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अकेले क्यों पड़ गए रमन

अकेले क्यों पड़ गए रमन

राजकुमार सोनी

रायपुर. कुछ समय पहले छत्तीसगढ़ की विधानसभा का नजारा बदला था ठीक वैसे ही शनिवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर राजभवन का नजारा भी बदला हुआ नजर आया. हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजनेताओं, नौकरशाहों, उद्योगपतियों, साहित्यकारों, पत्रकारों और शायद ( शराब ठेकेदारों ) को आमंत्रित किया जाता है सो इस बार भी वहीं सब लोग राजभवन में मौजूद थे. सबको सायंकाल 4 बजे से मौजूद रहने कहा गया था. ज्यादातर लोग निर्धारित समय पर राजभवन पहुंचे. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह जब भी राजभवन पहुंचते थे तब उनके आगे-पीछे सुपर सीएम और अन्य कई तरह के पीएम-सीएम मौजूद रहते थे, लेकिन पहली बार ऐसा नहीं था. शनिवार को राजभवन में कोई सुपर सीएम मौजूद नहीं था. पूर्व मुख्यमंत्री राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की बगल वाली सीट पर बैठे रहे. उनसे मिलने-जुलने वालों की संख्या भी काफी कम थीं. अफसर भी देख-समझकर मिल रहे थे. हालांकि कुछ लोगों ने उनके साथ तस्वीरें खिंचवाई, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजभवन के हाल में प्रवेश करने के साथ ही भीड़ छंट गई. राजभवन में मौजूद हर दूसरा मेहमान मुख्यमंत्री बघेल के साथ तस्वीरें खिंचवाने में लग गया. बहरहाल अपना मोर्चा डॉट काम ने भी एक तस्वीर खींची है. इस तस्वीर को गौर से देखिए...। इसे देखकर कई तरह के शीर्षक याद आ रहे हैं, फिलहाल इतना ही लिखना ठीक होगा- आदमी तब अकेला होता है ( चाहे वह राजनांदगांव के पुल में ही क्यों न हो ) जब वह सबके साथ... सबके विकास का नारा तो देता है, लेकिन केवल और केवल अपने और अपने परिवार का विकास करता है. राजभवन में एक नौकरशाह की जोरदार टिप्पणी सुनने को मिली- जनता को कीड़ा-मकोड़ा समझने वाले अपने सुकून के लिए खाली पीपे ( कनस्तर ) के नीचे वाले प्लाट की तलाश में रहते हैं. इस तस्वीर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल से न जाने क्या बात कर रहे हैं, लेकिन जो भी हो... तीनों नेता बड़ी देर तक हंसते रहे.

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