पहला पन्ना

आखिरकार नफरत फैलाने के आरोप में अर्णब गोस्वामी पर मामला पंजीबद्ध

आखिरकार नफरत फैलाने के आरोप में अर्णब गोस्वामी पर मामला पंजीबद्ध

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने दर्ज करवाई एफआईआर

रायपुर. अपनी भड़काऊ और नफरत फैलाने वाली खबरों के लिए मशहूर रिपब्लिक टीवी और उसके प्रमुख एकंर ( एडिटर ) अर्णब गोस्वामी पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने बुधवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 153- ए, 295 ए और 505 ( 2 ) के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम की शिकायत के बाद पुलिस ने देर शाम यह एफआईआर दर्ज की है.

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सिविल लाइन थाने में शिकायत करते हुए कहा कि अर्णब गोस्वामी ने अपने टीवी चैनल रिपब्लिक भारत में पूछता भारत शीर्षक से एक कार्यक्रम चलाया था. इस कार्यक्रम के बहाने उन्होंने पालघर में घटित हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना के बाद सोनिया गांधी खामोश क्यों है. अर्णब ने अपने इस कार्यक्रम में समुदाय विशेष के बीच नफरत फैलाने के लिहाज से कई ऐसी बातों का जिक्र किया जिसका उल्लेख इस समाचार में नहीं किया जा सकता है. ( यह लिखा जाना भी एक तरह से सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने जैसा है. )

शिकायतकर्ताओं ने कहा कि ऐसे समय जबकि पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है तब अर्णब गोस्वामी ने पूरे देश को धर्म के आधार पर दंगा करने के लिए उकसाया और उन्माद पैदा किया. शिकायतकर्ताओं ने बतौर सबूत रिपब्लिक भारत टीवी का वीडियो भी सौंपा है.

मुख्यमंत्री ने कहा- फर्जी रिपल्बिक को सबक सिखाने में सक्षम है

इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक टिव्हट में कहा है- रिपल्बिक और भारत टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी के इस अनर्गल बकवास को क्या पत्रकारिता कह सकते हैं. यह तो सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का कुत्सित प्रयास है. न भाषा की मर्यादा और न ही किसी मान मर्यादा का ध्यान. यह तो अपराध है. संज्ञेय और दंडनीय अपराध. भूपेश बघेल ने आगे लिखा है- हमारे रिपब्लिक का कानून फर्जी रिपल्बिक को सबक सिखाने में सक्षम है.

वायरस का इलाज जरूरी

मंगलवार को भी कांग्रेसजनों रायपुर के सिविल लाइन में अर्णब गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर करने के लिए शिकायत सौंपी थीं. यह शिकायत इस बात पर आधारित है कि अर्नब गोस्वामी ने राहुल गांधी की पत्रकार वार्ता को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जिसकी वजह से लोग गुमराह हुए. खबर है कि पुलिस ने चंद्रशेखर शुक्ला और गिरीश दुबे की शिकायत पर इस मामले में भी अपराध पंजीबद्ध कर लिया है. 

छत्तीसगढ़ में इन दिनों अफवाह आधारित खबरों से लोगों को गुमराह करने और भ्रम फैलाने वालों की शामत आई हुई है. महाराष्ट्र में एक चैनल के संवाददाता की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा से जुड़ी विश्वनंदिनी पांडेय और फेसबुक पर निशा जिंदल बनकर सांप्रदायिक पोस्ट करने वाले रवि पुजार पर अपराध पंजीबद्ध किया गया है. इधर कोरोना काल में एक पोर्टल और एक अन्य टीवी चैनल के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार की ताबड़तोड़ कार्रवाई को देखते हुए लगता तो यही है कि खबरों के जरिए नफरत का जहर फैलाने और जनसामान्य को गुमराह करने वाले बहुत से अखबार और टीवी चैनलों के मालिक- संवाददाताओं पर गाज गिर सकती है. छत्तीसगढ़ सरकार की इस तरह की कार्रवाई को देश की एक बड़ी आबादी बेहद अच्छे ढंग से देख रही है और उनकी सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिल रही है. सोशल मीडिया में सरकार के साहस भरे कदम की सराहना हो रही है. जबकि मुख्यधारा का कथित मीडिया इस तरह की खबरों को छापने से डर रहा है कि न जाने कल क्या हो? समुदाय विशेष के बीच नफरत का जहर बोने वाले कतिपय मीडियाकर्मी और राजनेता बुरी तरह से बिलबिला भी रहे हैं. वे दूरभाष के जरिए इस चर्चा में भी तल्लीन है कि सरकार मीडियाकर्मियों पर शिकंजा कस रही है. जबकि बहुत से लोगों का मानना है कि मीडिया में कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक वायरस मौजूद है. ऐसे सभी वायरस का इलाज अब जरूरी हो चला है. छत्तीसगढ़ ने ऐसे वायरसों से निपटने में एक नई राह दिखाई है.

 

ये भी पढ़ें...