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छत्तीसगढ़ में निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी और बिल्डरों से सावधान... संजय श्रीश्रीमाल के ग्रीन अर्थ इन्फ्रावेंचर्स का मामला भी थाने और रेरा पहुंचा

छत्तीसगढ़ में निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी और बिल्डरों से सावधान... संजय श्रीश्रीमाल के ग्रीन अर्थ इन्फ्रावेंचर्स का मामला भी थाने और रेरा पहुंचा

रायपुर. अगर आप छत्तीसगढ़ में रहते हैं और किसी निजी बिल्डर / प्रमोटर या कंस्ट्रक्शन कंपनी से मकान-दुकान और प्लाट खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको पूरी तरह से सावधान रहने के जरूरत है. हालांकि कुछ कंस्ट्रक्शन कंपनियां अपने ग्राहकों की सुविधाओं का ध्यान भी रख रही है, लेकिन ज्यादातर कंपनियां धोखाधड़ी पर उतर आई है.अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन और आकर्षक पोस्टरबाजी के जरिए ग्राहकों को फंसाने का खेल जबरदस्त ढंग से चल रहा है. अगर आप किसी विज्ञापन के झांसे में नहीं आए तब खूबसूरत और मखमली आवाज वाली लड़कियों का फोन आपको साइट ( जहां फ्लैट निर्मित हो रहा होता है ) देखने के लिए मजबूर कर सकता है और आप तब भी धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं. छत्तीसगढ़ भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण ( रेरा ) के पास हर रोज किसी न किसी निजी बिल्डर की शिकायत पहुंच रही है. ज्यादातर शिकायतों में ग्राहकों का यहीं कहना है कि बिल्डर ने ठग लिया है. इधर प्रदेश के एक बड़े बिल्डर संजय श्री श्रीमाल के मेसर्स ग्रीन अर्थ इन्फ्रावेन्चर्स का मामला भी रेरा पहुंच गया है.

पार्किंग को बेच देने का आरोप

अमलेश्वर के पास ग्रीन अर्थ इन्फ्रावेंचर्स ने वर्ष 2011 में 42 एकड़ भूमि पर ग्रीन अर्थ कालोनी बसाई है. इस कालोनी में कई तरह के फ्लैट है, लेकिन जल्द ही इस फ्लैट में रहने वाले लोगों को अहसास हो गया कि पोस्टर-बैनर और अखबार में छपे विज्ञापन को देखकर जो फ्लैट उन्होंने खरीदा था वह न केवल गुणवत्ताविहीन है बल्कि सुविधाओं से महरूम भी है. कालोनी में रहने वाले रहने लोगों का कहना है कि बिल्डर ने अपने ब्रोशर में कई तरह के चमकदार सपने दिखाए थे लेकिन वह सपने केवल सपने साबित हुए. बिल्डर ने सही ढंग से न तो क्लब हाऊस बनाया है और न ही गार्डन. इतना ही नहीं  स्विमिंग पूल, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, पोस्ट ऑफिस, बॉलीवाल कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबॉल कोर्ट, योगा और मेडिटेशन सेंटर, बाउंड्रीवाल, 24 घण्टे सिक्योरिटी, स्ट्रीट लाइट, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, लिफ्ट की सुविधा भी आधी-अधूरी और अधकचरी है. बिल्डर ने ओपन पार्किंग को भी 30-30 हजार रुपए में बेच दिया है और पार्किंग का अलॉटमेंट पत्र भी नहीं दिया. जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार कोई भी बिल्डर ओपन पार्किंग नहीं बेच सकता है.

इस मामले में जब ग्रीन अर्थ सिटी वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारी अध्यक्ष, नारायण लाल शर्मा, पूर्व अध्यक्ष धीरपाल वर्मा, उपाध्यक्ष अनिल कुमार, सचिव रमेश चंद्र गुप्ता और कोषाध्यक्ष केतन मेहता ने बिल्डर से संपर्क साधा तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि हम किसी भी सूरत में अधूरे काम को पूरा नहीं कर सकते. कालोनी वासियों से बिल्डर से लिखित में जवाब मांगा तो बिल्डर ने कहा- हम लिखित में कुछ भी नहीं दे सकते. जहां शिकायत करना हो कर दीजिए. बिल्डर की बेरूखी के बाद अध्यक्ष नारायण लाल शर्मा मामले को थाने और रेरा ले गए हैं.

इधर रेरा ने संजय श्रीश्रीमाल को एक नोटिस भेजकर शिकायतकर्ता को जवाब देने को कहा है. रेरा ने अपनी नोटिस में साफ-साफ कहा है कि आपको हर हाल में शिकायतकर्ता को एग्रीमेंट की प्रति, समय-समय पर ली गई धनराशि. शिकायतकर्ता को आधिपत्य सौंपे जाने के संबंध में दस्तावेज, अब तक आधिपत्य नहीं सौंपे जाने का कारण, नगर निवेश निर्माण की अनुमति, विकास अनुज्ञा, भूमि डायवर्सन संबंधी दस्तावेज, रेरा के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन की स्थिति सहित अन्य सभी आवश्यक जानकारी देनी होगी.

नोटिस मिलेगी तो जवाब देंगे

मेरे खिलाफ थाने में झूठी शिकायत की गई है कि मैंने नारायण लाल शर्मा को जान से मारने की धमकी दी है. मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है. थाने वालों ने पक्ष जानना चाहा तो मैंने उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया है. जहां तक रेरा में शिकायत का संबंध है तो अभी मुझे किसी भी तरह की नोटिस नहीं मिली है. अगर नोटिस मिलती है तो वहां भी जवाब प्रस्तुत कर देंगे.

संजय श्रीश्रीमाल ( डायरेक्टर मेसर्स ग्रीन अर्थ इन्फ्रावेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड )

 

 

 

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