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नफरत की खेती करने वालों के लिए यह खबर तमाचे से कम नहीं

नफरत की खेती करने वालों के लिए यह खबर तमाचे से कम नहीं

रायपुर. धर्म की ठेकेदारी और नफरत की दुकानदारी को ही जीवन का सब कुछ मानने वालों के लिए यह खबर किसी तमाचे से कम नहीं है. देश में नफरत की खेती को बढ़ावा देने वाले लोग इस कवायद में लगे रहते हैं कि किसी न किसी तरह से दो समुदाय के बीच वैमनस्य के बीज का रोपण करने के लिए एंगल- राड- छड़- सब्बल-बल्लम-तसले जैसे कुछ उपकरण का जुगाड़ कर लिया जाय. कुछ मामलों में वे सफल भी हो जाते हैं, लेकिन घूम-फिरकर देश की गंगा-जमुनी तहजीब को मानने वाले लोग उनके नापाक इरादों को धूल चटा ही देते हैं.

बहरहाल इस देश के अटूट भाई-चारे पर यकीन रखने वालों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि झज्जर में तबलीगी जमात के जो 142 लोग कोरोना पीड़ित थे उनमें से 129 लोग पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. जो लोग ठीक हो गए हैं उनमें से अधिकांश ने कोरोना प्रभावितों को अपना प्लाज्मा देने के लिए रजामंदी दी है.

प्लाज्मा का दान

प्लाज्मा का दान कोई रक्तदान जैसा नहीं है. इसके दान से किसी तरह की कमजोरी नहीं आती है. प्लाज्मा थैरेपी में कोरोना से ठीक हुए व्यक्ति के खून से प्लाज्मा निकालकर उस व्यक्ति के शरीर में डाल दिया जाता है जो कोरोना संक्रमित है. इस प्रक्रिया से मरीज के खून में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉड़ी ( प्रतिपिंड )  तैयार हो जाती है. एंटीबॉडी वायरस से लड़ते हैं और उन्हें कमजोर कर देते हैं. मीडिया में जो रिपोर्ट आई है उसके मुताबिक प्लाज्मा तकनीक मेडिकल साइंस की आधारभूत तकनीक है. दिल्ली में कोरोना से ठीक हुए कुछ लोगों के खून से प्लाज्मा निकालकर स्टोर किया गया और फिर उसे दूसरे मरीज को दिया गया. इसके काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले. इसके बाद वहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को यह कहना पड़ा है- अगर आपके मन में किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति के प्रति कोई दुर्भावना है तो याद रखिए कि किसी दिन उसका प्लाज्मा आपकी जान बचा सकता है. उन्होंने कहा है कि मुसलमान का प्लाज्मा हिन्दू की जान बचाएगा और हिन्दू का प्लाज्मा मुसलमान की जान बचाएगा. हम सबका खून एक जैसा लाल है.

दिल्ली में सफल प्रयोग के बाद अब हर जगह प्लाज्मा थैरेपी को अपनाए जाने को लेकर चर्चा चल रही है. खबर है कि कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए बिहार सरकार भी प्लाज्मा थैरेपी आजमाने जा रही है.

कल तक जो लोग कोरोना के फैलाव के लिए जमाती- जमाती कहकर शोर मचाते थे वे फिलहाल जमातियों के द्वारा प्लाज्मा दान दिए जाने की खबर से खामोश हो गए हैं. वे सोच नहीं पा रहे हैं कि क्या करें ? इस बीच सोशल मीडिया में नफरत फैलाने वाले लोगों से सवाल भी पूछे जा रहे हैं- क्यों भाई...कभी कोरोना से प्रभावित हो जाओगे तो क्या जमातियों से प्लाज्मा लोगे ?

वैसे नफरत का किंग-कोबरा बनकर घूमने वालों के लिए रविवार का दिन बेहद निराशाजनक रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम भाइयों से इबादत करने की अपील की और बधाई दी वैसे ही नफरत के ब्रांड एम्बेसडरों के चेहरे फक्क पड़ गए. कुछेक ने तो फेसबुक पर अपना गुस्सा पीएम पर ही उतार दिया. कईयों को लगा कि उनके आका ने धोखा दे दिया है. हालांकि एक- दो जगह यह टिप्पणी भी देखने को मिली- अब मोदीजी ने किया है तो ठीक ही किया होगा. समय-समय पर भूत-प्रेत-चुड़ैल और मौका देखकर तबलीगी-तबलीगी करने वाले इंडिया टीवी के रजत शर्मा ने भी एक टिव्हट किया है. उन्होंने लिखा है- तबलीगी जमात के लोगों ने एक नेक काम किया है. झज्जर के जिस हॉस्पिटल से 129 लोग ठीक हो गए हैं उनमें से कई दूसरे मरीजों की प्लाज्मा थैरेपी के लिए अपना खून देने के लिए तैयार है. मदद का ये जज्बा काबिले तारीफ है. सवाब मिलेगा.

उनके इस टिव्हट के बाद फेसबुक पर एक जोरदार टिप्पणी पढ़ने को मिली-

लगता अर्णब गोस्वामी की दशा देखकर अपने शर्मा जी सुधर गए हैं. शर्मा जी को परशुराम जयंती की बधाई.

 

- राजकुमार सोनी 

 

राजकुमार सोनी 9826895207

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