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महज एक तारीख 17 जनवरी 2012 को वॉलफोर्ट सिटी वालों ने खेला लंबा खेल

महज एक तारीख 17 जनवरी 2012 को वॉलफोर्ट सिटी वालों ने खेला लंबा खेल

रायपुर. जमीन के नामांतरण का काम बेहद जटिल और कठिन होता है.अब भी हर रोज सैकड़ों लोग नामांतरण के लिए भटकते रहते हैं, लेकिन वॉलफोर्ट सिटी का निर्माण करने वाले रसूखदारों के लिए यह काम बेहद मामूली था. सूत्रों का कहना है कि वॉलफोर्ट सिटी से जुड़े एक शख्स ने खुद को भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा का रिश्तेदार बताकर लंबा खेल खेला है. बताते हैं इस शख्स ने अपने कामकाज को आसान बनाने के लिए डाक्टर रमन सिंह की सरकार के एक मंत्री को भी अपना राजदार बना रखा था. भाजपा के पूर्व गृहमंत्री और वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जो शिकायत भेजी है उसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि जिन किसानों को सरकार ने खेती-बाड़ी के लिए सरकारी जमीन आवंटित की थीं उनकी जमीन अवैध ढंग से हथिया ली गई है. अपनी शिकायत में कंवर ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि महज एक तारीख 17 जनवरी 2012 को कई हेक्टयर जमीन जो दूसरों के नाम थीं उसका नामांतरण वॉलफोर्ट के नाम कर दिया गया. ईश्वर रिजतेश नाम के शख्स से जैनम ने अलग-अलग खसरा नंबर की कई हेक्टयर जमीन खरीदी थी जो 17 जनवरी 2012 को वॉलफोर्ट के नाम चढ़ गई. जैनम ने कृषक मनीराम, मंशा, महेश, दसरू, आनंदराम, होरी, रामचंद, अलालू, सगुन, मोतीराम, ईशान और बिसेलाल से भी जमीन ली थीं जिसे उक्त तिथि को वॉलफोर्ट के नाम कर दिया गया.

कंवर का आरोप है कि रायपुर निवासी पंकज लाहोटी ने जमीन के खेल में गोपाल, रामचंद सोनकर, राजीव और शिवमूरत जैसे लोगों का सहयोग लिया. इस खेल में राजस्व अधिकारी घनश्याम शर्मा और पटवारी सनत पटेल मिले हुए थे. पाटन तहसील के अमलेश्वर के पास ग्राम महुदा के पटवारी हल्का नंबर 7 की जिस 38 एकड़ भूमि को हथियाया गया है उसका बाजार मूल्य ही एक अरब 14 करोड़ रुपए के आसपास है. अव्वल तो सरकारी पट्टे की जमीन की न तो बिक्री हो सकती थीं और न ही उसका हस्तांतरण हो सकता था. यहां तक भूमि के मूल स्वरुप में भी परिवर्तन नहीं किया जा सकता था. राजस्व प्रावधानों के अनुसार अगर पट्टे की भूमि पड़त हो भी वह शासन की मानी जाती है और इस तरह की किसी भी भूमि को लेने के लिए कलेक्टर की अनुज्ञा अनिवार्य होती है, लेकिन यहां किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया.

चौका सकती जांच

पूर्व गृहमंत्री की शिकायत के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरे मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं. कहा जा रहा है कि अगर सचमुच गंभीरता और सूक्ष्मता से जांच होगी तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आएंगे. जमीन के कारोबार से जुड़े लोगों शनिवार को अपना मोर्चा डॉट कॉम को चर्चा में बताया कि अगर सरकार ने इस जांच में रायपुर और अभनपुर तहसील में चल रहे वॉलफोर्ट के प्रोजेक्ट को भी शामिल कर लिया तो अरबों-खरबों का घोटाला उजागर होगा और कई सपेदपोश चेहरे बेनकाब हो जाएंगे. बताया जाता है कि इस खेल का मुख्य किरदार एक ऐसा व्यापारी है जो मध्य प्रदेश का निवासी है और सालों से छत्तीसगढ़ में काम कर रहा है. पहले यह व्यापारी शेयर का धंधा किया करता था. अब इसके पास स्पंज आयरन संयंत्र के अलावा कोलवाशरी भी है. इस व्यापारी ने ईओडब्लू के पूर्व चीफ के साथ अच्छी- खासी मित्रता कायम कर रखी थीं. सूत्रों का कहना है कि कई बार यह व्यापारी ईओडब्लू चीफ के लिए वसूली का काम भी करता था. व्यापारी के साथ सदर बाजार में सोने-चांदी का कारोबार करने वाले एक अन्य शख्स का नाम भी सामने आ रहा है. ननकीराम कंवर ने जिस पंकज लाहोटी का जिक्र किया है उसे महज मोहरा बताया जा रहा है. शिकायत में जिस गोपाल सोनकर का जिक्र हुआ है वह वॉलफोर्ट सिटी में ही निवास करता है. नब्बे फीसदी जमीनों का लेन-देन इसी शख्स ने किया है. व्यापारी का नाम विस्फोटक सप्लाई से भी जुड़ा हुआ है. सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी तब विस्फोटक से भरा एक ट्रक बस्तर में गायब हो गया था. बाद में ट्रक तो मिल गया, लेकिन विस्फोटक नहीं मिला. ट्रक से विस्फोटक पदार्थ के गायब होने का मामला अखबारों की सुर्खियां बना. मामले में एक छोटी सी जांच प्रारंभ हुई लेकिन फिर सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया. आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि आखिर विस्फोटक कहां गया.

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