विशेष टिप्पणी

समाचार पत्र में नमो नम: चलेगा तो जनता की सुध कौन लेगा?

समाचार पत्र में नमो नम: चलेगा तो जनता की सुध कौन लेगा?

शिरीष खरे कभी तहलका में मध्यप्रदेश के प्रभारी थे. तहलका के बाद उन्होंने राजस्थान पत्रिका में अपनी सेवाएं दी और तबादले में छत्तीसगढ़ आ गए. यहां आकर उन्होंने कई मसलों पर गंभीर रिपोर्टिंग की. विशेषकर आदिवासी मामलों पर उनकी कलम खूब चली. इन दिनों वे पुणे में हैं और एक स्वयंसेवी संस्था के लिए कार्यरत हैं. अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए मशहूर श्री खरे ने अपना मोर्चा डॉट कॉम के लिए यह खास टिप्पणी भेजी है. इस टिप्पणी में उन्होंने माना है कि मीडिया में फिलहाल साष्टांग और दंडवत होने खौफनाक का दौर चल रहा है.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नरेन्द्र मोदी की जीत ने 'राजस्थान पत्रिका समूह' के स्वामी गुलाब कोठारी का हृदय परिवर्तन कर दिया है। यही वजह है कि टेलीविजन पर मोदी का वक्तव्य सुनने के बाद उन्होंने अपने समाचारपत्र में मोदी के नाम एक भक्तिमय संपादकीय लिखा है। यहां उन्हें मोदी की वाणी में सरदार पटेल और महात्मा गांधी से लेकर विवेकानंद सब साथ-साथ नजर दिखाई दिए। 'राजनीति के समुद्र में क्षीरसागर की थाह नापने' टाइप भावपूर्ण भूमिका बांधने के बाद अचानक ही वे मुद्दे पर आ जाते हैं। कहते हैं कि राजस्थान पत्रिका का मूल क्षेत्र राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ पूर्ण रूप से आपकी भावी योजनाओं के साथ समर्पित है। इस तरह, वे खुद को निसंकोच और बेझिझक मोदीजी के लिए समर्पित कर देते हैं। इस तरह, अगले पांच वर्ष सरकारी विज्ञापन और कारोबार को देखते हुए नई सरकार के सामने साष्टांग दंडवत होने में वे कोई दुविधा महसूस नहीं करते हैं। 

देखा जाए तो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही लगभग पूरे के पूरे मीडिया के बिकने और मोदी की गोद में बैठकर मोदी के प्रचार में काम करने की यही कहानी है। लेकिन, गुलाब कोठारी की बात दूसरी है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि उन्होंने सरकार की स्तुति में जो घोषणा की है, वैसी घोषणा किसी ने नहीं की है।  

यहां तक कि रिपब्लिक टीवी, जी न्यूज और इंडिया टीवी से लेकर दैनिक जागरण और अमर उजाला जैसे तमाम मीडिया संस्थान जो चुनाव अभियान के दौरान मोदी के प्रचार में बढ़-चढ़कर आगे रहते हैं, उन्होंने भी कभी सीधे-सीधे मोदी के पक्ष में खड़े होने का ऐलान नहीं किया। लेकिन, गुलाब कोठारी ने दूसरी बार मोदी के बहुमत हासिल करने के मौके पर जिस तरह से खुद को प्रोजेक्ट किया है, उससे स्पष्ट कि अब वे मोदी भक्ति की होड़ में सबसे आगे आना चाहते हैं।

चुनाव के दौरान सबने देखा कि किस तरह से मीडिया संस्थानों ने प्रधानमंत्री के साक्षात्कार, भाषण और धार्मिक यात्रा का कवरेज किया और विपक्षी दलों सहित उनके मुद्दों को अदृश्य बनाए रखा। ठीक इसी अंदाज में अब यदि कोठारी अपने समाचारपत्र को मोदी के संकल्प के लिए समर्पित कर देंगे तो सवाल है कि समाचार, प्रचार और प्रोपेगंडा के बीच के अंतर कहां रह जाएगा? इस कार्यकाल में समाचारपत्र सिर्फ 'नमो नम:' करेगा तो जनता की सुध कौन लेगा? 

अंत में कोठारी की यह टिप्पणी अपने संस्थान के सभी कर्मचारी पत्रकारों को यह स्पष्ट संदेश है कि उन्हें अब न मंहगाई देखनी है, न बेकारी, न बदहाल अर्थव्यवस्था और अपराध-आतंकवाद, अब आपको कीबोर्ड की जगह घंटी बजानी है और अपने स्वामी के भी स्वामी की भक्ति में मन रमाना है।

 

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