ न देने वाली योजनाओं के प्रावधानों में संशोधनों पर विचार करने की बात कहकर यह भी समझा दिया कि वे बेमतलब की योजनाओं पर सरकारी धन को खर्च कर अफसरों के लिए खाने-पीने और ठेकेदारों के लिए कमीशनखोरी का रास्ता खोलने के पक्ष में नहीं है.
नए जेल खोलने की बात पर भड़का विपक्ष
रायपुर और बिलासपुर में नई जेल की स्थापना को लेकर भी बजट में प्रावधान किया गया है. सदन में जैसे ही इस बात का उल्लेख हुआ तो गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने विपक्ष के सदस्यों को देखकर कहा- ये जेले आप लोगों के लिए बन रही है. गृहमंत्री की बात पर विपक्षी सदस्य भड़क गए. उन्होंने इसे अपना अपमान बताया.
अंतागढ़ मामले में मंतूराम, अजीत जोगी, अमित जोगी, राजेश मूणत और रमन सिंह के दामाद के खिलाफ मामला दर्ज
रायपुर. बहुचर्चित अंतागढ़ मामले में पंडरी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य एवं प्रवक्ता किरणमयी नायक की रिपोर्ट के आधार पर राजधानी की पंडरी पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धारा 171 इ, 171 एफ, 406, 420, 120, धारा 9, 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है.
अपनी रिपोर्ट किरणमयी नायक ने कहा है कि वर्ष 2014 में अंतागढ़ के उपचुनाव में कांग्रेस ने मंतूराम पवार को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन थोड़े ही दिनों के बाद मंतूराम पवार मैदान छोड़कर चले गए. उनके इस कृत्य से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा. जब पार्टी ने इसकी छानबीन की तो पता चला कि मंतूराम को मंत्री राजेश मूणत, विधानसभा के सदस्य अमित जोगी, लोकसेवक पुनीत गुप्ता, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने आर्थिक प्रलोभन दिया था. किरणमयी नायक ने अपना मोर्चा डॉट काम को बताया कि उन्होंने इस मामले से जुड़े सभी आवश्यक तथ्यों और दस्तावेजों के साथ पहले भी सिविल लाइन थाने में शिकायत की थी, लेकिन तब उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया था. अब जबकि एक बार फिर मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित हो गई है तो रिपोर्ट लिखवाई है. किरणमयी ने फिलहाल मामले से जुड़े कुछ अहम सबूत सौंपे हैं और कहा है कि जब भी पुलिस को मूल टेप और ट्रांसक्रिप्ट के अलावा अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरूरत होगी तो वह उन्हें सौंप देगी. उन्होंने कहा कि अंतागढ़ में लोकतंत्र का चीरहरण करने की घृणित कोशिश की गई थी. पूरे मामले में कई करोड़ रुपए की डील के बाद मंतूराम पवार ने अचानक अपना नाम वापस ले लिया था. इस घटना के थोड़े ही दिनों बाद मंतूराम ने भाजपा प्रवेश कर कांग्रेस के आरोपों की पुष्टि कर दी थी.
ननकी के बाद अब भाजपा प्रवक्ता ने भी सीएम को सौंपा शिकायतों का पुलिंदा
रायपुर. भले ही पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह कविता-कहानी के जरिए बदलापुर-बदलापुर का राग आलाप रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि उनकी ही पार्टी के नेता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पूर्ववर्ती सरकार के कारनामों का कच्चा चिट्ठा सौंपकर जांच की मांग कर रहे हैं. पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के बाद हाल के दिनों में भाजपा के एक प्रवक्ता ने भी मुख्यमंत्री को शिकायत सौंपी है.
इस खबर में जो तस्वीर आप देख रहे हैं उस शख्स का नाम गौरीशंकर श्रीवास है. आपने इसे विभिन्न चैनलों द्वारा आयोजित की जाने वाली डिबेट में कांग्रेस और विशेषकर भूपेश बघेल पर जुबानी हमला करते हुए देखा होगा. भाजपा और रमन सरकार के लिए एक ढाल की तरह काम करते रहने की वजह से भाजपा के कुछ बड़े नेता इस शख्स में रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह की झलक भी देखते हैं. कुछ नेताओं का मानना है कि यह शख्स भाजपा की राजनीति का एक चमकता सितारा है और आने वाले दिनों में एक नया क्षत्रप गढ़ने में कामयाब होगा. बहरहाल हाल के दिनों में इस भाजपा प्रवक्ता ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पाटिल के खिलाफ मुख्यमंत्री को शिकायत सौंपकर कार्रवाई की मांग की है.
कुलपति को बताया कमीशनखोर
यहां यह बताना लाजिमी है कि कुलपति पाटिल की नियुक्ति भाजपा के शासनकाल में हुई थीं और उन पर कदाचार और भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगते रहे हैं, बावजूद इसके पूर्व सरकार ने न तो उन्हें हटाना जरूरी समझा और न ही कभी कोई कार्रवाई की. अपनी शिकायत में गौरीशंकर श्रीवास ने कहा है कि इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल हमेशा से विवादित रहा है. उनकी कमीशनखोरी का खेल काफी दिनों से चल रहा है. वे कमीशन लेकर नियुक्तियां करते रहे हैं. सूचना के अधिकार से हासिल दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है कि कीटविज्ञान में पीएचडी किए हुए एक छात्र रणदीप कुशवाहा की जगह कुलपति ने कम अंक हासिल करने वाले किसी अन्य छात्र को नौकरी दे दी है. श्रीवास ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है. छत्तीसगढ़ के अधिकांश नौजवान कृषि को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं, लेकिन कुलपति संस्था को बदनाम करने में लगे हुए हैं. भाजपा प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री से नियुक्तियों में की गई गड़बड़ियों की जांच की जांच का निवेदन करते हुए कुलपति को बर्खास्त करने की मांग की है.
अकेले क्यों पड़ गए रमन
राजकुमार सोनी
रायपुर. कुछ समय पहले छत्तीसगढ़ की विधानसभा का नजारा बदला था ठीक वैसे ही शनिवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर राजभवन का नजारा भी बदला हुआ नजर आया. हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजनेताओं, नौकरशाहों, उद्योगपतियों, साहित्यकारों, पत्रकारों और शायद ( शराब ठेकेदारों ) को आमंत्रित किया जाता है सो इस बार भी वहीं सब लोग राजभवन में मौजूद थे. सबको सायंकाल 4 बजे से मौजूद रहने कहा गया था. ज्यादातर लोग निर्धारित समय पर राजभवन पहुंचे. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह जब भी राजभवन पहुंचते थे तब उनके आगे-पीछे सुपर सीएम और अन्य कई तरह के पीएम-सीएम मौजूद रहते थे, लेकिन पहली बार ऐसा नहीं था. शनिवार को राजभवन में कोई सुपर सीएम मौजूद नहीं था. पूर्व मुख्यमंत्री राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की बगल वाली सीट पर बैठे रहे. उनसे मिलने-जुलने वालों की संख्या भी काफी कम थीं. अफसर भी देख-समझकर मिल रहे थे. हालांकि कुछ लोगों ने उनके साथ तस्वीरें खिंचवाई, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजभवन के हाल में प्रवेश करने के साथ ही भीड़ छंट गई. राजभवन में मौजूद हर दूसरा मेहमान मुख्यमंत्री बघेल के साथ तस्वीरें खिंचवाने में लग गया. बहरहाल अपना मोर्चा डॉट काम ने भी एक तस्वीर खींची है. इस तस्वीर को गौर से देखिए...। इसे देखकर कई तरह के शीर्षक याद आ रहे हैं, फिलहाल इतना ही लिखना ठीक होगा- आदमी तब अकेला होता है ( चाहे वह राजनांदगांव के पुल में ही क्यों न हो ) जब वह सबके साथ... सबके विकास का नारा तो देता है, लेकिन केवल और केवल अपने और अपने परिवार का विकास करता है. राजभवन में एक नौकरशाह की जोरदार टिप्पणी सुनने को मिली- जनता को कीड़ा-मकोड़ा समझने वाले अपने सुकून के लिए खाली पीपे ( कनस्तर ) के नीचे वाले प्लाट की तलाश में रहते हैं. इस तस्वीर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल से न जाने क्या बात कर रहे हैं, लेकिन जो भी हो... तीनों नेता बड़ी देर तक हंसते रहे.