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अब लोकसभा चुनाव के लिए उछला रुचिर गर्ग का नाम

अब लोकसभा चुनाव के लिए उछला रुचिर गर्ग का नाम

रायपुर. भाजपा में रायपुर लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों का टोटा कायम है. भाजपा की ओर से अब तक सांसद रमेश बैस का नाम ही दौड़ रहा है. कहा जा रहा है कि अगर बैस ने चुनाव लड़ने से मना भी किया तब भी आलाकमान उन्हें समझो भाई मजबूरी है...मोदी को लाना  जरूरी का मर्म समझाकर चुनाव समर में झोंक ही देगा, लेकिन कांग्रेस में ऐसी स्थिति नहीं है. यहां एक से बढ़कर एक दावेदार ताल ठोंक रहे है. विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद प्रत्याशियों की सूची और भी थोड़ी लंबी हो गई है. वैसे अभी यह साफ नहीं है कि कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा, लेकिन शुक्रवार को अचानक रायपुर लोकसभा सीट के लिए सरकार के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग का नाम उभरा. गर्ग का नाम विधानसभा चुनाव के दौरान भी चर्चा में था तब राजनीति के धुंरधरों ने यह माना था कि अगर उन्हें टिकट दे दी जाती तो वे इतिहास रच सकते थे. हालांकि उनके करीबियों का कहना है कि वे चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं है और दूर-दूर तक उनके चुनाव लड़ने की कोई संभावना भी नहीं है.

मैदान में कई दिग्गज

अभी आचार संहिता भी लागू नहीं हुई है, बावजूद इसके राजनीति के गलियारों में कई नामों की चर्चा बनी हुई है. वरिष्ठ नेता राजेंद्र तिवारी और पूर्व महापौर किरणमयी नायक की दावेदारी सबसे पुख्ता समझीं जा रही है. रायपुर लोकसभा की आठ विधानसभा सीटों में से रायपुर ग्रामीण में सत्यनारायण शर्मा, धरसींवा में अनीता शर्मा, रायपुर पश्चिम में विकास उपाध्याय, भाटापारा में शिवरतन शर्मा और बलौदाबाजार में प्रमोद शर्मा कुल मिलाकर पांच ब्राम्हण प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है इसलिए कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस किसी ब्राम्हण प्रत्याशी को मौका दे सकती है. अगर ऐसा होता है तो राजेंद्र तिवारी टिकट पाने में सफल हो सकते हैं. वैसे हर बार अंतिम समय में पिछड़ जाने वाले कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी भी रायपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक है. कहा जा रहा है कि उन्हें टिकट के लिए कुछ आलानेताओं ने आश्वस्त भी कर दिया है. रायपुर उत्तर में सिख समुदाय के कुलदीप जुनेजा, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट आरंग में शिव डहरिया और अभनपुर सीट पर पिछड़ा वर्ग के धनेंद्र साहू ने जीत कायम की है सो यह तर्क भी चल रहा है कि एक बार फिर कुर्मी समुदाय का प्रत्याशी मैदान में उतारा जा सकता है. राजनीति के जानकार किरणमयी नाम को एक बेहतर विकल्प मानकर चल रहे हैं. लेकिन इसके साथ यह बात भी कही जा रही है कि चूंकि राज्यसभा में सांसद छाया वर्मा कुर्मी समुदाय से ही हैं इसलिए किसी अन्य नाम पर भी विचार हो सकता है.इन दो नामों के अलावा दिल्ली में आला नेताओं से निकटतम संबंधों को लेकर चर्चा में रहने वाले पारस चोपड़ा का नाम भी सुर्खियों में हैं. कभी कसडोल तो कभी भाटापारा से चुनाव लड़ने का दावा करने वाले राजकमल सिंघानिया की दावेदारी भी मजबूत बताई जा रही है. राजनीति के जानकार महापौर प्रमोद दुबे को भी लोकसभा का संभावित प्रत्याशी बता रहे हैं. हालांकि जानकारों का यह भी कहना है कि प्रमोद दुबे ने बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था सो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन पर दोबारा दांव नहीं लगाएंगे. रायपुर लोकसभा सीट से दो मजबूत दावेदार और भी है. एक है- महंत रामसुंदर दास और दूसरे कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन. महंत रामसुंदर दास को विधानसभा का टिकट नहीं दिया गया था बावजूद इसके उन्होंने कई प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया. गिरीश देवांगन के बारे में सर्वविदित है कि वे प्रभारी महामंत्री रहते हुए कांग्रेस के लिए बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं.

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