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सोशल मीडिया में जमकर उड़ रहा है रमन सिंह और पुनीत गुप्ता का मजाक

सोशल मीडिया में जमकर उड़ रहा है रमन सिंह और पुनीत गुप्ता का मजाक

रायपुर. इस खबर के साथ एक तस्वीर चस्पा की गई है. यह तस्वीर वाट्स अप और फेसबुक विश्वविद्यालय के गलियारों में जमकर विचरण कर रही है. आजकल इसी का जमाना है क्योंकि दलाली के चक्कर में अखबार और चैनल वालों ने अपनी विश्वसनीयता दांव पर लगा रखी हैं.सच तो यह है कि अब अखबारों में आप दूसरे दिन वहीं सब कुछ पढ़ने को मजबूर है जो किसी वेबसाइट या सूचना के जरिए सोशल मीडिया के समुन्दर में पहले ही तैर चुकी होती है. खैर... गौर से देखिए... तस्वीर में क्या लिखा है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के हाथ में फोन हैं, वे पूछ रहे हैं- कहा फरार हो गे हस रे पुनीत...। जवाब में पुनीत गुप्ता कहते हैं- का बताऊं तोर अमन... हमन सबके बाजा बजवा दिस.

सच्चा चौकीदार होने का परिचय दो

विधानसभा चुनाव से पहले अखबार वालों को कई-कई पेज का विज्ञापन मिलता था सो पहले पेज से लेकर अंतिम पेज तक में रमन सिंह की विभिन्न मुद्राओं में तस्वीरें छपा करती थीं. चुनाव हारने के बाद अखबार वालों ने पलटी तो मारी, लेकिन अब भी ऐसा लग रहा है कि सुपर सीएम और कंसोल इंडिया का हैंग ओवर उतरा नहीं है. इस मामले में एक बड़े सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है- पन्द्रह साल से नमक खाने वाले लोगों से आप उम्मीद करेंगे कि वे स्वामी भक्ति छोड़ देंगे तो आप गलत ठहरा दिए जाएंगे. हो सकता है कि सामाजिक कार्यकर्ता का सोचना सही हो. इधर कुछ समय पहले जब डाक्टर रमन सिंह ने अपने नाम के आगे चौकीदार लगाया तो उन्हें जमकर सुर्खियां मिली, लेकिन अब उनके दामाद को लेकर उनकी चौकीदारी पर ही सवाल उठने लगा है. फेसबुक विश्वविद्याल में उमेश केशरवानी ने लिखा है- चौकीदार रमन सिंह को अपने फरार दामाद को सामने लाकर सच्चा चौकीदार होने का परिचय देना चाहिए. सतीश जटवार लिखते हैं- घोटालेबाज और घपलेबाज चौकीदार रमन सिंह के फरार दामाद पुनीत गुप्ता का कुछ पता चलें तो हमें भी बताना. समीर चंद्राकर ने लिखा है- चौकीदार रमन सिंह के चोरहा दामाद फरार हो गे हे. आखिर कहा तक अऊ कब तक भाग बे रे चोरहा. दिनेश नेताम की टिप्पणी है- दमाद बाबू दुलरू कहा लुकागे रे. पुष्कर ने लिखा है- आवश्यकता है- मैं भी चौकीदार कहने वाले सालों की... ताकि वे अपने जीजा पुनीत गुप्ता को पुलिस के हवाले कर सकें.

पुलिस की भूमिका को लेकर भी उठे सवाल

जल-जंगल-जमीन को लेकर आंदोलन करने वाले सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता भी पुनीत गुप्ता की गिरफ्तारी जल्द से जल्द चाहते हैं. अभी चंद रोज पहले दो आरटीआई कार्यकर्ता नेहरु दुतकामड़ी और राकेश कौशिक ने दुर्ग के कलक्टर परिसर में सत्याग्रह किया था. इन दोनों का वीडियो भी जमकर वायरल हुआ. दोनों कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर कोई साधारण आदमी पचास करोड़ का घपला करता तो पुलिस उसे तुरन्त जेल भेज देती, लेकिन पुलिस डाक्टर रमन सिंह के दामाद को गिरफ्तार करने से घबरा रही है. प्रसिद्ध एक्टिविस्ट अनिल अग्रवाल ने अपने फेसबुक में एक के बाद एक कई पोस्ट शेयर की है. अनिल ने लिखा है- पत्रकार विनोद वर्मा को पकड़ने में पुलिस ने जो मुस्तैदी दिखाई थीं वैसी मुस्तैदी अब क्यों नहीं दिखा रही है. क्या पुलिस पुनीत गुप्ता को जमानत का अवसर देकर बचाना चाहती है. अपनी एक पोस्ट में उन्होंने रायपुर के पुलिस अधीक्षक को भी चुनौती दे डाली है. अनिल ने इस पोस्ट में लिखा है- अगर मुझे एक घंटे के लिए रायपुर का पुलिस अधीक्षक बना दिया जाएगा तो पुनीत गुप्ता जेल की सलाखों के पीछे होगा.

पहिली तोर दामाद ला तो...

मजे की बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने जनता के सवालों का जवाब देने के लिए शनिवार को फेसबुक पर मौजूद थे. फेसबुक में वे ज्यादातर समय नरेंद्र मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ते रहे तो टिप्पणियों में लोग उनके मुख्यमंत्रित्व काल के घपले-घोटालों और अनियमिताओं को लेकर सवाल उठाते रहे. ( आज के अखबारों में शायद इन टिप्पणियों का उल्लेख नहीं होगा. ) कुछ लोगों ने यहां भी उनके दामाद को घेरा है. लोधी धर्मराज ने पूछा - आपका दामाद कहां भागा है. नीतेश पत्रकार का सवाल है- आपके दामाद पर जो आरोप है उस पर आपका क्या कहना है. रविंद्र  का कमेंट है- पहिली तोर दामाद ला तो छोछ के ला.

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