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अब कोरबा के ग्रामीण हाट बाजारों में भी होगा आदिवासियों का इलाज

अब कोरबा के ग्रामीण हाट बाजारों में भी होगा आदिवासियों का इलाज

कोरबा. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की हाट बाजारों में ग्रामीणों को ईलाज की निःशुल्क सुविधा देने की योजना कोरबा जिले के आदिवासी बाहुल्य वनांचलों के लिए संजीवनी साबित होगीं। कोरबा जिले में लगभग 41 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासी समुदाय की है। परंपरागत रीति रिवाजों को मानने वाले इस समुदाय में पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, गोड़, राजगोड़, बिंझवार, धनवार प्रमुख जनजातियां हैं। जिले में गांवों का दुरस्थ जगहों तक फैलाव चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिए बड़ी चुनौती है। जिले के 45 सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टरों के 18 पद खाली पड़े हैं ऐसे में लोगों को समय पर उपयुक्त ईलाज की सुविधा देना एक अतिरिक्त चुनौती है। जिले के ग्रामीण इलाकों में नियत स्थान पर सप्ताह में लगभग सभी दिन हाट बाजारों लगते हैं और उनमें आसपास के गांवों के लोग साग-सब्जी, तेल नून के साथ अपनी दैनिक जरूरतों की चीजें भी खरीदने आते हैं। हाट बाजारों में मोबाइल अस्पताल से निःशुल्क ईलाज की सुविधा हो जाने से लोगों को बीमारी के दौरान दूर अस्पतालों तक नहीं जाना पड़ेगा। 

      कोरबा जिले में कोयला खदानों और बड़े उद्योगों के कारण प्रदूषण का स्तर भी सामान्य से कुछ अधिक है। जिले के ढाई सौ से अधिक गांव खनन प्रभावित क्षेत्रों में है। ऐसे में लोग सामान्य सर्दी-खांसी, एलर्जी या चर्म रोग जैसी बीमारियों को भी अस्पताल दूर होने के कारण नजरअंदाज कर देते हैं। अब हाट बाजार में डाक्टरों की  जांच से इन सामान्य बीमारियों का प्राथमिक स्तर पर ही ईलाज संभव हो सकेगा। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में कुपोषण भी 22.42 प्रतिशत है। जिले की दस बाल विकास परियोजना क्षेत्रों में से  कुछ क्षेत्रों में यह प्रतिशत 25 से भी अधिक है। छोटे बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की बेहतरी के लिए भी इन हाट अस्पतालों से अच्छा परिणाम आ सकता है। बच्चों के स्वास्थ्य की हर हफ्ते हाट बाजार में लगे अस्पताल में ही जांच हो सकेगी उन्हें जरूरी दवाएं और पोषक आहार मिलेंगे। इसके साथ ही सेहत में होने वाले सुधार की मानिटरिंग भी हर हफ्ते हो पायेगी।  

      कोरबा जिले के आदिवासी अंचलों की महिला अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं हैं। कमजोरी, खून की कमी या महिलाओं को होने वाले अन्य रोगों की स्थिति में भी वे तत्काल अस्पताल जाना पसंद नहीं करतीं और धीरे-धीरे उनकी बीमारी जानलेवा हो जाती है। ग्रामीण अंचलों की महिलाओं की स्वस्थ्य सुधार में चलित हाट अस्पतालों की भूमिका अत्याधिक महत्वपूर्ण होगी।  बाजार में पहुंचकर जरूरत का सामान खदीदने के साथ ही डाक्टरों से अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराने पर बीमारियों का प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल पायेगा और उनका समुचित ईलाज हो सकेगा। ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी के कारण बीमार लोगों को ईलाज के लिए कई बार बड़े अस्पतालों को रिफर करना पड़ता है। हर हफ्ते हाट अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर से जांच और ईलाज की सुविधा भी ऐसे मरीजों को त्वरित रूप से मिल सकेगी। जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में पैथोलाजी प्रयोगशालाएं नहीं होने के कारण मरीजों को छोटी-छोटी जांचों के लिए भी शहरी क्षेत्रों या कोरबा तक आना पड़ता है। पैथोलाजी लैबों में जांचें बहुत महंगी पड़ती हैं। अब हाट बाजार में ही रक्तचाप, मधुमेंह, सिकलसेल, एनीमिया, हीमोग्लोबिन, मलेरिया, टाईफाईड जैसी बीमारियों के लिए खून की जांच निःशुल्क हो सकेगी। जिससे लोगों का बीमारी की स्थिति में त्वरित ईलाज भी हो सकेगा।

 

 

 

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