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पुनीत है या अजीत

पुनीत है या अजीत

राजकुमार सोनी

रायपुर. कई हिंदी फिल्मों में शानदार ढंग से खलनायक की भूमिका अदा करने वाले अजीत को भला कौन नहीं जानता है. फिल्मों में अजीत सोने के बिस्कुट की तस्करी करते थे. सिगार पीते थे. लाल-पीली-नीली लाइट और अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित अड्डे में किसी न किसी मोना डार्लिंग से घिरे रहते थे. जब कोई हीरो उनसे दो-दो हाथ करने पहुंचता तो बेहद शालीन ढंग से कहते थे- सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है... और हजरत एक आप ही है जिनसे पहले कभी मुलाकात नहीं हुई. अब आप सोच रहे होंगे कि इस खबर में पुनीत गुप्ता के साथ खलनायक अजीत की तस्वीर का क्या कोई मेल है. दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता को लेकर जो खबरें आ रही है वह खलनायक अजीत के तौर-तरीकों की याद दिला रही है.

पिछले कुछ समय से मीडिया में पुनीत गुप्ता को लेकर कई तरह की खबरें चल रही है. एक खबर आई कि वे वाट्स अप कर देते थे और टेंडर जारी हो जाता था. इस खबर को पढ़कर लगा कि जैसे अजीत ने अपने सहयोगी को दस रुपए का फटा हुआ नोट देकर आदेश दिया हो- राबर्ट... तुम ठीक रात को 12 बजे समुन्दर के पास चले जाना... वहां इस फट्टे नोट का दूसरा हिस्सा मिलेगा. नोट का मिलान करने के बाद सारा सोना लेकर चले आना. पुनीत गुप्ता को लेकर बुधवार को एक दूसरी खबर यह आई है कि वे आयुष विश्वविद्यालय के पैसे पर विदेश गए थे और इस दौरे में उनके साथ कोई महिला भी थीं. महिलाकर्मी ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया है कि वह गुप्ता के साथ गई तो थीं लेकिन निजी खर्चों पर. इधर एक महिला चिकित्सक का दावा है कि पुनीत गुप्ता एक नहीं कई बार विदेश गए थे और हर बार उनके साथ एक-दो महिलाएं अवश्य रहती थीं. खबर में यह भी उल्लेखित है कि डीकेएस में अधीक्षक रहने के दौरान पुनीत गुप्ता ने अपने चैंबर को बेहद हाईटेक बनवाया था. उन्होंने अपने चैंबर के अंदर ही पांच-छह आलमारियां बना रखीं थी. एक ऐसी आलमारी भी थी जिसका बटन उनके पास ही था. जब वे बटन दबाते थे तब आलमारी खुलती थीं और फिर आलमारी के पीछे एक आलीशान कमरा नजर आता था. ( याद आया आपको... ऐसा अजीत की फिल्मों में कई बार होता था. दर्शक कमरे की भव्यता...शराब की बोतलें... कैबरे डांसर... झूमर... मरे हुए शेर की खाल...अनुशासित ढंग से खड़े हुए सिक्युरिटी गार्ड... लप-लप-लीप-लीप करते हुए कैमरों को देखकर भौंचक रह जाता था. )

खैर... सूत्रों के हवाले  से खबर में यह दावा भी किया गया है कि पुनीत गुप्ता के आलमारी के पीछे नजर आने वाले कमरे में सारी सुविधा मौजूद थी. डायनिंग टेबल, फ्रिज, बिस्तर... इतना ही नहीं आरोपी पुनीत गुप्ता जब तक स्वयं नहीं चाहते थे तब तक कोई उनसे मिल भी नहीं सकता था. अपने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए कई नामचीन लोगों को बेनकाब करने वाले फिरोज सिद्धकी भी जैसे-तैसे उनसे मिल पाए थे... मगर स्टिंग करने में सफल रहे. हालांकि यह पहले से ही प्रमाणित था पुनीत गुप्ता अंतागढ़ टेपकांड में शामिल हैं, लेकिन अब जाकर यह बात पुष्ट हो रही है कि वे कई बड़े कारनामों के  मास्टर माइंड भी थे. सूत्रों का कहना है कि पुनीत गुप्ता के हाइटेक कमरे में सप्लायर लोकेश शर्मा और प्रसुन सिंह उर्फ मोनू सिंह की बेरोक-टोक आवाजाही थीं. बताते है कि दोनों में से एक सप्लायर लोकेश शर्मा कृषि विभाग में हर तरह के सामानों की सप्लाई का ठेका लेने वाले गिरोह हिस्सा था जबकि मोनू खुद को पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी का रिश्तेदार बताकर सभी काम हथिया लिया करता था. दोनों सप्लायरों से अफसर भय खाते थे. इन्हें पुनीत गुप्ता ने नियम-कानून से परे जाकर उपकृत कर रखा था. डीकेएस के हर छोटे-बड़े काम में इनकी दखल थीं. यहां तक लोगों को नौकरी लगाने में भी. पुनीत गुप्ता के अधीक्षक रहने के दौरान डीकेएस में एचआर के पद पर अमित मिश्रा, सीनियर मार्केटिंग मैंनेजर श्वेता और निकिता जसवानी  को सीनियर ट्रांसप्लांट काउंसलर के तौर पर नियुक्त किया गया था. स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल इनकी नियुक्ति को फर्जी मान लिया है. 

जैसे फिल्मों में अजीत को हीरो के साथ-साथ पुलिस भी खोजती थी, ठीक वैसे ही छत्तीसगढ़ की पुलिस भी पुनीत को खोज रही है. कमबख्त अजीत भी छकाता था... पुनीत भी छका रहा है.

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