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मॉब लिंचिंग थीं या नहीं...पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने में क्यों कांप रहे हैं पुलिस के हाथ पांव ?

मॉब लिंचिंग थीं या नहीं...पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने में क्यों कांप रहे हैं पुलिस के हाथ पांव ?

आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने की मुख्य सूचना आयुक्त से शिकायत 

रायपुर. छत्तीसगढ़ के आरंग इलाके के महानदी पुल पर मुस्लिम समुदाय के तीन लोगों की मौत के मामले में पुलिस ने भले ही चार्जशीट दाखिल कर दी है, लेकिन अब भी कई सवाल ऐसे हैं जो पुलिसिया कार्रवाई को संदेह के कटघरे में खड़ा करते हैं. इस मामले की तह तक जाने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने सूचना के अधिकार के तहत मृतकों की पोस्टपार्टम रिपोर्ट की प्रमाणित छाया प्रति मांगी थीं, लेकिन उन्हें जानकारी नहीं दी गई है. कुणाल शुक्ला का कहना है कि पुलिस इस बड़े मामले में घटना के पहले दिन से ही पर्दा डाल रही है और अब उन्हें जानकारी देने के बजाय घुमाया जा रहा है. उन्होंने रायपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ जनसूचना अधिकारी ज्योत्सना चौधरी की शिकायत राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त से की हैं. कुणाल का कहना है कि अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली तो वे न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे. कुणाल ने बताया कि उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की छाया प्रति हासिल करने के लिए 10-10 रुपए का तीन पोस्टल आर्डर भेजा था. जब इस पर भी जानकारी नहीं दी गई तब बैंक के माध्यम से चालान भेजा, लेकिन जानकारी अप्राप्त है.

गौरतलब है कि इसी साल सात जून को सहारनपुर इलाके के गुड्डू खान, चांद मियां खान और सद्दाम कुरैशी मवेशियों को जा रहे थे तभी भीड़ ने गौ-तस्कर समझकर उनका पीछा किया और फिर वे मृत पाए गए. इस हत्या के बाद जब देशभर में बवाल मचा तब कई तरह कहानियां सामने आई. इलाके में जाकर फैक्ट फाइडिंग करने वाले कई संगठनों एवं मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि एक संगठन विशेष से जुड़े लोगों ने मॉब लिंचिंग की थीं और इसमें वे लोग शामिल थे जो संगठन के बड़े पदाधिकारी थे. इधर बीते जुलाई महीने में पुलिस ने जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें दावा किया है कि कुछ लोगों ने करीब 53 किलोमीटर तक तीन लोगों का पीछा किया था, लेकिन जो लोग मृत पाए गए उनकी मौत नदी में कूदने की वजह से हुई थीं उनके साथ किसी भी तरह की मारपीट नहीं हुई थी.

कुणाल शुक्ला पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट हासिल करने के बाद यहीं जानना चाहते थे कि वास्तव में मारपीट की घटना हुई थीं या नहीं थीं. मृतकों के शरीर में कहां-कहां कुल कितने चोट के निशान थे ? कुणाल का कहना है कि अगर कोई कूद कर अपने आपको मौत के हवाले करता  तो ज्यादा से ज्यादा दो-तीन जगहों पर ही चोट के निशान हो सकते हैं.

वैसे घटना के बाद चांद और सद्दाम के चचेरे भाई एवं शिकायतकर्ता शोहेब खान ने भी आरोप लगाते हुए कहा था कि जब भीड़ हमला कर रही थीं तब सद्दाम ने एक शख्स जिसका नाम मोहसिन है उसे बचाने के लिए फोन किया था. मोहसिन असहाय था क्योंकि वह बहुत दूर था लेकिन वह बड़ी देर तक फोन पर आरोपियों की आवाजें सुनता रहा. 

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