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रमन सिंह के शासनकाल में मारे गए थे 17 बेगुनाह आदिवासी... अब जाकर आयोग ने माना कि एक भी नहीं था माओवादी

रमन सिंह के शासनकाल में मारे गए थे 17 बेगुनाह आदिवासी... अब जाकर आयोग ने माना कि एक भी नहीं था माओवादी

रायपुर. बस्तर के सारकेगुड़ा गांव में मुठभेड़ की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने 78 पेज की अपनी रिपोर्ट में यह मान लिया है कि कोत्तागुड़ा और राजपेटा में 28-29 जून 2012 की दरम्यानी रात सीआरपीएफ और सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम ने जिन 17 लोगों को माओवादी बताकर मार गिराने का दावा किया था उनमें से एक भी माओवादी नहीं था.

पूरे देश में हलचल मचा देने वाली यह घटना तब हुई थीं तब छत्तीसगढ़ में डाक्टर रमन सिंह की सरकार काबिज थीं. घटना के बाद सरकार और उसके नुमाइंदे लगातार यह झूठ बोलते रहे कि मुठभेड़ में माओवादियों को ही मौत के घाट उतारा गया है, लेकिन इलाके के मुआयने में गए पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की राय इस घटना को लेकर बिल्कुल अलग थी. जब इस मामले में सरकार की खूब फजीहत हुई तब सरकार ने 14 दिसम्बर 2012 को जबलपुर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोग का गठन कर दिया था. इधर सात सालों की मशक्कत के बाद एक सदस्यीय आयोग ने भूपेश सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. हालांकि सूत्र बताते हैं कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट इसी महीने के प्रारंभ में ही सौंप दी थी, लेकिन सार्वजनिक नहीं की गई. जानकार बताते हैं  कि यह रिपोर्ट सोमवार को विधानसभा पेश की जाएगी.

यह कहती है रिपोर्ट

1-रिपोर्ट में यह साफ तौर पर कहा गया है कि 28-29 जून की दरम्यानी रात ग्रामीण गांव में बैठक कर रहे थे तभी सुरक्षाबलों ने फायरिंग कर दी और आदिवासी मारे गए थे.

2- जिन ग्रामीणों से सुरक्षाबलों का टकराव हुआ उनके बारे  में कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं मिला जिससे साबित होता हो कि ग्रामीणों में से कोई नक्सली था. जो व्यक्ति मारे गए उन्हें लेकर भी यह सबूत नहीं मिल पाया कि वे माओवादी थे . मारे लोगों में कुछ नाबालिग भी थे.

3-जब सारकेगुड़ा में घटना हुई तब सुरक्षाबलों का नेतृत्व डीआईजी एस इंलगो और डिप्टी कमांडर मनीष बरमोला कर रहे थे. इन दोनों ने यह स्वीकारा कि उनके द्वारा कोई गोली नहीं चलाई है. दोनों का बयान यह साबित करने के लिए काफी है कि बैठक करने वाले सदस्यों की तरफ से किसी तरह की गोलीबारी नहीं की गई. अगर वे गोली चलाते तो दोनों अधिकारी हथियारबंद थे वे भी जवाब देते.

4-रिपोर्ट कहती है कि गाइड ने कुछ "दूरी पर एक संदिग्ध ध्वनि" की सूचना दी थी जिसके चलते सर्चिंग पर निकले सुरक्षाबल के जवान दहशत में थे. इस दहशत की वज से उन्हें यह भ्रम पैदा हो गया था कि आसपास भारी संख्या में नक्सली मौजूद है. सुरक्षाबलों ने दहशत में गोलीबारी प्रारंभ कर दी जिससे कई लोगों को चोट आई और कई ग्रामीण मौत के मुंह में समा गए.

5-सीआरपीएफ और राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि मुठभेड़ में छह सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए थे. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि घायल सुरक्षाकर्मियों को लगी चोटें दूर से फायरिंग के कारण नहीं हो सकती थीं, जैसे कि दाहिनी तरफ की चोट पैर की अंगुली या टखने के पास की चोट. दूसरी बात, गोली लगने की घटनाएं केवल क्रॉस-फायरिंग के कारण हो सकती हैं , चूंकि यह घटना की जगह के चारों ओर गहन अंधेरा था तो इस संभावना को भी खारिज नहीं किया जा सकता कि सुरक्षा बलों के सदस्यों द्वारा दागी गई गोलियों से ही टीम के अन्य सदस्यों को गोली लगी थीं.

6-ग्रामीणों के वकील ने कहा था कि 17 में से कम से कम 10 पीड़ित ऐसे थे जिनके पीठ में गोली मारी गई थी और कहा गया था कि जब वे भाग रहे थे तब गोली चलाई गई. जांच पैनल ने कहा कि कुछ मृतको के सिर के ऊपर से निकली गयी गोलियों से पता चलता है कि उन्हें बेहद करीब गोली दागी गई थी.

7-ग्रामीणों का आरोप है कि पीड़ितों में से एक को उसके घर से 29 जून की सुबह, कथित मुठभेड़ के 10 घंटे बाद उठाया गया था. एक आदिवासी महिला का बयान है कि उसके भाई इरपा रमेश को सुबह पीटा गया था. उनके बयान का समर्थन मुता काका ने किया है. बयान में कहा है कि इरपा रमेश सुबह अपने घर में थे और बाहर झांककर यह देख रहे थे कि गोलीबारी बंद हो गई या नहीं तभी पुलिस कर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया. पहले उनकी पिटाई की और फिर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी.

8-पोस्टमार्टम वीडियो से लिए गए चित्र से भी पता चलता है कि 15 शवों को एक साथ रखा गया था जिनकी मौत रात में ही हो गई थी. जबकि इरपा रमेश का शव अलग- थलग पड़ा था. यह बात का भी द्योतक है कि इरपा रमेश रात की घटना में नहीं मारा गया था.

9-न्यायमूर्ति अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में जांच में स्पष्ट हेरफेर की बात कही है ,और कहा कि यह ध्यान रखना उचित है कि कई अन्य दस्तावेज जैसे कि जब्ती- ज्ञापन आदि भी कथित रूप से सुबह में मौके पर तैयार किए गए थे.

 

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