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सांप्रदायिकता और उसकी चुनौतियों से मुकाबले के लिए  लामबंद हुए छत्तीसगढ़ के एक्टिविस्ट, पत्रकार, साहित्यकार और रंगकर्मी

सांप्रदायिकता और उसकी चुनौतियों से मुकाबले के लिए लामबंद हुए छत्तीसगढ़ के एक्टिविस्ट, पत्रकार, साहित्यकार और रंगकर्मी

रायपुर. देश के अन्य हिस्सों की तरह छत्तीसगढ़ में भी सांप्रदायिक ताकतें गाहे-बगाहे अपने पैर को पसारने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते रहती हैं, लेकिन सांप्रदायिकता और उसकी चुनौतियों से मुकाबले के लिए छत्तीसगढ़ के एक्टिविस्ट, पत्रकार, साहित्यकार और रंगकर्मी भी लामबंद हो गए हैं. रविवार को यहां राजधानी के होटल कोटियार्ड में राष्ट्र सेवा दल के बैनर तले आयोजित एक कार्यक्रम में बुद्धिजीवियों ने संकल्प लिया कि चाहे जो परिस्थिति हो जाए...छत्तीसगढ़ की शांत फिजा में नफरत की फसल उगाने वालों को किसी भी सूरत में पनपने नहीं दिया जाएगा. इस मौके पर राष्ट्र सेवा दल की राज्य ईकाई का गठन किया गया. सर्वसम्मति से उमा प्रकाश ओझा को ईकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

राष्ट्र सेवा दल के प्रबंधकीय प्रभारी कपिल पाटिल अपने साथी सचिन बनसोड़े और रोहित ढाले के साथ मुंबई से यहां पधारे थे. कार्यक्रम के प्रारंभ में उन्होंने राष्ट्र सेवा दल के गठन के पीछे के मकसद और कार्यों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह दल देश के भीतर सांप्रदायिक सदभाव, लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा, वैज्ञानिक सोच के साथ संविधान पर आधारित कार्य के लिए ही जाना जाता है. उन्होंने बताया कि 28 दिसम्बर 1936 को साने गुरुजी ने इस दल की स्थापना की थी. तब उनके आह्वान पर 60 हजार से ज्यादा सेवा दल सैनिकों ने अगस्त क्रांति में अपनी हिस्सेदारी दर्ज की थीं. उन्होंने बताया कि 4 जून 1941 को दल का पुर्नगठन किया गया तब उसकी जिम्मेदारी एसएम जोशी ने संभाली थीं. यह दल तब से लेकर आज तक न्याय और समानता के लिए ही संघर्षरत रहा है.

अपने संबोधन में कथाकार कैलाश बनवासी ने सांप्रदायिकता की चुनौतियों से निपटने के लिए हमख्याल साथियों की एकजुटता को महत्वपूर्ण बताया. वेबसाइट विकल्प विमर्श के संचालक और पत्रकार जीवेश चौबे ने कहा कि देश को नफरत की आग में  झोंकने वालों का सभी स्तर पर मुकाबला करना होगा. आलोचक सियाराम शर्मा ने सांप्रदायिकता के महीन से महीन रेशों को समझने की जरूरत बताई. कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और कई चर्चित कृतियों के लेखक आनंद बहादुर का कहना था कि लड़ाई लंबी है, लेकिन डटे रहना होगा. सामाजिक कार्यकर्ता उमा प्रकाश ओझा ने नई पीढ़ी को जागृत करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि स्कूलों और महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के बीच जाकर यह बताना होगा कि वैमस्यता और भाई-चारे को खत्म करने वालों का मुख्य मकसद क्या है. पत्रकार राजकुमार सोनी ने कहा कि सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वालों ने संचार क्रांति के अत्याधुनिक साधनों को प्रमुख औजार बना लिया है. हमें भी इन साधनों का जबरदस्त और सकारात्मक उपयोग करना चाहिए. साहित्य, कला, संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों से आवाजें उठनी चाहिए. कार्यक्रम में मनमोहन अग्रवाल, कवि अंजन कुमार, बिजेंद्र तिवारी, रंगकर्मी सुलेमान खान, अप्पला स्वामी, संतोष बंजारा ने भी अपने विचार व्यक्त किए. इस मौके पर आलोचक सियाराम शर्मा द्वारा लिखित पुस्तिका ( किसानों के अस्तित्व संघर्ष ) वितरित की गई. सभी ने कपिल पाटिल के द्वारा लिखित पुस्तिका- आजादी क्या भीख में मिली है... और राष्ट्र सेवा दल के कैंलेडर का विमोचन किया. इस दौरान यह भी तय हुआ कि राष्ट्र सेवा दल की छत्तीसगढ़ ईकाई से जुड़े हुए सदस्य सभी क्षेत्रों से सांप्रदायिकता के खिलाफ मुखर रहने वाले लोगों को लामबंद करेंगे.

 

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