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छत्तीसगढ़ के बिजली घरों में उपकरणों की सप्लाई करने वाले चंद सप्लायरों पर अफसर मेहरबान...उठी जांच की मांग
रायपुर. छत्तीसगढ़ के बिजली घरों में उपकरणों की सप्लाई करने वाले चंद सप्लायरों पर बिजली मुख्यालय के बड़े अफसर मेहरबान है. सप्लायरों से अफसरों के विशेष प्रेम ने कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया है.
गौरतलब है कि कोरबा वेस्ट,कोरबा ईस्ट और मढ़वा-जांजगीर के मुख्य अभियंता कार्यालय के अंर्तगत कार्यरत बायलर, टरबाइन, स्टोर डिवीजन, इलेक्ट्रिक मेंटेनेंस डिवीजन, सीएंडआई, टेस्टिंग, फ्यूल मैनेजमेंट,कोयला हैंडलिंग प्लांट, फायर एंड सेफ्टी आपरेशन, कम्युनिकेशन जैसे सभी शाखाओं में बिजली उपकरणों की आवश्यकता होती है. सामान्य तौर पर उपकरणों की सप्लाई के लिए नोटिस बोर्ड में सूचना चस्पा की जाती है अथवा टेंडर निकाला जाता है, लेकिन कई बार सूचना भी चस्पा नहीं होती और चहेते सप्लायरों को उपकरण सप्लाई का काम सौंप दिया जाता है.
कुछ समय पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ( ऊर्जा मंत्री ) को भी इस संबंध में एक शिकायत सौंपी गई है. शिकायत में यह कहा गया है कि बिजली सामानों की सप्लाई करने वाले चंद विशेष सप्लायरों और अधिकारियों की मिली-भगत से भारी घपला और भ्रष्टाचार किया जा रहा है. शिकायत में उल्लेखित है कि रायपुर मुख्यालय से खानापूर्ति कर नोटिस बोर्ड में टेंडर चस्पा करने का फरमान जारी किया जाता है, लेकिन इस फरमान को स्थानीय अभियंताओं के द्वारा दबा दिया जाता है. कार्यालय के अधीक्षक अथवा बड़े बाबू दो से पांच हजार रुपए लेकर टेंडर छिपा जाते हैं और नोटिस बोर्ड में चस्पा नहीं करते. फिलहाल जो शिकायत है उसमें दो से पांच लाख तक की राशि वाले उपकरणों की खरीदी में गड़बड़झाला किए जाने का उल्लेख है, लेकिन जानकारों का कहना है कि प्रदेश में कुछ ऐसे बड़े सप्लायर भी है जो छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी में पदस्थ अफसरों का संरक्षण पाकर लंबा खेल खेल रहे हैं. सामान्य तौर पर बिजली के उपकरणों की खरीदी खुली निविदा में सस्ते दर पर हो सकती है, लेकिन कुछ खरीदी सिंगल टेण्डर के माध्यम से भी की गई है. चूंकि अधिकांश खरीदी छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी ने ही की है इसलिए सभी सिंगल टेण्डर की जांच की मांग भी उठ गई है.
खबर हैं कि चंद विशेष सप्लायरों को अमूमन हर हफ्ते उपकरणों की सप्लाई का आदेश थमाया जा रहा है. बताते हैं कि जो सप्लायर OEM ( मूल उपकरण उत्पादक ) यानि कंपनी का ओरिजनल पार्ट सप्लाई करते हैं वे हर साल उपकरणों की कीमत बढ़ा देते हैं. यदि किसी बिजली घर के किसी हिस्से का कोई पार्ट खराब हो गया तो खराब पार्ट को तब बदला जाता है जब ओरिजनल उपकरण की सप्लाई हो जाती है. बाजार में जो उपकरण दीगर कंपनियों का सस्ते और अच्छे दर पर मिलता है, वही मंहगे रेट पर खरीदा जाता है. कंपनियों के अधिकृत सप्लायर रेट बढ़ोतरी दर्शाकर अपना मुनाफा कमाते हैं. सूत्रों का कहना है कि कई बार पार्ट खराब भी नहीं होता है तब भी उसे खराब कर दिया जाता है या खराब बताकर सप्लायरों को आर्डर थमा दिया जाता है.
इन फर्मों पर मेहरबानी
बताया जाता है कि बिजली मुख्यालय में पदस्थ बड़े अफसर विवादों और फर्जीवाड़े में घिरी फर्म टेक्नीकल टूल्स के साथ-साथ राखड़ फीलिंग के नाम पर करोड़ों का वारा-न्यारा करने वाली हेम्स कार्पोरेशन पर सबसे ज्यादा मेहरबान है. बताया जाता है कि इन फर्मों को बीते कुछ सालों में नियम-कायदे से परे जाकर उपकरणों की सप्लाई का बहुत सा आर्डर दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि अगर उक्त कंपनियों के चेन सिस्टम की गंभीरता से जांच की जाएगी तो बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है. इधर छत्तीसगढ़ के स्थानीय बेरोजगार सप्लायर काम के लिए तरस रहे हैं, लेकिन कलकत्ता की दो कंपनी सुमीत ट्रेडिंग और मां संतोषी इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन लंबे समय से उपकरणों की सप्लाई का आर्डर हासिल कर रही है. बताते हैं कि यूनिक सप्लाई, अमार इंटरप्राइजेस, राहुल इंटरप्राइजेस, एसडी इंस्ट्रडी, तनु ट्रेडिंग सहित कई फर्मों के कर्ताधर्ता सप्लायर भी लगातार उपकृत हो रहे हैं. इन फर्मों में यूनिक और अमार इंटरप्राइजेस की कार्यप्रणाली को लेकर जबरदस्त चर्चा कायम है. जानकार कहते हैं कि बिजली उपकरणों की सप्लाई का आर्डर हासिल करने के लिए कुछ फर्मों ने अपने भाई-भतीजों के नाम से भी फर्में खोल ली है.