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अमित जोगी की नैय्या भंवर में ?

अमित जोगी की नैय्या भंवर में ?

राजकुमार सोनी

रायपुर. छत्तीसगढ़ में मरवाही विधानसभा उपचुनाव को लेकर उठा-पटक का दौर प्रारंभ हो गया है. फिलहाल चुनावी तैयारी के मामले में कांग्रेस की बढ़त दिखाई देती है. कोरबा के विधायक एवं राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल अपना मोर्चा डॉट कॉम से चर्चा में कहते हैं- आज किसी डायरी में लिखकर रख लीजिए. मरवाही से कांग्रेस ही जीत का परचम फहराएगी. जीत की वजह क्या होगी...पूछने पर जयसिंह कहते हैं- मैं इलाके के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हूं. क्षेत्र की जनता अमित जोगी को पसंद नहीं करती.

जयसिंह अग्रवाल की बातों में कितनी सच्चाई है इसका पता तो तब चलेगा जब चुनाव का परिणाम आएगा, लेकिन राजनीतिक प्रेक्षक भी मानते हैं कि जो इमेज पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की थीं वह अमित जोगी की नहीं है. नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य कहते हैं- जब अजीत जोगी चुनाव लड़ते थे तब भी इलाके के अधिकांश कार्यकर्ता अमित जोगी के खराब व्यवहार को लेकर शिकायत किया करते थे. वे तो अजीत जोगी थे जो सबको संभालकर चलने का हुनर जानते थे. अमित जोगी अपने पिता की इस कला से वाकिफ नहीं है. अब भी उनका व्यवहार वैसा ही है जैसा पहले था. कार्यकर्ताओं को झिड़क देना... उन पर क्रोधित हो जाना उनका शगल बन चुका है. कार्यकर्ता का मानना है कि अगर अमित जोगी अपनी अतिरिक्त बुद्धि का परिचय नहीं देते तो छत्तीसगढ़ में भाजपा के बजाय कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रहती. कार्यकर्ता का कहना है कि अजीत जोगी के देहांत के बाद अमित जोगी को सहानुभूति के थोड़े-बहुत वोट तो मिल सकते हैं, लेकिन यह वोट इतने ज्यादा भी नहीं होंगे कि  कांग्रेस को नुकसान हों. कांग्रेस के मीडिया प्रभारी शैलेश नितिन त्रिवेदी कहते हैं-पेंड्रा-गौरेला-मरवाही के जिला बन जाने के बाद क्षेत्र के लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान मिल गया है. इसके अलावा क्षेत्र की पब्लिक कांग्रेस के विकास कामों से भी खुश है. त्रिवेदी आगे कहते हैं- मरवाही कांग्रेस की परम्परागत सीट है. चाहे कोई सूरत हो इस सीट पर कांग्रेस ही जीत दर्ज करेगी.

अभी कई कार्यकर्ता आएंगे कांग्रेस में

हालांकि अभी चुनाव तिथि की घोषणा नहीं हुई है बावजूद इसके जनता कांग्रेस के कार्यकर्ता कांग्रेस में लौटकर आ रहे हैं. अजीत जोगी के चुनाव संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ज्ञानेंद्र उपाध्याय के कांग्रेस में लौटकर आने के बाद जनता कांग्रेस में भगदड़ जैसी स्थिति कायम है. माना जा रहा है कि चुनाव आते-आते तक जनता कांग्रेस लगभग खाली हो जाएगी. इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी हर रोज मरवाही चुनाव की तैयारियों से अपडेट हो रहे हैं. क्षेत्र की प्रत्येक गतिविधि पर उनकी पैनी नजर है. कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अपने दौरे में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को मजबूत करने पर जोर दिया है. उनका मानना है कि जब प्रत्याशी अच्छा होता है तो कार्यकर्ता भी जी-जान लगाकर काम करता है. मरकाम कहते हैं- इस बार मरवाही की जनता को कांग्रेस एक ऐसा प्रत्याशी देगी जो उनके सुख-दुख का साथी होगा.

चुनाव बेहद अहम

बहरहाल विधानसभा चुनाव के बाद दंतेवाड़ा और चित्रकोट के उपचुनाव में भी जीत का परचम फहरा चुकी कांग्रेस के लिए मरवाही का चुनाव बेहद मायने रखता है. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखाने में तब के कांग्रेस अध्यक्ष एवं वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं. उनसे पहले कांग्रेस के जितने भी अध्यक्ष थे वे सब अजीत जोगी के सामने भींगी बिल्ली बने रहते थे, लेकिन भूपेश बघेल ने बेहद दमदार ढंग से उनके खिलाफ मोर्चा खोला और साबित किया कि जोगी के नाम का तिलिस्म एक भ्रम के अलावा और कुछ नहीं है. राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि यदि कांग्रेस मरवाही में जीत दर्ज कर लेती है तो भूपेश बघेल के कामकाज और उनकी राजनीतिक क्षमता पर न केवल मुहर लग जाएगी बल्कि सरकार के लंबे समय तक टिके रहने का संदेश भी दूर तक जाएगा. प्रेक्षकों का मानना है कि मरवाही चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी के बीच ही होगा. प्रदेश में अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत भाजपा भी चुनाव समर में उतरेगी, लेकिन वह तीसरे क्रम में होगी. पिछले चुनाव में भाजपा दूसरे क्रम में थीं.

 

 

 

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