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मुंह खोलेगी.. वो बोलेगी... तभी जमाना बदलेगा

मुंह खोलेगी.. वो बोलेगी... तभी जमाना बदलेगा

बिलासपुर. चार मार्च को छत्तीसगढ़ की न्यायधानी में अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए युवतियों और महिलाओं ने एक जबरदस्त मार्च निकालकर अपना प्रतिवाद दर्ज किया. यह मार्च मिनी माता चौक, तालापारा से होते हुए मगरपारा पहुंचा. इस दौरान महिलाओं ने जमकर नारेबाजी की और जनगीत गाकर मौजूदा व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश जताया. कार्यक्रम की संयोजक प्रियंका शुक्ला ने बताया कि घृणा और हिंसा से भरे वर्तमान सरकार की नीति सबसे ज्यादा महिलाओं के अधिकारों का हनन कर रही है.उन्होंने कहा कि फासी और मनुवादी ताक़तों में बढ़ोतरी की वजह से दलित, ईसाईयों, मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हुए हैं. हर नागरिक असुरक्षित है. जाहिर सी बात है महिलाएं भी अछूती नहीं है. इस दौरान महिलाओं ने बराबरी का अधिकार दिए जाने को लेकर आवाज बुलंद की.  

मार्च में अधिवक्ता रजनी सोरेन, साहित्यकार सत्यभामा अवस्थी, सविता गंधर्व, रिजवाना, रुखसार, सम्पा, सरिता सबिया, आशा साहू, प्रियंका, सिम्पल रजक, ज्योति, कुलबीर सतपथी, राधा श्रीवास सहित सैकड़ों महिलाएं, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे. मार्च में महिला अधिकार मंच, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन, पीयूसीएल, जगलग, आम आदमी पार्टी, छत्तीसगढ़, वसुधा महिला समिति, इप्टा बिलासपुर, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, एचआरएलएन, जन स्वास्थ्य अभियान, जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ सहित अन्य कई महत्वपूर्ण संगठन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया.

 

 

 

 

 

 

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