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क्या पुरातत्व विभाग के जगदेव राम भगत ने सिक्कों को बेचकर महल खड़ा किया है?

क्या पुरातत्व विभाग के जगदेव राम भगत ने सिक्कों को बेचकर महल खड़ा किया है?

रायपुर. संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में उपसंचालक की हैसियत से पदस्थ जगदेव राम भगत के कारनामों को लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली एक संस्था खबरदार आज तक इंडिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को शिकायत भेजी है. इस दस्तावेजी शिकायत की एक प्रति अपना मोर्चा डॉट कॉम के पास भी सुरक्षित है. अब शिकायत कितनी सच है इसका खुलासा तो जांच के उपरांत ही पता चलेगा, लेकिन शिकायतकर्ता संस्था के आरोप काफी गंभीर है. शिकायत में संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में कार्यरत दीप्ति नाम की एक महिला को भी भ्रष्टाचार में लिप्त बताया गया है.

शिकायत में कहा गया है कि जगदेव राम भगत लंबे समय से महंत घासीदास संग्रहालय में पदस्थ है. गत 16 साल से संग्रहालय का चार्ज होने के बावजूद भी भगत ने आज तक भौतिक सत्यापन नहीं करवाया है. वहां कार्यरत कर्मचारी दबी जुबान से कहते हैं कि भगत ने संग्रहालय के सिक्कों को बेचकर अपनी निजी प्रापर्टी खड़ी की है. शिकायत में उल्लेखित है कि भगत के संग्रहालय अध्यक्ष रहने के दौरान ही पचराही संगोष्ठी का आयोजन किया गया था. इस आयोजन के लिए अच्छी-खासी रकम संग्रहाध्यक्ष कार्यालय से ही आहरित की गई थी. इसके भुगतान की जवाबदारी बीरबल राम कुजूर को दी गई थी, लेकिन बाद में भुगतान की जवाबदारी दीप्ति नाम की महिला को दे दी गई. बताया गया है कि भगत अब भी अपने सहयोगी युगल और सतीश के माध्यम से पचराही के पुराने बिलों का भुगतान कर रहे हैं. मेसर्स बल्लू अग्रवाल और पूर्णेद्र प्रकाश लाइट साउंड का भुगतान पहले हो चुका है बावजूद इसके इन्हें पुरानी तिथि यानी बैक डेट पर भुगतान दिया जा रहा है.

यहां यह बताना लाजिमी है कि पुरातत्व विभाग की ओर से तरीघाट में किया गया उत्खनन बेहद विवादित रहा है. इस उत्खनन को लेकर कई खबरें मीडिया में सार्वजनिक होती रही है. शिकायत में तरीघाट में हुई अनियमितता का भी उल्लेख है. इस मामले में संस्था ने कहा है कि तरीघाट का उत्खनन दो सालों से बंद है बावजूद इसके फर्जी ढंग से मस्टर रोल बनाकर लाखों का भुगतान किया गया और इस काम के लिए भी महिला कर्मचारी दीप्ति का सहयोग लिया गया. शिकायत में मेला मंडई में भी 15 लाख के भुगतान की गफलतबाजी का जिक्र है. इसके अलावा महंत सर्वेश्वर दास ग्रंथालय में अध्ययन और संगीत कक्ष के नाम पर 33.17 लाख रुपए का व्यय अनावश्यक बताया गया है. कहा गया है कि इस कार्य में विक्रांत वैष्णव नाम का एक शख्स भी शामिल है. पुरखौती मुक्तागंन परिसर में कोटा वोल्टाइज प्रणाली लगाई गई है. इसका भुगतान भी पोखराज पुरी गोस्वामी के माध्यम से किया गया है. शिकायत में एक महिला कर्मचारी के नाम से तीन बेडरुम वाले फ्लैट को खरीदे जाने की जानकारी दी गई है.

चेलों की भरमार

प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थीं तब कई अफसरों ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकालने वाले चेले पाल रखे थे.एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत की प्रक्रिया अब भी बंद नहीं हुई है. कुछ लोगों की रोजी-रोटी ही सूचना के अधिकार के तहत निकाली गई जानकारी के भरोसे चल रही है. शिकायत में दो लोगों का नाम सहित उल्लेख है. कहा गया है कि दो लोग अक्सर संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग आते हैं और जगदेव राम भगत के इशारे पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल कर विभाग को बदनाम करते हैं. शिकायत में पुरखौती मुक्तागंन में एक ही सीरियल की टिकट गड़बड़ी की भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है. इस जानकारी में यह बताया गया है कि कब-कब किसने क्या-क्या किया. शिकायत में टिकट वितरण में गड़बड़ी करने वालों की तस्वीरें भी चस्पा है. इसके अलावा अन्य कई गंभीर आरोपों का उल्लेख है. इधर जगदेव राम भगत ने अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को निराधार बताया है. भगत का कहना है कि वे पूरी ईमानदारी और निष्ठा से अपने काम को अंजाम देते हैं. विभाग के ही कतिपय लोग जो विघ्नसंतोषी है उनके खिलाफ अर्नगल दुष्प्रचार करते रहते हैं. भगत ने बताया है कि वे अपने ऊपर लगे हुए तमाम आरोपों का सिलसिलेवार जवाब प्रस्तुत कर चुके हैं. आगे भी प्रस्तुत कर देंगे.

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