विशेष टिप्पणी

जन आंदोलनों का चेहरा हैं मेधा पाटकर

जन आंदोलनों का चेहरा हैं मेधा पाटकर

जन आंदोलनों का चेहरा हैं मेधा पाटकर 

अंबरीश कुमार
मेधा पाटकर देश में जन आंदोलनों का चेहरा हैं .मैंने बहुत कम लोगों को इस तरह रोज रोज यात्रा करते और जगह जगह आन्दोलन के लिए जाते देखा है .खांटी समाजवादी साथी सुनीलम और विजय प्रताप जैसे कुछ अपवाद जरुर हैं .समाजवादी आंदोलन से ही मेधा भी निकली और लगातार संघर्ष करती रही .कुछ यात्रा अपने साथ भी हुई और काफी यादगार भी खासकर करीब डेढ़ दशक पहले बस्तर की यात्रा .मुझे जगदलपुर जाना था ,मेधा पाटकर रायपुर में थीं उनका फोन आया और कहा कि वे भी साथ चलेंगी .नगरनार स्टील प्लांट का आंदोलन चल रहा था .साथ ही चलीं और मै जगदलपुर के सर्किट हाउस में ठहर गया वे एक वरिष्ठ वामपंथी नेता के घर रुकी और रात के खाने पर वहीँ बुलाया .दिन में नगरनार के आंदोलनकारियों के बीच जाना हुआ .दूसरे दिन सुबह जगदलपुर से रायपुर लौटना था .मै सर्किट हाउस में नाश्ता कर रहा था तभी बाहर से शोर शराबे की आवाज आई .पता चला मेधा मुझसे मिलने आ रही थीं और विकास समर्थक ताकतों को उनके आने की खबर मिल गई और करीब पच्चीस तीस लोग हुल्लड़ मचाते वहां पहुंच गए .ये यूथ कांग्रेसी थे ,लंपट किस्म के .ये आदिवासियों की जमीन छीनकर उन्हें कारपोरेट घरानों को दिए जाने का समर्थन कर रहे थे .कारपोरेट घराने ऐसे विकास समर्थकों पर काफी पैसा खर्च करते हैं .भ्रम मत पालिएगा इसमें कांग्रेसी और भाजपाई साथ साथ होते हैं .खैर अपने साथ जनसत्ता के जगदलपुर संवाददाता वीरेंद्र भी थे जो सेना की नौकरी निकलकर पत्रकारिता में आए .वे भीड़ में घुसे और मेधा को निकाल कर बाहर लाए .तब तक सुरक्षा में तैनात पुलिस भी पहुंच गई .


हम लोग सुरक्षित निकले .साथ में डेक्कन हेरल्ड के अमिताभ तिवारी और मेरा छोटा बेटा अंबर भी था जो साथ जरुर जाता .जगदलपुर से कुछ दूर जाने पर बस्तर गांव आया और सड़क के किनारे एक चाय पकौड़ी वाला दिखा .मेधा ने कार रुकवा दी .बोली पकौड़ी खाई जाएगी .साथ ही पानी की बोतल निकाली और बोली इसे नल से भरवा दीजिए .हम हैरान ,अमूमन बाहर इस तरह की पकौड़ी आदि से बचता हूं .पर वे बेफिक्र थी .आटे की पकौड़ी खाई ,चाय पी और हैंड पंप का पानी .बताया कि वे बोतल वाला यानी मिनरल वाटर नहीं पीती हैं जो पानी आम लोग पीते हैं वही वे भी पीती हैं और वैसा ही खानपान भी .चलते चलते काफी बातचीत होती रही .तभी मुख्यमंत्री अजीत जोगी का फोन आया .वे मेधा पाटकर पर बरस पड़े .सारी घटना की जानकारी उन्हें मिल चुकी थी .वे इस बात से नाराज थे कि वे उन्हें बिना बताए जगदलपुर के आंदोलन में गई क्यों ? दूसरे मेरे साथ क्यों गई .अपने साथ भी तबतक सरकार के संबंध खराब हो चुके थे खबरों को लेकर .बहरहाल रात के खाने पर उन्होंने मेधा को बुलाया .हालांकि मेधा पाटकर बहुत आहत हो चुकी थी .खैर यात्रा पूरी हुई .इसके बाद फिर वर्ष दो हजार बारह में नागपुर से छिंदवाडा की यात्रा मेधा के साथ हुई .जिसका लिंक कमेन्ट बाक्स में हैं .मेधा पाटकर जब भी अनशन करती है तो आशंकित हो जाता है .वे जिद्दी हैं इसलिए .देश को उनकी जरुरत हैं .

 

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