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हे राम... की वेदना को समझना जरूरी

हे राम... की वेदना को समझना जरूरी

रायपुर.धर्म संसद में नाथूराम गोडसे को सलाम बजाने वाले कालीचरण की गिरफ्तारी के बाद यहां छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेसजनों ने गांधी हमारे अभिमान कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी शिरकत की और गांधी के मूल्यों-आदर्शों और सिद्धांतों को आत्मसात कर उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए कांग्रेसजनों को शपथ दिलवाई.

इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि गांधी जी ने कभी भी देश को तोड़ने की बात नहीं की. देश के विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका सावरकर और जिन्ना ने निभाई थीं. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ गांधी के बताए हुए मार्ग पर चल रहा है. जो कोई भी देश को तोड़ने के लिए नफरत फैलाने का काम करेगा उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

बघेल ने उस भ्रमित तथ्य को भी साफ किया जिसमें यह कहा जा रहा था कि धर्म संसद का आयोजन कांग्रेसियों ने किया था. बघेल ने कहा कि किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन में शिरकत करना एक परम्परा है. दो दिन का धर्म संसद था जिसमें धार्मिक बातें होती हैं. हम किसी की आलोचना नहीं करते. सुधार की बात करते, लेकिन वहां अपशब्दों का प्रयोग किया गया. सुभाष चंद्र बोस के विचार भी महात्मा गांधी से अलग थे. उनमें वैचारिक मतभेद था, लेकिन उन्होंने रंगून से रेडियो के जरिए महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था. बघेल ने कहा कि देश को तोड़ने की नाकाम कोशिशों में लगे हुए लोग यह नहीं जानते कि महापुरूषों ने गांधी जी को लेकर कितनी महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं. आइंस्टीन ने गांधी जी को लेकर कहा था कि भविष्य की पीढ़ियों को इस बात का यकीन करने में मुश्किल होगी कि हाड़ मांस से बना कोई व्यक्ति भी था. विवेकानंद ने शिकागो में आयोजित धर्म संसद में कहा था कि हमने विश्व के सभी धर्मों को अंगीकार किया है, हमने सताए हुए लोगों को अपने यहां जगह दी है. विवेकानंद को विवेकानंद बनाने में छत्तीसगढ़ की माटी का भी योगदान है. नफरत फैलाने वालों से सावधान रहने की जरूरत है, ऐसे लोग समाज के लिए बदनुमा दाग हैं. बघेल ने कहा कि अभी कोरोना का काल खत्म नहीं हुआ है.ऐसे समय आर्थिक मदद करने की आवश्यकता है ना कि धर्म को लेकर लड़ाई करने की.मुख्यमंत्री बघेल ने कालीचरण की गिरफ्तारी के लिए छत्तीसगढ़ की पुलिस को भी बधाई दी.

इस खबर में प्रतीक के तौर पर 1963 में  mark robson के निर्देशन में बनी फिल्म Nine hours to rama के एक दृश्य के स्थिर चित्र का इस्तेमाल किया गया है. 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में जब गांधी जी की बूढ़ी काया पर नाथूराम गोडसे ने गोलियां चलाई थीं तब उसके हाथ जरा भी नहीं कांपे थे. गांधी जी के अंतिम शब्द थे- हे राम. दुर्भाग्यजनक बात यह है कि आज जय-सियाराम... हे राम और राम-राम जी जैसे पावन शब्द को दहशत में डाल देने वाले जय-जय श्रीराम के नारे में बदल दिया गया है. 

 

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