विशेष टिप्पणी
क्या आप बसील की मां को जानते हैं ?
मुझे इस मां का नाम नहीं मालूम. नाम को जानकर करूंगा भी क्या ? दुनिया की हर मां का नाम सिर्फ़ मां ही होता है. चित्र में नज़र आने वाली यह महिला बसील टोप्पो की मां है.बसील छत्तीसगढ़ के जशपुर इलाके के एक गांव परेवाआरा में रहता था. एक रोज़ उसने तय किया कि या तो वह सेना में भर्ती हो जाएगा या फिर पुलिस में.
ठोस इरादों और कठिन संघर्ष के चलते बसील को बस्तर के जिला पुलिस बल में नौकरी भी मिल गई. लेकिन वर्ष 2011 में नक्सलियों ने उस गाड़ी को अपना शिकार बनाया जिसमें बसील सवार होकर आ रहा था. बसील शहीद हो गया.
बसील के गुज़र जाने के बाद उसकी मां ने परेवाआरा के स्कूल चौक पर अपने बेटे की प्रतिमा स्थापित की है. इस प्रतिमा को बनवाने के लिए उसने कोलकाता और ओडिशा के कलाकारों की भी सहायता ली है. बसील की मां अब हर सुबह अपने बेटे की प्रतिमा को नहलाती है. उसे साफ कपड़ों से पौंछती है.
वैसे तो बचपन में हर मां अपने बेटे को नहला-धुलाकर तैयार करती है. दुनिया की बुरी नज़रों से बचाने के लिए गाल और आंखों पर काजल का टीका लगाती हैं. लेकिन बसील की मां को यह सब तब करना पड़ रहा है जब उसका जवान बेटा इस दुनिया में नहीं है.
ना जाने इस दुनिया में कितनी मां...बसील की मां जैसी है. जब तक युद्ध है. नफरत और घृणा है तब तक बसील की मां प्रतिमा को पौंछती रहेगी. देश के हर हिस्से में बसील की मां जैसी एक मां रहती है जो अपने जवान बेटे के आदमकद चित्र को निहारती रहती है. क्या हम लोग बसील की मां की पीड़ा को कभी समझ पाएंगे ? सचमुच क्या दुनिया बना दी है हम इंसानों ने ?
राजकुमार सोनी
9826895207