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राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से भाजपा में घबराहट

राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से भाजपा में घबराहट

कुछ होगा

कुछ तो होगा

अगर मैं बोलूंगा

टूटे न टूटे तिलिस्म सत्ता का

मेरे भीतर का कायर तो टूटेगा...

 

-रघुवीर सहाय

 

भेड़िया गुर्राता है

तुम मशाल जलाओ

उसमें और तुममें

यहीं बुनियादी फर्क है

भेड़िया मशाल नहीं जला सकता.

 

-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

 

रघुवीर सहाय और सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की यह कविताएं गहन-घुप्प अंधेरे में लालटेन वाली रोशनी का काम करती है. इन कविताओं की तरह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से भी यह उम्मीद जगती है कि आताताईयों के हजारों-हजार कोशिशों के बावजूद अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है. अभी तारों का टिमटिमाना बाकी है.

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने जब यह ऐलान किया कि 7 सितम्बर 2022 से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा प्रारंभ करने वाले हैं तब हमेशा की तरह उन्हें पप्पू कहने वालों ने मजाक उड़ाते हुए यह प्रचारित किया था कि वे कितना भी हाथ-पांव मार लें...उनका कोई दांव सफल नहीं होने वाला है. लेकिन अब जबकि कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई यात्रा ने सफलतापूर्वक एक सौ आठ दिन पूरे कर लिए हैं तब स्थिति यह हो चली है कि हर कोई भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा बनना चाहता है. वैसे तो यात्रा में स्वेच्छा से कोई भी शामिल हो सकता है, लेकिन विधिवत रजिस्ट्रेशन के जरिए शामिल होने वालों की सूची बेहद लंबी है. यह सूची लगातार बढ़ती ही जा रही है.

आखिर ऐसा क्या है जिसके चलते एक बड़ी आबादी इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए बेचैन दिख रही है. दरअसल इस बेचैनी का एक बड़ा कारण वह अंधकार और अवसाद है जो मोदी सरकार के आने के बाद अमूमन हर दूसरे शख्स के भीतर घर कर गया है. हिन्दू-हिन्दू की रट लगाने वाले अंधभक्ति में लीन समर्थकों को छोड़ दिया जाय तो ज्यादातर लोग यह मान बैठे हैं कि देश की फिजा में काफी बदलाब आ गया है. दंगे-फसाद तो पहले भी होते रहे हैं,लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. अब हर कोई शंका के कटघरे में खड़ा है और एक-दूसरे को शत्रु समझता है. हताशा, निराशा और प्रत्येक पहर होने वाली हिन्दू-मुस्लिम डिबेट ने हर उस शख्स को भीतर तक तोड़कर रख दिया है जो प्यार-मोहब्बत, भाई-चारे पर यकीन करता है और अमन-चैन के साथ जीने की  तमन्ना रखता है.

तरक्की और अमन पसंद आबादी भारत जोड़ो यात्रा से जुड़कर अपने जिंदा होने का अर्थ तलाश रही है. यह यात्रा उन लोगों के सपनों को पूरा कर रही है जो साझी संस्कृति-साझी विरासत को बढ़ावा देने पर भरोसा रखते हैं. ये वे लोग है जिनके घर के चूल्हों पर प्यार और मोहब्बत की रोटियां ही पकाई जाती है.

इसी महीने 24 दिसम्बर को यात्रा ने दिल्ली में एक पड़ाव के बाद अल्प समय का विराम लिया है. अब यात्रा नए साल में तीन जनवरी से प्रारंभ होगी, लेकिन अब तक इस यात्रा में छात्रों, नौजवानों के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि क्षेत्र से जुड़े हजारों-हजार लोग अपनी भागीदारी दर्ज कर चुके हैं. एक समय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के जरिए कांग्रेस का विरोध करने वाले प्रशांत भूषण, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी, प्रसिद्ध विचारक पुरुषोत्तम अग्रवाल यात्रा का हिस्सा बन चुके हैं तो फिल्मी दुनिया से पूजा भट्ट, सुशांत, स्वरा भास्कर, रश्मि देसाई, रिया सेन, आकांक्षा पुरी के अलावा दिग्गज अभिनेता अमोल पालेकर और कमल हासन भी अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं. इस यात्रा में डाक्टर, इंजीनियर के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट कृष्णा पूनिया ओलिंपिक शूटर दिव्यांश परमार, एशियन गोल्ड मेडलिस्ट भूपिंदर सिंह. ओलिंपिक में खेल चुके रेस वॉकर सपना पूनिया, तीरंदाज श्याम, धूलचंद दामोर जैसे खिलाड़ी भी शामिल हो चुके हैं. यात्रा में बॉक्सर विजेंदर सिंह भी शामिल हुए थे जिसकी तस्वीर खुद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर शेयर की थी. इसके साथ उन्होंने लिखा- मूछों पर ताव, बाज़ुओं में दम, फौलादी इरादे, जोशीले कदम.

यात्रा से भाजपा में घबराहट

भले ही भाजपा के नेता कह रहे हैं कि राहुल गांधी की यात्रा से भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला... लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है. यात्रा की सफलता से भाजपा के एक खेमे में बेचैनी है तो दूसरी ओर वह तबका खुश है जो नफरत की राजनीति से परेशान चल रहा है. जब फिल्मी सितारों ने यात्रा में दिलचस्पी दिखाई तब महाराष्ट्र के भाजपा नेता नितेश राणे को यह कहना पड़ गया कि फिल्मी कलाकारों को यात्रा में हिस्सेदारी दर्ज करने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं. उनके इस बयान  पर अच्छी प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली. लोगों ने यह माना कि उनका बयान किसान आंदोलन में शामिल होने वाली दादी को बदनाम करने जैसा था. राहुल की यात्रा से परेशान कुछ भाजपाइयों ने वह तस्वीर भी शेयर की जिसमें वे कुछ बच्चियों और महिलाओं का हाथ थामे चल रहे हैं. सोशल मीडिया में यह सवाल उठाया गया कि भारत को जोड़ने के लिए बच्चियों और महिलाओं का हाथ पकड़ना कहां तक उचित है. भाजपाइयों के इस टिव्हट के बाद सोशल मीडिया में प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आई. बहुत से लोगों ने लिखा कि राहुल जिन बच्चियों और महिलाओं के हाथ को थामकर चल रहे हैं जब उन बच्चियों और महिलाओं को आपत्ति नहीं है तो फिर अंधभक्तों को परेशानी क्यों हो रही है ? राहुल की यात्रा को बदनाम करने के लिए बात टी-शर्ट और जूते पर भी आकर टिकी. कहा गया कि राहुल जिस जूते को पहनकर चल रहे हैं वह महंगा है. टी-शर्ट की कीमत ज्यादा है.

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की एक चिट्ठी से बवाल मच गया है. मांडविया ने राहुल गांधी को लिखा है-अगर यात्रा में कोविड प्रोटोकॉल संभव नहीं है तो इसे स्थगति कर दें. इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा है कि वे लोग ( भाजपा ) भारत के अन्य भागों में जितनी चाहें उतनी जनसभाएं कर सकते हैं, लेकिन जहां से भी भारत जोड़ो यात्रा गुजर रही है सिर्फ वहां कोविड नजर आता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पत्र लिखकर बता रहे हैं कि कोविड वापस आ गया है, यात्रा बंद करो. वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश का भी कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा को रोकने के लिए भाजपा लगातार हथकंड़े अपना रही है. जो लोग भी यात्रा में शामिल हो रहे हैं उनके घरों की बिजली काटी जा रही है. यात्रा में शामिल हर व्यक्ति का टीकाकरण हो चुका है. हर यात्री कोरोना वैक्सीन की डबल डोज ले चुका है. कुछ लोग तो बूस्टर डोज भी ले चुके हैं बावजूद इसके बाधा पैदा की जा रही है.

 

यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने छोटी-बड़ी कई सभाओं को संबोधित किया है. यात्रा के दौरान उनका यह दो वक्तव्य बेहद महत्वपूर्ण है-

( एक ) 

यात्रा में सौ दिन से ज्यादा चल चुका हूं. यात्रा में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, सभी जातियों के लोग, महिला-पुरुष, बच्चे सब शामिल हुए हैं. लाखों लोग चले हैं,कभी किसी ने किसी से नहीं पूछा कि तुम्हारा धर्म क्या है ? कहां से आए हो ? कौन सी भाषा बोलते हो ? सभी ने एक-दूसरे का आदर किया. कभी किसी ने किसी से नफरत नहीं की. यात्रा ने दिखा दिया है कि यह देश किसी से नहीं डरता है. जिस दिन यह देश एक साथ खड़ा हो गया उस दिन ये नफरत और हिंसा खत्म हो जाएगी.

( दो )

सात-आठ साल तक मोदी जी ने मुझे और कांग्रेस को बदनाम करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए.मैं एक शब्द नहीं बोला. जो कुछ भी झूठ बोला उन्होंने मेरे बारे में, मैं एक शब्द नहीं बोला मैं चुप रहा. मैंने कभी खुद को बचाने की कोशिश नहीं की. जब यात्रा को भरपूर समर्थन मिला तब पूरे देश ने देखा कि इस आदमी ( राहुल ) को केवल अपने देश के किसानों, श्रमिकों और किसानों से प्यार है.भाजपा और आरएसएस ने भारत को बांटने और नफरत फैलाने का काम किया है. कन्याकुमारी से यात्रा की शुरुआत करने से पहले मैंने सोचा था कि पूरे देश में नफरत है. मैं डरा हुआ था. लेकिन जब मैंने शुरुआत की, तो मुझे एक बात पता चली, लोग नफरत नहीं चाहते हैं, वे सिर्फ प्यार और मोहब्बत चाहते हैं.

 

- राजकुमार सोनी

98268 95207

 

 

 

 

 

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