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क्या छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता एक मई को खा पाएंगे बोरे-बासी ?

क्या छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता एक मई को खा पाएंगे बोरे-बासी ?

मजदूर दिवस के दिन चलेगा बोरे बासी का जोर

छत्तीसगढ़ के लोग बोरे बासी खाकर करेंगे श्रम का सम्मान

रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य की कला, संस्कृति, आहार के संरक्षण और संवर्धन को लेकर जो कुछ भी कर रहे हैं उसका सीधा और साकारात्मक प्रभाव ठेठ छत्तीसगढ़ियों में साफ-साफ दिखाई दे रहा है. स्थानीयता की रंगत लिए हुए छत्तीसगढ़ के अनेक त्योहारों को पूरी आत्मीयता के साथ मनाकर मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी की शहरी संस्कृति को सीधे तौर पर चुनौती दे डाली है. मुख्यमंत्री की कार्यशैली से सर्वाधिक परेशानी भारतीय जनता पार्टी के उन नेताओं को हो रही हैं जो मूल रुप से छत्तीसगढ़ के नहीं है. सूबे की सत्ता में लंबे समय तक काबिज रहे भाजपा के नेता गत साढ़े तीन सालों से संस्कृति संवाहक भूपेश बघेल की काट ढूंढने में ही लगे हुए हैं, लेकिन कोई काट नहीं मिलते देखकर वे भी अब ऐती-ओती चारों कोती जय छत्तीसगढ़-जय छत्तीसगढ़ करने लगे हैं. इधर भूपेश बघेल ने एक मई को मजदूर दिवस के मौके पर देश-दुनिया में बसे छत्तीसगढ़ के लोगों को, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों और युवा पीढ़ी से बोरे बासी खाने का अनुरोध किया है. उनके इस अनुरोध के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या भाजपा के नेता बोरे-बासी खाकर अपने छत्तीसगढ़िया होने का परिचय देंगे ? हर रोज सुबह नाश्ते में काजू-कतली का सेवन करने वाले नेता क्या बोरे बासी खाना पंसद करेंगे ? मुख्यमंत्री ने बोरे-बासी खाने वाले सभी लोगों से सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों में फोटो शेयर करने और श्रम दिवस को गौरव का दिवस मनाने की अपील भी की है. मुख्यमंत्री की इस अपील से आम छत्तीसगढ़िया तो खुश हैं, लेकिन यह देखना मजेदार होगा कि छत्तीसगढ़ की चिन्ता करने वाले कौन-कौन से नेता बोरे बासी खाकर फोटो अपलोड़ करते हैं. वैसे दिल्ली दौरे से लौटे भाजपा के वरिष्ठ नेता धरमलाल कौशिक ने साफ कर दिया है कि उनका इरादा बोरे बासी खाने का नहीं है. पत्रकारों से बातचीत में कौशिक ने कहा कि बोरे बासी मुख्यमंत्री को मुबारक हो. वे खाएं और उनके मंत्री खाएं

क्या है बोरे बासी

बोरे-बासी छत्तीसगढ़ का ऐसा भोजन है जो बचे हुए चावल को पानी में भिगोकर रात भर रख कर बनाया जाता है. फिर सुबह उसमें हल्का नमक डालकर टमाटर की चटनी या अचार और कच्चे प्याज के साथ खाया जाता है. छत्तीसगढ़ के लोग प्रायः सुबह बासी का ही नाश्ता करते हैं. बोरे बासी खाने से न सिर्फ गर्मी और लू से राहत मिलती है, बल्कि बीपी कंट्रोल रहता है डि-हाइड्रेशन की समस्या नहीं होती है.

मुख्यमंत्री को मिली बधाई

मुख्यमंत्री की अपील पर छत्तीसगढ़ होटल एवं रेस्टोरेन्ट एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बधाई दी है. एसोसिएशन ने कहा है कि एक मई मजदूर दिवस पर हमारे संस्थान में कार्यरत कर्मचारी जिनकी मेहनत एवं कर्तव्य निष्ठा से हमारे व्यापार को मजबूती मिलती है उनके सम्मान और उनके परिजनों व साथियों के लिए हम बोरे बासी व्यंजन की व्यवस्था करने जा रहे हैं. आपने स्थानीय खान पान को छत्तीसगढ़िया सम्मान के साथ जोड़कर हमारी संस्कृति, विरासत और परंपरा को संजोने का जबरदस्त काम किया है. आपने कहा था कि हर श्रमिक, किसान और काम करने वाली बहनों के पसीने में बासी की महक है. यह वास्तव में आपकी संवेदना और आपके मन में श्रमिकों  के सम्मान को दर्शाता है। इसके लिए हम आपके हृदय से आभारी है.

डाक्टर खूबचंद बघेल की कविता वायरल

छत्तीसगढ़ के स्वप्ननदृष्टा और महान समाज सुधारक लेखक डाक्टर खूबचंद बघेल छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति और रीति-रिवाजों की महक में किस तरह से रचे बसे थे, इसका अंदाजा छत्तीसगढ़ के जायकेदार व्यंजन बोरे-बासी पर उनके द्वारा लिखी गई शानदार कविता को देखकर लगाया जा सकता है. उनकी यह कविता भी खूब वायरल हो रही है.

बोरे बासी

बासी के गुण कहूं कहां तक, इसे ना टालो हांसी में

गजब बिटामिन भरे हुए हैं छत्तीसगढ़ के बासी में

नादानी से फूल उठा मैं, ओछो की शाबाशी में

फसल उन्हारी बोई मैंने, असमय हाय मटासी में

अंतिम बासी को सांधा, निज यौवन पूरन मासी में

बुद्ध-कबीर मिले मुझको, बस छत्तीसगढ़ के बासी में

विद्वतजन को हरि दर्शन मिले, जो राजाज्ञा की फांसी में

राजनीति भर देती है यह, बूढ़े में सन्यासी में

विदुषी भी प्रख्यात यहां थीं, जो लक्ष्मी थीं झांसी में

स्वर्गीय नेता की लंबी मूंछे भी बढ़ी हुई थी बासी में

 

 

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