संस्कृति

रुमाल में फूल... स्वेटर और घरों में कैद तोते

रुमाल में फूल... स्वेटर और घरों में कैद तोते

क्या आपको कभी किसी लड़की ने फूल से कढ़ा रुमाल तोहफे में दिया है. चलिए रुमाल न सही... क्या आपको कभी प्रेमिका या पत्नी ने पलट जाने को कहकर स्वेटर का नाप लिया है? यदि ऐसा नहीं भी हुआ तो कोई बात नहीं...? क्या पहली बार जब आप शादी के लिए किसी लड़की को देखने गए तब लड़की की मां ने आपको दो तोते वाली तस्वीर दिखाकर यह कहा है- अमाई संगीता ने बनाई हे जे पेन्टिंग. खाना तो बहुते बढ़िया बनाती है. पेन्टिंग भी कमाल का बनाती है. अगर आपके साथ तीन घटनाओं में से कोई भी एक घटना नहीं हुई तो आपका जीवन बेकार है.

स्कूल और कालेज की किताबों में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं थीं इसलिए हमारा सारा ध्यान जन और उसकी संस्कृति की तरफ ज्यादा रहता था. अब भी रहता है. एक रोज स्कूल में अलीवर जेकब ने बताया कि उसे शोभा डे नाम की लड़की से प्यार हो गया है तो सुनकर अच्छा लगा क्योंकि शोभा डे लड़की ही ऐसी थीं कि हर कोई उससे प्यार कर सकता था. सिर पर नारियल का तेल चुपड़कर आती थीं और बेमतलब की बात पर रो देती थीं. मगर जब भी रोती थीं तो और प्यारी लगती थीं. बिल्कुल गीत गाता चल फिल्म की हिरोइन सारिका की तरह. अलीवर ने मुझसे मदद मांगी. अलीवर ने बताया कि उसने अपनी सिस्टर से शोभा के नाम का एक रुमाल बनवाया है. मैंने अंचभित होकर कहा- दीदी ने ऐसे कैसे बना दिया ? अली ने बताया कि उसने कहा है कि मुझे अपने दोस्त सोनी को देना है. अबे.... लेकिन मेरा नाम तो र... से आता है. अली ने तर्क दिया- आखिरी में स भी तो आता है न ?

तय हुआ कि मुझे अलीवर रुमाल देगा और शोभा के नाम का पहला अक्षर स...वाला रुमाल मैं शोभा को दूंगा. अपने प्रिय दोस्त के लिए इतना तो कर सकता था. मैंने शोभा को रुमाल दिया और शोभा ने उसे अपनी मां तक पहुंचा दिया. पाठक अब तक चंद्राकर गुरुजी के बारे में जा चुके है. तो मित्रों चंद्राकर गुरुजी ने कक्षा के बाहर मुर्गा बना दिया. मुर्गा मतलब जानते हैं न ? आज भी मुर्गा बनना तो याद आता है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा रुमाल की याद आती हैं. क्या ऐसे किसी रुमाल को कभी देखा है आपने? जीवन में एक न एक बार तो ऐसा रुमाल आपको मिला ही होगा जिससे देखकर आपने नाक पौछने का इरादा अवश्य ही स्थगित कर दिया होगा.स्कूल में शोभा के अलावा एक दूसरी लड़की भी थीं जो रुमाल लाती थीं... मगर उस रुमाल में पाउडर की खूशबू भी रहती थीं.

दूसरी घटना भी रोचक है. हमारे बड़े भैया को शादी की बहुत जल्दी थीं. वहीं भैया जो छत पर - लाइफबाय है जहां तंदुरुस्ती. हैं वहां गाया करते थे. पिता की बगैर अनुमति के भी वे लड़की देखने के लिए चले जाया करते थे. एक रोज वे मुझे भी ले गए. लड़की वाले के घर पहुंच कर उन्होंने अपना मकसद बताया तो लड़की की मां ने खुश होकर कहा- अमाई लड़की को देखने के पहले यह तो देख लो कि लड़की क्या-क्या बनाती है? हमें कई तरह की पेंटिंग दिखाई गई. अमूमन हर पेंटिंग में दो तोते थे. बहुत बाद में भैया की शादी लखनादौन में हो गई लेकिन कई घरों में तोतों को कैद देखा. हर बार इन तोतों को देखकर सोचता रहा... न जाने कितनी लड़कियों को कितनी बार अंजान लोगों के सामने यह बताना पड़ा होगा कि इन महान तोतों को उन्होंने बनाया है. न जाने कितनी लड़कियों की मां ने अपनी लड़कियों का घर बसाने के लिए पड़ोसी से कप और बसी उधार मांगी होगी. न जाने कितने घरों में अब भी ये तोतें कैद है? न जाने ये तोते कब उड़ेंगे ? कुछ घरों में बटन वाली बत्तख तैर रही है. कुछ घरों में मोर नाच रहे हैं. पता नहीं बत्तख कब भागेंगी? मोर कब जंगल में नाचेंगे ?

अब थोड़ी सी बात उस स्वेटर की भी कर लेता हूं जिसे अमूमन हर महिला बनाना पंसद करती थीं. स्कूल में आधी छुट्टी के दौरान मैडम अपने बैग से ऊन का बड़ा गोला निकाल लेती थीं. स्कूल के बाहर भी यहीं दृश्य देखने को मिलता था. उन दिनों हर हाथ में ऊन का गोला देखकर यहीं महसूस होता था कि मैं एक ठंडे देश में रहता हूं. यह सही भी है उन दिनों ठंड भी कड़ाके की पड़ती थीं. जब छोटे थे तब किसी ने स्वेटर नहीं बनाया. एक रोज सोनू ( पत्नी ) ने पीछे पलट जाने को कहा और स्वेटर बनाने के लिए नाप लिया. मेरी पसंद के रंग का स्वेटर था. सूर्ख लाल. काफी दिनों तक चला भी यह स्वेटर.अब स्वेटर की जगह जैकेट ने ले ली है. अब सोनू अपनी पंसद की शर्ट लाने के लिए पलट जाने को कहती है. पलट तो जाता हूं लेकिन सामने लाल रंग का स्वेटर मुस्कुराते हुए नजर आता हैं.

राजकुमार सोनी की फेसबुक वाल से

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