विशेष टिप्पणी

प्रशासनिक आतंकवाद पर भूपेश बघेल ने कसा शिकंजा

प्रशासनिक आतंकवाद पर भूपेश बघेल ने कसा शिकंजा

राजकुमार सोनी 

इस छोटी सी टिप्पणी के साथ घोड़े पर लगाम वाली तस्वीर इसलिए दी गई है क्योंकि प्रशासनिक गलियारों में अक्सर यह बात कही जाती है कि नौकरशाह शानदार नस्ल के घोड़ों के समान होते हैं. एक बेहतर घुड़सवार ही शानदार नस्ल के घोड़ों पर सवारी कर सकता है. रेस जीतने के लिए शानदार घोड़ों का होना बहुत अनिवार्य है. बेकार घोड़े आपको बीच मैदान में पटक सकते हैं.

छत्तीसगढ़ की पिछली सरकार में आतंक और अन्याय का पर्याय बन चुके बहुत से अफसर ठिकाने लगाए जा चुके हैं. हालांकि अब भी थोड़े बहुत अफसर अपनी पुरानी चाल और संवेदनहीनता के साथ जनता को परेशान करने वाला काम करते हुए नजर आते हैं, लेकिन जिस ताबड़तोड़ ढंग से अफसरों पर नकेल कसी जा रही है उससे ऐसा लगता नहीं है कि आग भूंकने वाले अफसर बहुत ज्यादा दिनों तक अपनी अकड़बाजी और जनविरोधी कारनामों को जिंदा रख पाएंगे. छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार ने शोषित-पीड़ित और कमजोर वर्ग पर अन्याय करने वाले अफसरों पर शिकंजा कसकर जनता को राहत दी है और एक भरोसा कायम किया है.

वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ नया-नया राज्य बना था तब विपक्ष अमूमन हर अफसर को अजीत जोगी का एजेंट ही समझता था. चूंकि जोगी राजनीति में आने से पहले एक नौकरशाह थे तो उनकी राजनीति में नौकरशाही की विशिष्ट शैली देखने को मिल जाती थीं. उन दिनों छत्तीसगढ़ में तैनात बहुत से अफसर उन्हें पापाजी-पापाजी कहकर संबोधित करते थे और एक इशारा पाते ही लोगों की टांग तोड़ने के खेल में लग जाते थे. ज्यादातर अफसरों को भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोगों को कांग्रेस में प्रवेश करवाने का काम ही सौंपा गया था. हर दूसरे और तीसरे कोई न कोई नेता या फिर अफसर कांग्रेस में प्रवेश करता था. एक सेवानिवृत पुलिस अफसर आरएलएस यादव सोशल इंजीनियरिंग को बढ़ावा देने के खेल में लगे थे तो अन्य कई सीनियर और जूनियर अफसर राजनीतिज्ञों पर झूठे केस गढ़ने में जुटे थे. जब जोगी सत्ता से बेदखल हुए और भाजपा की सरकार आई तब लगा कि अब अफसरों का आतंक कम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. थोड़े दिनों तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा ...मगर उसके बाद आयातित अफसरों ने अपना खेल प्रारंभ कर दिया. सब जानते हैं कि राजस्व सेवा का एक अफसर किस तरह से खुद को राज्य का असली सीएम मानने लगा था. इस अफसर ने मुख्यमंत्री के आसपास किसी भी विश्वसनीय अफसर को टिकने नहीं दिया और गुंडे-मवाली जैसी प्रवृति रखने वाले अफसरों का एक गैंग बनाया. भारतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अधिकांश अफसर इस गैंग के सक्रिय सदस्य थे. पन्द्रह सालों तक इस गैंग ने राज्य की भोली-भाली जनता को जमकर लूटा और अकूत संपत्तियां अर्जित की. अफसरों के आतंक का आलम यह था कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता दिलीप सिंह जूदेव को कहना पड़ा था-राज्य में प्रशासनिक आतंकवाद चल रहा है.

भाजपा के सत्ता से बेदखल होने के बाद जब भूपेश बघेल के हाथों में कमान आई तो सबसे पहले उन्होंने अफसरशाही पर ही लगाम कसना जरूरी समझा. छत्तीसगढ़ की राजनीति में जोगी और रमन सिंह के कार्यकाल में पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता की जबरदस्त तूती बोलती थीं. कहा जाता है कि दोनों सरकार के प्रमुख राजनेता मुकेश गुप्ता से पूछे बगैर अपना एक भी काम नहीं करते थे. रमन सिंह के कार्यकाल में ही मुकेश गुप्ता ने कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल पर एफआईआर दर्ज की थीं. वर्ष 2018 में चुनाव जीतने के बाद जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने तब सबसे पहले उन्होंने मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को निलंबित किया. अवैध फोन टेपिंग सहित अन्य कई आरोपों से घिरे रजनेश सिंह तो छत्तीसगढ़ में यदा-कदा दिख भी जाते हैं, लेकिन मुकेश गुप्ता इन दिनों कहां है इसकी खबर किसी के पास नहीं है. खबर है कि वे कभी दिल्ली में रहते हैं तो कभी विदेश चले जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन पर कार्रवाई करने से थोड़े समय के लिए रोक लगाई है. इस रोक के हटते ही उन पर भी गाज गिरना तय है. इस बीच राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर मुकेश गुप्ता को अनिवार्य सेवानिवृति देने की अनुशंसा की है.

भारतीय प्रशासनिक सेवा 2005 बैच के अफसर सुकुमार टोप्पो कांग्रेस के नेताओं और पत्रकारों को बदनाम करने के लिए स्टिंग आपरेशन के खेल में लगे थे. वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होना था. लेकिन ठीक चुनाव के पहले एक वीडियो में टोप्पो कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन करने की बात करते हुए नजर आए थे. इसके साथ ही वो इस काम के लिए कथित रूप से पैसों की पेशकश करते हुए भी पकड़े गए थे. जब सरकार बदली तब पता चला कि उन्होंने सरकारी एजेंसी संवाद में रहने के दौरान प्रचार-प्रसार के नाम पर करोड़ों का गोरखधंधा भी किया है. फिलहाल उन पर भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 की धारा 7(सी), 13(1) (ए) और 120 बी के तहत मामला दर्ज है. जांच चल रही है.

मजे की बात यह है कि जिस टोप्पो पर ईओडब्लू के प्रमुख जीपी सिंह ने मामला दर्ज किया था... इन दिनों वे स्वयं रायपुर सेंट्रल जेल में आराम फरमाने के लिए पहुंच गए हैं. भारतीय पुलिस सेवा 1994 बैच के अफसर जीपी सिंह पर संवैधानिक रुप से गठित सरकार के खिलाफ साजिश रचने, उगाही करने सहित कई गंभीर आरोप है.उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज है. सरकार ने उन्हें अनिवार्य रुप से सेवानिवृति दिए जाने की अनुशंसा केंद्र सरकार से कर रखी है.

छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार हनन के लिए विवादों में रहे पुलिस अफसर शिवराम प्रसाद कल्लूरी को भूपेश सरकार ने सुधरने का मौका दिया था, लेकिन जब उनमें कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्हें साइड कर दिया गया है. खबर तो यह भी है कि सरकार ने उन्हें भी विदा करने की तैयारी में हैं. फिलहाल वे सरकार में किसी भी तरह की प्रभावी भूमिका में नहीं है तो उनके आतंक के किस्से भी सुनाई नहीं देते हैं

भारतीय प्रशासनिक सेवा 2012 बैच के अफसर रणबीर शर्मा पहले तो घूस लेने के आरोप में विवादित हुए थे. दूसरी बार वे तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने सूरजपुर में बिलावजह एक युवक को थप्पड़ जड़ दिया था. फिलहाल तुनक मिजाजी के लिए मशहूर इस अफसर को भी कोई महत्वपूर्व जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है. भारतीय पुलिस सेवा 1993 बैच के अफसर पवन देव भी इन दिनों अपना समय काट रहे हैं. उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप है. 

 

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